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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, November 7, 2015

अनुपम खेर साहब ! उम्मीद करता हूं आपकी निगाह में महिला पत्रकार वेश्या नहीं होतींः

From: vineet kumar <vineetdu@gmail.com>
Date: 2015-11-07 17:38 GMT+05:30
Subject: [दीवान]अनुपम खेर साहब ! उम्मीद करता हूं आपकी निगाह में महिला पत्रकार वेश्या नहीं होतींः
To: deewan <Deewan@mail.sarai.net>


साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाकर और उनका समर्थन करनेवाले लोगों ने देश का नाम खराब किया है. देश को अहिष्णु बताकर दुनिया के सामने उसकी इज्जत कम की है. #प्रतिरोध कार्यक्रम के जरिए इन्होंने दुनिया के आगे एक पाखंड रची है जो कि सीधे-सीधे सरकार के,राष्ट्र के और इस देश की जनता के खिलाफ है..


राष्ट्र की इस खराब हुई छवि को पहले की तरह बेहतर करने, पहले की तरह विशाल हृदय का देश और सरकार बताने के लिए #मार्चफॉरइंडिया का आयोजन किया गया. जिस भाषा और भाव के साथ इसकी पहल की गई है, हम जैसे आंख चीरकर, टकटकी लगाए बेहतर कल की उम्मीद करनेवाले लोग लगभग आश्वस्त हो गए थे कि पुरस्कार लौटाकर जिनलोगों ने इस देश का अपमान किया है, उन्हें आज ये एहसास हो जाएगा कि वो गलत हैं..साहित्य अकादमी का वापस करना, देश की अखंड संस्कृति पर चोट करना है..लेकिन


#मार्चफॉरइंडिया में एनडीटीवी की महिला पत्रकार के साथ बदतमीजी की, अपशब्दों का प्रयोग किया.

हम उम्मीद करते हैं ये देश और दुनिया के बाकी लोग इसे महिला का अपमान न मानकर एक कांग्रेसी चैनल की मीडियाकर्मी को सही रास्ते पर लाने के रूप में लेगा. हम उम्मीद करते हैं कि इससे राष्ट्र का अपमान नहीं हुआ होगा..ऐसी स्थिति में मीडियाकर्मी को फेसबुक पर अपनी बात अपडेट करने, संस्थान को बताने के बजाय चुप मार जाना चाहिए था..मीडिया के पेशे में इतना सब होना तो आम बात है.



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