सच तो ये है कि भारत का मतलब है भारत के असली मालिक, जो आज हर क्षेत्र में सबसे निचले पायदान पर वंचित वर्गों में शामिल हैं और इन्हीं वंचित वर्गों के हकों और स्वाभिमान का, हर क्षेत्र में दिनरात बेरोकटोक बलात्कार होता रहता है, जो वास्तव में भारत के साथ बलात्कार है। लेकिन भारत के साथ हजारों सालों से बलात्कार करने वाले इन 15 फीसदी वर्ग के लोगों में शामिल कुछ चालाक और षड़यंत्रकारी आज खुद आम आदमी की टोपी पहनकर और भगवा वस्त्र धारण करके बलात्कार के खिलाफ संघर्ष करने का नाटक खेल रहे हैं। इस षड़यंत्र में कॉंग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार भी बुरी तरह से फंस चुकी है, क्योंकि कॉंग्रेस पार्टी में भी, कॉंग्रेसी चोला धारण किये हुए, इन फासिस्ट और देशद्रोहियों के ऐजेंट नीति-नियन्ता पदों पर पदस्थ हैं।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
''आम आदमी पार्टी'' का संविधान मेरे हाथ में है, जो मुझे आम आदमी पार्टी की अजमेर (राजस्थान) की महिला कार्यकर्ता (या पदाधिकारी) मैडम कीर्ति पाठक जी ने मेल के जरिये ये दिखाने के लिये भेजा है, कि ''आम आदमी पार्टी'' सच में ''आम आदमी'' की पार्टी है। मैडम कीर्ति जी ने मेरे किसी लेख को पढकर पहले तो बड़े ही संयमित तथा शिष्ट तरीके से मुझसे मोबाइल पर बात की और फिर कहा कि अन्याय के खिलाफ संघर्षरत हम सभी लोगों को एक-दूसरे की कमियों को दिखाने के बजाय ''आम आदमी'' की परेशानियों के लिये मिलकर आम आदमी की लड़ाई में शामिल होना चाहिये। मैडम कीर्ति जी का कहना था कि इसके लिये ''आम आदमी पार्टी'' अरविन्द केजरीवाल जी के नेतृत्व में देशभर में अन्याय के खिलाफ संघर्षरत लोगों को एकजुट करके और साथ लेकर आम आदमी की समस्याओं के लिये संघर्ष कर रही है।
मुझे मैडम कीर्ति जी से मोबाइल पर बात करके अच्छा लगा और जब उनकी ओर से मेल के जरिये ''आम आदमी पार्टी'' का संविधान और ''आम आदमी पार्टी'' का संकल्प पत्र (विजन डॉक्यूमेंट) मिला तो इस बात की प्रसन्नता हुई कि मैडम कीर्ति जी ने जो वायदा किया उसे पूरा किया। स्वाभावत: मैंने दोनों ही दस्तावेजों को अद्योपान्त बढा। जिस पर विस्तृत प्रतिक्रिया तो फिर कभी, लेकिन फिलवक्त तो देश की राजधानी नयी दिल्ली में बलात्कार के खिलाफ लोगों के गुस्से के संदर्भ में लिखना असल मकसद है।
नयी दिल्ली में बलात्कार की घटनाओं के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के दौरान भीड़ में अधिकतर लोगों में ''आम आदमी पार्टी'' की टोपी पहनने वाले और भाजपा या भाजपा से सम्बद्ध संगठनों का झंडा हाथ में लिये लोगों का टीवी पर दिखना आम बात है। जिससे लगता है कि बलात्कार की सर्वाधिक चिन्ता इन्हीं दो राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं को है। इसके अलावा टेलीवीजन पर खबरों को बेचने वालों को तो बलात्कार की सर्वाधिक चिन्ता सता ही रही है।
आम आदमी पार्टी की टोपी पहने लोग, जिस पर लिखा होता है-''मैं हूँ आम आदमी'' नयी दिल्ली में बलात्कार के खिलाफ संघर्ष करते नजर आते हैं। जो अपने इस संघर्ष को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये देशभर के लोगों का गुस्सा दिखलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। जिससे टीवी देखने वाला आम आदमी इस भ्रम में पड़ जाता है कि भारत की राजधानी महिलाओं के लिये सुरक्षित नहीं है और महिलाओं की सुरक्षा की सर्वाधिक चिन्ता यदि किसी को है तो ''आम आदमी पार्टी'' को है। पहले इस मामले में भाजपा प्रथम स्थान पर हुआ करती थी। अब ''आम आदमी पार्टी'' ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है। यही नहीं ''आम आदमी पार्टी'' हर उस मामले में आम आदमी के साथ दिखना चाहती है, जिससे वो ये दिखा सके कि वास्तव में आम आदमी की चिन्ता केवल और केवल ''आम आदमी पार्टी'' को ही है।
संयोग से ''आम आदमी पार्टी'' के सभी बड़े कर्ताधर्ता नयी दिल्ली में या आसपास में रहते हैं और छनछन कर प्राप्त होने वाली खबरों के मुताबिक इस समय देश को अस्थिर करने वाली ताकतें भारत के मीडिया को खरीद चुकी हैं। इसलिये मीडिया फासिस्टवादी और कमजोर लोगों के खिलाफ षड़यन्त्र करने वाली ताकतों का जमकर गुणगान कर रहा है। इन्हीं ताकतों में, ''आम आदमी पार्टी'' को शामिल करना मेरी बाध्यता है, क्योंकि ''आम आदमी पार्टी'' के मुखिया दिल्लीवासियों से बिजली का बिल जमा नहीं करने का आह्वान करते हैं और स्वयं अपने बिजली के बिल सही समय पर जमा करवाते हैं। इस प्रकार आम लोगों को सरकार से लड़ाने का काम करते हैं। यह आम आदमी के साथ ''आम आदमी पार्टी'' का खुला षड़यंत्र है।
द्वितीय ''आम आदमी पार्टी'' के संविधान में इस बात को स्वीकार किया गया है कि-''अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक'' वर्गों में शामिल लोग सामाजिक रूप से वंचित समूह हैं। इन वर्गों की आबादी देश की कुल आबादी का पिच्यासी फीसदी बतायी जाती है। अर्थात् इन वंचित समूहों के लोग ही इस देश में असली वंचित और आम आदमी हैं।
अत: देश की पहली प्राथमिकता इन वंचित वर्गों का उत्थान करना होनी चाहिये। ''आम आदमी पार्टी'' की नजर में भी स्वाभाविक रूप से इन्हीं वंचित समूहों के लोगों को इस देश का ''आम आदमी'' होना चाहिये और ''आम आदमी पार्टी'' के ''नीति-नियन्ता अर्थात् असली कर्ताधर्ता'' पदों पर भी इन्हीं वंचित समूहों और वर्गों के लोगों का संवैधानिक अधिकार होना चाहिये। अर्थात् ''आम आदमी पार्टी'' के संविधान में ऐसी सुस्पष्ट व्यवस्था होनी चाहिये, जिससे कि देश की पिच्यासी फीसदी आबादी के वंचित समूहों, जो हकीकत में देश के ''आम आदमी'' हैं के हाथों में ''आम आदमी पार्टी'' की कमान होनी हो।
लेकिन इस देश के आम आदमी का दुर्भाग्य यहॉं भी उसका साथ नहीं छोड़ता है और आम आदमी के नाम पर बनायी गयी ''आम आदमी पार्टी'' का संविधान कहता है कि ''आम आदमी पार्टी'' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल तीस सदस्य होंगे और इन तीस पदों पर पदस्थ राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा ही देशभर में ''आम आदमी पार्टी'' की नीतियों का निर्धारण, नीतियों का संचालन एवं क्रियान्वयन किया जायेगा, लेकिन ''आम आदमी पार्टी'' का संविधान दूसरी बात यह कहता है कि ''आम आदमी पार्टी'' की नीतियों का निर्धारण करने में इस देश के वंचित समूहों में शामिल ''आम आदमी'' की कोई निर्णायक भूमिका नहीं होगी। अर्थात् ''आम आदमी पार्टी'' के संविधान के अनुसार देश के पिच्यासी फीसदी वंचित समूहों अर्थात् 'अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक'' के अधिकतम केवल पांच लोग ही ''आम आदमी पार्टी'' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का हिस्सा हो सकेंगे।
अर्थात् ''आम आदमी पार्टी'' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुल तीस पदों में से पच्चीस पद उन ताकतवर वर्गों के लोगों के पास होंगे, जिनके अन्याय के और शोषण के कारण 'अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक'' वर्गों के लोग सामाजिक रूप से वंचित बनाये जा चुके हैं। अर्थात् जो 15 फीसदी शोषक वर्ग पिच्यासी फीसदी लोगों के पिछड़ेपन का कारण हैं, उसी वर्ग के शोषक और अन्यायी लोग आम आदमी के नाम पर ''आम आदमी पार्टी'' का संचालन करेंगे। केवल यही नहीं, बल्कि ''आम आदमी पार्टी'' का संविधान वंचित वर्गों के विरुद्ध यहॉं तक नकारात्मक प्रावधान भी करता है कि ''आम आदमी पार्टी'' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सामाजिक रूप से वंचित उक्त समूहों अर्थात् के देश के 85 फीसदी लोगों का अधिकतम प्रतिनिधित्व 16 फीसदी से अधिक नहीं हो सकेगा और देश की 85 फीसदी आबादी को सामाजिक रूप से वंचित बनाये रखने, उनका शोषण एवं अन्याय करने वाले 15 फीसदी लोगों को ''आम आदमी पार्टी'' की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 84 फीसदी से भी अधिक पदों पर पदस्थ होने का संवैधानिक अधिकार होगा।
इन तथ्यों से इस बात को प्रमाणित करने की जरूरत नहीं रह जाती है कि इस देश की 85 फीसदी आबादी को असमानता, भेदभाव, शोषण और अन्याय का शिकार बनाने के लिये, शेष 15 फीसदी लोग ही जिम्मेदार हैं। जिसमें स्वयं अपने वर्गों की महिलाओं के साथ किये जाने वाले बलात्कारी भी शामिल हैं।
इससे भी बड़ी सच्चाई तो यह भी है कि देश की 84 फीसदी आबादी के मान-सम्मान, संवैधानिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और जीने के अधिकार का हजारों सालों से बलात्कार करने वाले 15 फीसदी लोगों की जैसी मानसिकता वाले लोगों द्वारा इस देश में आम आदमी के नाम पर ''आम आदमी पार्टी'' का गठन किया गया है, जो महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कारों के विरुद्ध दिल्ली में घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। जिन्हें न तो आम आदमी के दु:ख दर्दों से कोई सारोकार है और न हीं आम आदमी के दु:ख दर्दों की कोई पीड़ा है।
सच तो ये है कि भारत का मतलब है भारत के असली मालिक, जो आज हर क्षेत्र में सबसे निचले पायदान पर वंचित वर्गों में शामिल हैं और इन्हीं वंचित वर्गों के हकों और स्वाभिमान का, हर क्षेत्र में दिनरात बेरोकटोक बलात्कार होता रहता है, जो वास्तव में भारत के साथ बलात्कार है। लेकिन भारत के साथ हजारों सालों से बलात्कार करने वाले इन 15 फीसदी वर्ग के लोगों में शामिल कुछ चालाक और षड़यंत्रकारी आज खुद आम आदमी की टोपी पहनकर और भगवा वस्त्र धारण करके बलात्कार के खिलाफ संघर्ष करने का नाटक खेल रहे हैं। इस षड़यंत्र में कॉंग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार भी बुरी तरह से फंस चुकी है, क्योंकि कॉंग्रेस पार्टी में भी, कॉंग्रेसी चोला धारण किये हुए, इन फासिस्ट और देशद्रोहियों के ऐजेंट नीति-नियन्ता पदों पर पदस्थ हैं।
-लेखक : होम्योपैथ चिकित्सक, सम्पादक-प्रेसपालिका (पाक्षिक), नेशनल चेयरमैन-जर्नलिसट्स, मीडिया एण्ड रायटर्स वेलफेयर एसारिएशन और राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास), मोबाइल : 085619-55619, 098285-02666
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