बनारस में मानवाधिकार एक्टिविस्ट लेनिन रघुवंशी पर जानलेवा हमला
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बनारस बनारस के कैंट क्षेत्र के दौलतपुर में बुधवार , को शाम आठ बजे मानवाधिकार जननिगरानी समिति के समन्वयक डा. लेनिन रघुवंशी पर उनके ही घर के बाहर अज्ञात लोगों ने गोली चला दी। गोली निशाना चूक गयी और डा. लेनिन बच गये।पीछा करने पर एक बदमाश ने उनपर चाकू से हमला कर दिया।लेनिन के हाथ में चोट आयी है।वे कुछ मेहमानों को बाहर छोड़कर जैसे ही मुड़े , उनपर गोली चला दी गयी।फायरिंग करने से पहले उन्होंने डा. लेनिन को किसी मामले की पैरवी के लिए धमकाया, वे जवाब देते इससे पहले ही गोली चल गयी।केंट थाने में दर्ज रपट में लेनिन ने हमलावरों की उम्र १६ से २१ साल के बीच बतायी है।
यूनेस्को, यूनिसेफ, यूरोपीय समुदाय जैसी संस्थाओं के साथ तालमेल रखकर दो दशकों से सक्रिय अंतरराष्ट्रीय ख्याति के इस मानवाधिकार कर्मी पर अखिलेश राज में हमले से दुनियाभर के मानवाधिकारकर्मियों में हड़कंप मच गया है।वंचितों के अधिकारों पर इनके कामों के लिये इन्हें 'वाइमर ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', जर्मनी एवं 'ग्वांजू ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', दक्षिण कोरिया से नवाज़ा गया है। प्रख्यात समाज सेवी एडमिरल भागवत ने तुरंत मेल करके लेनिन के साथ एकजुटता जतायी है। मालूम हो कि जननिगरानी समिति ने अभी कुछ ही समय पहले उत्तरप्रदेश में अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़ने के दर्जनों मामलों की बनारस में ही जनसुनवाई की थी और इस सिलसिले में जस्टिस सच्चर की विस्तृत रपट भी आ चुकी है।
डा. लेनिन से जब फोन पर बात हुई तो उन्होंने हमलावरों की पहचान अज्ञात बताया और इस मामले के पीछे राजनीति की आशंका पर टिप्फणी करने से इंकार कर दिया। उनके मुताबिक पुलिस प्रशासन और सरकार को सूचना दी गयी है।भिना सबूत के कुछ कहना मुश्किल है।उन्होंने कहा कि एक माफिया पर मकोका लगाने के लिए केंद्र सरकार को उन्होंने पत्र लिखा था।एक अन्य माफिया के खिलाफ भी कार्रवाई करने की उन्होंने मांग की है। सरकार और पर्शासन की जिम्मेवारी है कि जांच कराये और समुचित कार्रवाई करें। डा. लेनिन के आवास पर पुलिस की तरफ से सुरक्षा इंतजाम कर दिया गया है। पर उनके जैसे सक्रियमानवाधिकार कर्मी के लिए सुरक्षा घेरे में काम करना असंभव है। जाहिर है कि मामूली अपराधकर्मियो के लिए लेनिन जैसे मसहूर शख्सियत पर बिना राजनीतिक संरक्षण के हमला करना असंभव है। मानवाधिकार संगठनोंकी मांग है कि उच्चस्तरीय जाँच कराकर मानवाधिकार कार्यकर्ता के जान – माल की रक्षा व मानसिक प्रताड़ना से निजात दिलाया जाना आवश्यक और न्यायसंगत हैं।
डा० लेनिन और मानवाधिकार जननिगरानी समिति साम्प्रदायिक राजनीति के तहत पूर्व नियोजित फैजाबाद दंगे की जांच व पूर्व प्रेषित खुफिया एजेंसी व इंटेलीजेंस ब्यूरो की खबर को ध्यान न देने में पुलिस व स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के सन्दर्भ में मुहिम छेड़े हुए हैं।
डॉ. लेनिन जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. उत्तरप्रदेश के जिस इलाके़ में लेनिन और उनकी संस्था 'मानवाधिकार जननिगरानी समिति' कार्यरत् है, वहां सवर्णों की दबंगई और दलित उत्पीड़न कोई नयी बात नहीं है। कट्टर मजहबी ताकतों द्वारा अल्पसंख्यकों के साथ भी जोर-जुल्म होता रहा है। लेनिन की अगुवाई में 'मानवाधिकार जननिगरानी समिति' तकरीबन दो दशकों से जातीय और साम्प्रदायिक दमन की मुखालफत कर रही है। लेनिन लगातार मानवधिकार रिपोर्टिंग करते रहे हैं। उनकी कई रिपोर्टों पर प्रशासनिक कार्रवाई भी हुई और पीडितों को न्याय भी मिला।समिति वंचित समुदायों जैसे – अल्पसंख्यक, दलितों और अति वंचित समुदाय मुसहर के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिये संघर्षरत है। इसी सन्दर्भ मे कई भू – माफिया, उच्चजाति के लोग शोषक वर्ग के है, के विरूद्ध गरीब, दलितो की जमीन को कब्जा मुक्ति हेतु उच्चस्तरीय लिखा पढ़ी की जाती है तथा शासन – प्रशासन द्वारा व आयोग द्वारा मेरे प्रार्थना पत्र पर दोषियो के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाती है। बीते दिनों उन्हें फोन पर जान से मारने की धमकी भी मिलती रही है।उन्हें मानवाधिकार इउल्फलंघन मामलों में अभियुक्र्जीतों की ओर से मामले में भी फंसाने की कोशिशें लगातार होती रही हैं।मसलन 29 नवम्बर, 2011 को मो0 नं0 – +94757251733 से कई बार बंक काल ( missed call ) आया तथा 5:27 P.M. बजे इसी नम्बर से लेनिन के मो0 नं0 – + 91-9935599333 पर फोन कर लगातार गाली देते हुए कहा गया , " मानवाधिकार मतलब …….. ( गाली देते हुये ) तुम्हे उठवा लेंगे, ज्यादा बनोगे तब गोली मरवा देंगे " जैसी धमकी दिया ! उस समय डॉ. लेनिन कार्यालय में बैठक में थे और उस दौरान समिति के कई सदस्य भी उपस्थिति थे !
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