हटाई माता 'धारी देवी' की मूर्ति तो उत्तराखंड में हुआ 'महाविनाश'
मां काली का रूप माने जाने वाली धारी देवी की प्रतिमा को 16 जून की शाम को उनके प्राचीन मंदिर से हटाई गई थी. उत्तराखंड के श्रीनगर में हाइडिल-पॉवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था. प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके कुछ घंटे बाद ही केदारनाथ में तबाही का मंजर आया और सैकड़ों लोग इस तबाही के मंजर में मारे गए.
विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल ने कहा, 'लोगों ने हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया था और धारी देवी की प्रतिमा को हटाए जाने का विरोध किया था. लेकिन इसके बावजूद 16 जून को धारी देवी की प्रतिमा को हटाया गया. धारी देवी के गुस्से से ही केदारनाथ और उत्तराखंड के अन्य इलाकों में तबाही मची. धारी देवी देश के नास्तिक लोगों को समझाना चाहती थीं कि हिमालय और यहां की नदियों को ना छुआ जाए.'
इस इलाके में धारी देवी की बहुत मान्यता है. लोगों की धारणा है कि धारी देवी की प्रतिमा में उनका चेहरा समय के साथ बदला है. एक लड़की से एक महिला और फिर एक वृद्ध महिला का चेहरा बना.
पौराणिक धारणा है कि एक बार भयंकर बाढ़ में पूरा मंदिर बह गया था लेकिन धारी देवी की प्रतिमा एक चट्टान से सटी धारो गांव में बची रह गई थी. गांववालों को धारी देवी की ईश्वरीय आवाज सुनाई दी थी कि उनकी प्रतिमा को वहीं स्थापित किया जाए. यही कारण है कि धारी देवी की प्रतिमा को उनके मंदिर से हटाए जाने का विरोध किया जा रहा था. यह मंदिर श्रीनगर से 10 किलोमीटर दूर पौड़ी गांव में है.
330 मेगावाट वाले अलखनंदा हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का काम अभी भी जारी है. लोगों के विरोध के चलते ही ये प्रोजेक्ट जो 2011 तक पूरा हो जाना चाहिए था अभी तक इस पर काम चल रहा है. जैसे ही धारी देवी की प्रतिमा को स्थानांतरित करने की बात शुरू हुई प्रोजेक्ट को लेकर लोगों का विरोध नए स्तर से शुरू हो गया. बीच का रास्ता निकालते हुए प्रोजेक्ट ने फैसला लिया कि पावर प्रोजेक्ट से दूर धारी देवी के मंदिर को स्थानांतरित किया जाएगा. धारी देवी की प्रतिमा को स्थानांतरित करने के लिए प्लेटफॉर्म बन चुका था लेकिन पॉवर प्रोजेक्ट कंपनी और मंदिर कमिटी के लिए उनकी मूर्ति को विस्थापित करना मुश्किल होता जा रहा था.
16 जून को जब मंदाकिनी नदी में बाढ़ आना शुरू हुई तो मंदिर कमिटी ने धारी देवी की प्रतिमा बचाने के लिए तुरंत एक्शन लिया. धारा देवी मंदिर कमिटी के पूर्व सचिव देवी प्रसाद पांडे के मुताबिक, 'शाम तक मंदिर में घुटने तक पानी भर गया था. ऐसी खबरें थीं कि रात तक बहुत तेज बारिश होने वाली है. तो धारा देवी की प्रतिमा को हटाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. हमने शाम को 6:30 बजे प्रतिमा को स्थानांतरित किया था.'
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