लखनऊ 16 जून। आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को उनकी पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना अधिकार देने के लिये संसद् द्वारा बने वनाधिकार कानून को सरकार ने विफल कर दिया है। इन तबकों द्वारा मालिकाना हक के लिये दाखिल लाखों दावों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया है, उन दावा फार्मो को तहसील में दीमक चाट रहे हैं।
यह आरोप प्रदेश में कानून के राज की स्थापना के लिये विधानसभा के सामनेसीपीआईएम, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी समेत तमाम वाम-जनवादी ताकतों द्वारा समर्थित उपवास पर बैठे आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने सातवें दिन आयोजित सभा में लगाया। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर की वनाधिकार समिति द्वारा स्वीकृत दावों को कानून में अधिकार न हाते हुये भी उपखण्ड स्तर की कमेटी द्वारा खारिज कर दिया गया। आदिवासियों को गैरकानूनी तरीके से जमीन से बेदखल किया जा रहा है, उन पर फर्जी मुकदमे कायम किये जा रहे हैं और लगातार उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।
श्री सिंह ने कहा कि आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को वनाधिकार कानून के तहत मालिकाना हक दिलाने के लिये आइपीएफ ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है। जिसे स्वीकार कर माननीय उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खण्डपीठ ने केन्द्र और प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। यहीं नहीं प्रदेश के माओवाद प्रभावित सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली में रहने वाले आदिवासी समुदाय को तो आजादी के बाद आज तक इंसाफ नहीं मिला है। कोल को आदिवासी होने के बाबजूद आदिवासी का दर्जा नहीं दिया गया। गोड़, खरवार जैसी जिन आदिवासी जातियों को आदिवासी का दर्जा भी मिला, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी उनके लिये लोकसभा, विधानसभा से लेकर पंचायत तक सीट ही आरक्षित नहीं की गयी परिणामस्वरूप वह आरक्षित सीटों पर चुनाव ही नहीं लड़ पा रहे हैं।
आज कॉ. अखिलेन्द्र ने भजन मण्डली द्वारा कबीरदास की जयन्ती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की माँग का भी समर्थन किया। उनके धरने पर जाकर कॉ. अखिलेन्द्र ने कहा कि कबीरदास और रैदास दोनों भारतीय इतिहास की सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियाँ रही हैं जिन्होंने सामाजिक बदलाव के आन्दोलन को मजबूत किया है। इसलिये इनकी जयन्ती को सरकार को राष्ट्रीय पर्व घोषित करते हुये इस अवसर पर अवकाश करना चाहिये।
अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन करने आज राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव व पूर्व मन्त्री कॉ. कौशल किशोर के नेतृत्व में पारख महासंघ के दर्जनों कार्यकर्ता पहुंचे। सभा को सम्बोधित करते हुये कॉ. कौशल ने कहा कि अनशन और लोकतान्त्रिक आन्दोलन के प्रति सरकार संवेदनहीन हो चुकी है। प्रदेश में संविधानसम्मत शासन और सरकार की ही घोषणाओं को लागू करने के लिये उपवास पर बैठे अखिलेन्द्र द्वारा उठाये जनहित के सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया देने की जगह सरकार उनका मेडि़कल चेकअप तक ठीक से नहीं करा रही है। उनके वजन को नापने के लिये जो मशीन भेजी गयी वह खराब थी और डॉक्टरों व प्रशासनिक अधिकारियों से बार-बार वार्ता करने, लिखित देने के बाबजूद पेशाब में कीटोन, प्रोटीन व शुगर की जाँच के लिये स्ट्रिप तक लेकर डॉक्टर नहीं आ रहे हैं।
अखिलेन्द्र का मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुये आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई.जी. एस. आर. दारापुरी ने बताया कि उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। आज उनके पेशाब में चार प्लस प्रोटीन आया है और उनका ब्लड प्रेशर 150/90 और प्लस रेट 88 है जो सामान्य से ज्यादा है। उन्होंने सरकार द्वारा अखिलेन्द्र के स्वास्थ्य के प्रति बरती जा रही लापरवाही पर तीखा आक्रोश भी व्यक्त किया।
आज सीपीएम राज्य कमेटी सदस्य कॉ. धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के महामंत्री ओकांर सिंह, भागीदारी आन्दोलन के अध्यक्ष पीसी कुरील, बबलू अग्निहोत्री, चंदौली आइपीएफ संयोजक अखिलेश दुबे, अजीत सिंह यादव, दिनकर कपूर, आगरा संयोजक मुकंदीलाल नीलम ने अखिलेन्द्र के उपवास स्थल पर आयोजित सभा को सम्बोधित कर समर्थन व्यक्त किया। सभा का संचालन आइपीएफ के प्रदेश प्रवक्ता गुलाब चन्द गोड़ ने किया।
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