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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, June 16, 2013

केवल दलितों के ही नेता नहीं थे अंबेडकर

केवल दलितों के ही नेता नहीं थे अंबेडकर

नयी दिल्ली (भाषा)। डॉ. बी आर अंबेडकर के भाषणों का संग्रह करने वाले लेखक नरेंद्र जाधव का कहना है कि डा. अंबेडकर को केवल दलितों का नेता कहना या उन्हें केवल संविधान निर्माता के तौर पर जानना उनका 'अपमान' है क्योंकि लोग आधुनिक भारत में 'सामाजिक चेतना' जगाने में उनके योगदान के बारे में नहीं जानते। योजना आयोग के सदस्य जाधव ने कहा, '' मेरा मानना है कि डॉ. अंबेडकर को केवल दलितों के नेता के रूप पेश करना उनका अपमान है क्योंकि वह हमेशा कहा करते थे, ' मैं पहले भारतीय हूं और मैं अंत में भी भारतीय हूं।' ''
जाधव ने डा. भीमराव रामजी अंबेडकर के गुजराती, हिंदी, मराठी और अंग्रेजÞी में दिए 301 भाषणों का 'अंबेडकर स्पीक्स' नामक पुस्तक में संग्रह किया है। इस संग्रह के तीन खंड हैं। अंग्रेजी भाषा में लिखी गई इस किताब का कोणार्क पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया हौ। इससे पहले इस पुस्तक का मराठी संस्करण जारी हो चुका है। 
उन्होंने कहा, '' अंबेडकर राष्ट्रीय नेता रहे थे। लोगों को उनकी शख्सियत के विभिन्न पहलुओं की जानकारी नहीं है। उन्हें नहीं पता कि अंबेडकर देश के सबसे बड़े अर्थशास्त्रियों में शामिल हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातोकत्तर और पीएचडी की। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टर आॅफ साइसेंस की डिग्री भी प्राप्त की।''
जाधव ने कहा, '' 95 प्रतिशत लोग उन्हें दलितों के मसीहा के तौर पर देखते हैं और अन्य उन्हें संविधान निर्माता के तौर पर जानते हैं लेकिन वह एक अर्थशास्त्री, समाज शास्त्री, मानव विज्ञानी, एक इतिहासकार और कानूनविद् भी थे।
स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री के तौर पर अंबेडकर ने हिंदू संहिता विधेयक को प्रोत्साहित किया जिसमें पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं के सम्मान और लड़कों एवं लड़कियों की समानता की बात कही गई।

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