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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, June 17, 2013

साथियो यह है ब्राम्हणी व्यवस्था के शिकार हमारे बहुजन बधु जिन्हे घुमंतु जन जातियाँ कहाँ जाता है।

साथियो यह है ब्राम्हणी व्यवस्था के शिकार हमारे बहुजन बधु जिन्हे घुमंतु जन जातियाँ कहाँ जाता है। 

(तथाकथित) आजादी के 65 साल बादभी यह घुमंतु के घुमंतु रह गये है। आज सभी राजनितिक दल समानता की बाते करने वाले पक्ष इन्हे घुमंतु रखनेमे तथा इनपर राजनिती करनेमे धन्यता मानते है। क्या यही राजनितिक दलोँ की समानता है ? क्या इन्हे पढने का अधिकार हासिल हुआ है ? क्या इन्हे पर्याप्त प्रतिनिधित्व हासिल हुआ है ? क्या संविधानमे लिखे अन्न , वस्त्र , निवारा (रहनेकी जगह) , शिक्षा एवम आरोग्य (शरीर स्वास्थ) का अधिकार प्राप्त हुआ । अगर चित्र मे ध्यानपुर्वक हम देखते है तो हमे दिखाई देता है कि झोपडी खडी करने की लकडीयाँ , छावसे बचने के लिए प्लास्टिका कपडा , थंडी से बचने के लिए चद्दर ऐसे कुछ ही वस्तुऔँ पर अपना जिवन जी रहे है। क्या सरकारने इनके लिए कुछ किया । तो उत्तर होगा ना । भारतमे 10 करोड से अधिक घुमंतु लोग है , जो इस तरह का जीवन जी रहे है। इन्हे संवैधानिक अधिकारोसे वंचित किया गया है । इसलिए यह एसा जीवन जी रहे है।
संविधान मे भारत के प्रत्येक व्यक्ति को दिए गये हक्क और अधिकार दिलाने कार्य भारत मुक्ति मोर्चा कर रहा है । आपसे विनति है कि आप ईस जन आंदोलन मेँ शामिल हो जाओ।
फोटो : पनवेल रेल्वे स्टेशनपर रेलका इंतजार करते समय बहुजन घुमंतु. — with Ramchandra Gadhveer and 49 others.
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