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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, December 16, 2012

अब लाबिइंग इसके लिए तेज है कि भारत में भी कारपोरेट लाबिइंग को अमेरिका की तरह वैध कर दिया जाये!

अब लाबिइंग इसके लिए तेज है कि भारत में भी कारपोरेट लाबिइंग को अमेरिका की तरह वैध कर दिया जाये!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

कानून अपना काम क्या करेगा? उलटे अब लाबिइंग इसके लिए तेज है कि भारत में भी कारपोरेट लाबिइंग को अमेरिका की तरह वैध कर दिया जाये। यानी कारपोरेट से​ ​ रिश्वत खाना रिश्वतखोरी न माना जाय। जैसे कालाधन को विदेशी पूंजी निवेश मान लिया गया और सारी व्यवस्था उसी पर टिकी है। कारपोरेट​ ​ चंदे से तो राजनीति चलती है ही, कारपोरेट लाबिइंग वैध हो जाये तो कानून अपना काम करेगा बखूब। अबाध विदेशी पूंजी निवेश के लिे जब सारे कायदे कानून बदले जा रहे हों, तो लाबिइंग से गुरेज क्यों हो। कारपोरेट तर्क को मानें तो सिविल सोसाइटी का आंदोलन हो या फिर राजनीति, वह भी तो लाबिइंग ही है। अपने पक्ष में नीति निर्धारण को प्रभावित करने में आखिर बुराई क्या है ?भारतीय अर्थ व्यवस्था पर विदेशी पूंजी की पकड़ जब इतनी मजबूत है तब कारपोरेट लाबिइंग से परहेज क्यों? रक्षा सौदों में तो इसकी गौरवशाली परंपरा है और कानून लगातार अपना काम करता रहा है। विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में पिछले पखवाड़े में 2.44 अरब डॉलर का निवेश किया और 2012 में अब तक इन्होंने कुल 22 अरब डॉलर का निवेश किया।सेबी के आंकड़ों के मुताबिक तीन से 14 दिसंबर के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने कुल 39,435 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे जबकि 26,157 करोड़ रुपए के शेयर बेचे और इस तरह भारतीय बाजार में कुल 13,278 करोड़ रुपए (2.44 अरब डालर) का निवेश हुआ।इसर तरह एफआईआई ने 2012 में अब तक 22.22 अरब डॉलर (1,16,550 करोड़ रुपए) का निवेश किया और 1992 में भारतीय पूंजी बाजार में प्रवेश के बाद से एक साल में अब तक का यह दूसरा बड़ा निवेश है।इससे पहले 2010 में विदेशी निवेशकों ने करीब 29 अरब डॉलर (करीब 1,33,266 करोड़ रुपए) का निवेश किया।भारतीय शेयर बाजार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले एफआईआई ने 2011 में 35 करोड़ डॉलर (2,714 करोड़ रुपए) निकाले।


वालमार्ट सहित कम से कम 15 और बड़ी अमेरिकी कंपनियों ने 2012 में अपने भारतीय व्यापारिक हितों तथा अन्य मुद्दों पर लॉबिंग के लिए करोड़ों डॉलर खर्च किए। वालमार्ट द्वारा भारत में अपने व्यापारिक हितों के लिए लॉबिंग किए जाने के मुद्दे को लेकर हाल ही में भारत में खासा राजनीतिक विवाद हुआ था। सरकार ने रविवार को कहा कि अगर जांच में यह साबित हुआ कि वालमार्ट ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने के प्रयासों में नियमों का कोई उल्लंघन किया है तो कानून अपना काम करेगा।सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन पर एक कार्यक्रम में बताया, 'अगर जांच में यह साबित होता है कि भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया गया है तो कानून अपना काम करेगा।'

वालमार्ट पर आरोप है कि उसने भारत सरकार द्वारा खुदरा में एफडीआई पर नीतिगत निर्णय किए जाने से पहले ही भारत में निवेश किया।

तिवारी ने कहा कि सरकार ने वालमार्ट द्वारा भारतीय बाजार में प्रवेश पाने के लिए लाबिंग पर धन खर्च करने के आरोपों की जांच एक पूर्व जज द्वारा कराने की घोषणा पहले ही कर दी है।

उन्होंने कहा,'अब जांच आयोग को स्वतंत्र निष्कर्ष पर आने की अनुमति दी जानी चाहिए।'

केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि सरकार बैंकिंग, पेंशन और बीमा सुधारों पर महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद में पारित करा लेगी।'

अमेरिकी लाबिंग घोषणा कानून की तरह भारत में भी इस प्रकार की सांविधिक व्यवस्था बनाने का समय आ गया है।वालमार्ट लाबिंग (जनसंपर्क गतिविधियां) मुद्दे पर जारी हंगामे के बीच मनीष तिवारी ने ये कहा है।

तिवारी ने कहा कि ऐसे कानून के तहत राजनीतिक लाबिस्ट को पंजीकरण कराने तथा इस मद में किये गये खर्च के बारे में समय-समय पर घोषणा करने का प्रावधान होना चाहिए। बहरहाल, मंत्री ने यह भी कहा कि वह व्यक्तिगत आधार पर यह सुझाव दे रहे हैं।

एक निज़ी चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''समय आ गया है. हमें ऐसा कोई सांविधिक व्यवस्था करने की जरूरत है जिसमें इस प्रकार की घोषणा किया जाना अनिवार्य हो...''

वालमार्ट लाबिंग मुद्दे पर पूछे गये सवाल के जवाब में तिवारी ने यह बात कही।

साथ ही उन्होंने लाबिंग तथा अवैध तरीके से दिये जाने वाले धन में अंतर किये जाने पर जोर दिया।

तिवारी ने कहा कि अगर जांच में यह साबित हुआ कि वालमार्ट ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने के प्रयासों में नियमों का कोई उल्लंघन किया है तो कानून अपना काम करेगा।  

उन्होंने कहा, ''अगर जांच में यह साबित होता है कि भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया गया है तो कानून अपना काम करेगा।''

वालमार्ट पर आरोप है कि उसने भारत सरकार द्वारा खुदरा में एफडीआई पर नीतिगत निर्णय किए जाने से पहले ही भारत में निवेश किया।  

मंत्री ने कहा कि सरकार ने वालमार्ट द्वारा भारतीय बाजार में प्रवेश पाने के लिए लाबिंग पर धन खर्च करने के आरोपों की जांच एक पूर्व जज द्वारा कराने की घोषणा पहले ही कर दी है।


 लॉबिंग के खुलासे संबंधी अमेरिकी संसदीय रिकार्ड के अनुसार इस तरह की लॉबिंग करने वाली कंपनियों में दवा कंपनी फाइजर, कंप्यूटर कंपनी डेल व एचपी, दूरसंचार कंपनी क्वालकॉम व एल्काटेल लुसेंट, वित्तीय सेवा प्रदाता मोर्गन स्टेनली तथा प्रूडेंशियल फिनांशल और एलायंस आफ आटोमोबाइल मैन्युफेक्चर्स तथा एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आफ अमेरिका शामिल हैं।इसी साल अमेरिकी सांसदों के साथ लाबिंग करने वालों में लॉबी ग्रुप फिनांश एक्जीक्यूटिव्ज इंटरनेशनल, बिजनेस राउंडटेबल, बिजनेस साफ्टवेयर एलायंस तथा फिनांशल सर्विसेज फोरम, उपभोक्ता सामान बनाने वाली कारगिल व कोलगेट पामोलिव के नाम हैं।रिकार्ड के अनुसार बोइंग, एलटीएंडटी, स्टारबक्स, लाकहीड मार्टिन, एली लिली तथा जीई ने भी भारत से जुड़े विशेष लाबिंग मुद्दों पर अमेरिकी सांसदों से लाबिंग की। इन मुद्दों में बाजार को खोलने से जुड़ी पहल तथा देश में अपनी ब्रिकी व व्यापार अवसरों को समर्थन शामिल है।

अमेरिकी संसद के सदन सीनेट व प्रतिनिधि सभा में पेश त्रैमासिक लाबिंग खुलासा रपटों के अनुसार कम से कम तीन संगठनों. फिनांशल सर्विसेज फोरम, बिजनेस राउंडटेबल तथा फिनांशल एक्जीक्यूटिव इंटरनेशनल ने कराधान तथा वित्त विधेयक के अन्य प्रस्तावों को लेकर लांबिक की थी। इस विधेयक को इसी साल संसद में पेश किया गया।

क्वालकम ने स्पेक्ट्रम लाइसेंस तथा अल्काटेल लुसेंट ने तरजीही बाजार पहुंच नियमों और फाइजर ने जेनरिक दवाओं की कीमतों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से जुड़े मुद्दों पर लाबिंग की।

एलायंस आफ आटोमोबाइल मैन्युफेक्चर्स ने कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन से जुड़े नियमों के कार्यान्वयन को लेकर लॉबिंग की। एसोसिएशन चाहती है कि इन नियमों का कार्यान्वयन भारत, रूस व चीन के साथ ही किया जाए। प्रूडेंशियल फिनांशल ने भारतीय वित्तीय बाजार पहुंच तथा इक्विटी स्वामित्व मुद्दे को लेकर लाबिंग की।

रपटों के अनुसार 2012 में अब तक प्रूडेंशियल फिनांशल ने 60 लाख डॉलर से अधिक की राशि, मोर्गन स्टेनली ने 20 लाख डॉलर, बिजनेस राउंडटेबल ने 66 लाख डॉलर, एलायंस आफ आटोमोबाइल मन्युफेक्चर्स ने लगभग 80 लाख डॉलर, डेल ने 20 लाख डॉलर, एचपी ने लगभग 15 लाख डॉलर, कारगिल ने 10 लाख डॉलर इस मद में खर्च किए हैं।

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