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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, March 29, 2013

माओवादियों के खाने में मिलाया जहर, फिर मारी गोली

माओवादियों के खाने में मिलाया जहर, फिर मारी गोली


सच सबसे पहले जनज्वार पर 

झारखंड के चतरा जिले के लकरबंधा गांव में 27 मार्च को 10 माओवादियों को मारे जाने की पुलिसिया कहानी ने यू टर्न ले लिया है.माओवादियों की हत्या टीपीसी और सीआरपीएफ ने मिलकर की है.इस हत्याकांड के बाद माओवादियों से झारखंड में बिखरे करीब दर्जन भर छोटे-बड़े संगठनों की एकजुटता के प्रयासों को धक्का लगा है....


दिल्ली/रांची/गिरिडीह 

जनज्वार को मिली जानकारी के मुताबिक कुंडा थाना क्षेत्र के गांव लकरबंधा में माओवादियों और तृतीय प्रस्तुती कमेटी (टीपीसी) के लड़ाकों के बीच कोई मुठभेड़ नहीं हुई है.इस हत्याकांड को सीआरपीएफ और तृतीय प्रस्तुती कमेटी ने 27 मार्च की दोपहर संयुक्त रूप से मिलकर अंजाम दिया है.टीपीसी ने जहां खाने में जहर मिलाया है, वहीं सीआरपीएफ के जवानों ने बेहोश पड़े माओवादियों को गोली मारी है.

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गौरतलब है कि माओवादियों का करीब 30 लोगों का गुरिल्ला दस्ता अपनी रोजाना कार्यवाहियों को अंजाम देते हुए लकरबंधा गांव में ठहरा हुआ था.27 मार्च को गांव में ही दोपहर का खाना बनाते वक्त उसमें किसी ग्रामीण ने जहर मिला दिया.जब माओवादी बेहोशी की हालत में पहुंच गये तो टीपीसी के लोगों ने माओवादियों के असलहे-गोलियों को अपने कब्जे में लिया और सीआरपीएफ को आने के लिए बोल दिया. 

झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता शशिभूषण पाठक ने ग्रामीणों से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि, 'टीपीसी और सीआरपीएफ के बीच पहले से माओवादियों को मारे जाने की योजना तय थी.जैसे ही टीपीसी के लोग माओवादियों के असलहे लूटकर भागे उसके चंद मिनट बाद वहां मौके पर सीआरपीएफ पहुंची.सीआरपीएफ ने चुनचुनकर माओवादियों के बड़े नेताओं की हत्या की और करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया।' 

सीआरपीएफ द्वारा मारे गये बड़े नेताओं में बिहार-झारखंड-छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्ता प्रशांत उर्फ लवलेश मुख्य तौर पर शामिल हैं.माना जा रहा है कि प्रशांत के मारे जाने के बाद झारखंड में माओवादियों से अलग हुए धड़ों को एकजुट किये जाने के प्रयासों पर धक्का लगेगा.करीब छह महीने पहले प्रशांत ने सभी धड़ों से शांतिविराम की अपील की थी.

शशिभूषण पाठक के अनुसार, 'प्रशांत की कोशिशों से सरकार परेशानी महसूस कर रही थी, क्योंकि पुलिस टीपीसी जैसे संगठनों को पैसा और सुरक्षा मुहैया कराकर झारखंड में सलवा जुडूम जैसी स्थिति पैदा करने पर आमादा है।' भाकपा (माओवादी) से अलग हुई टीपीसी या तृतीय प्रस्तुति कमेटी भाकपा माओवादियों के विरोधी गुट के रूप में जानी जाती है. 

माओवादियों को जहर खिलाये जाने के मामले में कुंडा थाना प्रभारी और चतरा एसपी से जानकारी लेने की कोशिश की गयी तो उनसे बात नहीं हो सकी है.कुंडा से पता चला है कि पुलिस के सभी उच्चाधिकारी कुंडा थाने में कैंप किये हुए हैं.पुलिसिया दावे की माने तो झारखंड के चतरा जिले के जंगलों में 28 मार्च की सूबह दो नक्सली गुटों की आपसी टकराव में तृतीय प्रस्तुति कमेटी के नक्सलियों ने भाकपा माओवादियों के कई कमांडरों समेत कम से कम दस को मार गिराया और उनके हथियार लूट लिए और 22 अन्य माओवादियों का अपहरण भी कर लिया है.

लेकिन असल सवाल यह है कि क्या पुलिस के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वह तथ्य सामने आयेंगे, जो दावे ग्रामीणों ने किये हैं !

http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/25-politics/3847-maovadiyon-ke-khane-men-milaya-jahar-fir-maree-goli

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