कारपोरेट प्रायोजित जनांदोलन का छलावा है एकतरफ तो दूसरी तरफ जायनवादी अश्वमेधी सेना।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने शनिवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र अपूर्ण है क्योंकि देश के 90 प्रतिशत लोग भेड़ों-बकरियों की तरह मतदान करते हैं।आजकल काटजू के हर बयान पर बवाल मच जाता है।उन्हें भी सुर्खियों में बने रहने की तरकीब नेताओं के मुकाबले कुछ ज्यादा ही मालूम है। पर निरपेक्ष विवेचन करे कि उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा है। लोकतंत्र के हथियार का हमें कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, २१ वीं सदी के भारत को इसकी परवाह नहीं है। क्रांतिकारियों को लोकतंत्र, संविधान, धर्मनिरपेक्षता, कानून, नागरिक व मानव अधिकार, पर्यावरण और अपढ़ जनता का भोगा हुआ यथार्थ बेमतलब लगता है तो संशोधनवादी इनकी आड़ में सत्ता केखेल में शामिल है। बाकी लोगों के लिे यह कमाने खाने का संकट है। देश के मौजूदा संकट पर एकताबद्ध जनांदोलन की बात कोई नहीं करता। जनादेश तक को प्रबंधित करने में, संसदीय प्रणाली और नीति निर्धारणको कारपोरेट हित में तब्दील कर देने वाले जनतंत्र और क्रांति दोनों में निवेश करके मुक्त बाजार को खुले आखेटगाह में बदलने में कामयाब है कारपोरेट बाजार की ताकतें। तब काटजू कोई गलत नहीं कह रहे हैं क्योंकि अब अराजनीति भी राजनीति के जरिये, बहुजनसमाज सत्ता में भागेदारी के माध्यम से क्रांति करने को आतुर है। जबकि हकीकत यही है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी कर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहे काटजू ने इस बार सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके पूर्व सहयोगी एवं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। काटजू ने कहा कि भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है जिससे अगले 20 वर्षों तक निजात पाना मुमकिन नहीं है।एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में काटजू ने कहा, `90 प्रतिशत भारतीय भेड़-बकरियों की तरह मतदान करते हैं। लोग जानवरों के झुंड की तरह बिना सोचे-समझे जाति व धर्म के आधार पर मतदान करते हैं। भारतीय मतदाताओं के समर्थन के कारण ही कई अपराधी संसद में हैं।`सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि वह मतदान नहीं करेंगे क्योंकि देश को कुछ ऐसे नेता चला रहे हैं जो अपनी जाति के कारण चुने जाते हैं। यह लोकतंत्र का असली रूप नहीं है। उन्होंने कहा, `मैं मतदान नहीं करता क्योंकि मेरा मत निरर्थक है। मतदान जाट, मुस्लिम, यादव या अनुसूचित जाति के नाम पर होता है। इस तरह से चलने का नाम लोकतंत्र नहीं है। मैं क्यों जानवरों की कतार में खड़ा होकर अपना समय गंवाऊं?`
चालू खाते का घाटा 6.7 प्रतिशत तक पहुंच गया है और उद्योग जगतको बेचैनी हो रही है। पर अर्थशास्त्रियों की सरकार तमाम कवायद के बावजूद अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने में नाकाम है। आर्थिक सुधारों का दूसरा चरण चालू है और सर्वदलीय सहमति से एक के बाद एक जनविरोधी नीतियों के तहद मजबूत होती जा रही है जलसंहार की संस्कृति। कारपोरेट साम्राज्यवाद और हिंदुत्व के गठजोड़ से निनानब्वे फीसद जनता बदहाल है। न सरकार को न उद्योग जगत को उसकी चिंता है। अमेरिकी वरदहस्त का दावा मजबूत करने के लिए धर्मराष्ट्रवाद व नैतिकता के ध्वजाधारी संघपरिवार के भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास पुरुष बनकर ही नहीं शांत है, अमेरिकी सांसदों को भी अपने जाल में फंसा चुके हैं। गडकरी का बचाव करने वाले संगपरिवार उनके प्रधानमंत्रित्व का मार्ग प्रशस्त करने में लगा है। बहुजन समाज सत्ता में भागेदारी की राजनीति में आपस में मारकाट करने में लगा है या फिर हिंदुत्व की पैदल सेना बनकर रह गया है। क्रांतिकारी ताकतें लोकतांत्रिक किसी विकल्प के बारे में सोचने को तैयार नहीं है और न ही प्रतिरोध या आत्मरक्षा के लिए उसके पास कोई संगठन है। वे संशोधनवदियों को किनारे लगाकर वामपंथी लोकतांत्रिक विकल्प को खारिज कर चुके हैं और क्रांति की आतुरता में अंबेडकर और गौतम बुद्ध तक को खारिज करके इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या के बहाने विचारधारा और सिद्धांतों को जाति हित में तब्दील ही नही कर रहे हैं , बल्कि अपने ही लोगों को मारने मरवाने का काम कर रहे हैं। जंगल में सीमाबद्ध क्रांति आत्मघाती संघर्ष से लहूलुहान है। चतरा में अपने ही साथियों को जहर देकर मारने के लिए जिम्मेवार बतायी जा रही तीसरी प्रस्तुति कमिटी सत्तर के दशक में बंगाल में अराजकता में क्रांति के विसर्जन के इतिहास की याद दिलाती है।सफाया लाइन के तब के प्रवक्ता आज दक्षिणपंथी राजनीति के रणनीतिकार बन गये हैं।दूसरी तरफ,लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष ताकतों की बहुजनसमाज के साथ संयुक्त मोर्चा बनाने की गरज ही नहीं है। ऐसे में कारपोरेट प्रायोजित जनांदोलन का छलावा है एकतरफ तो दूसरी तरफ जायनवादी अश्वमेधी सेना।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा है कि निवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति :सीसीआई: दो तीन सप्ताह में कुछ बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दे सकती है। इस समिति का गठन गत जनवरी में किया गया था। इसका उद्देश्य बड़ी बुनियादी परियोजनाओं पर मंजूरी की प्रक्रिया में शीघ्रता लाना है।अहलुवालिया ने कल शाम चेन्नई में उद्योगमंडल सदर्न इंडिया चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री :एसआईसीसीआई: की एक संगोष्ठी में कहा, 'मुझे उम्मीद है कि निवेश पर मंत्रिमंडलीय समिति अगले दो तीन सप्ताह में कुछ बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं मंजूर कर सकती है।'' समिति की दो तीन बार बैठक हो भी चुकी है। इसका मतलब बताना होगा?
समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव ने साफ कह दिया है कि उनकी पार्टी अभी यूपीए सरकार से समर्थन वापस नहीं लेगी। लेकिन नवंबर तक चुनाव होने की उम्मीद है। मुलायम सिंह के मुताबिक वो सांप्रदायिक ताकतों को बचाने के लिए मनमोहन सरकार को बचाने की मजबूरी निभाते रहेंगे।हालांकि एसपी नेता ने दोहराया कि कांग्रेस भरोसेमंद नहीं है और विरोधियों को परेशान करने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग करती है।
ब्रिक्स सम्मेलन से लौटते हुए मनमोहन सिंह ने पहली बार इन संभावनाओं से इनकार नहीं किया कि मुलायम सिंह यादव यूपीए कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि यूपीए के ज्यादातर घटक एकजुट हैं और आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा।वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच भले ही तनातनी दिख रही हो। लेकिन शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और वित्तमंत्री पी चिदंबरम एक साथ एक मंच पर दिखे। वित्तमंत्री ने उत्तरप्रदेश में एक साथ 300 बैंक शाखाओं का उद्घाटन किया। इस मौके पर चिदंबरम ने अखिलेश की तारीफ की और उत्तरप्रदेश के विकास के लिए पैकेज देने का भी संकेत दिया।
इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे शुक्रवार देर रात आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मिलने पहुंचे और उपवास तोड़ने की अपील की।पूर्वी दिल्ली की झुग्गी बस्ती सुंदर नगरी में बिजली व पानी के बिलों में बेतहाशा वृद्धि के विरोध में बीते सात दिन से केजरीवाल उपवास पर बैठे हैं। अन्ना की अपील के बाद भी केजरीवाल ने उपवास नहीं तोड़ा है। हालांकि अन्ना के सुंदर नगरी पहुंचने से अरविंद के समर्थकों में नई जान आ गई और खुद अरविंद भी ऊर्जावान नजर आए।गुरुवार देर रात आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने भी केजरीवाल से उपवास तोड़ने की अपील की थी।
अन्ना ने केजरीवाल से असहयोग उपवास तोड़ने की अपील करने के साथ कहा कि उन दोनों के रास्ते अलग-अलग हैं पर मंजिल एक है।
देश की राजनीति की दिशा 'जन संसद' तय करेगी। 'जन संसद' लोकसभा व राज्यसभा से बड़ी है। जनतंत्र मोर्चा जनतंत्र यात्रा के माध्यम से देश को डेढ़ वर्ष तक आजादी के अर्थ समझाएगा। रविवार से जलियांवाला बाग से शुरू की जाने वाली जनतंत्र यात्रा के पांच महीने के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर के लाखों लोगों की 'जन संसद' आमंत्रित की जाएगी। इसमें जनता आगामी संसद की दशा व दिशा तय करने के लिए जो भी सुझाव देगी उस पर जनतंत्र मोर्चा पहरा देगा। यह कहना है सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का।शनिवार को अमृतसर में अन्ना ने कहा कि वर्तमान संसद में 163 सांसद दागी हैं। 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। विधायक व सांसद जनता के सेवक हैं मालिक नहीं, इसलिए अब बदलाव लाना जरूरी है। देश को जनतंत्र यात्रा के माध्यम से बदलेंगे। पांच माह बाद दिल्ली में होने वाली जनसंसद में भी समाज के अच्छे लोगों को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरणा दी जाएगी।अन्ना ने कहा कि यदि 40 प्रतिशत साफ छवि के सांसद चुनकर भेजे जाएं तो देश की राजनीतिक तस्वीर बदल जाएगी। जनतंत्र यात्रा के माध्यम से देश की जनता को राजनीतिक पार्टियों के इस षडयंत्र के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि दो साल बीत जाने पर भी लोकपाल कानून नहीं बनाया गया, जोकि संविधान व जनता के साथ धोखा है। जन लोकपाल में राइट टू रिजेक्ट को शामिल करने तक संघर्ष जारी रहेगा।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा संसदीय बोर्ड ने मुहर लगा दी है। इस तरह छह साल बाद पार्टी की सबसे ताकतवर समिति में मोदी की वापसी हो रही है। यह पहला मौका है जब भाजपा संसदीय बोर्ड में किसी मुख्यमंत्री को शामिल किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर भी विचार किया गया था, लेकिन मोदी बाजी मार ले गए।आगामी लोकसभा चुनाव 2014 को ध्यान में रखकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ मिलकर बीती रात अपनी टीम को लगभग अंतिम रूप दे दिया। टीम की औपचारिक घोषणा शनिवार देर शाम होनी थी, लेकिन कुछ नामों पर सहमति नहीं बन पाने के चलते टीम की घोषणा करने का फैसला रविवार तक के लिए टाल दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, संसदीय बोर्ड में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का आना तय हो चुका है। पेंच कार्यकारिणी में कुछ नामों को शामिल करने को लेकर अटका हुआ है। बताया जा रहा है कि पार्टी के अंदर उमा भारती, प्रभात झा और संजय जोशी को लेकर जबर्दस्त गुटबाजी चल रही है। मध्य प्रदेश के कोटे से प्रभात झा को लाया जाए या उमा भारती को, इसपर सहमति नहीं बन पाई है। मोदी के करीबी अमित शाह के नाम को लेकर भी पार्टी में सहमति नहीं है। अमित शाह पर सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ केस में मामले हैं। सूत्रों के मुताबिक टीम राजनाथ में उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी से मुकाबला करने के लिए वरुण गांधी को पार्टी का महासचिव बनाया है। वहीं नरेन्द्र मोदी के दबाव के कारण अमित शाह को भी महासचिव बनाने की बात कही जा रही है। मोदी को संसदीय बोर्ड का सदस्य बनने की अटकलें उनके लगातर तीसरी बार गुजरात चुनाव जीतने के बाद से ही चल रही थीं। राजनाथ सिंह ने भी मोदी के बढ़ते कद को स्वीकार किया था।
उद्योग जगत ने अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में चालू खाते के घाटे के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार को निर्यात बढ़ाने के प्रयासों को तेज करना चाहिए।उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूात ने कहा, अक्तूबर- दिसंबर तिमाही में विदेश व्यापार तथा निवेश के मोर्चे पर देश का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक है। चालू खाते का घाटा 6.7 प्रतिशत होना अस्वीकार्य है। फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा कि चालू खाते के घाटे के ऊंचे स्तर को चिंता का विषय तथा संभावित व्यापक आर्थिक जोखिम बताया है।उल्लेखनीय है कि देश का चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर,12) में बढ़कर सकल घरेलू उत्पादन यानी जीडीपी का 6.7 प्रतिशत हो गया। यह इस चालू खाते के घाटे का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है और सरकार ने कहा है कि वह घाटे पर काबू पाने के लिए कदम उठाएगी।
इसीके मध्य भाजपा मोदी के बचाव में खड़ी हो गयी है।भाजपा ने आज कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित विभिन्न पार्टी नेताओं से भेंट करने वाले भारत के दौरे पर आए अमेरिकी सांसदों सहित 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का खर्चा न किसी भाजपा शासित राज्य सरकार और न ही भाजपा ने उठाया है।भाजपा के समुद्रीय पार मामलों के प्रकोष्ठ के संयोजक विजय जौली ने इन खबरों को गलत बताया कि इस प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा पार्टी द्वारा प्रायोजित है। उन्होंने कहा कि इस अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने भारत आने की अपनी यात्रा, यहां होटलों में ठहरने और अपने खाने-पीने का खर्चा स्वयं उठाया है।अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों द्वारा हाल में की गई गुजरात की यात्रा के लिए धन मुहैया कराने को लेकर हुए विवाद के बीच अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने उन आरोपों को खारिज कर दिया जिसमें उनकी यात्रा की वैधता पर सवाल उठाए गए थे। अमेरिकी कांग्रेस के इन सदस्यों ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका यात्रा के लिए वीजा दिलाने का प्रयास करने की बात कही थी।अमेरिकी कांग्रेस के तीन सदस्यों ऐरॉन शॉक, सिंथिया लूमिस और कैथी एम रोजर्स समेत अमेरिकियों के एक समूह और कुछ व्यापारी इन खबरों के बाद विवाद में घिर गए हैं कि इस यात्रा के लिए प्रत्येक सदस्य को तीन हजार डॉलर (1,60,000 रुपए) से 16000 डॉलर (8 लाख 68 हजार रुपए) तक अदा किए होंगे।
शिकागो के नेशनल इंडियन अमेरिकन पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एनआईएपीपीआई) ने यात्रा का आयोजन किया था। इसके तहत बेंगलुरु, तिरुपति, जयपुर, रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और बॉलीवुड की यात्रा करनी थी। टीम ने गुरुवार को मोदी से मुलाकात की थी और उनके काम की तारीफ की थी। साथ ही उन्हें अमेरिका आने का न्यौता दिया था। उन्होंने कहा था कि वे उन्हें वीजा दिलाने के लिए काम करेंगे। मालूम हो कि साल 2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में कथित भूमिका के लिए अमेरिका ने मोदी को वीजा देने से मना कर दिया था।
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा, 'यह शर्मनाक है कि अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों को मोदी के लिए वीजा हासिल करने और मोदी को विकास का प्रमाण पत्र देने के लिए धन का भुगतान किया गया।' ओवरसीज भाजपा के संयोजक विजय जॉली ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने अपना धन खर्च किया और इसमें कुछ भी अनुचित नहीं है।
आरोपों के बारे में पूछे जाने पर शॉक ने पहले प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूछा कि क्या मामला है। फिर शॉक ने कहा, 'मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि हमारी भारत यात्रा को हमारी सरकार के उचित अधिकारियों ने मंजूरी दी थी और विशेष तौर पर प्रतिनिधि सभा ने। मैं कहूंगा कि अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य ऐसे ही देश से रवाना नहीं हो गए। इसलिए मैं इसके सूक्ष्म भेद में नहीं पड़ने जा रहा। निश्चित तौर पर कुछ लोगों को यह बात रास नहीं आई है कि हम यहां हैं।' शॉक ने कहा कि उन्होंने इस यात्रा को वैध बनाने के लिए तमाम नियम-कानूनों का पालन किया है।
एनआरआई व्यापारी और एनआईएपीपीआई के संस्थापक शलभ कुमार ने कहा, 'सदन की बेहद सशक्त आचार समिति है जो कांग्रेस सदस्यों की अन्य देशों की यात्रा को मंजूर या नामंजूर करती है।' अल्वी ने कहा, 'इस तरह की खबरों से शर्मिंदगी होती है। यह देश का अपमान है। प्रत्येक अमेरिकी कांग्रेस सदस्य को नौ लाख रुपए दिए गए ताकि अमेरिका उन्हें (मोदी को) वीजा और विकास का प्रमाण पत्र दे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर गुजरात में गरीबों पर और विकास के लिए धन खर्च किया गया होता तो यह ज्यादा बेहतर होता।' जौली ने कहा कि कोई विवाद नहीं है। अमेरिका में लोग राष्ट्रपति के साथ रात्रि भोज के लिए धन का भुगतान करते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवादिया ने आरोप लगाया कि ऐसी धारणा पैदा की गई जैसे यह एक आधिकारिक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल था और अमेरिकी सरकार ने खुद मोदी को अमेरिका आने का न्योता दिया हो। कांग्रेस नेता शकील अहमद ने अपने ट्विट में कहा, 'मोदी कहते हैं तुम मुझे वीजा दो, मैं तुम्हें व्यापार दूंगा। अमेरिकी कहते हैं तुम हमें व्यापार दो, हम तुम्हें वीजा देंगे। कौन किसको रिश्वत दे रहा है यह लाख टके का सवाल है।'
अन्ना जी ने कहा है, जब तक देह सहे तब तक सहो: अरविंद केजरीवाल
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की भूख हड़ताल लगातार आठवें दिन भी जारी है। अनशन स्थल पर आए लोगों से केजरीवाल ने अपील की कि जिन लोगों के घर बढ़े बिजली बिल पेमेंट नहीं करने की वजह से कनेक्शन काट दिया गया है उनके घर में फिर से कनेक्शन जोड़ दें। केजरीवाल ने लोगों से पूछा कि हमलोग अंधेरे में क्यों रहें? आज आप सुंदर नगरी की गलियों में जाकर लोगों से पूछो कि कितने घरों से बिजली का कनेक्शन काट दिया गया है। कटे कनेक्शन का पता चल जाने के बाद उसे जोड़ देना।
आम आदमी पार्टी का दावा है कि शुक्रवार तक करीब 5 लाख दिल्ली के लोगों ने वादा किया है कि वे बिजली बिल देना बंद करने जा रहे हैं। पार्टी ने कहा कि अब धीरे-धीरे लोग बिजली कंपनियों और सरकार के खौफ से बाहर निकलकर इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। पार्टी के मुताबिक दिल्ली के जल खोर गांव के 5 हजार लोगों ने बिजली बिल भरने से इनकार कर दिया है। गांव के मुखिया अशोक नैन ने कहा कि बिजली बिल हमारे बच्चों की स्कूल फीज से भी ज्यादा आ रहा है। हमने अब बिजली नहीं अदा करने का फैसला किया है। आम आदमी पार्टी के मुताबिक शनिवार सुबह गांव की पंचायत में बिजली बिल नहीं भरने का प्रस्ताव पास किया गया। पूरा गांव बिजली और पानी के बेतुके बिल के खिलाफ आंदोलन में शरीक होगा।
कमजोरी के बावजूद अरविंद केजरीवाल की तबीयत फिलहाल स्थिर है। केजरीवाल ने कहा कि आंदोलन स्थल पर अन्ना हजारे के आने से उन्हें और आंदोलन को नई ताकत मिली है। उन्होंने कहा, थोड़ी कमजोरी भले है पर मैं ठीक हूं। अन्ना जी ने कहा है जब तक शरीर सह सके तब तक सहन करो। पार्टी ने कहा कि इस आंदोलन से घबरायी बिजली कंपनियों ने दिलचस्प पहल की है।
तीनों बिजली कंपनियों ने दिल्ली के प्रमुख अखबारों में विज्ञापन निकालकर दावा किया है कि यहां देश की दूसरी सिटी के मुकाबले कम रेट है। जबकि सच यह है कि दिल्ली में बिजली बिल भ्रष्टाचार की वजह से जानबूझकर बढ़ाया जा रहा है। पार्टी ने दावा किया कि बिजली कंपनियां कई स्तरों पर झूठ बोलकर लोगों से बिजली बिल के नाम पर वसूली कर रही हैं। इसमें मुख्य रूप से फर्जी लागत, सरप्लस बिजली का सेल, वितरण प्रणाली में खामियां और फर्जी व्यवसायिक लॉस हैं। इसका प्रमाण यह है कि ये कंपनियां स्वतंत्र ऑडिट कराने से सीधे मना कर रही हैं। इन्हें कैग से ऑडिट कराने में आपत्ति है। कैग ने भी इसे साबित कर दिया है कि कई स्तरों पर दिल्ली सरकार और कंपनियों की साझेदारी में फर्जीवाड़ा है।
आम आदमी पार्टी ने कहा कि बिजली कंपनियों की तरफ से शनिवार को जो अखबारों में विज्ञापन पब्लिश किया गया है वह भी झूठ है। सच तो यह है कि दिल्ली में बिजली कंपनियों ने 18 से 24 महीने के बीच 65 फीसदी रेट में इजाफा किया है जबकि गुजरात में यह महज 5 फीसदी है।
No comments:
Post a Comment