विनिवेश के खिलाफ कोल इंडिया के कर्मचारियों ने दी बेमियादी हड़ताल की धमकी!
लोकसभा चुनावों के लिए कड़ी चुनौतियों के सामने संगठित क्षेत्र में मजदूर हड़ताल का जोखिम उठाने के लिए सरकार फिलहाल तैयार नहीं।हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, एनएचपीसी और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में स्टेक सेल को फास्ट ट्रैक पर लाने की कोशिश!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
विनिवेश के खिलाफ कोल इंडिया के कर्मचारियों ने दी बेमियादी हड़ताल की धमकी!समझा जाता है कि यूनियनों के प्रबल विरोध के कारण कोलइंडिया का विनिवेश का कार्यक्रम फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है।इस जबर्दस्त अभूतपूर्व प्रतिरोध ने सरकार को कोल इंडिया में 20,000 करोड़ रुपए की इस साल की सबसे बड़ी स्टेक सेल को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर कर दिया है।कोल इंडिया के लगभग 3.57 लाख एंप्लॉयीज को रिप्रेजेंट करने वाले ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन और यूनियनों के चार दूसरे नेशनल फेडरेशन ने इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खत लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि अगर सरकार कोल इंडिया में अतिरिक्त 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के फैसले पर अमल करती है, तो वर्कर्स बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे।यूनियनों ने सरकार को 2010 में कोल इंडिया के पब्लिक इश्यू के वक्त तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी का किया वादा भी याद दिलाया है। तब मुखर्जी ने कहा था कि यूपीए सरकार भविष्य में कोल इंडिया के और शेयर नहीं बेचेगी।`गार' को खत्म करने वाले मौजूदा वित्त प्रबंधन को इस वायदे की कितनी परवाह है, कहा नहीं जा सकता, लेकिन राजनीतिक बाध्यता ने उसके हाथ जरुर बांध दिये हैं।
कोल इंडिया में 10 फीसदी शेयरों की बिक्री से सरकार का 2013-14 के 40,000 करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य का आधा हिस्सा हासिल हो जाता। अब कोल इंडिया के स्टेक सेल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, तो सरकार दूसरी पब्लिक सेक्टर कंपनियों में स्टेक सेल को फास्ट ट्रैक पर लाने की कोशिश करेगी। इनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, एनएचपीसी और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन शामिल हैं।
आर्थिक सुधारों के दूसरे चरण के तहत मुनाफा देने वाले सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और उपक्रमों के विनिवेश के लिए कारपोरेट लाबिइंग जहां तेज है वहीं अंतरराष्ट्रीय रेडिंग एजंसियां वित्तीय घाटा और विकास दर के आंकड़ों के सहारे लगातार दबाव बनाये हुए हैं। केंद्र सरकार का अबतक का रवैया यही रहा है कि राजनीतिक प्रतिपक्ष को साथ में लेकर सहमति के साथ वित्तीय सुधारों की निरंतरता जारी रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती रही है। लेकिन राजकाज पर राजनीति का असर हो या नहीं, जनांदोलनसे कुछ हासिल हो या नहीं, लोकसभा चुनावों के लिए कड़ी चुनौतियों के सामने संगठित क्षेत्र में मजदूर हड़ताल का जोखिम उठाने के लिए सरकार फिलहाल तैयार नहीं है। मामला सिर्फ कोल इंडिया का नहीं है, एकबार हड़ताल का सिलसिला शुरु हो गया तो कोयला के अलावा बारकी सेक्टर भी चपेट में आ जायंगे।निजी क्षेत्र भी अछूता नहीं रहेगा। वैसे ही औद्योगिक उत्पादन दर शून्य के आसपास बनी हुई है।इससे प्रबल संभावना बनी है कि विनिवेश का लक्ष्य पूरा करने के अभियान में सरकार दो कदम पीछे हट जाये।
सेक्रेटरीज के इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप (आईएमजी) की मीटिंग 8 मई को हुई थी, जिसमें कोल इंडिया के इश्यू के लिए इनवेस्टमेंट बैंकर्स और लीगल एडवाइजर्स के अप्वाइंटमेंट के डॉक्युमेंट्स जारी करने की इजाजत दी गई। सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री का मामला देखने वाला नोडल डिपार्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ डिसइनवेस्टमेंट (डीओडी) इसी महीने रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी करने वाला था। यह ऐसा डॉक्युमेंट होता है, जिसके जरिए मर्चेंट बैंकर्स और लीगल एडवाइजर्स से बिड मंगाई जाती है। डीओडी ने प्रोसेस रोकने का फैसला किया है। उसे डर है कि मर्चेंट बैंकर्स और लीगल एडवाइजर्स के अप्वाइंटमेंट से कहीं मामला बिगड़ नहीं जाए।
वित्त वर्ष 2013 की जनवरी-मार्च तिमाही में कोल इंडिया का मुनाफा 35 फीसदी बढ़कर 5,414 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2012 की चौथी तिमाही में कोल इंडिया का मुनाफा 4,013 करोड़ रुपये रहा था। कोल इंडिया ने 4.3 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का ऐलान किया है।कंपनी के नतीजों की खबर सोमवार को बाजार बंद होने के बाद आयी है। इसलिए कंपनी के शेयर भाव पर इस खबर की प्रतिक्रिया कल बाजार खुलने के बाद दिखायी देगी। आज बीएसई में कंपनी के शेयर भाव में मजबूती का रुख रहा। यह 1.01% की बढ़त के साथ 313.50 रुपये पर बंद हुआ।
हालांकि वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही में कोल इंडिया की बिक्री सिर्फ 2.5 फीसदी बढ़कर 19,904.5 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2012 की जनवरी-मार्च तिमाही में कोल इंडिया की बिक्री 19,419 करोड़ रुपये रही थी।
साल-दर-साल आधार पर जनवरी-मार्च तिमाही में कोल इंडिया का एबिटडा 3785.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 6119 करोड़ रुपये रहा। वहीं, कंपनी का एबिटडा मार्जिन 19.5 फीसदी से बढ़कर 30.7 फीसदी रहा।
साल-दर-साल आधार पर जनवरी-मार्च तिमाही में कोल इंडिया का उत्पादन 14.46 करोड़ टन से घटकर 14.33 करोड़ टन रहा। वहीं, कंपनी के ऑफटेक 12.28 करोड़ टन से बढ़कर 12.99 करोड़ टन रहे।
साल-दर-साल आधार पर जनवरी-मार्च तिमाही में कोल इंडिया की अन्य आय 2306 करोड़ रुपये से घटकर 2206 करोड़ रुपये रही। वहीं, कंपनी की कुल लागत 16021.5 करोड़ रुपये से घटकर 14255 करोड़ रुपये रही।
कोल इंडिया के सीएमडी, एस नरसिंह राव का कहना है कि कंपनी का ब्लेंडेड रीअलिजेशन 3.1 फीसदी घटकर 1532 रुपये प्रति टन रहा है। कोल इंडिया का एफएसए रीअलिजेशन 4.8 फीसदी बढ़कर 1403 करोड़ रुपये रहा।
साल-दर-साल आधार पर जनवरी-मार्च तिमाही में कोल इंडिया के पावर कंपनियों को सप्लाई 899.3 लाख टन से बढ़कर 986.5 लाख टन रही है। वहीं, कंपनी ई-ऑक्शन का वॉल्यूम 147.2 लाख टन से बढ़कर 149 लाख टन रहा है।
कोल इंडिया एनटीपीसी को औसतन 377.6 लाख टन कोयले की सप्लाई कर रही है। 31 मार्च 2013 को कंपनी के पास 62236 करोड़ रुपये की नकदी थी।
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