गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं
उत्तराखंड कु विकास से अक्षर ज्ञान
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ )
क - कैको विकास ? क्यांको, कैकुण विकास? कखौ विकास?
ख पैल लखनऊ मा अर अब देहरादून माँ खूब खड़कु -दड़कु /खड़को -दड़को हौर जगा खारु-खरपट
ग-गुदखैऋ (इर्ष्या ) को विकास
घ- ग्यूं बि खत्याणा छन अर घाघरो बि उठ्युं च।
च -चकडैत चोर चकचुन्दरों जन जनता तैं चौतरफी चकच्यौणा त छैं छन
छ -भौतुन छंछोळ (भेद लेना ) पण यु विकास कना हरच धौं!
ज- इलाहाबाद बिटेन जंक जोड़ से विकास तैं जनक्याणो बुलायाँ त छन!
झ- देखिक त लगणु च क्वी झझकू (प्रेतवाधा ) लगी गे। दिल्लि बिटेन झाड़ ताड़ वाळ बुलायुं त छें च धौं!
ट -टंगट्यपाळि (चालु काम ) तैं सैत विकास बुलदन तबि त स्यु विकास टुटगाँ /टोटकु पड्यु च।
ठ -ठग्गू न ठग अर जनता मा ठमसाट (असंतोष ). ठिका अर ठेकेदारी विकासोनुमुख च।
ड -डोखरौं (खेत ) मा सट्यूं जगा मळसु (घास) फुळणु च। धरम करम कि डंडलि सजीं च। डाम डामणा छन।
ढ -ढंट ढंटणा छन। नेता लोग ढंड करंदेर ह्वे गेन।
त -लोग तरसणा छन अर अधिकारि तस्मैं (खीर ) घटकणा छन।
थ - विकास का अस्वासन अब थंवार (दिलासा ) नि दींदन उल्टां थिनकै(रुलाना) दींदन।
द - विकास माने द्वाळेण (अटकना ,उलझना , विलम्ब होना )
ध -ध्वकादारि मा छौसठ साल बीति गेन अगनै बि बीति जाला।
न -विकासौ नक्क -छक्क छ क्या च ?
प - परथारि (उधार ) की तकनीक से बि विकास हूंद?
फ -फ्युंद्यानाथुं क मकान देखिक त लगणु च कुछ त ह्वाइ च।
ब- बांज पुंगड़ देखिक समजि ल्यावो क्या ह्वे ह्वालो
भ - भत्याभंग त ह्वाइ छैं च
म - घुतडु बुबा जीक मन्यौडर अब नि आंदन . इंटरनेट से पैसा ट्रांसफर ह्वे जांदन।
य -यख क्या च शहर जौंला
र -अधिकारी अर नेता हम तैं रिंगांणा रौंदन।
ल - ब्यलो पावर्टी लाइन का कार्ड लीण वाळु लंगत्यार तो द्याखो।
व- विकास अब विकोड़णु (उपहास के लिए मुंह विचकाना) रौंद .
स - अब हम वकास का सस्यौणम (लालच ) मा नि आंदा।
ह -हथजुडै च कि अब विकास कि छ्वीं नि लगैयाँ। भौत सुणि याल भौत देखि आल।
Copyright @ Bhishma Kukreti 31/05/2013
(लेख सर्वथा काल्पनिक है )
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Regards
Bhishma Kukreti
Bhishma Kukreti
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