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Memories of Another day

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Thursday, June 13, 2013

कोल इंडिया का विनिवेश उनके एजंडे में टाप पर!वित्तमंत्री को मजदूर संगठनों के विरोध की परवाह नहीं है।

कोल इंडिया का विनिवेश उनके एजंडे में टाप पर!वित्तमंत्री को मजदूर संगठनों के विरोध की परवाह नहीं है।


इससे कोल इंडिया में हड़ताल अब तय है और इसकी वजह से बिजली संकट भी गहराने के आसार!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

केंद्रीय वित्तमंत्री ने जल्द ही जिन आर्थिक सुधारों की बात की है, उसमें कोल इंडिया की हिस्सेदारी बेचकर विनिवेश लक्ष्य हासिल करना सबसे टाप पर है, जिसके लिए मजदूर संगठन कतई राजी नहीं हैं। पर वित्तमंत्री को मजदूर संगठनों के विरोध की परवाह नहीं है।इससे कोल इंडिया में हड़ताल अब तय है और इसकी वजह से बिजली संकट भी गहराने के आसार हैं।वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को और तेजी से आगे ले जाने के लिए सरकार इसी माह कई और ठोस कदम उठाएगी। चिदंबरम ने कहा कि पिछले साल अगस्त में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जो कदम उठाए गए थे उनके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं।चिदंबरम ने साफ साफ कह दिया कि कोल प्राइसिंग और आवंटन पर जून अंत तक हल निकलने की उम्मीद है। गैस प्राइसिंग और एफडीआई सीमा बढ़ाने पर फैसला भी जून महीने के अंत तक संभव है। इस महीने के अंत तक कई बड़े फैसलों की उम्मीद है। हालांकि सरकार की इस साल खर्चों में कटौती की कोई योजना नहीं है। मंत्रालयों को दिए बजट में कटौती नहीं होगी।एक ओर जहां केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज दोहराया कि सरकार कोल इंडिया की 10 फीसदी की हिस्सेदारी का विनिवेश करेगी, वहीं दूसरी ओर यूनियन इस कदम का विरोध करते नजर आ रहे हैं। कोल इंडिया के 3.50 लाख से ज्यादा कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी वर्कर्स यूनियन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है और अब यूनियन ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कोलकाता में संयुक्त सम्मेलन का आह्वान किया है।जबकि चिदंबरम के मुताबिक सरकार कोल इंडिया में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश कार्यक्रम को आगे बढ़ाएगी, इससे सरकारी खजाने में करीब 20,000 करोड़ रुपये की राशि मिलने की उम्मीद है। कोयला मंत्रालय इस संबंध में श्रमिक संगठनों के साथ मामले को सुलझाने के लिए बातचीत करेगा।


यूनियन के विरोध पर टिप्पणी करते हुए चिदंबरम ने कहा, मसले के समाधान के लिए कोयला मंत्रालय ट्रेड यूनियन से बातचीत करेगा। नई दिल्ली में उन्होंने कहा, 'अगर मैं कोल इंडिया का विनिवेश करता हूं और इससे 20,000 करोड़ रुपये मिलते हैं तो पूरी रकम सार्वजनिक क्षेत्र में जाएगी। मैं इस रकम का इस्तेमाल मौजूदा खर्च के लिए नहीं कर रहा हूं। इसलिए कोल इंडिया के यूनियन से मेरी अपील है कि डरने की कोई बात नहीं है कि हम इस रकम का इस्तेमाल किसी और काम में करेंगे।


कोल इंडिया  के आला अधिकारियों व यूनियन के प्रतिनिधियों के बीच पहले ही बैठक हो चुकी है, हालांकि इसका कोई नतीजा अब तक नहीं मिला है। कोल इंडिया  के चेयरमैन एस नरसिंह राव ने कहा, 'हमने यूनियन से मुलाकात की है। वे अभी भी हिस्सेदारी बिक्री का विरोध कर रहे हैं। सभी यूनियनों का कुछ न कुछ राजनीतिक झुकाव है। हम इस मसले पर दोबारा मुलाकात करेंगे।'


सीटू से मान्यताप्राप्त ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव जीवन रॉय ने कहा, हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर सरकार सीआईएल की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया में आगे बढ़ेगी तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। 24 जून को पांचों वर्कर्स यूनियन का संयुक्त सम्मेलन होगा और इसमें मामले को उठाया जाएगा। विरोध में शामिल होने वाले अन्य यूनियन हैं इंडियन नैशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन (इंटक से मान्यताप्राप्त), इंडियन माइन वर्कर्स फेडरेशन (एटक से मान्यताप्राप्त) और हिंद खदान मजदूर फेडरेशन (एचएमएस से मान्यताप्राप्त)।यूनियन ने दावा किया कि साल 2010 में सीआईएल के शेयर बिक्री के समय तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आश्वासन दिया था कि सरकार की और हिस्सेदारी नहीं बेची जाएगी। रॉय ने कहा, साल 2011 में यूनियनों ने कोयला मंत्रालय के साथ इस बाबत समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले कोयला क्षेत्र अलग है। कोल इंडिया के साथ सरकार ऐसा नहीं कर सकती। कोल इंडिया के प्रस्तावित पुनर्गठन के जरिए इसकी सभी सहायक कंपनियों को स्वतंत्र कंपनियां बनाने का भी वे विरोध कर रहे हैं।


वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, 'कोल इंडिया लिमिटेड में विनिवेश हमारी उन कंपनियों की सूची में शामिल है जिनमें विनिवेश किया जाना है। मंत्रालय इस संबंध में श्रमिक संघों से बात कर रहा है, क्योंकि विनिवेश के विरोध में कुछ आवाजें उठ रही हैं। हम उन्हें विस्तारपूर्वक मुद्दे से अवगत कराएंगे।' कोल इंडिया में इस समय सरकार की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पिछले महीने एक अंतरमंत्रालयी समिति ने कोल इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश को मंजूरी दी थी।


वित्त मंत्री ने कहा कि विनिवेश से प्राप्त पूरी राशि का इस्तेमाल बैंकों तथा दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों के पुनर्पूंजीकरण में किया जाएगा। यदि कोल इंडिया में विनिवेश होता है और इससे मुझे 20,000 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं तो यह पूरी राशि सार्वजनिक क्षेत्र में ही जाएगी। मैं इस राशि का इस्तेमाल चालू खर्च के लिए नहीं करूंगा।


उन्होंने कहा इसलिए 'मेरी कोल इंडिया की यूनियनों से अपील है कि उन्हें इस तरह की कोई शंका नहीं होनी चाहिए कि हम इस धन का इस्तेमाल दूसरे कार्यों में करेंगे। जो भी प्राप्ति होगी उसे वापस सार्वजनिक उपक्रमों की बेहतरी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ही इस्तेमाल किया जाएगा।' बंबई शेयर बाजार में आज कोल इंडिया का शेयर मूल्य 298 रुपये पर रहा। पिछले बंद भाव की तुलना में इसमें 1.75 रुपये की गिरावट रही।





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