सिर्फ मौसियां नहीं, उनके बिना जिन घरों में काम नहीं चलता, इज्जत छिनने से वे भी मुश्किल में
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
ममता बनर्जी के कार्यकाल में कम आय वाले कामकाजी लोगो के लिए शुरु 25 रुपये के मासिक रेलवे पास इज्जत के नियम बदले जाने पर कोलकाता और उपनगरों में दूरदराज के इलाके से घरेलू कामकाज के लिए आानेवाली और ग्रामीण इलाको ंके हाटों से साग सब्जियां लानेवाली महिलाओं महिलाएं भारी मुश्किल में हैं। चूंकि अब इज्जत हासिल करने के लिए यह प्रमाणपत्र देना होगा कि संबंधित व्यक्ति या महिला की अधिकतम मासिक आय 1500 रुपए से अधिक नहीं है। जिसके चलते सोमवार को हफ्ते के पहले दिन सियालदह दक्षिणशाखा में सुबह तड़के से सोनारपुर,बारुईपुर,जयनगर,घुटियारीशरीफ,कैनिग, दक्षिण बारासात,मगराहाट समेत तमाम रेलस्टेशनों पर इन महिलाओं की अगुवाई में रेल अवरोध हुआ।सारा बांग्ला परिचारिका समिति की अपील पर यह अवरोध हुआ।
हालांकि मंगलवार को रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक वैदेही गोपाल ने 15 अक्टूबर से लागू की जाने वाली नई व्यवस्था में कई संशोधन कर दिए हैं। उन्होंने आय प्रमाणपत्र जारी करने वालों की संख्या में भी इजाफा कर दिया है।रेलवे ने बीते माह इज्जत एमएसटी बनवाने वालों के लिए तहसीलदार या बीडीओ से आय प्रमाण पत्र बनवाने की बाध्यता कर दी थी।अब रेल मंत्रालय ने बीपीएल कार्ड धारकों व अंत्योदय अन्न योजना के पात्रों को आय प्रमाण पत्र बनवाए बगैर 25 रुपए महीने के खर्च पर सीधे इज्जत पास की सुविधा देने के निर्देश दिए हैं। रेलवे बोर्ड ने दोनों कार्डों के अलावा गरीबी रेखा से कम आमदनी वाले किसी भी राज्य व केंद्र सरकार के प्रमाण पत्र को भी मान्यता दे दी है। अगर आवेदक के पास ऐसा कोई भी कार्ड है तो उसे आय प्रमाण पत्र बनवाने की जरूरत नहीं है।
लेकिन मुश्किल तो यह है कि जो महिलाएं साग सब्जी लेकर या घरेलू सहायक बतौर कामकाज के लिए कोलकाता महानगर और उपनगरों में आती हैं,वे बीपीएल कार्ड धारकों व अंत्योदय अन्न योजना के पात्रों में अमूमन सामिल हैं ही नहीं और न दूसरी सामाजिक योजनाओं का कोई लाभ मिलता है। उनके लिए बेरोजगारी का सीधा मतलब है तस्करों के भरोसे बंगाल से बाहर काम की खोज में निकलकर हमेशा के लिए खो जाना और जो जवान हैं,उनके लिए वृहत्तर सोनागाछी जो महानगर के चप्पे चप्पे में ौर उपनगरों में भी विस्तृत हो गया है ,वहां गुम हो जाना। क्योंकि इनतक सही मायने में बहुप्रचारित सामाजिक योजनाओं का कोई लाभ पहुंचता ही नहीं है। सब्जियों के बाव पर मंहगाई का रोना रोने वाले लोगों को यह खबर ही नही ंहोती कि उनके लिए रोज सब्जियां देहात सेमहानगर तक ले आने वाली महिलाएं कैसे आती जाती हैं और उनका कैसे गुजारा होता है और दूसरों के लिए कैसे वे रोज मरकर रोज जीती हैं।
अब इज्जत पास हासिल करने वाले यात्री को एसडीएम अथवा तहसीलदार से आय प्रमाणपत्र के साथ ही क्षेत्रीय सांसद अथवा जिलाधिकारी से सिफारिशी पत्र हासिल कर डीआरएम ऑफिस में पास के लिए आवेदन करना होगा।आवेदन के साथ ही यात्री को आवासीय प्रमाण के रूप में फोटो युक्त पहचान पत्र की फोटो कॉपी भी देनी होगी। जबकि, इससे पहले स्थानीय अधिकारियों से अलग से प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं थी।
यदि आय प्रमाण पत्र जिला मजिस्ट्रेट यानी कलेक्टर द्वारा जारी किया गया हो तो संबंधित व्यक्ति अपने घर के पते वाला बीपीएल कार्ड आदि दिखाकर स्टेशन से इज्जत पास बनवा सकेगा।अब जो भी लोग यह पास बनवाएंगे, उन्हें एसडीएम/एसडीओ/तहसीलदार के साथ अपने क्षेत्र के सांसद से भी आय प्रमाण पत्र बनवाना होगा। दोनों प्रमाण पत्र दिखाने पर ही रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले रेलवे स्टेशन से संबंधित व्यक्ति को इज्जत पास मिल सकेगा।
रेलवे ने नियमों के बदलाव संबंधी जारी एक आदेश में कहा है कि इज्जत सीजनल पास के लिए यात्रियों को आवासीय पहचान के रूप में मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, आधार कार्ड, फोटो युक्त नेशनल बैंक की पासबुक या सरकारी विभाग द्वारा जारी किए गए फोटो पहचान पत्र की फोटोकॉपी मान्य होगी।
रेल मंत्रालय ने इज्जत मासिक पास योजना 1 अगस्त 2009 से शुरू की है।
कृष्णनगर, वनगांव से लेकर नामखाना और कैनिंग से भारी संख्या में बेहद कम आयवाली गरीब महिलाएं अपने लिए और अपने परिवार के लिए रोजी रोटी कमाने रेलों से कोलकाता में रोज आती जाती हैं। ऐसी महिलाओं से भरी लोकल ट्रेनों को मासी लोकल भी कहते हैं। दीदी ने इनकी दिक्कतों का ख्याल करके 100 किमी.तक की यात्रा के लिए 25 रुपये पर मासिक पास जारी करके उन्हें जीवनदान दिया था। दीदी ने 2009-10 के अपने बजट में इस योजना कि घोषणा की थी। जिसका टिकट एकसमान 25 रुपये रखा गया था। इसे सौ किलोमीटर तक की यात्रा के लिए असंगठित क्षेत्र के ऐसे लोगों के लिए जारी किए जाने की बात थी, जिनकी मासिक आय 1500 रुपये से ज्यादा नहीं हो।
अब तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार में नहीं हैं और बंगाल से रेल राज्य मंत्री अधीर चौधरी हैं। लेकिन बंगाल की कामकाजी गरीब महिलाओं की समस्या पर शायद उन्होंने गौर नहीं किया।निम्न आय वर्ग वाले लोगों के लिए चलाई गई मासिक सीजन पास की 'इज्जत योजना' के दुरुपयोग को रोकने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है।
खासकर सीमावर्ती देहात की इन महिलाओं के लिए रोजगार का कोई और उपाय है ही नहीं। जो पारिश्रामिक मिलता है उन्हें, वह दैनिक मजूरी से कम है। उन्हें काम पर लगाने वालों का काम भला उनके बिना न चलता हो, लेकिन ऐसे काम देने वाले लोग भी ज्यादातर कम आय वर्ग के लोग हैं। मासी के बिना पति पत्नी दोनों के नौकरी पर जाना असंभव है तो हर घर में महिलाओं का काम इन मासियों के बिना चलता नहीं है। अब इस मंहगाई में शहरी लोगों को खुद खाने के लाले पड़ रहे हैं, तो मासी का वेतन कोई कैसे बढ़ा देगा। आवाजाही के रेलमार्ग बंद होने पर न सिर्फ कामवाली मौसियां परेशानी में होंगी,बल्कि वे लोग भी मुसीबत में होंगे,जिनका घर इनके बिना चलता ही नहीं है।
जिन इलाकों से ये कामकाजी महिलाएं आती हैं, वहां सबसे बड़ा रोजगार पशुओं,नशीली दवाओं, बच्चों और औरतों की तस्करी है। कोलकाता शहर आने से इन महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।
लेकिन अधीर बाबू के रेल मंत्रालय ने योजना के फायदे सही लोगों तक पहुंचाने के लिए अब आय प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया है। नया कदम 15 अक्तूबर से अमल में आ जाएगा। रेलवे ने ऐसे लोगों को आगाह किया है, जो फर्जी प्रमाण-पत्र के जरिए इज्जत पास बनवा लेते हैं। यदि फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाकर इज्जत पास की सुविधा ली जाएगी, तो ऐसे लोगों के खिलाफ रेलवे कार्रवाई करेगा। पहले 1500 रुपए या उससे कम मासिक आय प्राप्त करने वालों के लिए इज्जत पास की सुविधा शुरू की थी। इसके तहत उन्हें 100 किमी तक यात्रा करने के लिए 25 रुपए में मासिक पास दिया जा रहा है। अब यह दायरा बढ़ाकर 150 किमी कर दिया गया है। दायरा बढऩे के साथ ही कई लोगों ने फर्जी आय प्रमाण पत्र के आधार पर इज्जत पास बनवाना शुरू कर दिया। इसी को देखते हुए रेलवे ने यह कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
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