बीरबल की खिचड़ी पक रही है शारदा फर्जीवाड़े की जांच में,लेकिन गले मिले मुकुल राय और कुणाल घोष
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कोलकाता से लेकर दिल्ली तक कुणाल घोष से सघन जिरह के निकले वही ढाक के तीन पात। कम से कम कुणाल के बताये सबूतों से रिकवरी का रास्ता खुल नहीं रहा है। जो भी मुआवजा पीड़ितों को देना है आर्थिक बदहाली में कंगाल बंगाल के सूने खजाने को खंगाल कर दिया जाना है।हालांकि जस्टिस श्यामल सेन जांच आयोग ने काली पूजा के बाद शारदा समूह की संपत्ति की नालामी का ऐलान किया हुआ है।नकदी का अता पता है नहीं। गैराज हो गयी गाड़ियों और बंद दफ्तरों की सरकारी नीलामी से कितन रकम रिकवरी होगी, वह वक्त ही बतायेगा। इसी बीच दीदी ने पांच लाख लोगों को पूजा के आसपास चेक दे देने का ऐलान किया हुआ है। कुछ चुनिंदा लोगो को ईलिश मछली की दावत के साथ दीदी ने चेक दे भी दिये है। बाकी शारदा फर्जीवाड़ा मामले की जांच बीरबल की खिचड़ी है जो एकसाथ दिल्ली और कोलकाता दोनों जगह पक रही है।
शारदा घोटाले का नायाब वृत्त पूरा अब तैयार है। मुकुल राय और कुणाल घोष के साथ बैठक करके गायाब हुए सुदीप्तो और देवजानी।वे नेपाल निकल गये और कोलकाता के रुमोट कंट्रोल से कश्मीर में जोड़ी सलामत पकड़ लिये गये। सुदीप्तो और देवजानी तबसे सरकारी मेहमान हैं।अब तक कोई रिकवरी नहीं हुई। शारदा मीडिया समूह के कुणाल घोष से पूछताछ होने लगी तो उन्होंने सबको फंसाने की धमकी दी। सांसद घोष का मुकुल राय की अध्यक्षता वाली अनुशासन समिति ने तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया।घोष को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए गत 28 सितम्बर को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।शारदा मीडिया समूह के सीईओ घोष ने धमकी दी थी कि यदि उन्हें घोटाले में गिरफ्तार किया गया तो वह नामों का खुलासा कर देंगे। उन्होंने अपनी पार्टी से यह कहते हुए जांच की मांग की थी कि उन्हें नेतृत्व को काफी कुछ बताना है। कुछ दिन पहले घोष के नजदीकी सहयोगी और शारदा मीडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी सोमनाथ दत्ता को इस मामले में सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।
अब कोलकाता से कदूर नई दिल्ली के निजाम पैलेस के भव्य भवन में कुणाल घोष ने दशहरे के मौके पर मुकुल घोष से विजया मुलाकात की और दोनों प्रेम से गले मिले।हमने पहले ही लिखा कि कुमाल से दिल्ली में जिरह का तात्पर्य घनघोर राजनीतिक है और मजा देखिये,इसका परिमाम भी उतना ही राजनीतिक है।सारे पात्र काल्पनिक है और कथा पकने लगी है।
पुलिस द्वारा बार बार पूछताछ किए जाने से परेशान होने का जिक्र करने के एक दिन बाद तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष ने आज पार्टी महासचिव मुकुल राय से मुलाकात की। पार्टी से निलंबित किए जाने के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी।
घोष ने हालांकि इस मुलाकात को दशहरा के बाद ''शिष्टाचार भेंट'' बताया। उन्होंने कहा, '' यह मुकुल दा से शिष्टाचार मुलाकात थी। वह मेरी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।'' पार्टी विरोधी बयान देने के कारण घोष को 28 सितंबर को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
गौरतलब है कि कुणाल घोष ने इन्हीं पार्टी महासचिव मुकुल राय को पत्र लिख कर शारदा फर्जीवाड़े मामले में आंतरिक जांच पैनल के गठन की मांग की थी, जिसके सामने वे पूरी सच्चाई रख सकें।कुमाल ने दावा किया था कि वे पार्टी को संकट में नहीं डालने चाहते। उन्होंने तब कहा कि पत्र लिखने के बाद भी यदि पार्टी स्तर पर उनकी बात नहीं सुनी जाएगी तो वे मीडिया के सामने सच्चाई रखना चाहेंगे। हालांकि पार्टी की ओर से उन्हें प्रेस कांफ्रेंस की इजाजत नहीं दी गयी।
अब पुरानी इन बातों का मतलब बदल रहा है,जाहिर है।
इससे पहले चर्चित चिटफंड शारदा घोटाले की जटिलताओं में संलिप्तता के संदेह का सामना कर रहे तृणमूल कांग्रेस से निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष ने जांच में उन्हें फंसाए रखने के प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार उन्हें बेवजह इस मामले में घसीट रही है। पुलिस ने इस मामले में उन्हें फिर से पूछताछ के लिए बुलाया है।
बिधाननगर स्थित पुलिस आयुक्त कार्यालय में सातवीं बार पूछताछ के लिए हाजिर हुए घोष ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, "शारदा का मुद्दा बहुत बड़ा है और यह सिर्फ मीडिया इकाई तक सीमित नहीं है। पूरे घोटाले के और भी कई आयाम हैं। तो ऐसे में इसे केवल मीडिया इकाई तक ही क्यों सीमित रखा जा रहा है।"
इस बड़े वित्तीय घोटाले में घोष के सिर सुदीप्त सेन ने ही दोष मढ़ा है। उनसे जांच अधिकारी ने गुरुवार और शुक्रवार को नई दिल्ली में पूछताछ की थी।
सेन ने घोष पर भयादोहन करने और आपराधिक तत्वों के साथ उनके कार्यालय में घुसकर सेन के स्वामित्व वाले मीडिया हाउस को बेचने के लिए जबरन करार कराने का आरोप लगाया है।
घोष शारदा की मीडिया शाखा के प्रमुख रह चुके हैं। उन्होंने बार-बार दोहराया है कि उन्हें इस मामले में 'बलि का बकरा' बनाया जा रहा है। घोष ने घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है।
सीबीआई ने हालांकि इस मामले में हाथ नहीं डाला है, लेकिन अन्य केंद्रीय एजेंसियां प्रवर्तन निदेशालय, एसएफआईओ और सेबी मामले की जांच में जुटी हुई है।
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