सोलह बीघा में दहक रहा है एक और नंदीग्राम
मुख्यमंत्री दागियों का बचाव कर रही हैं और पीड़ितों की न्याय की गुहार को बेरहमी से खारिज कर रही है। पूरे बंगाल में अब सोलह बीघा का विस्तार हो रहा है।
बार बार आगजनी की वारदातों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामूली घटना बता दिया। लेकिन इस मामूली घटना के पीछे कोलकता के मेयर शोभनदेव चट्टोपाध्याय के सास श्वसुर के हाथ होने के आरोप से मामला अब मामूली नहीं रहा है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
सोलह बीघा में दहक रहा है एक और नंदीग्राम!सोलह बीघा में लगभग दो हजार परिवारों के दस बारह हजार लोग अपनी बेदखली के खिलाफ सत्ता की पाशविक शक्ति के खिलाफ मोर्चाबंद हैं। इनमें से निनानब्वे फीसद लोग अनुसूचित जातियों और अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। एकदम नंदीग्राम जैसा। नंदीग्राम में जैसे माकपा के गुंडाराज ने कहर बरपाया, ठीक उसीतरह के नजारे सोलह बीघा में आये दिन देखने को मिल रहे हैं। तब भी सत्तावर्ग अपराधियों के साथ खड़ा था और आज भी परिवर्तन राज में सत्ता इतिहास को दोहरा रही है। परिणाम की भी पुनरावृत्ति की आशंका है।
कोलकाता के निकटवर्ती महेशतला नगरपालिका के मोल्लारगेट,संतोषपुर इलाके में प्रोमोटर सिंडिकेट की ओर से सत्तादल के प्रत्यक्ष संरक्षण में अपराधी तत्व सोलह बीघा के बस्तीवालों को बेदखल करके बेशकीमती जमीन से उन्हें बेदखल करने के लिए बार बार आगजनी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। नवंबर से मार्च तक महेशतला के सोलह बीघा बस्ती में तीन तीनबार आगजनी की वारदातें हुई।पिछले साल महेशतला नगरपालिका के चेयरमैन कोलकाता के मेयर शोभनदेव चट्टोपाध्याय के श्वसुर दुलाल दास ने यहां खाली जमीन पर जवाहरलाल नेहरु शहरी विकास परियोजना के तहत एक आवासीय परियोजना राजीव गांधी आवास योजना का उद्घाटन किया, जिसके तहत 1184 फलैट बनने हैं।लेकिन इन फ्लैटो में बस्तीवालों को पुनर्वासित करने की कोई योजना नहीं है।जिसे नाराज महेशतला के लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उसके बाद से अविराम जारी है बेदखली अभियान।हर बार अग्निकांड के बाद मौके पर पहुंचती है पुलिस और दमकाल के लोग भी आग बुझाने पहुंच जाते हैं। प्रशासनिक कार्वाई बस इतनी सी है। अभियुक्तों के खिलाफ नामजद रपट और सैकड़ों गवाहों की मौजूदगी के बवजूद कहां कुछ फर्क नहीं पड़ा है। कई दफा बस्ती वालों ने अग्निकांड के खिलाफ सियालदह बजबज सेक्शन में रेलवे यातायात भी ठप कर चुके हैं। लेकिन उनकी हालत पर कोई रोने वाला नही है।न उनके रिसते जख्म पर मरहम लगाने के लिए कोई राजनीति है।
महेशतला की विधायक तृणमूल कांग्रेस की कस्तूरी दास दुलाल दास की पत्नी और मेयर की सास हैं।चेयरमैन दुलाल दास ने इन आरोपों का बार बार खंडन किया है। प्राशासन उन्हीं की सुन रहा है। पीड़ितों की नहीं।
ऐसे ही एक अग्निकांड के सिलसेले में जब करीब एक हजार लोगों के घकों को जला दिया गया, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे मामूली घटना बता दिया। लेकिन इस मामूली घटना के पीछे कोलकता के मेयर शोभनदेव चट्टोपाध्याय के सास श्वसुर के हाथ होने के आरोप से मामला अब मामूली नहीं रहा है। नंदीग्राम भूमि आंदोलन के नेता और तब दीदी के प्रमुख सहयोगी सिदिकुल्ला चौधरी न वहां पहले पिछले साल २० नवंबर के बाद हुई अग्निकांड की वारदात के बाद डेरा डाल दिया है और बाकायदा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए जिहाद छेड़ दिया गया है।मेयर के श्वसुर दिलीप दास समेत अभियुक्तों के खिलाफ कई दफा अलग अलग वारदातों के सिलसिले में एफआईआर करने के बावजूद पुलिस राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से कार्रवाई नहीं कर रही है। वार्ड काउंसिलर दीपिका दत्त के खिलाफ भी पीड़ितों ने एफआईआर दर्ज कराया है।अभियुक्तों के खिलाफ नामजद रपट और प्रत्यदर्शी भुग्तभोगी गवाहों के होने के बावजूद पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
विवाद सिर्फ सोलह बीघा को लेकर नहीं है।महेशतला नवजागरण मंच की सचिव दुलु खान,सोलह बीघा वस्ती उन्नयन समिति के अध्यक्ष साउथ शेख, महेशतला नागरिक रक्षा कमिटी के अध्यक्ष शख अब्दुल कलाम और सैकड़ों बस्ती लवासियों की शिकायत है कि इलके की पूरी सौ बीघा से ज्यादा जमीन पर प्रोटर सिंडिकेट की नजर है। यह जमीन 39 मालिकों के नाम दर्ज है।
इलाके में भारी तनाव और दहशत है। शोलहबीघा के लोगों को फिर कभी भी हमला और आगजनी की आशंकाओं के बीच गुजर बसर करना पड़ रहा, ऐसा उनका कहना है। हालात के मद्देनजर मां माटी मानुष की सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर महेशतला संतोषपुर इलाके में लोगों को कानून का राज कहीं नहीं दीख रहा है। वे न्याय के लिए दर दर भटकने को मजबूर है। राजनीतिक दलों ने कांग्रेस और वामदलों ने मामले की जांच करके दोषियों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करने की मांग बार बार की जा रही है। मीडिया में बार बार वारदातों की सिलसिलेवार रपट छप रही है। लेकिन मुख्यमंत्री इसे अब भी मामूली घटना मानने की जिद पर अड़ी हुई है। कोलकाता के मेयर उनके प्रिय पात्र हैं और सोलह बीघा के लोगों का मानना है कि मेयर के रिश्तदारों की वजह से ही उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। शारदा फर्जीवाड़े मामले में ही नहीं, सोलह बीघा जैसे हर मामले में मुख्यमंत्री दागियों का बचाव कर रही हैं और पीड़ितों की न्याय की गुहार को बेरहमी से खारिज कर रही है। पूरे बंगाल में अब सोलह बीघा का विस्तार हो रहा है। जिस अल्पसंख्यक वोट बैंक के दम पर दीदी की यह अति आत्मविश्वास है, उसके सबसे बड़े नेता शिदिकुल्ला चौधरी और मानवाधिकार संगठनों के मौके पर पीड़ितों के साथ खड़े हो जाने पर भी हालात बदलने के आसार नहीं हैं।
बस्तीवालों का गुस्सा सबसे ज्यादा मां माटी मानुष की सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ है। उनका आरोप है क्योंकि अभियुक्तों को मुख्यमंत्री का वरदहस्त मिला हुआ है, पुलिस चाहकर भी ईमानदारी से कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। एफआईआर दर्ज होता है। चार्जशीट भी दाखिल हो जाता है। अभियुक्त फिर कहर बरपाने के लिए खुल्ला घूमते हैं। इन वारदातों को चूंकि मुख्यमंत्री मामूली घटना बताती रहती है, इससे अभियुक्तों का हौसला बुलंद है, ऐसा उनका आरोप है।मार्च महीने में हुए अग्निकांड पर मुख्यमंत्री के विवादास्पद टिप्पणी के बाद मौके पर जा कर केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी, कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य और वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस ने सोलह बीघा पहुंचकर मुख्यमंत्री की निंदी ही की, बस्तीवालों के साथ वे अभी तक खड़े नहीं हैं।नगरपालिक चेयरमैन दुलाल दास , वार्ड काउंसिलर दीपिका दत् समेत ग्यारह लोगों के खिलाफ नामजद रपट है। मार्च के अग्निकांड केो बाद पुलिस ने दुलाल दास और दीपिका दत्त से बिना कोई पूछताछ किये प्रबल राजनीतिक दबाव में पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार दिखारकर कार्रवाई की खानापूरी भी कर ली। पर बस्तीवाले इस मेमले में लगातार दुलाल दास और दीपिका दत्त की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।गिरफ्तार अभियुक्तों से भी पुलिस ने कोई पूछताछ नहीं की और न ही उन्हें अपनी हिफाजत में लेने का आवेदन किया । सीधे उन्हें जेल हिफाजत में भेज दिया गया।बस्तीवालों को आशंका है कि वे लोग जल्दी ही छूट जायेंगे और तब उनका जीना और मुश्किल हो जायेगा।वे लोग इतने गरीब हैं कि लंबी अदलती लडडाई वे कतई नहीं लड़ सकते।इनमें से ज्यादातर लोग गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करते हैं।
अब मानवाधिकार संगठनों की ओर से भी पीड़ितों को न्याय दिलाने की मुहिम छेड़ दिया गया है। इसी सिलसिले में मौके पर जाकर पीड़ितों से हमने बातचीत करके ताजा हालात का जायजा लिया तो पता चला कि बस्तीवालों पर डरा धमकाकर जमीन खाली करने के लिए तमाम हथकंडा अपनाया जा रहा है। बार बार आगजनी की वारदातं हो रही है।हमारे साथ मानवाधिकारकर्मियों की एक टीम भी थी।इस टीम में आल इंडिया सेक्युलर फोरम के नेता जलालुद्दीन, मानवाधिकार जननिगरानी समिति, पश्चिम बंग खेत मजदूर संगठन, राइट टु इन्पार्मेशन एक्ट, राइट टू फूड के कार्यक्रता शामिल थे। गौरतलब है कि इस इलाके में जमीन की कीमते अब आसमान छू रही हैं।निनानब्वे साल की लीज पर बसे हुए लोगों की बेदखली के लिए जारी इस अभियान का प्रतिरोध बी जबर्दस्त हो रहा है।
आसपड़ोस में बहुमंजिली इमारतें बन रही है और प्रोमोटरों की नजर इस जमीन पर है, जिन्हें नगरपालिका का खुला समर्थन हासिल है। हम इस सिलसिले में पीड़ितों की ओर से दायर एफआईआर की प्रतियां संलग्न कर रहे हैं।इस मामले में मेयर के श्वसुर दुलाल दास के अलावा उनके साले देवाशीष दास के खिलाफ भी आरोप लगा रहे हैं पीड़ित लोग।कुछमहीने पहले मोल्लार गेट में एक गोडाउन में अग्निकांड से महेशतला संतोषपुर में आगजनी का सिलसिला शुरु हो गया। इस गोडाउन के मालिक जमशेद मोल्ला दुलाल दास के अंतरंग बताये जते हैं।इस मामले अब तक कोई जांच ही नहीं हुई है।इसके बाद इसी इलाके में एक शूटिंग फ्लोर में भी रहस्यमय तरीके से आग लगी, क्यों लगी, कैसे लगी आजतक मालूम नहीं पड़ा।
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