Friday, 03 May 2013 14:37 |
भिखीविंड (पंजाब)। पाकिस्तान की एक जेल में जानलेवा हमले का शिकार हुए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ आज पंजाब स्थित उनके पैतृक गांव भिखीविंड में कर दिया गया। सरबजीत की अंत्येष्टि के समय माहौल काफी गमगीन था और वहां हजारों की तादाद में मौजूद लोगों की आंखें नम थीं । सरबजीत के परिवार के रोते-बिलखते सदस्यों को ग्रामीणों ने सांत्वना दी । अंतिम संस्कार के दौरान उनकी बेटियों की तबीयत जब थोड़ी बिगड़ी तो स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की । सरबजीत की मौत के बाद तरन तारण जिले के भिक्खिविंड गांव में मातम छा गया था । परिवार को सांत्वना देने के लिए लोगों ने उनके घर आना शुरू कर दिया । करीब 11,000 की आबादी वाले भिक्खिविंड में आज सुबह भी दुकानें बंद रहीं, अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर भी ताले जड़े मिले । भिक्खिविंड में लोगों ने सरबजीत की मौत पर अपना विरोध जताते हुए पाकिस्तान के खिलाफ नारे भी लगाए और पड़ोसी देश के पुतले भी जलाए । पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से सरबजीत लाहौर के जिस कोट लखपत जेल में बंद था वहां पिछले शुक्रवार को हुए जानलेवा हमले के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया । अस्पताल में ही कल तड़के सरबजीत ने दम तोड़ दिया था । सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह 23 साल पहले नशे की हालत में अनजाने में ही भारत-पाक सीमा पार कर गए थे । उन्हें 1990 में पाकिस्तानी सेना ने मंजीत सिंह के नाम से गिरफ्तार कर लिया था । भारतीय जासूस होने के आरोप में सरबजीत पर 1989 में लाहौर और मुल्तान में सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश रचने का केस दर्ज कर दोषी ठहाराया गया और आखिरकार मौत की सजा सुनायी गयी । सरबजीत पर एक के बाद एक कई अदालतों में मुकदमा चला और मौत की सजा सुनायी गयी । उन पर चलाया गया मुकदमा उनके एक इकबालिया बयान पर आधारित था जिसके बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने जांच के दौरान यह बयान दिया था । बहरहाल, सरबजीत ने मुकदमे के दौरान अदालत को बताया था कि वह भारत के एक किसान हैं और नशे की हालत में सीमा पार कर पाकिस्तान चले आए हैं । |
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Friday, May 3, 2013
सरबजीत का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बहन दलबीर ने दी मुखाग्नि
सरबजीत का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बहन दलबीर ने दी मुखाग्नि
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