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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, May 3, 2013

सरबजीत का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बहन दलबीर ने दी मुखाग्नि

सरबजीत का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार, बहन दलबीर ने दी मुखाग्नि

Friday, 03 May 2013 14:37

भिखीविंड (पंजाब)। पाकिस्तान की एक जेल में जानलेवा हमले का शिकार हुए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ आज पंजाब स्थित उनके पैतृक गांव भिखीविंड में कर दिया गया। सरबजीत की अंत्येष्टि के समय माहौल काफी गमगीन था और वहां हजारों की तादाद में मौजूद लोगों की आंखें नम थीं । 
पंजाब पुलिस की एक टुकड़ी ने पहले अपने शस्त्रों को पलटा और फिर हवाई फायरिंग कर 49 साल के सरबजीत को आखिरी सलामी दी । सरबजीत ने कल लाहौर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था । 
सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर, बेटियों स्वप्नदीप और पूनम की मौजूदगी में उनकी बहन दलबीर कौर ने उन्हें मुखाग्नि दी । शिरोमणि अकाली दल के स्थानीय विधायक विरसा सिंह वलतोहा दलबीर की मदद कर रहे थे । 
ग्रामीणों और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई अति-विशिष्ट जन ने सरबजीत को आखिरी विदाई दी । सरबजीत का शव 23 साल बाद कल रात पाकिस्तान से भारत लाया गया था । 
दोपहर 1:15 बजे तिरंगे में लिपटे ताबूत के साथ सरबजीत की अंतिम यात्रा शुरू हुई । फिर इसे एक सरकारी स्कूल से सटे मैदान में रखा गया ताकि लोग श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें । 
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और विदेश राज्य मंत्री परणीत कौर भी इस मौके पर मौजूद थे । बादल ने राजकीय सम्मान के साथ सरबजीत के अंतिम संस्कार और तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की थी । इसके अलावा उन्होंने सरबजीत के परिवार को वित्तीय मदद और उनकी बेटियों को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया था । 
सरबजीत को मुखाग्नि दिए जाने से पहले एक ग्रंथि ने अंत्येष्टि स्थल पर अरदास की । भिक्खिविंड गांव के लोगों ने अपने घर की छत पर चढ़कर सरबजीत की आखिरी झलक देखी । 
अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले नेताओं में पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष राज कुमार वेरका, पंजाब भाजपा के अध्यक्ष कमल शर्मा और शिरोमणि अकाली दल, भाजपा एवं कांग्रेस सहित विभिन्न दलों की नुमाइंदगी कर रहे नेता भी थे । 


सरबजीत के परिवार के रोते-बिलखते सदस्यों को ग्रामीणों ने सांत्वना दी । अंतिम संस्कार के दौरान उनकी बेटियों की तबीयत जब थोड़ी बिगड़ी तो स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की । 
जब सरबजीत का शव अंत्येष्टि स्थल लाया गया तो वहां मौजूद लोगों ने 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' और 'सरबजीत अमर रहे' जैसे नारे लगाए । 
बड़ी संख्या में अति-विशिष्ट जन की मौजदूगी के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे । तरनतारण और अमृतसर सहित कई अन्य जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल लाया गया था ।

अंतिम यात्रा को अंत्येष्टि स्थल तक पहुंचने में करीब 45 मिनट लगे । अंतिम यात्रा के दौरान गांव का एक चक्कर लगाया गया । 
सरबजीत की मौत के बाद तरन तारण जिले के भिक्खिविंड गांव में मातम छा गया था । परिवार को सांत्वना देने के लिए लोगों ने उनके घर आना शुरू कर दिया । करीब 11,000 की आबादी वाले भिक्खिविंड में आज सुबह भी दुकानें बंद रहीं, अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर भी ताले जड़े मिले । 
भिक्खिविंड में लोगों ने सरबजीत की मौत पर अपना विरोध जताते हुए पाकिस्तान के खिलाफ नारे भी लगाए और पड़ोसी देश के पुतले भी जलाए । 
पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से सरबजीत लाहौर के जिस कोट लखपत जेल में बंद था वहां पिछले शुक्रवार को हुए जानलेवा हमले के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया । अस्पताल में ही कल तड़के सरबजीत ने दम तोड़ दिया था ।
सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह 23 साल पहले नशे की हालत में अनजाने में ही भारत-पाक सीमा पार कर गए थे । उन्हें 1990 में पाकिस्तानी सेना ने मंजीत सिंह के नाम से गिरफ्तार कर लिया था । 
भारतीय जासूस होने के आरोप में सरबजीत पर 1989 में लाहौर और मुल्तान में सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश रचने का केस दर्ज कर दोषी ठहाराया गया और आखिरकार मौत की सजा सुनायी गयी । 
सरबजीत पर एक के बाद एक कई अदालतों में मुकदमा चला और मौत की सजा सुनायी गयी । उन पर चलाया गया मुकदमा उनके एक इकबालिया बयान पर आधारित था जिसके बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने जांच के दौरान यह बयान दिया था । 
बहरहाल, सरबजीत ने मुकदमे के दौरान अदालत को बताया था कि वह भारत के एक किसान हैं और नशे की हालत में सीमा पार कर पाकिस्तान चले आए हैं ।

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