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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, October 5, 2013

चूंकि हम अब टेन टुवेल्व डिजिट काठ का घोड़ा पूंछ मरोड़ा दौड़ा दौड़ा पूंछ उठाकर दौड़ा छत्तीसगडमध्ये दोन टप्प्यात, तर मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मिझोराममध्ये एका टप्प्यात मतदान

चूंकि हम अब टेन टुवेल्व डिजिट


काठ का घोड़ा

पूंछ मरोड़ा

दौड़ा दौड़ा

पूंछ उठाकर

दौड़ा

छत्तीसगडमध्ये दोन टप्प्यात, तर मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मिझोराममध्ये एका टप्प्यात मतदान


पलाश विश्वास

| We are against zionism not judaism because it's RACIST! | | truthaholics http://truthaholics.wordpress.com/2011/08/26/why-are-we-against-jewish-supremacism-zionist-style-because-its-racist/


হাওড়া: যাত্রা শুরু করল গঙ্গাপাড়ে রাজ্যের নতুন প্রশাসনিক ভবন৷ আজ দুপুর ঠিক পৌনে একটায় হাওড়ায় নবান্ন ভবনের উদ্বোধন করলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷ নবান্ন-র সামনে জাতীয় পতাকা উত্তোলন করেন মুখ্যমন্ত্রী৷ তারপর গাওয়া হয় জাতীয় সঙ্গীত৷ এরপরই একে একে নতুন প্রশাসনিক ভবনে ঢুকে পড়েন সকলে৷ নবান্ন-র উদ্বোধন উপলক্ষ্যে এদিন সকাল থেকেই গোটা এলাকা মুড়ে ফেলা হয় কড়া নিরাপত্তাবেষ্টনীতে৷ কোনা এক্সপ্রেসওয়ে ও দ্বিতীয় হুগলি সেতুতে চলছে পুলিশি নজরদারি৷ আজ বিকেল তিনটেয় মন্ত্রিসভার একটি বৈঠক হওয়ারও কথা রয়েছে৷ যদিও, স্থানাভাবের জন্য মহাকরণের সবকটি দফতর নতুন ঠিকানায় আনা যায়নি৷

समझना यह बहुत जरुरी है कि

हम ने अमेरिका के खिलाफ है

और न अमेरिकी मुक्तिकामी जनता

के विरुद्ध हैं हम


हम जायनवादी कारपोरेट

अमेरिकी साम्राज्यवाद

के विरुद्ध हैं जो यकीनन


मार्टिन लूथर किंग

और जार्ज वाशिंगटन

और अब्राहम लिंकन का

अमेरिका नहीं है


अश्वेत स्वप्न के विरुद्ध है जो

अमेरिका हम उसके खिलाफ


हम रंगभेदी दासता की

परंपरा खत्म करने वाली क्रांति के संवाहक

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम

की विरासत के भी वाहक हैं

हम भारतीय अश्वेत

मूलनिवासी बहुजन


इसीतरह समझना बेहद जरुरी है

कि जातिव्यवस्था के दुश्चक्र में

फंसे हैं ब्राह्मण भी


नस्ली रंगभेद के शिकार हैं

ब्राह्मण भी और निरंकुश

ब्राह्मणवाद के शिकार हैं ब्राह्मण भी


कृपया सोचे समझे बिना

ब्राह्मणों को गाली देने वाली

बहुजनक्रांति के झंडेवरदारों

समझ लीजिये कि


घृणा अभियान से और कुछ

सकें तो हों,सत्ता समीकरण में

जाति का गणित सधकर

जाति व्यवस्था मजबूत होती है तो हो


इसतरह यकीनन खत्म नहीं होगी जाति

और न खत्म होने वाला है नस्ली भेदभाव


कोई आंदोलन अभी हुआ ही नहीं

जाति उन्मूलन के लिए


कोई आंदोलन अभी हुआ ही नहीं

सर्वव्यापी नस्ली भेदभाव के खिलाफ


कोई प्रतिरोध हुआ ही नहीं

भौगोलिक अस्पृश्यता के खिलाफ


जाति व्यवस्था के मूल में है नस्ली रंग भेद

ब्राह्मणवाद का तात्पर्य

एकाधिकारवादी वर्चस्व से है

निरंतर जारी मिथकीय मिथ्या से है


मिथ्या को तोड़ो

मिथकों को तोड़ो


ब्राह्मणी धर्म के कर्मकांड

तोड़ो,तोड़ो जायनी इस

खुले बाजार को


तोड़ो अश्वमेध यज्ञ

तोड़ो राजसूय यज्ञ

संविधान,न्याय,समता

और लोकतंत्र के सारे अवरोध तोड़ो


तभी ब्राह्मणवाद टूटेगा

इस दुश्चक्र का चक्रव्यूह टूटेगा


सत्ता में भागेदारी नहीं

सामाजिक न्याय

समता,कानून के राज

भ्रातृत्व और लोकतंत्र में

छुपा है मुक्तिताले की चाबी


हमारी लड़ाई

जातिव्यवस्था के खिलाफ है

जन्मजात जाति में

शामिल लोगों के

जन्मफल के विरुद्द नहीं


हमारा विरोध कर्मफल के

सिद्धान्त,पुनर्जन्म

और नियतिवाद के खिलाफ


विशुद्धता के स्पर्श

अस्पर्श के खिलाफ

हमारा विरोध है


हमारा विरोध है

प्रकृति और मनुष्य के

सर्वानाश करनेवाली

एकाधिकारवादी

कारपोरेट जाति वर्चस्व से


सारी लड़ाई केंद्रित हो

इस एकाधिकारवादी

कारपोरेट जाति वर्चस्व

के विरुद्ध


इसी वर्चस्व को बनाये

रखने के मकसद से

वे हमें बनाये हुए हैं

काठ के घोड़े

समझ लो

बिना सामाजिक यथार्थ

बिना सामाजिक सरोकार

बिना स्वजनो से अपनापा

बिना जड़ों से नाता

बिना किसी चेहरे के

बिना पहचान के

अब हम टेन डिजिट

नंबर में बदल रहे हैं तेजी से

अब कोई घर घर नहीं

घर का पर्याय नंबर है

इस डिजिटल बायोमेट्रिक

सभ्यता में हम

काठ के घोड़े हैं


दरअसल

हमारी कोई जाति है ही नहीं

चूंकि हम अब टेन टुवेल्व डिजिट


दरअसल

हमारा कोई धर्म है ही नहीं

चूंकि हम अब टेन टुवेल्व डिजिट


तो मेरे दोस्तों

क्यों धर्म अधर्म के नाम लड़ते हो

क्यों खून की नदियां बहाते हो

मिथ्या जाति परिचय

से हैसियती आरक्षण

जारी रखकर आनुवांशिकी

इस खुले बाजार में

किसका क्या

उखाड़ लोगे

मेरे दोस्तों

इस छद्म को

इस भूत

को

जितनी

जल्दी

जल्द से

जल्द

उतारो

और लामबंद

हो जाओ

सचमुच के

मुक्तिसंग्राम के लिए



क्योंकि फिर

शुरु है सत्ता में

भागेदारी का

खेल नये सिरे से

फिर मारे जायेंगे

मूलनिवासी बहुजन ही

एकाधिकारवादी

जाति वर्चस्व के लिए

কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভার সিদ্ধান্তকে চ্যালেঞ্চ জানিয়ে সুপ্রিমকোর্টে যেতে চলেছেন ওয়াইএসআর কংগ্রেসের প্রধান জগনমোহন রেড্ডি। তেলেঙ্গানা গঠনের বিরোধিতায় আজ থেকে অনির্দিষ্টকালের অনশনে রেড্ডি। সকাল সাড়ে ১১টা থেকে অনশনে বসেন তিনি। এরসঙ্গেই আজ থেকে অন্ধ্রজুড়ে ৭২ ঘণ্টার বন্ধের ডাক দিয়েছে ওয়াইএসআর কংগ্রেস। জগনমোহনের অভিযোগ, ভোটের রাজনীতি করতেই অন্ধ্রভাগের সিদ্ধান্ত নিয়েছে কেন্দ্রীয় সরকার। প্রতিবাদে সীমান্ধ্রা প্রদেশের সমস্ত সাংসদকে ইস্তফা দিতে আহ্বান জানিয়েছেন জগনমোহন। রাজ্য ভাগের সিদ্ধান্তের প্রতিবাদ জানাতে রাষ্ট্রপতির কাছেও দরবার করবেন ওয়াইএসআর কংগ্রেসের সাংসদরা।


বনধের দ্বিতীয় দিনে স্বাভাবিক জনজীবনে ব্যপক প্রভাব পড়েছে। তেলেঙ্গানা রাজ্যের সিদ্ধন্তে কেন্দ্রের সিলমোহরের প্রতিবাদে অন্ধ্র ও রামাইয়লাসীমা অঞ্চলে বনধের সমর্থনে মানুষ রাস্তায় নামে। সীমান্ধ্রায় সমস্ত স্কুল কলেজ ও ব্যবসায়ী প্রতিষ্ঠান বন্ধ রয়েছে।


অন্ধ্র কোস্টের আইজির বয়ান অনুযায়ী রাজ্যের বিভিন্ন স্থানে অতিরিক্ত নিরাপত্তা মোতায়েন রাখা হয়েছে। তিনি বলেন, "কয়েকটি জায়গায় অতিরিক্ত পুলিস মোতায়েন করা হয়েছে। তবে পরিস্থিতি এখন স্বাভাবিক রয়েছে।" বনধ সমর্থনকারীদের প্রতিবাদ কর্মসূচি শান্তিপূর্ণ ভাবে চললে তাতে বাধা দেওয়া হবে বলে সিদ্ধান্ত নিয়েছে প্রশাসন।


গতকাল বনধের প্রথম দিনে বেশ কয়েকটি এলাকায় উত্তেজনা ছড়ায়। বিক্ষোভকারীরা সরকারি সম্পত্তিতে আগুন ধরিয়ে দেয়। রাজ্যের কয়েকটি জেলায় শাসক দল কংগ্রেসের সমর্থকেরা আক্রান্তও হন।

काठ का घोड़ा

पूंछ मरोड़ा

दौड़ा दौड़ा

पूंछ उठाकर

दौड़ा

रक्तहीन क्रांति

हो गयी

बंगाल में

आहिस्ते से

जोर का झटका


पांच सौ साल

से उपेक्षित

हावड़ा हुआ

राजधानी अब से

कोलकाता के

औपनिवेशिक

आभिजात्य पर

पहला प्रहार

स्वागत है

स्वागत स्वागत

स्वागत है

अस्पृश्य जनपद

में अब नवान्न


गड़बड़ी सिर्फ यही है

की हाड़ मांस की दीदी

को लोग अब दुर्गा रुपेण

प्रतिष्ठत करने लगे हैं

हमीं इसीतरह अपने ही

वध के प्रयोजन से

गढ़ लेते हैं

अपनी अपनी

महिषमर्दिनी


बलिस्थल पर

पुष्पांजलि से

पहले या फिर

गर्दन पर

खड्ग का

वार पड़ने से

पहले के मुहूर्त

तक हमें मालूम

ही नहीं होता

कि असल में

यह हमारे वध का

आयोजन वैदिकी


पांच राज्यों में

चुनाव की बज

रही रणभेरी

काठ के घोड़े

दौड़ने लगे हैं


पुढील वर्षी होणार्‍या लोकसभा निवडणुकीपूर्वीचा

निवडणूक महासंग्राम

आता सुरू झाला आहे

दिल्ली, मध्य प्रदेश,

राजस्थान, छत्तीसगड

आणि मध्य प्रदेश

या पाच राज्यांतील

विधानसभा निवडणुकांचे

घट बसले

नोव्हेंबर आणि डिसेंबरच्या

पहिल्या आठवड्यात

मतदान होणार

असून ८ डिसेंबरला

सर्व निकाल जाहीर होईल

निवडणूक आयोगाने

सर्वोच्च न्यायालयाच्या

आदेशानंतर ईव्हीएम मशीनद्वारे

'राईट टू रिजेक्ट'चा

समावेश केला आहे


সারা বছর ওদের পৌষমাস

প্রতিদিন প্রতিক্ষণ আমাদের সর্বনাশ

যা দেবায় সর্বদেশে জনসংহাররুপেণ সংস্থিতে

নমস্তসৈ নমো নমো

ওম স্বাহা

उनका उत्सव हर मौसम में

माझा सत्यानाश सर्वकाले

या देवाय सर्वदेशे

जनसंहाररुपेण संस्थिते

नमसस्तस्यै नमो नमो

सर्व भारतवर्षे नमो नमो

ओ3म स्वाहा


बहुत खुशी मना रहे हैं लोग

धर्म त्योहार मध्ये

पुढील वर्षी होणार्‍या लोकसभा निवडणुकीपूर्वीचा

निवडणूक महासंग्राम

जश्न महा जश्न

वध महोत्सव अनंत


पांच किलो से शुरु है

सब्सिडी वास्ते

बनाते जाइये

गैरकानूनी आधार कार्ड

सौंपत जाइये

पुतलियों की

तस्वीरें

और उंगलियों की छाप

पहचान तय होने पर

नाटो ड्रोन के प्रोग्राम में

दर्ज होगा आपका

अता पता


फिर काठ के घोड़े

सिर्फ दौड़ेंगे

पूंछ उठाकर

जैसे कारपोरेट

आका जायनी

रोबोट बटन

करेंग चालू

बाकी काठ

का हांडी

जैसे चूल्हे

पर चढ़ता है

लोकतंत्र की बिसात

पर कार्निवाल

खुल्ला बाजार में

काठ के घोड़ों का

वही हश्र होना है

सब्सिडी गया

स्टीमुलस लाने

अमेरिका में सरकार

शाट डाउन है


अब भारतीय

बाजार बम बम है

असली बाजार

असली स्वराज

अब वास्तव है

कारपोरेट लाबिंइंग

के दिन लद गये

भारत सरकार भी

दरअसल

शाटडाउन है


कंपनी राज है

लोकतंत्र की हाढ़ी में

नागरिक दहन

वैदिकी रस्म है

कर्मकांड महज

चंदा दो चाहे

लाखोंलाख

भोज कराओ

स्पांसर लाओ

आलोकसज्जा

कर लो मनचाहा

लोक गाओ

लोक नचाओ

रवींद्र बजाओ


नागरिक बन गये

काठ के घोड़े

उछलने लगे

नागरिक

शेयर बाजार की

उछाल में

सेनसेक्स सेक्स

में नागरिक मदमत्त

पूंछ उठाकर

कोई हालांकि

देख भी नहीं रहा

दरअसल लिंग भेद

जातिभेद

और नस्लभेद

में ओत प्रोत


आम आदमी

का तूफान है

राजधानी में

जैसे मां माटी

और दीदी का

हुआ

बंगाल का लाल

किला ध्वस्त

राजधानी का

भी कायाकल्प

मीडिया प्रचार

प्रायोजित


त्रिकोणमितीय

समीकरण तय

है सिर्फ

तैयार नतीजे

रेडीमेड जनादेश

के ब्यौरे का आर्डर है

ताकि जारी रहे

राजसूय

जारी रहे

अश्वमेध

राहुल गांधी यांची 'नौटंकी'

पेश करीत वटहुकूम

प्रकरणात आपली अब्रू

कशीबशी वाचवलेली

कॉंग्रेस 'तेलंगणा'च्या

निर्मितीनंतर

पुन्हा नव्या संकटाच्या

फेर्‍यात सापडली आहे

यूपीए सरकारच्या

निर्णयाविरोधात

आंध्रात आगडोंब पेटला

तसेच केंद्रात आणि

आंध्र प्रदेशातही

मंत्र्यांचे, खासदार, आमदारांचे

राजीनामासत्र सुरू

झाल्याने कॉंग्रेसला

'गळती' लागली


পাঁচ রাজ্যে ভোটের দামামা বেজে গেল৷

ছত্তিসগড়, মধ্যপ্রদেশ, দিল্লি, মধ্যপ্রদেশ ও মিজোরামে আসন্ন বিধানসভা নির্বাচনের সময়সূচি শুক্রবার ঘোষণা করে দিলেন জাতীয় মুখ্য নির্বাচনী কমিশনার ভি এস সম্পত৷ ১১ নভেম্বর থেকে ৪ ডিসেম্বরের মধ্যে শেষ হবে ওই নির্বাচন পর্ব৷ ফল ঘোষণা করা হবে একদিনেই, ৮ ডিসেম্বর৷ সুপ্রিম কোর্টের সাম্প্রতিক নির্দেশের কল্যাণে এই নির্বাচনে প্রথম বারের জন্য একটি অভিনব সুবিধে ভোগ করবেন নাগরিকরা৷ কোনও প্রার্থীকেই পছন্দ না হলে, সেই মতামতও তাঁরা প্রকাশ করতে পারবেন ইভিএমের 'নোটা' বোতাম টিপে৷

২০১৪ সালেই লোকসভা নির্বাচনের মুখোমুখি হবে দেশ৷ তার আগে এই নির্বাচনে শক্তি পরীক্ষার মহড়ায় নামবে রাজনৈতিক দলগুলি৷ রাজস্থানে শাসক দল কংগ্রেসের মূল চ্যালেঞ্জ অবশ্যই বিজেপি৷ সেখানে মুখ্যমন্ত্রী অশোক গেহলটের অন্যতম প্রতিদ্বন্দ্বী হবেন প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী বসুন্ধরা রাজ৷ মধ্যপ্রদেশে 'সু-শাসন'-এর কৃতিত্ব ঝোলায় পুরে ইতিমধ্যেই ভোটের প্রচারে নেমে পড়েছেন বিজেপি-চালিত সরকারের মুখ্যমন্ত্রী শিবরাজ সিং চৌহান৷ ছত্তিসগড়ে তৃতীয় বারের জন্য ক্ষমতা কায়েম রাখার স্বপ্ন দেখছেন বিজেপি নেতৃত্ব৷ দিল্লিতে কঠিন পরীক্ষার মুখে পড়বে কংগ্রেস৷ চতূর্থ বারের জন্য মসনদ দখলের আপ্রাণ চেষ্টা চালাবেন মুখ্যমন্ত্রী শীলা দীক্ষিত৷ মিজোরামে শাসক কংগ্রেস ও বিরোধী এমএনএফ-এর মধ্যে হাড্ডাহাড্ডি লড়াইয়েরই ইঙ্গিত দিচ্ছেন রাজনৈতিক পর্যবেক্ষকরা৷


নয়াদিল্লি: এবার থেকে পেট্রল পাম্পেও রান্নার গ্যাস পাওয়া যাবে৷ দেশের বড় শহরগুলির পেট্রল পাম্পের মাধ্যমে ছোট ৫ কেজির সিলিন্ডার বিক্রিতে অনুমতি দিয়েছে কেন্দ্রীয় পেট্রলিয়াম মন্ত্রক৷ এছাড়া গ্রাহকদের নিজেদের পছন্দ মতো ডিলার নির্বাচন এবং পরিবর্তনের অনুমতিও দেওয়া হয়েছে, এক বিবৃতিতে জানিয়েছে পেট্রলিয়াম মন্ত্রক৷ তেল বিপণন সংস্থা নিয়ন্ত্রিত ও পরিচালিত পেট্রল পাম্পগুলিতেই ৫কেজি রান্নার গ্যাসের সিলিন্ডার মিলবে৷ গোটা দেশে মোট ৪৭,০০০টি পেট্রল পাম্প রয়েছে৷ এর মধ্যে মাত্র তিন শতাংশ বা ১,৪১০টি তেল বিপণন সংস্থা দ্বারা নিয়ন্ত্রিত ও পরিচালিত আউটলেট রয়েছে৷ তবে এই সিলিন্ডার কিনতে কোনও রকম ভর্তুকি পাওয়া যাবে না৷ বাজার নির্ধারিত দামেই ওই সিলিন্ডার বিক্রি করবে সংশ্লিষ্ট আউটলেটগুলি৷ ফলে ভর্তুকিযুক্ত ১৪.২কেজি সিলিন্ডারের প্রায় দ্বিগুণ দামে এই সিলিন্ডার পাওয়া যাবে৷ ৫ অক্টোবর বেঙ্গালুরুতে এই সিলিন্ডারের বিক্রি শুরু করবেন কেন্দ্রীয় পেট্রলিয়াম মন্ত্রী এম বীরাপ্পা মইলি৷ প্রাথমিকভাবে কলকাতা, দিল্লি, মুম্বই, চেন্নাই এবং বেঙ্গালুরুর সংস্থা পরিচালিত আউটলেটগুলোতেই এই সিলিন্ডার পাওয়া যাবে৷


গোটা দেশে ইন্ডিয়ান অয়েল, ভারত পেট্রলিয়াম এবং হিন্দুস্থান পেট্রলিয়াম এই তিন তেল বিপণন সংস্থার নিজস্ব ১,৪৪০টি নিজস্ব পেট্রল পাম্প রয়েছে৷ তবে, প্রাথমিক ভাবে দেশের পাঁচটি বড় শহরের সংস্থা পরিচালিত ১২টি পেট্রল পাম্পে এই সিলিন্ডার বিক্রি শুরু হবে৷ 'এর ফলে ছাত্র, তথ্যপ্রযুক্তি সংস্থার কর্মী, বিপিও কর্মীর মতো লোক যাদের কাজের প্রয়োজনে এক জায়গা থেকে অন্য জায়গায় প্রায়ই যাতায়াত করতে হয় তাদের যেমন সুবিধা হবে, ঠিক তেমনি যাঁদের বাধা ধরা কাজের সময় নেই তাঁরাও উপকৃত হবেন,' বিবৃতিতে জানিয়েছে পেট্রলিয়াম মন্ত্রক৷ সংস্থা পরিচালিত পেট্রল পাম্প থেকে দিনের যে কোনও সময় সিলিন্ডার কিনতে পারবেন গ্রাহকরা৷


গ্রাহকরা যাতে নিজেদের পছন্দের সংস্থা থেকে গ্যাস কিনতে পারে সে ব্যবস্থাও চালু করছে পেট্রলিয়াম মন্ত্রক৷ নতুন নিয়মে ক্রেতারা এক সংস্থা ছেড়ে অন্য সংস্থায় নথিভুক্তির সুবিধাও ভোগ করতে পারবেন৷ তবে, দেশের ৩০টি শহরে এই পরিষেবা পাওয়া যাবে, বিবৃতিতে জানিয়েছে কেন্দ্রীয় পেট্রলিয়াম মন্ত্রক৷ ক্রেতারা তাদের এলাকার সমস্ত ডিস্ট্রিবিউটরের পরিষেবার রেটিং দেখার পরে সিদ্ধান্ত নিতে পারবেন৷ ক্রেতাদের সুবিধার্থে সংশ্লিষ্ট তেল বিপণন সংস্থার ওয়েবসাইটে গিয়ে নথিভুক্তির সুযোগও থাকবে৷ কলকাতার পাশাপাশি অন্ধ্রপ্রদেশের বিশাখাপত্তনম ও হায়দরাবাদ, বিহারের পাটনা, ছত্তিশগরের রায়পুর, দিল্লি, গুজরাটের আমেদাবাদ ও সুরাট, হরিয়ানার ফরিদাবাদ, ঝাড়খণ্ডের রাঁচি ও জামশেদপুর এবং কর্নাটকের বেঙ্গালুরু ও হুবলীতেডিস্ট্রিবিউটর বদলের এই সুবিধা পাওয়া যাবে৷




Feroze Mithiborwala
Ambedkar Bhavan, Pune. Last evening the police did not allow us to proceed with a meeting, wherein we were to discuss the entraoment of Indian Muslim youth with a focus on the German Bakery false flag on 13.2.10. Also we were to view the excellent documentary by Ashish Khetan on his path breaking Sting Operation. The cops stated that the organizers had not given a letter of intimation 24 hours prior to the meeting. Later we were told by our Dalit, OBC Ambedkarite friends that they had never been stopped and were not even aware of this rule. Appatently, they said, it was only applied for Muslim organizations. We then shifted over to a little tea shop where activists gather and planned the way ahead for the struggle. The ATS and IB, but rogues, do not want to be challenged or exposed at any cost, but they are sadly mistaken. Jai Hind!

Dilip C Mandal
पत्रकारिता इलिजिबिलिटी टेस्ट से संपादकों को एतराज है....ज्यूडिशयल सर्विस कमीशन के टेस्ट से न्यायिक बिरादरी के दिग्गजों को एतराज है...क्या आपको नहीं लगता कि मेरिट वाले टैलेंटेड लोग दरअसल अजीब टाइप के होते हैं.

Subeer Goswamin
BABA aashchen...
Joy maa Durga......

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Shabnam Hashmi
shahzade ne shor macha diya, ordinance, bill donon ' NOnsence'

ab inka kya hoga? Modiji shaant kyon hain? waise to bahut phudakte phirte hain. Har baat ka batangar banane main maahir. ab kya hua- Is hi Mantri ko 11 mantralaya diye the na?

humko apni loot se matlab desh rahe barbad, aao karen fasaad re bhaiya aao karen fasaad...


suwachch, saaf, imaandaar, hriday samrat jo "na khata hai na khane deta hai"- uske mantriyon se miliye

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সুমন চ‌ট্টোপাধ্যায়

ব্রাসেলস: ঢেঁকি স্বর্গে গেলে ধান ভাঙে৷ বাঙালিও৷

নইলে এত সুখাদ্য আর পানীয়র মধ্যে ইউরোপে আসার পথে বিমানে প্রণব মুখোপাধ্যায়ের জন্য এয়ার ইন্ডিয়া পোস্তর বড়া আর কাঁচকলার ঝোল তৈরি করবে কেন?

কেন আবার, রাষ্ট্রপতি হলে কি বাঙালিবাবুর ভাতের থালার তরিবত বদলে যেতে পারে?

এমনিতে প্রধানমন্ত্রী আর রাষ্ট্রপতির বিদেশ সফরের আয়োজনে কার্যত তেমন কোনও তারতম্য নেই৷ এয়ার ইন্ডিয়ার সেই একই বিমান, ভিভিআইপি-র শোওয়া-বসার জন্য একই বন্দোবস্ত, অতিথি-আপ্যায়নে এয়ার ইন্ডিয়ার বিশেষ ভাবে নির্বচিত সেবিকাদের সেই একই রকম শশব্যস্ততা ও বাড়াবাড়ি৷ পার্থক্য যেটুকু তা পরিষ্কার হয় বিশেষ অতিথির সামান্য কিছু পছন্দে-অপছন্দে৷ যেমন খাবারের মেনু৷ শৃঙ্খলা আর নিয়ম-নিষ্ঠার নিগড়ে নিজেকে বেঁধে রাখা প্রণব মুখোপাধ্যায় তাই মানেন না, বিদেশে গেলে নিয়ম নাস্তি হতে হবে৷ ঘরে যা, বাইরেও তাই৷ হাজার হোক শরীরটা তো একই৷

কাকতালীয় ভাবে কি না জানা নেই, রাষ্ট্রপতির সঙ্গী-সাথীর দলে বঙ্গ-সন্তানদের ছড়াছড়ি৷ বিশেষ বিমানের চার পাইলটের মধ্যে দু'জন বাঙালি৷ প্রধান বিমান সেবক অভিজিত্ ভাচার্য দীর্ঘদিন প্রবাসী হলেও কলকাতারই ছেলে৷ বিদেশ দফতরের যে দুই অফিসার সফরসঙ্গী সাংবাদিকদের দেখভালের দায়িত্বে, তাঁরাও বঙ্গসন্তান৷ সাংবাদিকদের এক তৃতীয়াংশও তাই৷ এসেছি ব্রাসেলসে, যেখানে বাসিন্দারা হয় ফরাসি, নয় জার্মান নয়তো বা ওলন্দাজিতে কথা বলে৷ অথচ বঙ্গজ রাষ্ট্রপতির চারপাশে এখানেও মনে হচ্ছে রাষ্ট্রভাষা বাংলাই৷ এরপরেও কে বলতে পারে প্রণববাবু স্বভাষীদের জন্য কিছু করেন না?

বৃহস্পতিবার সন্ধ্যায় অনাবাসী ভারতীয়দের জন্য রাষ্ট্রদূত যে নাগরিক সংবর্ধনা অনুষ্ঠানের আয়োজন করেছিলেন সেখানেও দেখা গেল দুই করিত্কর্মা স্থানীয় বাঙালিকে৷ তাঁদের একজন অলক কুণ্ডু ফরাসি উচ্চারণে বাংলা বলেন, টিনটিন কমিকসের কোম্পানিতে কাজও করেছেন বহুদিন৷ দ্বিতীয়জন সামান্য কয়েক বছর থেকেই বেলজিয়ামের রাজনীতিতে ভিড়ে গিয়েছেন বাঙালি কায়দায়৷ ব্রাসেলসের পুরসভা নির্বাচনে গ্রিন পার্টির হয়ে দাঁড়িয়ে হেরেছেন মাত্র একান্নটি ভোটে৷ তবু হাল ছাড়েননি৷ ২০১৫-র সংসদ নির্বাচনে এই ব্রাসেলস থেকেই ফের দাঁড়াবেন বলে পণ করেছেন৷ আপাতত তিনি অবশ্য ব্যস্ত দুগ্গাপুজোর আয়োজনে৷ ইউরোপের অন্যান্য রাজধানী শহরের মতো এই ব্রাসেলসে বাঙালির সংখ্যা একেবারেই নগণ্য৷ মাত্র ১২০ জন৷ তাতে কী! বঙ্গজ ঐক্যের সাবেকি ধারা মানলে তো এতদিনে চারটে পুজোর আয়োজনের কথা ছিল এই ব্রাসেলসে৷ প্রণববাবুও মহালয়ার পুজো সেরেছেন হোটেলের ঘরে বসেই৷ ৮ তারিখ দিল্লি ফিরে ১০ তারিখই তিনি চলে যাবেন মিরিটিতে গ্রামের বাড়িতে পুজো করতে৷ এই পুজোর সময়টা এলে রাষ্ট্রপতির নিজের গ্রাম ছাড়া অন্য কিছুই মনে থাকে না৷ শত কাজ কিংবা ব্যস্ততা তাঁকে বেঁধে রাখতে পারে না অন্য কোথাও৷ রাষ্ট্রপতি হওয়ার পরে তাঁর বিড়ম্বনা হয়েছে এই যে, লোকসমক্ষে আর পুজোটি করতে পারেন না৷ গত বছরই প্রথম তাঁর এই অভিজ্ঞতা হয়েছে, যদিও খুব একটা মনপসন্দ হয়নি৷ কিন্ত্ত করাই বা যাবে কী! ধর্মনিরপেক্ষ সংবিধানের একমাত্র রক্ষক হিসেবে আর যাই হোক, প্রকাশ্যে ধর্মাচরণ তো করা যায় না!

কিন্ত্ত প্রধানত যে উত্সবটির উদ্বোধনের জন্য প্রণব মুখোপাধ্যায় বেলজিয়ামের রাজধানীতে এসেছেন সেই ভারত-কেন্দ্রিক ইউরোপালিয়া উত্সবে কোথায় বাংলা? কোথায় বাঙালি? শুক্রবার বর্ণাঢ্য উদ্বোধনের পরে চার মাস ধরে বেলজিয়াম এবং সংলগ্ন দেশগুলিতে প্রায় দেড়শোটি মঞ্চ, প্রেক্ষাগৃহ, এবং এক্সহিবিশন হলে হবে এই উত্সব৷ থাকবে চিত্র প্রদর্শনী, গান, বাজনা, নাটক, বাদ্যযন্ত্র, সিনেমা, থিয়েটার, মূকাভিনয়, লেকচার, সেমিনার-সহ আরও কত কী৷ কিন্ত্ত উত্সবের উদ্যোক্তাদের পক্ষ থেকে এখানে যে অনুষ্ঠান কর্মসূচি দেওয়া হয়েছে তাতে কোনও বঙ্গসন্তানের নাম নেই বললেই চলে৷ চিত্র-প্রদর্শনীর একটি কোণায় দুর্গাপুজোর কয়েকটি ছবি থাকবে৷ আর থাকবে বাঙালির সবেধন নীলমণি সত্যজিত্ রায়ের রেট্রোসপেক্টিভ৷ ব্যস এইটুকুই!

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের পশ্চিমবঙ্গের দিকে এইটুকুই দৃষ্টি দিয়েছে আইসিসিআর আর বিদেশ দফতর৷ অনুরাগ কাশ্যপের একাধিক ছবি আছে, কেবল বাংলা ছবি একটিও নেই৷ একজন বাঙালি শিল্পীরও ছবি নেই কোনও প্রদর্শনীতে৷ গানবাজনার জগতে পরিচিত অবাঙালি মুখগুলির কেউ কেউ আছেন, তাঁদের বাঙালি সতীর্থ একজনও নেই৷ এমনকি সাহিত্য-বাসরে নাম দেওয়া হয়েছে দুই দিল্লিবাসী সাংবাদিকের৷ অমিতাভ ঘোষ বা ঝুম্পা লাহিড়িদের ডাকা হয়নি৷ উদ্যোক্তাদের ভাবখানা এমন যেন ভারতবর্ষের শিল্প-সাহিত্য-সংস্কতিতে বাঙালির অবদান আদৌ স্মরণযোগ্য নয়৷ এমনকি রবি ঠাকুরকেও ভুলে বসেছেন তাঁরা৷

একে কী বলে? কেন্দ্রের বঞ্চনা, নাকি লবি যার সুযোগ তারই? হয়তো দু'টোই৷ দিল্লিতে বাংলার হয়ে গলা ফাটানোর মতো এখন আর কেউ অবশিষ্ট নেই৷ প্রণব মুখোপাধ্যায় রাষ্ট্রপতি হয়ে যাওয়ার পরে তাঁর হাত-পাও বাঁধা হয়ে গিয়েছে অনেকটাই৷ বেলজিয়ামের ইউরোপালিয়া উত্সবে বাঙালির সান্ত্বনা পুরস্কার একটিই৷ রাষ্ট্রপতি প্রণব মুখোপাধ্যায়৷

http://eisamay.indiatimes.com/nation/pranab-in-brassels/articleshow/23534454.cms


Faizul Haqueগুরুচন্ডা৯ guruchandali

about an hour ago


लोकसभेची सेमीफायनल

पाच राज्यांत निवडणुकीचे घट बसले

'नोट'चे स्वतंत्र बटण

८ डिसेंबरला निकाल

छत्तीसगडमध्ये दोन टप्प्यात, तर मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मिझोराममध्ये एका टप्प्यात मतदान

नवी दिल्ली, दि. ४ (वृत्तसंस्था) - पुढील वर्षी होणार्‍या लोकसभा निवडणुकीपूर्वीचा निवडणूक महासंग्राम आता सुरू झाला आहे. दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगड आणि मध्य प्रदेश या पाच राज्यांतील विधानसभा निवडणुकांचे घट आज बसले. नोव्हेंबर आणि डिसेंबरच्या पहिल्या आठवड्यात मतदान होणार असून ८ डिसेंबरला सर्व निकाल जाहीर होईल. निवडणूक आयोगाने सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानंतर ईव्हीएम मशीनद्वारे 'राईट टू रिजेक्ट'चा समावेश केला आहे. र्‍दहा None of the above (NOTA) हे बटण असणार आहे.................................



तीन दिवसांचा बंद, जाळपोळ; कॉंग्रेसला गळती

'तेलंगणा'विरु आंध्रात आगडोंबमंत्र्यांचे राजीनामे, कॉंग्रेसला गळती

राहुल गांधी यांची 'नौटंकी' पेश करीत वटहुकूम प्रकरणात आपली अब्रू कशीबशी वाचवलेली कॉंग्रेस 'तेलंगणा'च्या निर्मितीनंतर पुन्हा नव्या संकटाच्या फेर्‍यात सापडली आहे. यूपीए सरकारच्या निर्णयाविरोधात आंध्रात आज आगडोंब पेटला. तसेच केंद्रात आणि आंध्रातही मंत्र्यांचे, खासदार, आमदारांचे राजीनामासत्र सुरू झाल्याने कॉंग्रेसला 'गळती' लागली आहे. हैदराबाद, दि. ४ (वृत्तसंस्था) - राहुल गांधी यांची 'नौटंकी' पेश करीत वटहुकूम प्रकरणात आपली अब्रू कशीबशी वाचवलेली कॉंग्रेस 'तेलंगणा'च्या निर्मितीनंतर पुन्हा नव्या संकटाच्या फेर्‍यात सापडली आहे. यूपीए सरकारच्या निर्णयाविरोधात आंध्रात आज आगडोंब पेटला. तसेच केंद्रात आणि आंध्र प्रदेशातही मंत्र्यांचे, खासदार, आमदारांचे राजीनामासत्र सुरू झाल्याने कॉंग्रेसला 'गळती' लागली आहे.........................



कर्मचार्‍यांना 'बोनस', प्रवाशांना मात्र भाडेवाढ

रेल्वे प्रवासी भाडे, मालवाहतूक २ टक्क्यांनी महागली

नवी दिल्ली, दि. ४ (वृत्तसंस्था) - रेल्वे कर्मचार्‍यांना घसघशीत ७८ दिवसांचा दिवाळी बोनस देणार्‍या सरकारने प्रवाशांच्या माथी मात्र भाडेवाढीचा बोजा टाकला आहे. पुढील आठवड्यात मालवाहतूक आणि प्रवासी भाडे दोन टक्क्यांनी महागणार आहे. गेल्या सहा महिन्यांत डिझेलची दरवाढ ७.३ टक्क्यांनी, तर वीजदरात १५ टक्क्यांनी वाढ झाली आहे. त्यामुळे स्लीपर आणि वातानुकूलितच्या दरांमध्ये दोन टक्के आणि मालवाहतुकीत १.७ टक्के वाढ केली आहे.



गुलाबी सी-लिंक

ऑक्टोबर महिना हा स्तन कर्करोग जनजागृती महिना म्हणून पाळला जात असून यासाठी जगभरातील महत्त्वाच्या वास्तू गुलाबी प्रकाशझोताने झळाळल्या आहेत. वांद्रे-वरळी सी-लिंकवरही शुक्रवारपासून असाच गुलाबी प्रकाशझोत टाकण्यात आला आहे. ११ ऑक्टोबरपर्यंत सी-लिंक असा गुलाबी दिसणार आहे.



रंग नवरात्रीचे

नवरात्रीचे नऊ दिवस जागरण, उपवास आणि दांडियाच्या जल्लोषाने उजळून निघतील. वेगवेगळे रंग ही तर या सणाची खासियत. या रंगांना कोणताही धार्मिक आधार नसला तरी एकाच रंगाचे वस्त्र परिधान करून एकता, समता आणि सुरक्षिततेचा संदेश देत स्त्री-शक्तीचा जागर होणार आहे..............................

http://www.saamana.com/

Suvojit BhattacharjeeBANCHAR AARJEE (বাঁচার আরজি)

Follow · 16 hours ago

Rajiv Nayan Bahuguna
मेरे पिता --३७
लालू प्रसंग
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दोस्तों , हम देहातियों के लिए ट्रेन का ए सी डिब्बा किसी स्वप्न लोक से कम नहीं था . मैंने अपने जीवन में पहली बार ए सी १९७८ में देखा , जब हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्र में मंत्री थे . जनवरी की एक ठिठुरती शाम को मुझे उनके प्रकोष्ठ में भेजा गया . वहां से गरमी का भभका उठा . मैं घबरा कर बाहर भागा , मुझे लगा कि कमरे में आग लग गयी है . क्योंकि अब तक मैं बाहर बरामदे में ठण्ड से ठिठुर रहा था . वहां उनके अन्तः प्रकोष्ठ में ए सी का ब्लोअर चल रहा था . मुझे पुनः उनके कक्ष में जाने का आदेश हुआ , पर मैं न माना और राज घाट की बस पकड़ ली , जहाँ मैं रुका था . उसके कुछ ही माह बाद मई में मैं पुनः हेमवती बाबू के दफ्तर में बुलवाया गया . कुछ देर बैठा ही था , कि मेरी देह ठंडी होने लगी . मुझे लगा कि मेरे देवताओं ने मेरी अंतिम पट कथा लिख दी है . इस चिलचिलाती गरमी में हरसिल जैसी ठण्ड का रहस्य मैं समझता भी तो कैसे ? मुझे लगा की ईश्वर ने , जिसकी मैं बहुधा खिल्ली उड़ाता रहत हूँ , मुझे मेरे पापों का दंड दे दिया है , और अब इस पृथ्वी नामक उपग्रह पर मैं कुछ ही क्षणों का मेहमान हूँ . ए सी के असली मज़े कयी दशक बाद हमें लालू बाबू ने ही दिलवाए ( जारी )
Rajiv Nayan Bahuguna
मेरे पिता ---३८
लालू प्रसंग
जब रेल पास रद्द हुआ तो भारी आफद आई . ममता बनर्जी के दरबार में भी गए , पर उन्होंने हाँ - हूँ करके टाल दिया . शेष पास धारकों को कोई दिक्क़त थी नहीं , सब हवायी जहाजों के यात्री थे . शुभ चिंतकों ने सलाह दी - यह पगली आपका पास रिन्यू नहीं करेगी . अब एक ही चारा है कि फ्रीडम फाइटर का सरकारी दर्ज़ा हासिल कीजिए , तो पास मिल जाएगा . वह दर्ज़ा पहले यह कहते हुए ठुकरा दिया गया था कि मैंने कोई सुविधा लेने के लिए आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी है . हार कर , झख मार कर फ्रीडम फाइटर का दर्ज़ा पाने के लिए अर्जी दी . वह मामला भी लाल फीता शाही में उलझ कर रह गया . प्रधान मंत्री अटल विहारी वाजपेयी और गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवानी दोनों से मिले . दोनों सम्मान करते थे . पर बात नही बनी . भाजपा में ऐसा कहने वालों की भी कमी न थी कि सरकार से मुफ्त रेल पास ले कर यह बुड्ढा देश भर में घूम घूम कर सरकार के ही खिलाफ आग सुलगाता है . वह दर्ज़ा और पेंशन भी बाद में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री बनने पर स्वामी चिन्मय नन्द ने दिलवाया . खैर..
मैंने अपने पिता को सलाह दी कि रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव से मिलिए , वह चट से आपका काम करेंगे . लेकिन लालू के पास जाने में उन्हें संकोच था , क्योंकि लालू और मेरे पिता दोनों एकाधिक बार सार्वजनिक तौर पर एक दुसरे की खिल्ली उड़ा चुके थे . लालू ने एक टी वी शो में कहा था - सड़क , बाँध , पुल कुछ भी विकास का काम करो , तो सुंदर लाल बहुगुणा आड़े आ जाता है . जबकि मेरे पिता दक्षिण के एक अखबार द्वारा आयोजित सभा में कह चुके थे - आप लोग उत्तर भारत से भी अखबार निकालिए , क्योंकि राज नीति को दूषित करने वाले लालू - झालू सब वहीँ हैं . दोनों को एक दूसरे के कथन की जानकारी थी . लेकिन मैंने अपने पिता से कहा - लालू बाबू हंसोड़ हैं , और बड़े दिल के भी हैं . वह कोई बात दिल में नहीं रखते . आप निसंकोच उनसे मिलिए ( जारी )

Afroz Alam Sahil

about an hour ago


BeyondhHeadlines की एक ख़बर (http://beyondheadlines.in/?p=17992) पर हमारे Kuboolभाई ने अपने मैग्ज़ीन में लिखा है... इसके लिए भाई का शुक्रिया...



खुले से कमोड तक, शौचनीय है यह मसला ?


देखो गधा मूत रहा है । यहाँ पेशाब करना मना है । तुम्हारा बाप पेशाब कर रहा है । पेशाब करने पर जुर्माना । हिन्दुस्तान के किसी भी शहर के दर ओ दीवार को देखिये शौचालय की कमी से जूझते ऐसे नारे मिल जायेंगे । हम खुले में शौच करते हैं । जहाँ भी खुला देखते हैं शौच करते हैं । बर्फ़ी फ़िल्म का नायक जब पेशाब कर रहा होता है तब सामने के खेत में काम कर रहे मज़दूर अचानक खड़े हो जाते हैं और बर्फ़ी हड़बड़ा कर चेन बंद करता है । ऐसे कई प्रसंग आपको हिन्दी सिनेमा में भी दिख जायेंगे ।


खुले में शौच करना शहरों के विस्तार के साथ साथ एक समस्या के रूप में देखा जाने लगा है । आज भी आधा हिन्दुस्तान खुले में शौच करता है । हमारी भी यात्रा खुले में शौच करने से बंद बाथरूम की रही है । बचपन में खेलते खेलते जब छत पर पहुँच जाते थे तो छत पर इंगलिस लैंट्रीन का सामान पड़ा देख हैरानी होती थी । बाद में यही इंगलिस इंडियन स्टाइल के नाम से मशहूर हुआ ।मेरे गाँव में भी किसी सरकारी योजना के तहत इंगलिस लैट्रीन अवतरित हुआ था । लोगों ने बहुत दिनों तक शौचालय ही नहीं बनवाया । कई प्रसंग याद हैं । गाँव के लोगों के । गाँव के लोग जब पटना आते तो शौचालय जाने की बजाय गंगा किनारे तरफ़ चले जाते थे । फ़्लश चलाने के लिए भयानक ट्रेनिंग होती थी । बाल्टी लेकर ज़ोर से पानी मारने का प्रसंग याद है । मैंने ऐसा शौचालय भी इस्तमाल किया है जिसे सर पर मैला ढोने वाले साफ़ किया करते थे । तब इसे लेकर किसी भी प्रकार की संवेदनशीलता नहीं थी । कई साल बाद बिंदेश्वर पाठक ने मैला ढोने वाली महिलाओं पर एक किताब छापी अलवर की राजकुमारियाँ । इसके लिए एक महिला से बात कर उस पर लिखने का मौक़ा मिला । खुद अपराधी जैसा महसूस कर रहा था उनकी बात सुनकर ।


फिर एक दौर आया कमोड से टकराने का । एक गेस्ट हाउस में मेरे दो रिश्तेदार अंदर जाकर लौट आए । बाहर आकर पिताजी से कहा भाई जी पाल्ला ( ठंड) मार दिया, उतरा ही नहीं । दोनों ही बारी बारी से असफल होकर बाहर आ गए थे । कहा कि कमोड पर बैठते ही अइसा ठंडा लगा कि सिकुड़ गया । पिताजी ने सबको अंदर ले जाकर समझाया था कि कैसे इस्तमाल करना है । मैं खुद एक रिश्तेदारी में गया था । कमोड पर बैठने की कला मालूम नहीं थी । जूता पहने उस पर ऐसे बैठ गए जैसे खेत में बैठते थे । कमोड टूट गया । बड़ी शर्म आई । चोट लगी सो अलग ।


भारतीय रेल इस बात की गवाह है कि हम शौच करने के मामले में एक असफल राष्ट्र हैं । फ्लश दबायें इसका भी निर्देश लिखा होता है । तब भी कई लोग फ़्लश भूल जाते हैं । निर्देश न हो तो आधे लोग शौच के बाद फ़्लश दबाना भूल जायें । मग को चेन से बाँध कर रखना पड़ता है कि कही कोई वहाँ से निकाल कर चाय न पीने लगे । यही नहीं रेल में शौचालय की दो राष्ट्रीयता होती है । एक इंडियन और एक इंगलिस । इसी बीच एक बड़ा बदलाव आया है । कमोड का मध्य वर्गीय जीवन में खूब विस्तार हुआ है । अब अपार्टमेंट में इंडियन शैली का शौचालय नहीं होता है । अपार्टमेंट के कई फ़्लैट में देखा है कि लोगों ने स्टडी से जुड़े शौचालय को देवालय में बदल दिया । कमोड ही कमोड । टीसू पेपर पर नहीं लिखना चाहता । हाल ही में एक मित्र ने बताया कि कमोड की सीट को गिरा कर रखा जाता है , उठा कर नहीं ।


तो जनाब एक राष्ट्र के रूप में हमें शौचालय का इस्तमाल करने की व्यापक ट्रेनिंग दी गई जो अभी तक जारी है । हम खुले में स्वाभाविक हैं बंद कमरे में थोड़ा कम । हाँ पुरुषों के खुले में शौच की मानसिकता को मर्दवादी बनावट के तहत भी देखना चाहिए । देर तक रोकने की ट्रेनिंग का सम्बंध इस बात से भी है कि समाज लिंग के मसले को कैसे नियंत्रित करता है । मर्द इस दुनिया के अपने लिंग के अधीन समझता है इसलिए जहाँ तहाँ चालू हो जाता है । दिल्ली जैसे बड़े शहर मे अब कामगार औरतों को मर्दों की तरह फ़ारिग़ होते देखने लगा हूँ । महिलाओं के लिए शौचालय ही नहीं है । घर और कहीं पहुँचने की दूरी से रोकने की सामाजिक और सांस्कृतिक नियंत्रण की ट्रेनिंग कब तक टिकेगी । गाँवों में बरसात के वक्त अंधेरे में शौच के लिए जाती औरतों को सर्प दंश से लेकर बलात्कार और गुज़रती गाड़ियों के हेडलाइट का सितम झेलना पड़ता है । आज भी ।


इस बीच मूर्त विसर्जन की बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए छोटी छोटी टाइलों की खोज की गई जिस पर देवी देवताओं की तस्वीर होती है ताकि लोग जहाँ तहाँ पेशाब करना छोड़ दें । तब किसी की धार्मिक भावना आहत नहीं होती । तब वीएचपी और बीजेपी को नहीं दिखता । आपको इसी दिल्ली के कई अपार्टमेंट के बाहर की दीवार पर ऐसी टाइलें मिल जायेंगी । कई दफ़्तरों में सीढ़ियों के कोने में देवी देवता वाली टाइल मिलेगी जो थूकने से लेकर मूतने तक को रोकने के लिए लगाईं गईं हैं ।


शौचालय को लेकर हम साम्प्रदायिक जातिवादी और अंध राष्ट्रवादी भी हैं । अंबेडकर ने सही कहा कि यह सिस्टम अछूतों से हिंदुओं की गंदगी और मल उठवाता है । कई लोग शौचालय को पाकिस्तान कहते हैं । फ्रांस और ब्रिटेन के बीच जब साहित्यिक सर्वोच्चता को लेकर दावेदारी होती थी तो फ़्रेंच ने कमोड की सीट की जगह शेक्सपीयर की किताब बना दी थी यानी वे शेक्सपीयर को पखाना करने लायक समझते हैं । पहले अंग्रेज़ी अख़बारों का सप्लिमेंट शौचालय में पढ़ा जाता था आजकल आईपैड भी जाता है । लोग वहाँ से भी ट्वीट करते हैं । दिल्ली में बिंदेश्वर पाठक ने शौचालय म्यूज़ियम बनाया है कभी वहाँ जाकर देखियेगा ।


जैसे जैसे शहरीकरण का विस्तार होगा शौच की समस्या उग्रतर होती जाएगी । हो रही है, अब इसे शर्म के रूप में देखा जा रहा है । पहले जब बंद कमरे में शौच नहीं था तब यह शर्मनाक नहीं था । शौचालय और देवालय के विवाद में पहले बीजेपी ने मूर्खता की और अब मोदी के बयान के बाद की चुप्पी उसी मूर्खता का विस्तार भर है । बेवजह दोनों पक्ष बयान की कापी निकाल कर पढ़ रहे हैं । कांग्रेस हो या बीजेपी सबकी सरकारों का रिकार्ड ख़राब है इस मामले में । एक अच्छी शुरूआत हो रही थी मगर व्यक्तिवादी राजनीति के चरित्र ने उसका गला घोंट दिया । यह मुद्दा ज़रूरी है । इसमें जयराम या मोदी किसी ने भी धार्मिक भावना को आहत नहीं किया है । हाँ दोनों तरफ़ के मूर्ख आहत हो गए हैं । मूर्खों के लिए एक आहतालय बनाने की ज़रूरत है ।


साभार : Ravish Kumar


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