मौद्रिक कवायद अब वैश्विक
मुद्रा बाजार में रंगे हाथों
को धोने के लिए
फिर दौड़े मुद्राकोष
की शरण में
देश नीलामी के लिए
আধার নিয়ে সুপ্রিম কোর্টের রায় বদলাতে আর্জি তেল সংস্থাগুলির
सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिए केवाईसी नियमों में ढील दी
The government is mulling a new corporation, to be set up by pooling the funds from cash-rich public sector enterprises, for acquiring overseas assets as well as raising money abroad
Rupee, other forex manipulations face global regulatory probe
RBI announces measures to improve liquidity, cuts MSF rate by 50 bps to 9%
पलाश विश्वास
मौद्रिक कवायद अब वैश्विक
मुद्रा बाजार में रंगे हाथों
को धोने के लिए
फिर दौड़े मुद्राकोष
की शरण में
देश नीलामी के लिए
सेबी ने ढील दे दी है
विदेशी निवेशकों के लिए
केवाईसी नियमों में
भारतीय शेयर बाजार आज उठा-पटक के दौर से गुजरा। शुरुआत में गिरावट आने के बाद घरेलू स्तर पर कुछ खबरों ने बाजार को प्रोत्साहित किया। इंफ्रास्ट्रक्चर को राहत और जल्द सस्ते कर्ज का ऐलान होने की उम्मीद से बाजार में शानदार रिकवरी आई। सेंसेक्स 20.85 अंक यानी 0.10 फीसद गिरकर 19,895.10 और निफ्टी 1.15 अंक यानी 0.02 फीसद गिरकर 5,906.15 पर बंद हुए। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर 0.5 फीसद मजबूत हुए। खराब एशियाई संकेत और कमजोर रुपये की वजह से बाजारों ने गिरावट के साथ शुरुआत की। निफ्टी 5900 के नीचे खुला। शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स 200 अंक टूटा।
विदेशी निवेशकों का रुझान बनाए रखने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक बड़ा फैसला लिया है। सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिए नियम आसान कर दिए हैं। सेबी ने अपनी बोर्ड बैठक में एफआईआई, क्यूएफआई, सब अकाउंट कैटेगरी को मिलाकर फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर (एफपीआई) नाम से नई कैटेगरी बना दी है।
इसके अलावा सेबी ने विदेशी निवेशकों के लिए केवाईसी नियमों में ढील दी है। साथ ही रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को भी आसान बनाया गया है। विदेशी निवेशकों का अब स्थाई रजिस्ट्रेशन होगा।
सेबी ने ढील दे दी है
केवाईसी नियमों में
विदेशी पूंजी के लिए
आवारा पूंजी कहां से
आयी, कहां जायेगी
किस किसको खरीद
कर करेगी सत्यानाश
कैसे कहां लगेगी और
होगी हमारी बेदखली
जल जमीन जंगल से
किसी को कानोंकान
खबर न हो,पुख्ता
ऐसा इंतजाम
हमें बैंकों में खाता
खोलने,खाता खोलने
के बाद जमा करने को
चेक और नकदी
देने होते हैं पैन नंबर
देने होंगे आधार नंबर
रसोई गैस से लेकर तमाम
जरुरी सेवाओं के लिए
अनिवार्य कर दी गयी है
केवाईसी नागरिकों के लिए
लेकिन केवाईसी कतई जरुरी
नहीं है विदेशी निवेशकों के लिए
पीएफ की सीलिंग बढ़ाकर
हो रही पंद्रह हजार ताकि
ज्यादा से ज्यादा रकम
कर्मचारियों के वेतन से
निकालकर झोंके बाजार में
संसदीय निष्क्रियता में
राजनीतिक विकलागंकता में
हम धर्मांध मूर्ति पूजकों
की आस्था इतनी बम बम
कि श्रम कानून सारे बदले
दिये और सारी सरकारी
कंपनियां निलाम पर
जेसप के बाद बंगाल में
बिकने को तैयार हल्दिया
नबान्न पर कारपोरेट
मेहरबानी है, कारपोरेट पूजा
अब राजकीय पुजा
महिषासुर वध राजकीय
राजसूय यज्ञ यह
सर काटकर सीधे
चढ़ा नहीं सकते
फलों की बलि होती है
नारियल फोड़े जाते हैं
शुभ रस्म निभाने का
जो हमारे ही नरमुंड हैं
हर गली में हर मोड़ पर
चंडीपाठ का तांडव है
हर गली हर मोड़ पर
सोडा कियोस्क सज गये
चाहे बीयर लो, या रम
शीतल पेय और लस्सी
की तरह,फास्ट फूड की तरह
उपलब्ध है हर कहीं
हर मोहल्ले में भोज है
हर किसी को मुआवजा
हर मोहल्ले में बार हैं
देश चूंक नीलामी पर है
पनवेल नयी मुंबई में
बहुत भद्रजन हैं,जिन्हें
मालूम ही नहीं कि
नयी मुंबई सेज में खपे
गांवों को मुआवजा नहीं
मिला है अभीतक
अब नियम हुआ है
के एकक व्यक्ति कंपनी
बनाने के लिए पर्याप्त
पब्लिक इश्यु से बाजार
से हमारी जमा पूंजी
लूटने का नायब तरीका
यह भी, एअर इंडिया तो
गया ही, बिकेगा एसबीआई
औरएलआईसी ओएनजीसी,
तेल कंपनियों के बाद
बिक जायेंगे सारे एअरपोर्ट
सारे जल थल हवाई मार्ग
सारे के सारे बंदर गाह
पूरा देश अब शैतानी
गलियारा है जायनी
अंध भक्तों की आंखों
पर अब भी पट्टी है
पुतलियां तो सौंप दी
निलेकणि को
विनिवेश और सुधारों के
दूसरे चरण के लिए
अंधाधुंध घोटालों के लिए
जमीन पक रही है
हमें डियोड्रेंट राष्ट्रवाद की
महक में पकाया जा रहा है
जैसे पीपीपी माडल है गुजरात
वैसा पीपीपी माडल होगा बंगाल भी
इसी लिए सजा नवान्न है
इसीलिये बिना पितरों के तर्पन
लाउडस्पीकर पर चंडीपाठ
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के
राष्ट्रपति बेल्जियम जाकर
कर रहे चंडीपाठ
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अमेरिका की घटनाओं का पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा तथा भारतीय अर्थव्यवस्था का नरमी से उबरना बाहय परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। मुखर्जी ने कहा कि अमेरिका में सरकार की बंदी के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम ही टिप्पणी कर सकते है, मैं सामान्य रूप से यही कह सकता हूं कि हम चाहेंगे कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार तेजी से हो पर निश्चित रूप से विश्व बाजार से जुड़ी हमारी जैसी अर्थव्यवस्था के लिए यह केवल हमारे प्रयासों पर ही निर्भर नहीं करता।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्वबैंक की सालाना बैठकों में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को अमेरिका रवाना हो रहे हैं। इस दौरान वह वाशिंगटन में अन्य देशों के नेताओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता पर बातचीत करेंगे।
चर्चा में बुपक्षीय वित्तीय संगठनों के संचालन, खास कर बहु-प्रतीक्षित कोटा व्यवस्था में सुधार पर भी चर्चा होगी। जिससे भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को फायदा होगा। चिदंबरम 16 अक्टूबर को वापस लौटेंगे।
इन सालाना बैठकों के लिए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम भी वहां जा रहे है।
असुरों का हो जाये सफाया
इसीलिए मातृपक्ष में
माता के नाम नरमेध
का आयोजन सर्वत्र
देवी जागरण है सर्वत्र
जनजागरण कहीं नहीं
प्रतिपदा पर है उत्सव
आस्था की हो रही नीलामी
धर्मांध हम समझ नहीं रहे
धर्मोन्माद का कारपोरेट खेल
सारी नीतियां बदल रही हैं
कोई हिसाब नहीं
सारे घोटाले हजम हो गये
हम खुश है कि चलो
चारा घोटाले में सजा हो
गयी ओबीसी लालू को
बाकी घोटाले सिरे से
रफा दफा सन सैंतालिस से
चल रहा सिलसिला
मुद्रा बाजार में घोटाले
से डालर का यह वर्चस्व
इंडिया इंक की भूमिका का
भी हो रहा खुलासा
यूरोप अमेरिका से
असांज धमाके होने लगे
राज खुलने लगा
सेनसेक्स फिक्स
सेक्सी आईपीएल
हम चियरनों के जलबे
उत्सव, कैसिनो और रियलिटी
शो में ही अटके रहे
घोटाला पकड़ में न आये
तो घोटाले को कानूनी जमा
पहनाने का भी पुख्ता इंतजाम
जाहिर है कि अबाध
पूंजी प्रवाह से
भारत के चप्पे चप्पे
पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से
संस्थागत निवेशकों के
इंडिया इंक से गठजोड़ से
सरकार थाम रही है रुपया
और हम बेहद खुश हैं
नीति निर्माण की कोई
खबर नहीं है कहीं
किसी को कानोंकान
खबर नहीं है
अंधाधुंध खर्च सरकारी
कहां से होता है
और
कहां जाता है रुपया
बहरहाल भारत
लोकगणराज्य है
कहने को संविधान
भी है किसी अंबेडकर
का लिखा हुआ
लोकतंत्र भी है क्योंकि
हम वोट देते हैं
और कानून का राज
भी है ,लेकिन सरेआम
हो रहा असुरों का वध
Saradindu Uddipan posted in Conscious Bengal সচেতন বাংলা
আধার নিয়ে সুপ্রিম কোর্টের রায় বদলাতে আর্জি তেল সংস্থাগুলির সরাসরি নগদ ভর্তুকি পেতে আধার কার্ড বাধ্যতামূলক নয়৷ সুপ্রিম কোর্টের এই রায়ের বদল চেয়ে আইনের দ্বারস্থ হতে চলেছে তিনটি রাষ্ট্রায়ত্ত তেল বিপণনকারী সংস্থা৷ সোমবার সর্বোচ্চ আদালতে মুখ্য বিচারপতি পি সতশিবম এবং বিচারপতি রঞ্জন গগৈর বেঞ্চকে এ বিষয়ে জরুরি শুনানি শুরু করার আর্জি জানাবে ইন্ডিয়ান অয়েল, বিপিসিএল ও এইচপিসিএলের মতো সংস্থা৷ এ ছাড়া তেল ও পেট্রোলিয়াম মন্ত্রকও সংশ্লিষ্ট রায়ের বিরুদ্ধে শুনানি শুরু আর্জি জানিয়েছে৷ মঙ্গলবার সেই আর্জির উপর শুনানি দেবে বিচারপতিদের এই বেঞ্চ৷ রাষ্ট্রায়ত্ত তেল সংস্থাদের তরফে আইনজীবী খুশবু জৈন বলেছেন, সুপ্রিম কোর্টের এই রায় জনমানসে সংশয় সৃষ্টি করেছে৷ যারা আধার কার্ড করে ফেলেছেন তারা এখন সরাসরি নগদে ভর্তুকি বা ডিরেক্ট বেনিফিট ট্রান্সফার পাওয়া নিয়ে সন্দেহ প্রকাশ করছেন৷ ভর্তুকি যুক্ত সিলিন্ডার কিনতে ডিবিটি পাওয়া যাবে কিনা তা নিয়ে অনিশ্চয়তা সৃষ্টি হয়েছে৷ এই অসুবিধার কথা জানিয়েই ২৩ সেপ্টেম্বরের নির্দেশকে বদলানোর আর্জি জানাবেন অতিরিক্ত সলিসিটর জেনারেল নাগেশ্বর রাও৷ বর্তমানে দেশের ৫৪টি জেলায় ভর্তুকি যুক্ত রান্নার গ্যাসের জন্য সরাসরি নগদ বা ডিবিটি দেওয়া হচ্ছে৷ এই প্রকল্পকে আরও ২৩৫টি জেলায় সম্প্রসারিত করার ভাবনা রয়েছে সরকারের৷ কিন্ত্ত গত ২৩ সেপ্টেম্বর বিচারপতি বি এস চৌহানের নেতৃত্বাধীন বেঞ্চ বলেন, আধার কার্ড না পাওয়ার জন্য কোনও ব্যক্তি যেন সরকারের ভর্তুকি প্রকল্প থেকে বঞ্চিত না হন৷ আধার কার্ড দেওয়ার সময় সরকারের খেয়াল রাখা উচিত, আদৌ সেই ব্যক্তি এই পরিচয়পত্রের যোগ্য কিনা, এ দেশে অনুপ্রবেশকারী বেআইনি বাসিন্দা কিনা৷ কর্নাটক হাইকোর্টের প্রাক্তন বিচারপতি কে পুট্টাস্বামী আধার কার্ড ইস্যুর বিরোধিতা করে কেন্দ্র, যোজনা কমিশন এবং ইউনিক আইডেন্টিফিকেশন অথরিটি অফ ইন্ডিয়ার বিরুদ্ধে জনস্বার্থ মামলা করে৷ তারই পরিপ্রেক্ষিতে সুপ্রিম কোর্ট এই রায় দেয়৷ এই নির্দেশের বদলে চেয়ে দাখিল করা আবেদনে তেল ও পেট্রোলিয়াম মন্ত্রক বলেছে, ভর্তুকিহীন রান্নার গ্যাস কিনতে আধার কার্ডের প্রয়োজন নেই৷ তবে ভুর্তুকি যুক্ত রান্নার গ্যাস কিনতে আধার কার্ড লাগবেই৷ কেন্দ্রে অনুরোধ, সুপ্রিম কোর্ট তার নির্দেশ বদল করে বলুক, বাজারদরে রান্নার গ্যাস কিনতে কাউকে বাধা দেওয়া যাবে না, কিন্ত্ত ভর্তুকি যুক্ত সিলিন্ডারের কালো বাজারি ঠেকাতে এবং সরাসরি ভর্তুকি পেতে আধার কার্ড লাগবেই৷ মঙ্গলবার পেট্রোলিয়াম মন্ত্রকের এই আবেদন খতিয়ে দেখবেন সতশিবম-গগৈর বেঞ্চ৷ |
बैंक लाइसेंस प्रक्रिया को नियमित करेगा आरबीआई
देश के विभिन्न क्षेत्रों तक बैंकिंग सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने आज कहा कि वह बैंक लाइसेंस प्रक्रिया को और खुला तथा नियमित बनाने पर विचार कर रहा है।
केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि जरूरत पडऩे पर वह बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की व्यवस्था को सबके लिए खुला बना सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) डिप्टी गवर्नर के.सी. चक्रवर्ती ने यहां कहा, 'इम इन विचारों को आगे ले जाना चाहते हैं। हम क्षेत्र में जरूरी सुधार और नियमन के वास्ते विस्तृत कार्ययोजना तैयार करेंगे और संबंद्ध पक्षों से उनके सुझाव और टिप्पणियां मिलने के बाद लाइसेंस प्रक्रिया को अधिक नियमित और खुला बनाएंगे।'
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक पारदर्शिता और उद्यमिता के उच्च मानकों के मुताबिक नए बैंक लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में है। आरबीआई ने भारत में बैंकिंग क्षेत्र पर चर्चा पत्र पेश किया है जिस पर नियामक ने संबद्ध पक्षों से टिप्पणी मांगी है।
उन्होंने कहा, 'दस्तावेज में छोटे बैंकों और थोक कारोबार करने वाले बैंकों के लिए अलग-अलग लाइसेंस देने, लगातार लाइसेंस देने और बड़े शहरी सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों में बदलने की संभावनाओं की तलाश की गई है।'
फिलहाल केंद्रीय बैंक नए बैंक लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में है जिसके लिए उसे 26 सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की इकाइयों से आवेदन मिले हैं। आरबीआई जनवरी 2014 तक लाइसेंस जारी कर सकता है।
शीर्ष बैंक ने इन आवदेनों की जांच के लिए पूर्व गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक वाह्य समिति गठित की है।
चक्रवर्ती ने कहा, 'आरबीआई निजी क्षेत्र की इकाइयों को बैंकिंग लाइसेंस प्रदान करने पर विचार कर रहा है ताकि बैंकिंग प्रणाली का इतना विस्तार हो सके कि वह आधुनिक अर्थव्यवस्था की जरूरत पूरी कर सके और बैकिंग सेवा की पहुंच बढ़ सके।'
दिल्ली में बजेगी वीडियोकॉन की घंटीवीडियोकॉन टेलीकम्युनिकेशंस ने आज कहा कि उसने एक बार फिर राष्ट्रीय टेलीकॉम ऑपरेटर बनने की योजना बनाई है। वह आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी में हिस्सा लेगी। ऑपरेटर सबसे खर्चीले टेलीकॉम सर्किल दिल्ली के लिए बोली में हिस्सा लेगी। टीआरएआई द्वारा हाल ही में स्पेक्ट्रम नीलामी दरों में 60 प्रतिशत की कटौती करने के फैसले से उत्साहित कंपनी ने और ज्यादा स्पेक्ट्रम खरीदने योजना बनाई है, जो 7 सर्किलों में सेवा प्रदान करती है। वीडियोकॉन टेलीकॉम के सीईओ अरविंद बाली ने कहा, '900 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए आरक्षित आधार मूल्य में भारी कमी किया जाना बेहद आकर्षक है। |
अब यह भी देख लीजिये
वित्तीय और मौद्रिक नीतियों
में रेटिंग और आंकड़ों का खेल
निर्यात में गिरावट का हवाला देते हुए सरकार की ओर से चालू खाता घटने की उम्मीद बांधे जाने को वैश्विक साख निर्धारण संस्था मूडीज ने देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत बताया है। मूडीज ने कहा है कि मई और जून की अपेक्षा जुलाई में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े आईपीपी बेहतर होने के बावजूद यह आर्थिक सुस्ती की ओर इशारा कर रहे हैं। औद्योगिक उत्पादन के अगस्त महीने के आंकड़े इस सप्ताह के आखिर में और निर्यात आंकड़े अगले सप्ताह के शुरू में आने वाले हैं।
मूडीज का मानना है कि अगस्त में औद्योगिक उत्पादन में महज एक प्रतिशत की बढ़त रहने की संभावना है, जबकि जुलाई में यह आंकड़ा 2.6 प्रतिशत रहा था। मूडीज के मुताबिक जुलाई महीने में आइपीपी के आंकड़ों में सुधार के बावजूद देश के विनिर्माण क्षेत्र का आधार डगमगा रहा है। घरेलू मांग में सुस्ती बनी हुई है। जटिल कर ढांचे और कमजोर आधारभूत संरचना के कारण आपूर्ति पर दबाव है। ऐसी स्थिति में जबतक कारोबारी भरोसा बहाल नहीं हो जाता तबतक औद्योगिक उत्पादन सुस्ती से उबर नहीं पाएगा।
रेलवे की बाजीगरी, 66% तक ज्यादा किराया देना होगा
नवभारतटाइम्स.कॉम | Oct 7, 2013, 11.47AM IST
रेलवे किराए में बढ़ोतरी
नई दिल्ली।। ईंधन समायोजन घटक यानी फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट (एफएसी) लागू होने से सोमवार से सभी श्रेणियों के किराए में दो फीसदी की बढ़ोतरी के चलते यात्रियों को अब अपनी जेब ढीली करनी होगी। नए किराए उन टिकटों पर भी लागू होंगे, जो 7 अक्टूबर या उसके बाद की यात्रा के लिए पहले ही जारी कर दिए गए हैं। हालांकि उपनगरीय रेलों में सेकंड क्लास के टिकटों और मासिक टिकटों के किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
रेल किराया भले ही दो फीसदी बढ़ा है, लेकिन राउंड ऑफ सिस्टम का फॉर्म्युला लागू होने से यात्रियों को 66% तक ज्यादा किराया देना होगा। सामान्य टिकटों के लिए राउंट ऑफ 5 रुपये का होगा, जबकि रिजर्व टिकटों का राउंड ऑफ 10 रुपये होगा। मसलन, यात्रियों को अब पैसेंजर ट्रेनों में 11 से लेकर 14 रुपये तक का किराया होने पर 15 रुपये अदा करने होंगे। इसी तरह 16 से 19 रुपये किराया होने पर 20 रुपये देने होंगे। इससे उन पर दो से लेकर 4 रुपये तक अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसी तरह रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों को यह किराया 10 के गुणक में देना होगा। अगर किसी यात्री का टिकट 211 रुपये का है तो उससे 220 रुपये लिए जाएंगे। रेलवे ने भले ही फुटकर की दिक्कत को मूल वजह बताई है, लेकिन यह रेलवे की बाजीगरी है। इससे रेलवे ने कागजों पर जो बढ़ोतरी दिखाई है, उससे कहीं ज्यादा आय होगी।
दूरंतो ट्रेनों का किराया राजधानी के बराबर
आज की बढ़ोतरी के बाद मेल/एक्सप्रेस, शताब्दी और राजधानी ट्रेनों के किरायों में 5 रुपये से लेकर 95 रुपये तक की वृद्धि होगी। इसके अलावा दूरंतो ट्रेनों का किराया राजधानी/शताब्दी ट्रेनों के बराबर हो जाएगा और इसमें 100-120 रुपये तक का अतिरिक्त इजाफा होगा। सेकंड क्लास (गैर उपनगरीय) के किरायों में चुनिंदा दूरियों के लिए पांच रुपये तक की वृद्धि होगी, जबकि बाकी सभी दर्जों (स्लीपर, थर्ड एसी, सेकंड एसी, फस्र्ट एसी और एसी चेयरकार) के किरायों में 10 रुपये से लेकर 95 रुपये तक की वृद्धि की जा रही है। सेकंड क्लास के उपनगरीय और मंथली सीजन टिकट (एमएसटी) के किरायों को एफएसी की वृद्धि से मुक्त रखा गया है। एफएसी के अनुसार किरायों में अगली समीक्षा अब अप्रैल में होगी।
लोकल के किराये भी बढ़ गए
रेलवे ने सोमवार से एक्सप्रेस व सुपरफास्ट ट्रेनों के किराये बढ़ाने के साथ सेकंड क्लास स्लैब चेंज करने को जो फॉर्म्युला अपनाया है, उससे लोकल ट्रेनों के किराये में भी बढ़ोतरी हो गई है। मसलन, पहले 1 से 30 किलोमीटर तक लोकल ट्रेन का किराया 5 रुपये था, लेकिन नए स्लैब के अनुसार 5 रुपये अब 1 से 20 किलोमीटर तक ही लागू होगा। 20 किलोमीटर से ऊपर जाते ही 10 रुपये अदा करने होंगे। हालांकि एमएसटी के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
यात्री किराये में बढ़ोतरी से रेलवे को इस वित्त वर्ष के बाकी छह महीनों में तकरीबन 450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होने की संभावना है। गौरतलब है कि डीजल आौर बिजली की बढ़ी कीमतों की वजह से 1200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ झेल रहे रेलवे ने यात्री किराया और माल भाड़ा बढ़ाने का फैसला किया। इस बढ़ोतरी को फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट के साथ जोड़ा जा रहा है। एफएसी को यात्री किराये और माल भाड़े के साथ जोड़ने का प्रस्ताव रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने 2012-13 के रेल बजट में दिया था। मालभाड़ों पर एफएसी के दूसरे पुनरीक्षण के तहत की जाने वाली 1.7 फीसद की वृद्धि 10 अक्टूबर से लागू होगी। आपको बता दें कि अभी पहली अक्टूबर से ही व्यस्त मौसम अधिभार के तहत मालभाड़ों में 15 फीसद तक की वृद्धि की गई थी।
Finance Minister P Chidambaram to leave tomorrow for IMF-World Bank meet in Washington
: Finance Minister P Chidambaram will leave for the US tomorrow to attend the annual meeting of the IMF and the World Bank, during which world leaders will deliberate on prevailing uncertainty in global economy.
Discussions will also focus on the much-awaited quota reforms that will benefit emerging economies including India.
Chidambaram is slated to return on October 16. Reserve Bank Governor Raghuram Rajan and Economic Affairs Secretary Arvind Mayaram, among others, will also be attending the annual meetings.
The main meetings are scheduled from October 11-13, 2013 in Washington, while other events will start from October 8.
Sources said Chidambaram will meet US Treasury Secretary Jacob Lew on October 13.
The Finance Minister will, among other things, pitch for more overseas investments into India, which is facing tough economic conditions. India's economic growth fell to a decade low of 5 per cent in 2012-13 fiscal. In the April-June quarter of the current fiscal, it has expanded by only 4.4 per cent.
In a bid to woo foreign investments, Chidambaram will meet Foreign Institutional Investors (FIIs) and hedge fund managers in San Fransisco on October 14, sources said.
As per latest data, FIIs have invested $7 billion in the Indian equity and debt markets so far in 2013.
The visit comes against the backdrop of external sector pressure with the country's foreign exchange reserves dipping by over $15 billion since March, 2013 to $276 billion as on September 27.
Foreign Direct Investment (FDI) into India rose by 12 per cent, year-on-year, to $1.65 billion in July. In the same month of last year, the country had received FDI worth $1.47 billion.
| |||||
The government is mulling a new corporation, to be set up by pooling the funds from cash-rich public sector enterprises, for acquiring overseas assets as well as raising money abroad.
$100 bn unhedged loans: Will it dent India Inc's profits?
Here are the sectors and cos with foreign borrowings that have been hit the most by the rupee's fall, as well as the ones that have gained from it.
-
Apollo, Cooper disagree over $2.5 bn deal value as wrinkles emerge
-
'Others diluting brand equity, but Krispy Kreme will stick to Doughnuts'
US on path to default if Obama won't negotiate: Boehner
I don't want US to default. I am not going to raise the debt limit without a serious conversation about the problems that are driving the debt up, said Boehner.
-
Warning bells: Is US shutdown a brewing African-American revolt?
-
US shutdown taking toll on economy, Fed might delay tapering
अबाध विदेशी पूंजी प्रवाह
से रुक जायेगी रुपये की
गिरावट,इसी दलील पर
दांव पर हैं वित्तीय सुधार
The government is mulling a new corporation, to be set up by pooling the funds from cash-rich public sector enterprises, for acquiring overseas assets as well as raising money abroad.
The government is mulling a new corporation, to be set up by pooling the funds from cash-rich public sector enterprises, for acquiring overseas assets as well as raising money abroad.
The proposal comes at a time when India is looking to attract more overseas investmentsinto infrastructure to boost economic growth, which has turned sluggish in recent times.
"The Finance Ministry has circulated a concept paper asking certain cash rich PSUs to pool in their cash reserves and utilise that to acquire assets abroad," a government official said.
"The corporation will also be mandated to access foreign market to raise money by issuing bonds or any instrument which give better returns," he said, adding that it will help garner funds for infrastructure development.
The Finance Ministry has circulated the concept note to administrative ministries saying that the new corporation could also assist PSUs in foreign acquisition of assets.
Priority would be for acquiring assets in oil and gas and fertiliser segments.
"The PSUs will have to understand that this will be a structured model for overseas acquisitions and fund raising. They have to take a call whether they want to go solo and create a overseas subsidiary themselves or set up the corporation," the official said.
He added that there was a need for PSUs to look out for overseas assets as the availability of domestic resources is limited.
Impacted by domestic as well as international factors, economic growth touched 5 per cent in the last financial year, the lowest rate in a decade.
Meanwhile, the official ruled out the possibility of the government setting up a Sovereign Wealth Fund (SWF).
"SWFs can be formed by those government which have a positive current account balance and fiscal balance. We will need time before we can form such a fund," the official added.
To streamline foreign investment procedures, the Finance Ministryhas asked the DIPP to include warrants in the FDI policy and make it mandatory for holders to make full payment to companies within 12 months.
To streamline foreign investment procedures, the Finance Ministryhas asked the DIPP to include warrants in the FDI policy and make it mandatory for holders to make full payment to companies within 12 months.
"The Finance Ministry has written to DIPP to extend FDI regulations to warrants. The policy should stipulate that the payment by the warrant holder is made within a year of the issuance of the instrument," a government official said.
The move will also help to improve capital inflows as warrant holders will have to make payments within a stipulated time.
"The changes will bring about clarity in foreign investment and the overseas investor will not have to approach the FIPB every time for clearance," the official said.
While the Department of Industrial Policy and Promotion (DIPP) formulates foreign direct investment policy, the Foreign Investment Promotion Board, which is under the Finance Ministry, approves proposals.
Warrants are financial instruments issued by companies and can be converted by holders into equity at a pre-determined price within a specified time.
The government recently liberalised foreign investment norms and raised FDI caps in sectors such as telecom, aviation and retail in a bid to promote foreign investment and combat volatility in the rupee's exchange rate.
Foreign direct investment into India rose 12 per cent to $ 1.65 billion in July from $ 1.47 billion a year earlier.
Rupee, other forex manipulations face global regulatory probe
Reserve Bank today said it will look at easing restrictions on the forex futures market once stability improves in theforeign exchange market.
"Once the stability improves in forex market, we will look at the whole gamut of futures market," RBI Deputy Governor H R Khan said on the sidelines of an event here.
During the morning session, the rupee fell by 21 paise to 61.65 against the dollar due to demand from importers for the US currency.
The local currency had hit an all time low of 68.85 against the dollar on August 28.
"As things stabilise, we will look at more and more relaxations. For examples, in OTC (Over-the-Counter) market, there is requirement of documentations for the underlying. For up to certain small values, we may think that documentation requirement (such cases) can be done away with," he said.
Khan said RBI is in talks with Securities and Exchange Board of India (Sebi) on making the dollar-rupee OTC and futures market trades possibly on a delivery basis.
"Going forward, the best idea is to harmonise both OTC and futures market, both can possibly be delivery-based. We are in discussion with Sebi and going forward will look at this," Khan added.
LONDON/NEW DELHI: As possible manipulation in worldwide forex markets face a global regulatory probe, trades conducted in Indian rupee along with a host of currencies by such manipulators have come under the scanner.
Those suspected to be involved in possible manipulations include some forex traders, as also certain Swiss banks and other European financial institutions, while it is unlikely as yet that any Indian bank orfinancial services firm might be directly involved, sources said.
The issues being probed include possible cartelisation among banks, mostly from Switzerland and some other European countries, in manipulating the foreignexchange rates, as also other manipulative practices adopted by the forex traders.
In most likelihood, the possible manipulation in rupee trades might have taken place outside India, although the role of certain executives at Indian branches of suspected European banks might not be completely ruled out, they added.
Globally, the foreign exchange market is of huge size with daily average turnover of $ 5.3 trillion, as per the Bank of International Settlement (BIS).
While rupee trades account for just about 1 per cent of the global market with a daily average turnover of just about $ 53 billion, nearly half of these trades take place outside India and in jurisdictions outside the direct regulatory supervision of regulators like the RBI and the Sebi.
Amid a sharp plunge in rupee value till a few weeks ago, concerns were being raised about large NDF (Non Deliverable Forward) forex market trades in rupee outside India.
According to BIS, the average daily foreign exchange market turnover in India stands at about $ 31 billion in 2013, which accounts for 0.5 per cent of the global turnover.
However, the daily turnover of rupee trades stands at about $ 53 billion (accounting for a one per cent global market share), which includes $ 50 billion worth trades in the rupee-US dollar transactions.
A huge volume of rupee trades outside India was already a problem area and the latest global regulatory probe into the possible forex market manipulations have now added to the concerns of the Indian regulators, a senior official said, while adding that they would extend all possible support to the global regulatory authorities.
Those looking into the matter mainly include Swiss Financial Market Supervisory Authority FINMA, UK's Financial Conduct Authority (FCA), as also other regulators in Europe and the US, while they are also approaching Indian regulators like Sebi and RBI for the worldwide probe.
Besides the financial sector regulators, competition watchdogs in Switzerland and some other countries are also looking into the matter to probe any possible cartelisation among the banks to manipulate the foreign exchange markets.
Switzerland's FINMA, which was the first to announce this probe, is tight-lipped on details of the investigations or the banks potentially involved. It, however, said it is coordinating closely with authorities in other countries as multiple banks around the world are potentially implicated.
Asked about FINMA's consultations with Indian authorities on this matter or signs of Indian forex market manipulation, a FINMA spokesperson said: "Unfortunately I cannot give any further details...".
The UK accounts for the largest share of 40.9 per cent in the global forex markets, followed by the US at 18.9 per cent, Singapore at 5.7 per cent, Japan at 5.6 per cent, Hong Kong at 4.1 per cent and Switzerland at 3.2 per cent.
While India's share is only 0.5 per cent, the rupee figures among the 20 most traded foreign currencies globally.
While a widening current account deficit (CAD) and fears of capital outflows have been cited as majors reasons for the Indian rupee's recent depreciation, it is believed that speculation in the non-deliverable currency forwards (NDF) market has also pushed down the currency.
Indian market regulator, the Securities and Exchange Board of India (SEBI) is already looking into possible manipulations in currency derivatives, which are forward value contracts for pairs of two currencies including rupee and dollar.
It was suspected that brokers and traders were indulging in unathorised trading of foreign exchange in the spot forex market. These issued were red-flagged to the Reserve Bank of India (RBI). While it is the RBI that mainly regulates the forex market, currency derivatives come under Sebi's jurisdictions and they are traded on the stock exchanges.
From a recent high of 53.80 in April-end, rupee slipped down to a life-time low of 68.85 in August-end compounding problems for an economy that last fiscal grew at its slowest pace in a decade and whose 80 per cent oil needs are imported.
The NDF is a foreign exchange derivative instrument traded over-the-counter, and is operated in currencies that are not freely convertible such as the rupee. The market enables hedging of exchange rate risks, irrespective of any restrictions arising in the currency of origin.
The government officials and regulators in India are also said to have conducted meetings with treasury heads of leading foreign banks, apparently as part of efforts to check the NDF market, where the rupee was being shorted aggressively.
Flush with cash, foreign entities have been suspected of exerting pressure on the rupee in the overseas NDF market. The struggling rupee during a phase hit life-time lows almost on a daily basis.
This downward spiral necessitated a series of actions by the banking regulator RBI, markets watchdog Sebi and the Finance Ministry to support the battered rupee. Helped by these steps, the rupee has gained some lost ground to trade at around 61-62 levels a present.
| |||||
RBI announces measures to improve liquidity, cuts MSF rate by 50 bps to 9%
By ET Bureau | 7 Oct, 2013, 05.54PM IST
NEW DELHI: In a bid to improve liquidity in the banking system, Reserve Bank of India (RBI) on Monday cut the Marginal Standing Facility (MSF) rate by 50 basis points to 9%. In a bid to improve liquidity in the banking system, RBI on Monday cut the Marginal Standing Facility (MSF) rate by 50 basis points to 9%.
Editor's Pick
ET SPECIAL:
Get latest Dollar price updates on your mobile
Is dual power structure bothering Manmohan Singh?
PM's insistence that Rahul take a more active role signals his growing discomfiture with the dual power structure, with Sonia heading UPA and Singh leading the govt.
TCS, Infy, Wipro to gain as US banks outsource more
The top 20 regional banks in the US, including SunTrust & PNC, currently spend $1 bn to $1.5 bn on IT every yr, of which only 20% to 25% is outsourced.
Starting with the Mid-Quarter Review of September 2013, RBI began a calibrated withdrawal of exceptional measures undertaken since July 2013. This was done with a view to normalising liquidity conditions. Accordingly, the MSF rate was reduced by 75 basis points from 10.25 per cent to 9.5 per cent.
According to the RBI press release, open market purchase operations of Rs. 9,974 crore were conducted on Monday to inject liquidity into the system. "On a review of evolving liquidity conditions and in continuation of this calibrated unwinding, it has been decided to reduce the MSF rate by a further 50 basis points from 9.5 per cent to 9.0 per cent with immediate effect," the release said.
RBI will also provide additional liquidity through term repos of 7-day and 14-day tenor for a notified amount equivalent to 0.25 per cent of net demand and time liabilities (NDTL) of the banking system through variable rate auctions on every Friday beginning October 11, 2013. "The notified amount and tenor of the term repo auctions will be announced prior to the dates of the auctions. Detailed guidelines regarding term repos are being issued separately," the central bank said.
On September 20, RBI Governor Raghuram Rajan shocked investors by raising the key repo rate by a quarter point to fight inflation living up to the Chicago School's anti-inflation tradition, even as he partially rolled back some of the liquidity tightening measures to fight the currency slide.
The Reserve Bank of India raised repo rate or the rate at which it lends to banks by 25 basis points to anchor inflation and inflationary expectations. The repo rate is increased to 7.5% from 7.25% with immediate effect.
"The need to anchor inflation and inflation expectations has to be set against the fragile state of the industrial sector and urban demand. Keeping all this in view, bringing down inflation to more tolerable levels warrants raising the repo rate by 25 basis points immediately," Rajan said in the mid-quarter policy review statement.
RBI reduced minimum daily maintenance of the cash reserve ratio from 99% of the requirement to 95%. RBI said that any further change in the minimum daily maintenance of the CRR is not contemplated.
Stating that economic growth has weakened with continuing sluggishness in industrial activity and services, the RBI said the pace of infrastructure project completion is subdued and the start of new projects remains muted.
No comments:
Post a Comment