आप कितने सुरक्षित हैं बंगाल में,यह समझ बूझ कर घर से निकलें अब!
সাতসকালে গুলি চলল কলকাতার রাস্তায়
তৃণমূলের সুনামিতে বামেরা প্রায় নিশ্চিহ্ন, ডুবছে কংগ্রেস
মূল মামলাগুলির সঙ্গেও কুণালকে জুড়ছে পুলিশ
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आप कितने सुरक्षित हैं बंगाल में,यह समझ बूझ कर घर से निकलें अब!दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में नहीं खास कोलकाता में भी कहीं भी कभी भी गोलियां चल सकती हैं और आप बेमौत मारे जा सकते हैं।कानून के रक्षकों की टीम में हैं तमाम तरक के शिकारी निशानेबाज और बेदखली विशेषज्ञ बाउंसर। आपकी जानमाल कितनी सुरक्षित है,इसकी कोई गारंटी नहीं है।इसी बीच पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का जादू कायम है, जहां तृणमूल कांग्रेस ने प्रतिष्ठित हावड़ा नगर निगम सहित पांच निगम में से चार में जीत दर्ज की है। यहां पर पिछले सप्ताह स्थानीय निकाय चुनाव हुआ था।तृणमूल कांग्रेस ने झाड़ग्राम और कृष्णानगर स्थानीय निकायों में विजय हासिल की है तथा मेदिनीपुर में उसका जादू बरकरार है। कांग्रेस नेता अधीर चौधरी के गढ़ बहरामपुर में पहली बार पार्टी को कुछ सीटों पर फतह हासिल हुई है।
कोलकाता के शॉर्ट स्ट्रीट इलाके में एक विवादित संपत्ति स्थल को लेकर गोलीबारी कोई इकलौती वारदात नहीं है बल्कि बेदखली अभियान अब राजनीतिक संरक्षण में सर्वत्र चल रहा है और इन अभियानों में पुलिस की भी सक्रिय हिस्सेदारी है।
मंगलवार सुबह फिर खास कोलकाता में गोली चली।इस गोलीकांड में सुरिंदर पाल सिंह नामक ेक व्यक्ति जख्मी हो गये।यह वारदात नारकेल डांगा पोस्ट आफिस के नजदीक हुई।पुलुस के मुताबिक दो गुटों की लड़ाई के दौरान गोलियां चलीं।सुरिंदर के परिजनों ने पांच लोगों के खिलाप नामजद रपट लिखायी है।
पैंतीस साल के वामशासन को आतंक का पर्याय बताया जाता रहा है,आखिरी गढ़ हावड़ा के ढह जाने के बाद बंगाल में लाल रंग ही गायब होने की नौबत आ गयी है।कामरेडों की बोलती बंद हो गयी है।लेकिन तस्वीर का दूसरा रुख उससे कहीं ज्यादा भयानक नजर आने लगा है।लोग अपनी हिफाजत के लिए सत्ता की शरण में तेजी से भाग रहे हैं।गली गली गांव गांव लाजवाब भगदड़ मची है।बिना चुनाव रोजाना स्थानीय निकायों का रंग बदल रहा है।लोकतंत्र की अजीब सी तस्वीर सामने आ रही है।
शारदा चिटफंड फर्जीवाड़े मामले में सत्तादल के बागी सांसद कुमाल घोष की गिरप्तारी के बाद इनके फेसबुक वाल पर भूतहा ढंग से इस प्रकरणा के जानकार लोगों की लिस्ट टंगी और हट गयी।जिस मुख्यमंत्री ने अन्य दागी सांसदों,मंत्रियों और विधायकों की तरह लंबे समय तक अपने सांसद कुणाल घोष की खाल बचायी,गिर्फतारी सैन पहले कुमाल ने यह कहकर उन्हीं मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा कर दिया कि चिटपंड कारोबार के बारे में केंद्र के बार बार आगाह करते रहने के बावजूद मुख्यमंत्री ने कार्रवाई नहीं की।यह भी खुलासा किया कुमाल ने कि दीदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए ही दीदी को बताकर शारदा मीडिया समूह के सीईओ बनाये गये वे। जबकि उनको इसी हैसियत की वजह से गिरफ्तार किया गया।इसके साथ ही मृत तृणमूल युवा नेता व शारदा समूह की वकील पियाली के साथ परिवहन मंत्री के घनिष्ठ संबंधों का हवाला दिया कुणाल ने।फेसबुकिया भूतहा लिस्ट में कुमाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,सांसद मुकुल राय,सांसद सृंजय बसु,परिवहन मंत्री मदन मित्र समेत दर्जन बर लोगों से शारदा मामले में पूछताछ करने की मांग की।कुमाल की गिरफ्तारी पालिका चुनावों के मतदान के बाद हुई और फेसबुक पोस्ट का खुलासा भी रात को हुआ। इसके राजनीतिक परिणाम कम से कम पालिका चुनावों में इसीलिए दिखा नहीं।
बागी संसाद घोष ने ममता बनर्जी के अलावा 11 दूसरे लोगों से मदद लेने के लिए कहा है. इनमें तृणमूल के महासचिव मुकुल रॉय, खेलमंत्री मदन मित्र और पार्टी के सांसद शुभेंदु अधिकारी के नाम शामिल हैं। घोष ने फेसबुक पर डाले गए अपने एक पोस्ट में कहा, ''जांच में उन लोगों की मदद ली जानी चाहिए जो सेन (शारदा समूह के मालिक सुदीप्त सेन) को जानते हैं और जिन्होंने सारदा समूह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मदद ली थी या दूसरे तरह से कुछ बातें जानते हैं।'' उन्होंने साथ ही कहा कि वह किसी के उपर कोई आरोप नहीं लगा रहे। मजे की बात है कि पुलिस हिरासत में रहने के दौरान सांसद के वाल पर जिस रहस्यजनक ढंग से यह पोस्ट लगा,उसी तरह रहस्यमयढंग से ही वह पोस्ट हटा दिया गया।
घोष ने ममता के अलावा 11 दूसरे लोगों से मदद लेने के लिए कहा है।
फेसबुक पोस्ट में कुणाल ने लिखा है, 'काफी कुछ कहना है। गलत तरीके से मुङो गिरफ्तार किया गया। यह गहरी साजिश है। मैं मीडियाकर्मी हूं। चिटफंड के साथ नहीं जुड़ा हूं। जांच कार्य में सहायता कर रहा थ।.
जितनी बार बुलाया गया, पूछताछ के लिए हाजिर हु।.' कुणाल का कहना था कि कई को बचाने के लिए एकतरफा केस तैयार करने का काम चल रहा था. जांच में जो लोग सहायता कर सकते हैं, उनमें टुटु बोस, सृंजय बोस, सौमिक बोस, रजत मजूमदार, शुभेंदु अधिकारी, मदन मित्र, कृष्णा चक्रवर्ती, बूआ चक्रवर्ती( समीर), केडी सिंह, आसिफ खान, मुकुल राय और ममता बनर्जी शामिल हैं।
यह सभी श्रद्धेय हैं। शारदा मामले की जांच में पुलिस इनकी मदद ले सकती है। लेकिन पुलिस ऐसा कर नहीं रही है। वह कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं। जांच में मदद मांगने की बात कह रहे हैं। कुणाल ने कहा कि कानून के ऊपर कोई नहीं है। यह खुद को बचा कर कहना आसान है। मुङो बदनाम करने का खेल खेला जा रहा है। वह तृणमूल के साथ उसके कठिन समय में थे। तृणमूल के लिए कई के साथ उन्होंने दुश्मनी मोल ली। वह सुविधावादी नहीं हैं। उनके काम व पेशे का इस्तेमाल कर उनकी पीठ में छुरा भोंका गया है। वह राजनीतिज्ञ नहीं हैं और मनी मार्केट के साथ नहीं जुड़े हुए हैं।
शारदा कांड की जांच तुरंत सीबीआइ से करानी चाहिए. किसी पर कीचड़ उछालने की मंशा उनकी नहीं है।
लेकिन पालिका चुनावों के एकतरफा नतीजा के बाद साफ हो गया है कि कोई भी कुछ भी आरोप लगा लें,फिलहाल दीदी की छवि को आंच नहीं आने को है।दीदी का जनाधार दिनोंदिन मजबूत होता जा रहा है,इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है।
लेकिन परिवहन मंत्री मदन मित्र आश्वस्त नहीं है।फेसबुकिया लिस्ट पर उन्होंने चेतावनी दे डाली कि इससे पूरे बंगाल में आजादी से पहले सन 42 की आग भड़क उठेगी।आरोप लगाया सत्ता दल के ही बागी सांसद ने,जिनका लगातार मुख्यमंत्री ने बचाव किया है।इसमें बाकी बंगाल का क्या अपराध।बाकी बंगाल तो दीदी के समर्थन में हैं।जो नहीं हैं,वे बी तेजी से दलबदल कर रहे हैं। तो बंगाल को आग के हवाले करने की धमकी क्यों देने लगे हैं परिवहन मंत्री ,यह समझ से परे है।लेकिन यह समझा जा सकता है कि बंगाल में अब कोई सुरक्षित नहीं है।
शारदा चिटफंड केस में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। घोष को पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है।
कुणाल घोष को रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच बिधान नगर के अडिशनल चीफ जुडिशल मैजिस्ट्रेट अपूर्व कुमार घोष के समक्ष पेश किया गया, जिसके बाद उन्होंने यह आदेश दिया।
पश्चिम बंगाल पुलिस ने तृणमूल कांग्रेस के निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष के उत्तर कोलकाता स्थित आवास पर रविवार को छापा मारा। घोष को शनिवार को शारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार किया गया था।
घोष को भी छापे वाली टीम के साथ लाया गया था। सूत्रों ने कहा कि घोष के घर से एक कम्प्यूटर हार्ड डिस्क भी जब्त की गई। आवास पर छापे की कार्रवाई सुबह ही शुरू हुई और एक घंटे से अधिक समय तक चली। शारदा ग्रुप के मीडिया सेल के सीईओ घोष पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406 और 120बी के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सूत्रों ने कहा कि इस बीच पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि घोष ने शनिवार को फेसबुक पर पोस्ट कैसे किया, जबकि वह पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे। पुलिस ने पाया कि उनके मित्रों में से एक और उनके एक नये चैनल के इनपुट एडिटर सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्ट डालने में शामिल थे। सूत्रों ने बताया कि पुलिस दोनों से पूछताछ कर रही है।
ফের শহরে প্রকাশ্যে গুলি, জখম এক
হিন্দোল দে,এবিপি আনন্দ
Tuesday, 26 November 2013 11:52
শর্ট স্ট্রিটের পর শহরে ফের প্রকাশ্যে গুলি চালানো ঘটনা ঘটল৷ গুলিতে জখম ১৷ ঘটনায় চাঞ্চল্য ছড়িয়ে পড়েছে নারকেলডাঙা এলাকায়৷ পুলিশ সূত্রে জানা গিয়েছে, আজ সকাল সোয়া সাতটা নাগাদ ছেলেকে স্কুলে দিয়ে হেঁটে ফিরছিলেন সুরিন্দর পাল সিংহ নামে এক ব্যক্তি৷ সেই সময় বাড়ির খুব কাছেই নারকেলডাঙা পোস্ট অফিসের সামনে পিছন থেকে তাঁকে লক্ষ্য করে গুলি চালায় দুষ্কৃতীরা৷ গুরুতর আহত অবস্থায় পেশায় ব্যবসায়ী এনআরএস হাসপাতালে ভর্তি৷
প্রাথমিকভাবে পুলিশের অনুমান, গোষ্ঠীদ্বন্দ্বের জেরেই এই ঘটনা৷ পুরানো কোনও শত্রুতার জেরে এই ঘটনা কিনা তাও খতিয়ে দেখছে পুলিশ। জখম ব্যক্তি একটি সংগঠনের স্থানীয় শাখার সম্পাদক বলেও জানা গিয়েছে। গুলি চালনার ঘটনায় পাঁচ জনের বিরুদ্ধে পুলিশের কাছে অভিযোগ দায়ের করা হয়েছে বলে পরিবার সূত্রের খবর। পরিবারের লোকজনও তীব্র আতঙ্কের মধ্যে রয়েছেন । এলাকার বাসিন্দারা স্বভাবতই এই ঘটনায় আতঙ্কিত হয়ে পড়েছেন এই ঘটনায় এখনও কাউকে গ্রেফতার করতে পারেনি পুলিশ।
http://www.abpananda.newsbullet.in/kolkata/59-more/44010-2013-11-26-06-23-37
প্রকাশ্যে গুলি শহরে, আহত ১
এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: সাতসকালে গুলি চলল কলকাতার রাস্তায়। ঘটনায় এক ব্যক্তি আহত হয়েছেন। নাম সুরিন্দর পাল সিং। ঘটনাটি ঘটেছে নারকেলডাঙা পোস্ট অফিসের কাছে। পুলিশ সূত্রে খবর, গোষ্ঠীদ্বন্দ্বের জেরেই এই ঘটনা ঘটেছে। আহতের পরিবারের তরফে নারকেলডাঙা থানায় পাঁচ জনের নামে অভিযোগ দায়ের করা হয়েছে।
স্থানীয় ও পুলিশ সূত্রে জানা গিয়েছে, মঙ্গলবার সকাল সাড়ে সাতটা নাগাদ নিজের ছেলেকে স্কুলের গাড়িতে বসিয়ে বাড়ি ফিরছিলেন সুরিন্দর পাল সিং। তখনই বাইকআরোহী তিন যুবক তাঁর ওপর গুলি চালায়। সুরিন্দরবাবুর বাঁ পায়ে গুলি লেগেছে বলে জানা গিয়েছে। এর পরই ঘটনাস্থল থেকে চম্পট দেয় দুষ্কৃতীরা। সুরিন্দরবাবুকে এনআরএস হাসপাতালে ভর্তি করা হয়েছে। তাঁর অবস্থা আশঙ্কাজনক বলে জানা গিয়েছে। সুরিন্দর পাল সিং আরএসপি-র বিপ্লবী যুব দলের সক্রিয় সদস্য বলে স্থানীয়রা জানিয়েছেন।
ঘটনায় এলাকায় আতঙ্ক ছড়িয়েছে। ঘটনায় মহম্মদ সেলিম নামে এক সমাজবিরোধীর নাম উঠে আসছে। স্থানীয়দের অভিযোগ, দুর্গাপুজো থেকেই এলাকায় দুই গোষ্ঠীর মধ্যে বিবাদ চরমে উঠেছে। সুরিন্দরের ওপর সেলিমের আক্রোশ ছিল। এর আগেও হামলা চালানো হয়েছে সুরিন্দরবাবুর ওপর। এদিন আহতের পরিবারের তরফে নারকেলডাঙা থানায় সেলিম-সহ পাঁচ জনের বিরুদ্ধে মামলা দায়ের করা হয়েছে।
পুলিশ জানিয়েছে, সেলিমের নামে একাধিক অভিযোগ রয়েছে। ঘটনায় এখনও কাউকে গ্রেপ্তার করা যায়নি।
সারদা-বিক্ষোভ, ওয়াকআউট
ব্যুরো রিপোর্ট,এবিপি আনন্দ
Tuesday, 26 November 2013 13:30কলকাতাঃ সারদাকাণ্ডে সিবিআই তদন্তের দাবিতে বিধানসভায় বামেদের আনা মুলতুবি প্রস্তাব খারিজ করে দেওয়া হয়েছে৷ প্রতিবাদে অধিবেশন কক্ষ থেকে ওয়াক আউট করে বামেরা। তাঁদের বক্তব্য, সারদাকাণ্ডে ইতিমধ্যেই তৃণমূলের এক সাংসদ গ্রেফতার হয়েছেন৷ রাজ্যের একাধিক নেতা, মন্ত্রীর নামও উঠেছে৷ সেইকারণে অবিলম্বে সারদাকাণ্ডে সুপ্রিম কোর্টের নজরদারিতে সিবিআই তদন্তের দাবি করেন বাম বিধায়করা৷ কিন্তু বিধানসভার অধ্যক্ষ বামেদের আনা মুলতুবি প্রস্তাব খারিজ করে দেন৷ প্রতিবাদে ওয়েলে নেমে বিক্ষোভ দেখান বাম বিধায়করা৷ এরপরই অধিবেশন কক্ষ ছেড়ে বেরিয়ে আসেন তাঁরা৷
http://www.abpananda.newsbullet.in/kolkata/59-more/44016-2013-11-26-08-03-39
সিপিএমের রক্তক্ষরণ অব্যাহত
ব্যুরো রিপোর্ট,এবিপি আনন্দ
Tuesday, 26 November 2013 09:29
পাঁচ পুরসভার ভোটেও সিপিএমের পরাজয়ের ধারা অব্যাহত৷ ঝাড়গ্রামে ৩০ বছর পর ক্ষমতা হাতছাড়া হওয়ার সঙ্গে সঙ্গে আসন কমে শূন্য৷ হাওড়ায় ফার্স্ট বয় থেকে একেবারে তৃতীয় স্থানে৷ কৃষ্ণনগর, বহরমপুরে এবারও ভোটাররা সদয় হল না সিপিএমের প্রতি৷ মেদিনীপুরেও কমল আসন৷
২০১১-র বিধানসভা ভোটের পর আরও একটা নির্বাচন৷ আরও একবার ধরাশায়ী সিপিএম৷ পাঁচ পুরসভার ভোটে সিপিএমের ফলাফলকে একনজরে দেখলে বিষয়টি এরকম,
৩০ বছর পর ঝাড়গ্রাম পুরসভা হাতছাড়া বামেদের। ঝাড়গ্রামে খাতাই খুলতে পারল না সিপিএম।
৩০ বছর পর হাওড়া পুরসভা হাতছাড়া বামেদের৷ সিপিএম তৃতীয় স্থানে।বহরমপুর পুরসভায় এবারও বামেরা শূন্য।কৃষ্ণনগর পুরসভায় এবারও স্থান হল না সিপিএমের
মেদিনীপুর পুরসভায় তৃতীয় স্থানে সিপিএম৷ গতবারের চেয়েও এবার আসন কমল।
সেপ্টেম্বরে ১২টি পুরসভা, তারপর পঞ্চায়েত নির্বাচন, আর এবার পাঁচ পুরসভার ভোট---সিপিএমের এই হতাশার ছবি সর্বত্র৷ তৃণমূল সরকারের আড়াই বছর পরও যে, মানুষের মনে নতুন করে জায়গা তৈরি করতে সিপিএম ব্যর্থ, তার প্রমাণ ফের একবার মিলল বলেই মনে করছে রাজনৈতিক মহল৷ যদিও, পঞ্চায়েত নির্বাচনের মতোই পুরভোটের ফল বেরোনোর পরও, সেই সন্ত্রাসের অভিযোগকেই দায়ী করছে সিপিএম৷
কিন্তু, রাজনৈতিক মহলে প্রশ্ন, এই তত্ত্ব আর কতদিন আঁকড়ে থাকবে আলিমুদ্দিন? প্রথম থেকে দ্বিতীয়, দ্বিতীয় থেকে তৃতীয়....ক্ষয়ের শেষ কোথায়? অধীর চৌধুরী বলছেন, সিপিএম ক্ষয়িষ্ণু শক্তি৷
বামেদের ধারাবাহিক পরাজয়ের পর পরিস্থিতি এমন জায়গায় পৌঁছেছে, যে, সিপিএমের হার নিয়ে এখন আর কোনও কথা খরচ করারই প্রয়োজন মনে করছে না তৃণমূল৷ তারা শুধু বলছে, এই ফল, মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ওপর মানুষের ক্রমবর্ধমান আস্থার প্রমাণ৷
একের পর এক দুর্গ ভেঙেই চলেছে৷ কিন্তু, তার পরিবর্তে সামান্য ডেরাও তৈরি হচ্ছে না৷ প্রকাশ্যে না বললেও, আড়ালে-আবডালে সিপিএমের অনেক নেতাই স্বীকার করছেন, অন্ধকার সুড়ঙ্গের শেষে আলোর দেখা কবে মিলবে, বুঝে উঠতে পারছেন না তাঁরাও৷ আর ফের একবার সিপিএমের রাজনৈতিক পরাজয়ের পর দলের অন্দরেই উঠছে সেই অবধারিত প্রশ্ন৷ এখনও কি পরাজিত নেতৃত্বে পরিবর্তনের সময় আসেনি?
http://www.abpananda.newsbullet.in/state/34-more/44005-2013-11-26-04-00-02
বকেয়া ডিএর ইস্যুতে আগামিকাল বিধানসভা অভিযান কোঅর্ডিনেশন কমিটি
বকেয়া ডিএ, যখন তখন বদলি সহ একগুচ্ছ অভিযোগে আগামিকাল বিধানসভা অভিযান করবে রাজ্য কোঅর্ডিনেশন কমিটি। তাদের অভিযোগ, এখনও বকেয়া রয়েছে সরকারী কর্মীদের ৩৮ শতাংশ ডিএ।
তা আদৌ মিলবে কিনা তা নিয়ে রয়েছে সংশয়। অভিযোগ আন্দোলন করলেই বদলি করা হচ্ছে সরকারি কর্মীদের। বদলির ক্ষেত্রে মানা হচ্ছে না কোনও নিয়ম। কোঅর্ডিনেশন কমিটির অভিযোগ, রাজ্য সম্মেলনের জন্য তারা যে ফেস্টুন লাগিয়েছিলেন তাও খুলে দেওয়া হয়। এসবেরই প্রতিবাদে আগামিকাল রানি রাসমনিতে জমায়েত করবেন তারা। তারপর বিধানসভা অভিযান হবে। কোঅর্ডিনেশন কমিটির অভিযোগ এবিষয়ে বিধানসভার অধ্যক্ষের সঙ্গে যোগাযোগ করা হলে তিনি সময় দেননি।
তৃণমূলের সুনামিতে বামেরা প্রায় নিশ্চিহ্ন, ডুবছে কংগ্রেস
এই সময়: জলসাঘরের জমিদারের হাল হয়েছে কংগ্রেসের৷ সিপিএম হয়ে উঠেছে আক্ষরিক অর্থেই সর্বহারা পার্টি৷
জমিদারবাবু যেমন জানালা দিয়ে দেখতেন মোটর গাড়ির ধুলোয় ঢাকা পড়ে যাচ্ছে তার প্রিয় হাতি, প্রদীপ ভট্টাচার্য ও মানস ভুঁইয়ারা তেমনই দেখলেন ঘাস ফুলের ঝাপটায় ঝুরঝুর করে ভেঙে পড়েছে তাদের সৌধ৷ পুরভোটে কংগ্রেস ও সিপিএম কার্যত ধুয়েমুছে সাফ৷ অধীর চৌধুরি বহরমপুর পুরসভায় ২৪টি আসনে জিতেছেন বটে, কিন্ত্ত তাঁর ঘুম কেড়ে নিতে পারে তৃণমূলের ভোটের পরিসংখ্যান৷ বহরমপুরে গত বারের পুর নির্বাচনে যেখানে তৃণমূল পেয়েছিল মাত্র ২.৮ শতাংশ ভোট, এ বার সেটা দাঁড়িয়েছে ২৯ শতাংশে৷ বামেদের সরিয়ে তারাই এ বার দ্বিতীয় স্থানে৷ অতঃপর লোকসভায় অধীরকে হারানোর স্বপ্ন দেখতে শুরু করেছে তৃণমূল৷ শুধু বহরমপুরেই নয়, তৃণমূল যে ভাবে কংগ্রেসের দুর্গে একের পর এক আঘাত হানতে শুরু করেছে তাতে বিধান ভবনে বাতি জ্বালানোর লোক খুঁজে পাওয়াই মুশকিল হবে৷ লোকসভায় চতুর্মুখী প্রতিদ্বন্দ্বিতায় কংগ্রেস খারাপ ফলের রেকর্ড করতে পারে বলে রাজনৈতিক মহলের অনুমান৷ অন্তত পুরভোটের ফলাফল সেই ইঙ্গিতই দিচ্ছে৷ তৃণমূলের সর্বভারতীয় সম্পাদক মুকুল রায় বলেছেন, 'পুরভোটে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের উপরই মানুষ আস্থা রেখেছেন৷ আগামী দিনে মালদহ ও মুর্শিদাবাদে কী হয়, তার দিকে নজর রাখুন৷ এই ভোট প্রমাণ করল আমরা একক শক্তিতে লড়ার হিম্মত্ রাখি৷ কাউকে আমাদের দরকার নেই৷' কাউকে মানে কংগ্রেসকে দরকার নেই৷ প্রদেশ কংগ্রেস নেতা মানস ভুঁইয়া গণতন্ত্রের এই রায়কে মান্যতা দিয়ে বলেছেন, 'রাজনীতি এখন ভয়ঙ্কর পরিস্থিতির মধ্যে আছে৷ অনেকেই এখন লাফাচ্ছে যে, অধীর তো বহরমপুরকে বিরোধী শূন্য করতে পারলেন না৷ তাঁদের বলছি, এটাই তো গণতন্ত্র৷'
কী করল সিপিএম তথা বামফ্রন্ট? বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য ও গৌতম দেবরা যতই ঘুরে দাঁড়ানোর স্বপ্ন দেখুন, তাদের দখলে থাকা দু'টি পুরসভা হাওড়া ও ঝাড়গ্রাম তৃণমূলের দখলে এসেছে৷ গত নির্বাচনে হাওড়ায় ৩৩টি আসন পেয়েছিল বামফ্রন্ট৷ এ বারের তাদের ঝুলিতে মাত্র ২টি আসন৷ হাওড়ায় লোকসভা নির্বাচনে তৃণমূল ও বিজেপির মধ্যে বোঝাপড়া হয়েছিল বলে প্রচার করেছিল বামফ্রন্ট৷ হাওড়ায় এ বার বিজেপি একটি আসনই পেয়েছে৷ খোদ মেয়রকে হারিয়ে দিয়েছেন বিজেপি প্রার্থী৷ একটা উইকেট পেলেও সেটা সচিন তেন্ডুলকরের উইকেট৷ টানা তিন দশক বামফ্রন্টের দখলে ছিল ঝাড়গ্রাম৷ গত বার এখানে বামফ্রন্টের আসন ছিল ১৩৷ এ বার মাত্র ১টি৷ তা-ও সেটা পেয়েছে সিপিএম নয়, সিপিআই৷ জঙ্গলমহলের সদর দফতরে তৃণমূলের ফলাফল প্রমাণ করছে, সিপিএমের উপর সাধারণ মানুষের কোনও ভরসাই আর নেই৷ সিপিএমের ঝাড়গ্রাম জোনাল কমিটির সম্পাদক প্রদীপকুমার সরকার সেটা স্বীকার করে বলেছেন, 'মানুষ ওদের পছন্দ করেছে, তাই ভোট দিয়েছে৷' কৃষ্ণনগর ও বহরমপুরে বামফ্রন্ট আসনশূন্য৷ সর্বহারা পার্টি হতে আর বাকি রইল কী! মেদিনীপুরে অবশ্য তারা ৪টি আসন পেয়েছে৷ সিপিএম নেতা সূর্যকান্ত মিশ্রের অভিযোগ, 'হাওড়ায় ব্যাপক হিংসা হয়েছে, মেয়র আক্রান্ত হয়েছেন৷ এটা নির্বাচন নয়, প্রহসন৷'
নদিয়ায় কংগ্রেসের একজনই বিধায়ক ছিলেন৷ অজয় দে৷ তিনি শান্তিপুর পুরসভার চেয়ারম্যানও বটে৷ সোমবার দলবল নিয়ে এই প্রবীণ কংগ্রেস নেতা তৃণমূলে যোগ দিয়েছেন৷ শান্তিপুরে ৩ জন কংগ্রেস বিধায়ক আগেই তৃণমূলে যোগ দিয়েছিলেন৷ সোমবার এলেন আরও ১৮ জন কাউন্সিলর৷ ফলে গত নির্বাচনে যে পুরসভায় তৃণমূলের আসন ছিল শূন্য, সোমবার সেখানে তৃণমূলের কাউন্সিলরের সংখ্যা ২১৷ এক জন কংগ্রেস কাউন্সিলর অবশ্য এখনও দল ছাড়েননি৷ কৃষ্ণনগরেও বামফ্রন্ট খাতা খুলতে পারেনি৷ মমতা সংকীর্তনে অতএব 'শান্তিপুর ডুবুডুবু, নদে ভেসে যায়৷' শঙ্কর সিংহের কুপার্স ক্যাম্প আগেই দখল করেছিল তৃণমূল৷ বহরমপুরের সাংসদ এ দিন সকালেই বলেছেন, 'অজয়বাবুর মতো কংগ্রেস ছেড়ে যাওয়াটা অতি দুঃখজনক৷ কিন্ত্ত তৃণমূল যে দল ভাঙানোর খেলায় নেমেছেন তাতে আমার আশঙ্কা হচ্ছে, এত লোককে তারা জায়গা দেবে কোথায়? সবাই তো কিছু না কিছু আশা নিয়ে দল ছাড়ছেন৷' মুকুলবাবু এর উত্তরে বলেছেন, 'আমাদের দল আমরা সামলাব৷ কারও উপদেশের দরকার নেই৷'
কংগ্রেসের আরও একটি দুর্গ কাটোয়া৷ সেখানকার বিধায়ক রবীন্দ্রনাথ চট্টোপাধ্যায়কে দলে টানতে তোড়জোড় শুরু করছে তৃণমূল৷ রবিবাবুও যদি এর পর ভাঙা হাট ছেড়ে তৃণমূলের দিকে পা বাড়ান, তা হলে অবাক হওয়ার মতো কিছু থাকবে না৷ শুধু নেতারাই নন, কৃষ্ণনগরের ফল প্রমাণ করেছে, সাধারণ ভোটারও মনবদল করেছেন৷ ভোটের আগেই তৃণমূলের দখলে চলে যাওয়া কৃষ্ণনগর পুরসভায় কংগ্রেস ভোটব্যাঙ্ক বলে আর কিছু অবশিষ্ট নেই৷ এই পুরসভার ২৪ টি আসনের ২২ টিতে জিতেছেন তৃণমূলের প্রার্থীরা৷ বিজয়ী দুই নির্দল প্রার্থীও তৃণমূলে যোগ দেওয়ার সম্মতি দিয়েছেন৷ অতএব কৃষ্ণনগর পুরসভায় বিরোধীশূন্য বোর্ডই গড়বে শাসক দল৷ কংগ্রেস নেতা নির্বেদ রায় এই জয়কে 'তৃণমূল ও নির্বাচন কমিশনের যুগ্ম জয়' বলে কটাক্ষ করেছেন৷ তাঁর কথায়, 'যাঁরা কংগ্রেস ছেড়ে এখন তৃণমূলে যাচ্ছেন তাঁরা ভুল করছেন৷ কারণ এটা তৃণমূলের পতনের সময়৷'
পুরভোটের আগে তৃণমূল আশা করেছিল তারা মোট আসনের ৬৫ টি শতাংশ দখল করতে পারবে৷ কিন্ত্ত ফলাফল সেই প্রত্যাশাকেও ছাপিয়ে গিয়েছে৷ লোকসভা ভোটের আগে এই ফলাফল তৃণমূলকে চাঙ্গা রাখবে, তাতে কোনও সন্দেহ নেই৷ কারণ, কংগ্রেস ও সিপিএমের শক্তি তলানির তলানিতে এসে ঠেকেছে৷
মূল মামলাগুলির সঙ্গেও কুণালকে জুড়ছে পুলিশ
এই সময়: সারদা কেলেঙ্কারির মূল মামলাগুলির সঙ্গে ধৃত তৃণমূল সাংসদ কুণাল ঘোষকে যুক্ত করার প্রক্রিয়া শুরু করল পুলিশ৷ সোমবার বিধাননগর কমিশনারেট সূত্রে এমন ইঙ্গিত মিলেছে৷ ইতিমধ্যেই সুদীপ্ত সেন এবং দেবযানী মুখোপাধ্যায়ের বিরুদ্ধে ভারতীয় দণ্ডবিধির ৪২০ ধারা, অর্থাত্ প্রতারণা ছাড়াও অপরাধমূলক ষড়যন্ত্রের মামলা রুজু করেছে পুলিশ৷ সে ক্ষেত্রে কুণালবাবুকে এই মামলাগুলির সঙ্গে যুক্ত করা হলে তাঁর বিরুদ্ধেও সুদীপ্ত সেনের মতো একই ধারায় মামলা শুরু হবে৷ এদিন বিধাননগর কমিশনারেটের গোয়েন্দা প্রধান অর্ণব ঘোষ বলেন, 'সারদা গোষ্ঠীর বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ বৈঠকে কুণালবাবুর উপস্থিতির প্রমাণ আমরা পেয়েছি৷ অথচ মিডিয়া গোষ্ঠীর সিইও হিসেবে ওই সব বৈঠকে তাঁর হাজির থাকার কথা নয়৷' তদন্তকারী অফিসাররা জানিয়েছেন, সল্টলেকের মিডল্যান্ড পার্কে সারদা গোষ্ঠীর সদর দপ্তরে সংস্থার বিভিন্ন শাখার বৈঠক নিয়মিত হত৷ সেখানে বেশ কয়েকটি বৈঠকে কুণালবাবু হাজির ছিলেন, এমন নথি পুলিশের হাতে এসেছে৷
কুণালবাবুর বাড়ি থেকে উদ্ধার কম্পিউটারের হার্ড ডিস্ক ফরেন্সিক তদন্তের জন্য পাঠানো হচ্ছে৷ পুলিশকর্তাদের ধারণা, ওই হার্ড ডিস্কের কিছু অংশ মুছে ফেলা হতে পারে৷ সে জন্যই আপাতত প্রযুক্তির সাহায্য নিচ্ছে পুলিশ৷ কমিশনারেট সূত্রে আরও জানা গিয়েছে, গ্রেপ্তার হওয়ার পরেও তৃণমূল সাংসদের ফেসবুক কী করে সক্রিয় থাকল, তারও পৃথক তদন্ত করা হচ্ছে৷ তাঁর হয়ে ফেসবুকে অন্য কেউ পোস্ট করেছিলেন কি না, সে বিষয়ে খোঁজখবর নিচ্ছেন তদন্তকারীরা৷
এদিকে সারদা-কাণ্ডে আদালতের তত্ত্বাবধানেই ফের সিবিআই তদন্তের দাবি তুলল প্রদেশ কংগ্রেস৷ সোমবার প্রদেশ কংগ্রেস নেতা নির্বেদ রায় বলেন, 'সারদা-কাণ্ডে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের নাম জড়িয়ে গিয়েছে৷ তাই সিবিআই তদন্ত হলেও রাজ্যের পুলিশের উপর অনেকটাই নির্ভর করতে হবে সিবিআইকে৷ সে ক্ষেত্রে আদালতের তত্ত্বাবধানে সিবিআই তদন্ত হলে স্বচ্ছতা বেশি থাকবে৷'
গ্রেপ্তার হওয়ার পর শনিবার রাতেই কুণালবাবু তাঁর ফেসবুক ওয়ালে অভিযোগ করেছিলেন, ৯ জন তৃণমূল নেতা সারদা-কাণ্ডে জড়িত আছেন৷ এ প্রসঙ্গে নির্বেদবাবু বলেন, 'তৃণমূল এখন বলছে, ফেসবুকে কেউ কিছু লিখলে তাকে খুব বেশি গুরুত্ব দেওয়ার দরকার নেই৷ তা হলে কার্টুন আঁকার জন্য যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপক অম্বিকেশ মহাপাত্রকে কেন জেলে যেতে হয়েছিল?' আর এক কংগ্রেস নেতা এবং আইনজীবী অরুণাভ ঘোষ কুণালবাবুর গ্রেপ্তার প্রসঙ্গে পুলিশকে আক্রমণ করে বলেন, 'আমাদের রাজ্যের পুলিশ কতটা অকর্মণ্য, এই ঘটনা থেকেই তা প্রমাণিত৷ এত বড় আর্থিক কেলেঙ্কারি৷ অথচ, তৃণমূলের মাত্র একজন নেতাকেই বারবার জেরা করা হল, এবং শেষ পর্যন্ত তাঁকে গ্রেপ্তার করা হল৷ কিন্ত্ত যে সব ধারায় তাঁকে গ্রেপ্তার করা হয়েছে, তার সঙ্গে সরাসরি সারদা-কাণ্ডের বিশেষ যোগাযোগ নেই৷ একটি সংবাদমাধ্যমের কর্মীদের প্রভিডেন্ট ফান্ডের টাকা না দেওয়ার অভিযোগ রয়েছে কুণালবাবুর বিরুদ্ধে৷ সিবিআই তদন্ত হলেই সব কিছু প্রকাশ্যে আসবে৷'
সারদা কেলেঙ্কারিতে মুখ্যমন্ত্রীর নাম জড়িয়ে যাওয়া নিয়ে বিধানসভায় মুলতবি প্রস্তাব আনতে চান বিরোধী দলনেতা সূর্যকান্ত মিশ্র৷ যদিও অধ্যক্ষ অনুমোদন দেননি৷ পরে বিধানসভার উল্লেখ পর্বে এসইউসি-র বিধায়ক তরুণ মণ্ডল সারদা কেলেঙ্কারি প্রসঙ্গটি উত্থাপন করেন৷ তাঁর প্রশ্ন, 'সারদা কেলেঙ্কারিতে যাঁরা ক্ষতিপূরণ পাননি, তাঁদের কী হবে? সম্পত্তি বিক্রির প্রক্রিয়া কত দিন চলবে?'
আইনজীবী অনিন্দ্যসুন্দর দাস এবং আরও ন'জন আমানতকারী সারদা-কাণ্ডের পুরোনো মামলার ভিত্তিতে সোমবার হলফনামা আকারে আরও একটি আবেদন দাখিল করেছেন৷ এই হলফনামায় দাবি করা হয়েছে, মুখ্যমন্ত্রীর অধীনস্থ পুলিশ দপ্তরের কর্তাদের নিয়ে গঠিত বিশেষ তদন্তকারী দল (সিট) সারদা-কাণ্ডের তদন্ত করছে৷ আবার কুণালবাবুর ফেসবুকে সারদা-কাণ্ড নিয়ে তদন্তে মুখ্যমন্ত্রীও পুলিশকে সাহায্য করতে পারেন বলে উল্লেখ করা হয়েছে৷ এই পরিস্থিতিতে সিটকে দিয়ে নিরপেক্ষ তদন্ত সম্ভব নয়৷ তাই সিবিআইকে দিয়ে তদন্ত করাতে হবে৷
গণতন্ত্রের ক্রান্তিলগ্নে দাঁড়িয়ে আছে ঢাকা
ক্ষমতাসীন আওয়ামি লিগ বনাম বিরোধী বিএনপি জোটের দ্বন্দ্বে রাজনৈতিক সংকট তুঙ্গে৷ লিখছেন মিলন দত্ত
সব কিছু ঠিকঠাক চললে আগামী জানুয়ারি মাসেই বাংলাদেশের জাতীয় সংসদ নির্বাচন হওয়ার কথা৷ কিন্ত্ত সে দেশের গণতন্ত্রের ভবিষ্যত্ এখন অনেকগুলো প্রশ্নের সামনে৷ প্রশ্নগুলো এই রকম:
প্রধানমন্ত্রী শেখ হাসিনা কি তাঁর রাজনৈতিক প্রতিপক্ষের দাবি মেনে তত্ত্বাবধায়ক সরকারের অধীনে নির্বাচন করতে রাজি হবেন? না হলে সেই ভোটে বিএনপি জোট অংশগ্রহণ করবে না৷ দেশের প্রধান বিরোধী জোট (১৮ দলের) যদি নির্বাচনে না থাকে, তা হবে প্রহসনের নামান্তর৷ এই নির্বাচন-সংকটের শান্তিপূর্ণ সমাধানের কোনও পথ খুঁজে পাওয়া যাবে কি? হরতাল এবং সন্ত্রাস থেকে কবে মুক্তি আসবে? কেমন করে কার তত্ত্বাবধানে নির্বাচন হবে তাই নিয়েই মূলত গণ্ডগোল৷ তবে বাংলাদেশে নির্বাচনের আগে এমন গণ্ডগোল একেবারেই নতুন নয়৷
বাকি ইতিহাস স্বাধীনতার পরে ১৯৭৩ সালে বাংলাদেশের প্রথম জাতীয় সংসদ গঠনের তিন বছরের মধ্যে ১৯৭৫ সালের ১৫ অগস্ট বঙ্গবন্ধু সপরিবারে খুন হন৷ তার সঙ্গে সঙ্গেই ওই সংসদ তথা গণতান্ত্রিক ব্যবস্থার অবসান ঘটে৷ কয়েকজন সামরিক শাসকের হাত বদলের পরে ক্ষমতায় বসেন আর এক সামরিক শাসক জিয়াউর রহমান (খালেদা জিয়ার স্বামী)৷ জিয়াউর রহমান ১৯৭৯ সালে নির্বাচনের মাধ্যমে একটা সংসদ গঠন করেন৷ সেই সরকারের প্রধানমন্ত্রীও আড়াই বছরের বেশি ক্ষমতায় থাকতে পারেননি৷ ১৯৮২ সালে সামরিক অভ্যুত্থানের মাধ্যমে ক্ষমতা দখল করেন সেনানায়ক হুসেইন মহম্মদ এরশাদ৷ কিন্ত্ত ১৯৯১ সালে গণঅভ্যুত্থানে এরশাদের ক্ষমতাচ্যুতির সঙ্গে সঙ্গে সেই সংসদেরও অকালমৃত্যু হয়৷ আন্তর্জাতিক পর্যবেক্ষকদের উপস্থিতিতে দলের সম্মতিতে একটি অরাজনৈতিক তত্ত্বাবধায়ক সরকার গঠন করে ওই বছরই নির্বাচন হয় এবং দেশের প্রথম গণতান্ত্রিক সরকার তৈরি হয় বাংলাদেশ ন্যাশনাল পার্টি (বিএনপি)-র নেতৃত্বে৷
তার বছর দুয়েক পর থেকেই আওয়ামি লিগের নেত্রী শেখ হাসিনা দেশজুড়ে যে অবরোধ আন্দোলন এবং হরতাল শুরু করেন তাতে খালেদাকে মেয়াদ শেষ হওয়ার আগেই প্রধানমন্ত্রিত্ব ছাড়তে হয়৷ প্রধানমন্ত্রী পদ ছাড়লেও ক্ষমতা ছাড়তে তাঁর আপত্তি ছিল৷ তিনি নিজের সরকারের তত্ত্বাবধানেই নির্বাচন করেন৷ কিন্ত্ত সেই নির্বাচনে আওয়ামি লিগ ছাড়াও অনেক মুখ্য দলই অংশ নেয়নি৷ ফলে তা ছিল বাংলাদেশের ইতিহাসে আরও একটি হাস্যকর নির্বাচন৷ সেই সরকারও এক মাসের বেশি টেকেনি৷ ওই সংসদেই তদানীন্তন প্রধানমন্ত্রী খালেদা জিয়া তত্ত্বাবধায়ক সরকারের অধীনে ভোট করার আইন পাশ করান৷
পরে ১৯৯৬ সালেই তত্ত্বাবধায়ক সরকারের অধীনে যে নির্বাচন হয় তাতেই ক্ষমতায় আসেন হাসিনা৷ ২০০১ সালের নির্বাচনও তত্ত্বাবধায়ক সরকারের অধীনে হয়৷ সেই নির্বাচনে ক্ষমতায় আসেন খালেদা জিয়া৷ ২০০৬ সালে খালেদা সরকারের মেয়াদ ফুরোলে বিধিমতো তত্ত্বাবধায়ক সরকার গঠিত হয়৷ কিন্ত্ত নবম সংসদ নির্বাচনের মাত্র ১১ দিন আগে ২০০৭ সালের ১১ জানুয়ারি তত্কালীন সেনাবাহিনী প্রধান জেনারেল মইন উ আহমেদ তাঁর অনুগামীদের নিয়েও বঙ্গভবনে ঢুকে বন্দুকের সামনে ইয়াজউদ্দিন আহম্মেদকে রাষ্টপতি তথা তত্ত্বাবধায়ক সরকারের প্রধান উপদেষ্টার পদ থেকে পদত্যাগ করতে বাধ্য করেন৷ এর পরে দেশে জরুরি অবস্থা জারি করেন৷ ওই দিনটি বাংলাদেশে 'ওয়ান ইলেভেন' নামে পরিচিত হয়েছে৷ এরপরে ফখরুদ্দিন আহমদের নেতৃত্বে সেনা-সমর্থিত একটি পুতুল সরকার গঠিত হয়৷ দুর্নীতি উচ্ছেদের নামে ওই সরকার দেশ থেকে রাজনীতি এবং রাজনৈতিক দল তুলে দেওয়ার প্রক্রিয়া শুরু করে৷ রাজনীতির সঙ্গে যুক্ত লোকেদের দুর্নীতির অভিযোগে ঢালাও গ্রেফতার করে জেলে ভরা শুরু করে৷ কিছু কাল পরে সেনাবাহিনী সংসদ নির্বাচনের অনুমতি দিলে ২০০৮ সালে নির্বাচন হয় এবং আওয়ামি লিগ বিপুল ভাবে জয়লাভ করে৷
গণতন্ত্রের যন্ত্রণা
ক্ষমতা পেয়েই হাসিনা সরকার সুপ্রিম কোর্টের অনুমোদন নিয়ে আইন করে তত্ত্বাবধায়ক সরকারের অধীনে ভোট করার বিধি রদ করে৷ যুক্তি: সংবিধান মেনে নির্বাচিত সরকারের অধীনেই ভোট হবে৷ বেঁকে বসে বিএনপি-জামাত জোট৷ তারা নির্বাচনের জন্য তত্ত্বাবধায়ক সরকারই চায়৷ সেই দাবিতে তারা লাগাতার ধর্মঘট চালিয়ে যেতে থাকে৷ সঙ্গে চলেছে খুন জখম এবং সরকারি সম্পত্তিতে আগুন লাগানো৷ সম্প্রতি ৬০ ঘণ্টার ধর্মঘটে ১৪ জনের মৃত্যু হয়েছে৷ আর গ্রামে গ্রামে সংখ্যালঘুদের উপর অত্যাচার৷ হিন্দুরা যেহেতু মূলত আওয়ামি লিগের ভোটার, তাদের ভয় দেখিয়ে ভোট থেকে বিরত করলে বিএনপি-জামাত জোটের লাভ৷ এই সবের মধ্যে আওয়ামি লিগ সরকার একটি সর্বদলীয় সরকার গঠন করে তার অধীনে নির্বাচন করানোর প্রস্তাব দেয়৷ বিরোধীরা অবশ্য পত্রপাঠ তা প্রত্যাখ্যান করে৷ এই অসহযোগিতার রাজনীতিই বাংলাদেশের গণতন্ত্রের মূলধারা৷ ১৯৯১ সাল থেকে দুই দশকের এই সংসদীয় ব্যবস্থায় আওয়ামি লিগ বা বিএনপি, কোনও দলই জাতীয় সংসদের বিরোধী আসনে কার্যত বসেননি বললেই চলে৷ অভিযোগ, নেহাত সাংসদ পদ বাঁচানোর জন্য যে ক'টা দিন সংসদে হাজিরা দিতে হয় তার বেশি সংসদে যান না বিরোধী সাংসদরা৷ বাংলাদেশে গণতন্ত্র এ ভাবেই চলছে৷
বিরোধী দল মুখে নির্দলীয় তত্ত্বাবধায়ক সরকার গড়ার কথা বললেও তাদের দাবি আসলে শেখ হাসিনার পদত্যাগ৷ তাঁকে প্রধানমন্ত্রী রেখে তারা নির্বাচন করতে দেবে না৷ বিরোধী দলও জানে তত্ত্বাবধায়ক সরকার আর গঠন করা সম্ভব নয়৷ কারণ আইন হয়ে যাওয়ার পরে সংবিধানে তার অনুমোদন নেই৷ কিন্ত্ত এর পরেও দুই পক্ষই আপাতত নিজ নিজ অবস্থানে অনড়৷ তবে এটা স্পষ্ট যে, বিএনপিকে বাদ দিয়ে আওয়ামি লিগ নির্বাচনে যাবে না৷ বিএনপি জোটের ভোট রয়েছে ৩৩ শতাংশ৷ এই বিপুল সংখ্যক ভোটারদের সরিয়ে রেখে ভোট করে যে সরকার গঠিত হবে তা যে জনতার কাছে বিশেষ গ্রহণযোগ্য হবে না তা ভাল করেই বোঝেন শেখ হাসিনা৷ তাই তাঁকে কোনও একটা রফায় পৌঁছতেই হবে৷ তা ছাড়া প্রধান বিরোধীদের বাদ দিয়ে নির্বাচন করে সরকার গঠন করলে আওয়ামি লিগের গায়ে স্বৈরাচারী ছাপ লেগে যাবে৷ তখন সেনা ছাউনিতে জন্ম নেওয়া বিএনপি-র সঙ্গে তার কোনও ফারাক থাকবে না৷
তবে আওয়ামি লিগ আর বিএনপি যে দু'টি বিপরীতমুখী ধারার রাজনীতি তা এ বারই প্রথম প্রকট হয়ে উঠেছে৷ গত দু'বছর ধরে শাহবাগ চত্বরে আন্দোলন, একের পর এক যুদ্ধাপরাধীর ফাঁসির আদেশ, তার প্রতিক্রিয়ায় জামাত-এ ইসলাম আর হেফাজতে ইসলামের দেশজোড়া বিক্ষোভ এবং সর্বোপরি বিএনপি প্রায় প্রকাশ্যেই যুদ্ধাপরাধীদের বিচারের বিরোধিতা এবং ইসলামি জঙ্গিদের প্রচ্ছন্ন সমর্থনের মধ্য দিয়ে আওয়ামি লিগ এবং বিএনপি-র অবস্থান স্পষ্ট হয়ে গিয়েছে৷ এরপরেও গণতন্ত্রের স্বার্থে বিএনপিকে নির্বাচনে নিয়ে যাওয়ার দায়িত্ব হাসিনার, তিনি যদি তা পারেন মহিমান্বিত হবেন৷ রক্ষা পাবে বাংলাদেশের গণতন্ত্র৷ তিনি যদি বিএনপিকে নির্বাচনে অংশ নেওয়াতে ব্যর্থ হন, তা হলে গত দুই বছরের এবং আগামী কয়েক বছরের যাবতীয় অঘটনের দায় হাসিনাকেই নিতে হবে৷ শেখ হাসিনা উদ্যোগী হয়ে ফোনে খালেদা জিয়ার সঙ্গে কথাও বলেছেন৷ তাতে অবশ্য লাভ হয়নি৷ তার পরেও বিএনপি ষাট ঘণ্টা এবং বাহাত্তর ঘণ্টার ধর্মঘট ডেকেছে৷ হিংসা ছড়িয়েছে, প্রাণহানি হয়েছে, আগুন জ্বলেছে৷
সামরিক শাসনে ভীত বাংলাদেশের মানুষ কিন্ত্ত এর পরেও হাসিনা কিংবা খালেদার হাত ধরেই গণতন্ত্রের পথে হাঁটতে চায়৷ কঠিন এক রাজনৈতিক সঙ্কটে বাংলাদেশের মানুষ অধীর অপেক্ষায়, গণতন্ত্রের এই যন্ত্রণা কবে শেষ হবে৷
http://eisamay.indiatimes.com/editorial/post-editorial/demotration-of-Dhaka/articleshow/26214378.cms
মত্ত অবস্থায় পরীক্ষা প্রেসির পরীক্ষার্থীর
কৃষ্ণেন্দু অধিকারী, এবিপি আনন্দ
Tuesday, 26 November 2013 18:04কলকাতাঃ প্রেসিডেন্সির ইতিহাসে বেনজির ঘটনা৷ মত্ত অবস্থায় পরীক্ষা দেওয়ার অভিযোগ প্রথম বর্ষের ছাত্রের বিরুদ্ধে৷ অর্থনীতি বিভাগের অভিযুক্ত ওই ছাত্রকে, এক বছরের জন্য সাসপেন্ড করল বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ৷ ২০০ ছুঁইছুঁই প্রেসিডেন্সির কৌলীন্যে এহেন নজির, উদ্বেগে শিক্ষামহল৷
ক্যাম্পাসে নেশা করার অভিযোগ বহুল চর্চিত৷ এমনকী সম্প্রতি দেওয়ালে 'অশ্লীল' ছবি আঁকার অভিযোগেও অভিযুক্ত হয়েছেন পড়ুয়ারা৷ এই ইতিহাসের প্রেক্ষাপটে, বেনজির ঘটনার সাক্ষী থাকল, ২০০ ছুঁইছুঁই প্রেসিডেন্সি৷
বিশ্ববিদ্যালয় কর্তৃপক্ষ প্রথম বর্ষের এক ছাত্রকে সাসপেন্ড করল এক বছরের জন্য৷ অর্থনীতি বিভাগের ওই ছাত্রের বিরুদ্ধে অভিযোগ, পরীক্ষাকেন্দ্রের ভিতরই মত্ত অবস্থায় ছিলেন তিনি৷
ঘটনার সূত্রপাত দিন সাতেক আগে৷ সেমিস্টার চলছে৷ পরীক্ষা চলাকালীন অসুস্থের মতো এক ছাত্রের আচরণ লক্ষ্য করেন পরীক্ষক৷ তত্ক্ষনাত্ খবর যায় বিশ্ববিদ্যালয় আধিকারিকদের কাছে৷ দেখা যায়, মত্ত অবস্থায় বেসামাল ওই ছাত্র৷ অভিভাবককে ডেকে মঙ্গলবার তাঁকে সাসপেন্ড করার কথা ঘোষণা করে প্রেসিডেন্সি কর্তৃপক্ষ৷
কদিন আগেই ক্যাম্পাসে আচরণের অসঙ্গতির কারণে, কয়েকজন ছাত্রের অভিভাবককে তলব করা হয় প্রেসিডেন্সিতে৷ ছাত্রদের মধ্যে উশৃঙ্খলতার ধারাবাহিকতায় কর্তৃপক্ষের এই কড়া সিদ্ধান্ত৷ যদিও, ঘটনার পুনরাবৃত্তি এড়াতে, পড়ুয়াদের শুভ বোধের ওপরই ভরসা করছে কর্তৃপক্ষ৷
অভিযুক্ত ছাত্রের সহপাঠীদের বক্তব্য, তিনি মানসিকভাবে অবসাদগ্রস্ত৷ ব্যক্তিগত জীবনে বিচ্ছেদের কারণেই তাঁর এই কাণ্ড৷ যদিও কঠোর কর্তৃপক্ষের ব্যাখ্যা, সেজন্যই এক বছরের জন্য সাসপেন্ড৷ না হলে, টিসি দেওয়ার কথা ভাবা হয়েছিল৷
মেধা অনুশীলন কেন্দ্র প্রেসিডেন্সিতে, নেশার অভিযোগ শোনা যায় অহরহ৷ ছাত্র সংঘর্ষ, উপাচার্য ঘেরাওয়ের মতো জঙ্গি আন্দোলনও কম দেখা যায়নি৷ কিন্তু মত্ত অবস্থায় পরীক্ষারত পড়ুয়ার ছবি ,প্রেসিডেন্সির কৌলীন্যে নয়া সংযোজন!
http://www.abpananda.newsbullet.in/kolkata/59-more/44037-2013-11-26-12-43-43
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