सिर्फ तकनीक
आंकड़े और
मनोरंजन से
ज्यादा दिनों तक
नहीं चलेगा पेट
जाहिर है
अपनों के ही रक्त मांस
पर जीना है
अपनों का ही खून
चूसना है सबको
एक दूसरे के मांस
नोंचकर जीना है
सचिन तेंदुलकर और प्रो. सीएनआर राव को मिलेगा भारत रत्न
पलाश विश्वास
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को इंटरनेशनल क्रिकेट से उनकी 'महाविदाई' पर सबसे बड़ा तोहफा भारत सरकार ने दिया। तेंदुलकर को देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा जाएगा। पीएमओ ने शनिवार को इसकी औपचारिक घोषणा की। तेंदुलकर इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुने जाने वाले पहले खिलाड़ी हैं। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामोनी की एक संक्षिप्त बयान जारी करके कहा कि राष्ट्रपति ने तेंदुलकर को भारत रत्न देने का फैसला किया है जिन्होंने आज इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा। तेंदुलकर ने सबसे सफल बल्लेबाज के रूप में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा।
ब्रांड सचिन कभी रिटायर नहीं होगा!
मास्टर ब्लास्टर, गॉड ऑफ क्रिकेट, ब्रैडमैन ऑफ मॉर्डन इरा ऐसे नामों से नवाजे जानेवाले सचिन तेंदुलकर अपना आखिरी टेस्ट मैच खेल चुके हैं। 24 सालों से देश के सबसे बड़े ब्रांड रहे सचिन तेंदुलकर आखिरी टेस्ट में भी ब्रांड के सरताज बने हुए हैं। हर कंपनी और ब्रांड जाते जाते भी उनके नाम को भुनाने के लिए तरह तरह के तरीके आजमा रही है।
24 साल, 200वां टेस्ट, रिकॉर्ड ही रिकॉर्ड। सचिन तेंदुलकर क्रिकेट में नंबर वन होने के साथ ब्रांड एंडोर्समेंट में भी करियर के बड़े हिस्से में नंबर वन रहे। यही वजह है उनकी टेस्ट क्रिकेट में एंट्री जितनी धमाकेदार थी। उनके आखिरी टेस्ट लोगों की रुचि के देखते हुए तमाम इंटरनेशनल ब्रांड पॉपुलैरिटी भुनाने में पीछे नहीं रहना चाहते। सब अलग अलग तरह से मौके का इस्तेमाल अपने ब्रांड के लिए करना चाहते हैं। जैसे अवीवा लाइफ इंश्योरेंस ने भी इस आखिरी पारी के लिए नया कैंपेन लॉन्च किया है।
पावर इनवर्टर कंपनी लुमिनस पावर ने इस मौके पर देश का एक बडा इनवर्टर सचिन सीरीज इनवर्टर लॉन्च किया है। रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस ने सुधीर कुमार गौतम को बड़ी इनामी रकम दी है। ये सुधीर गौतम वहीं शख्स हैं जो सचिन तेंदुलकर के दौरान स्टेडियम में मौजूद रहते आए हैं। ऑनलाइन शॉपिग ईबे ने सचिन तेंदुलकर की मर्चेंडाइज उतारी हैं। किताबें, पोस्टर मोबाइल फोन कवर, कॉफी मग, कैप और वॉलेट जैसे मर्चेंडाइज उतारे हैं। एड गुरु सचिन तेंदुलकर के रिटायरमेंट के इस हाइप को जायज मानते हैं।
सचिन तेंदुलकर से जुड़ी कंपनियों के मुताबिक क्रिकेट से रिर्टौंार होने के बाद भी सचिन का जलवा खत्म नहीं होगा। उन्होंने 24 सालों में जो कारनामा दिखाया इससे उनका रुतबा आने वाले दिनों में बरकरार रहेगा। मास्टर ब्लास्टर ने अपने करियर में कोला, कार, बैंक से लेकर टूथपेस्ट और इंजन ऑयल तक तमाम ब्रांड का एंडोर्समेंट किया। अनुमान के मुताबिक अकेले एंडोर्समेंट के तौर पर सचिन तेंदुलकर को करीब 500 करोड़ रुपये की कमाई हुई।
24 साल के बाद आज क्रिकेट का एक युग बदल गया है। अब क्रिकेट भी होगा, भारत जीतेगा भी, लेकिन मैदान पर अब सचिन तेंदुलकर नहीं दिखेंगे। सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से रिटायर हो गए। ये मौका खेल प्रेमियों और प्रशंसकों के लिए तो बेहद भावुक था ही, खुद सचिन तेंदुलकर के लिए भी ये मौका बेहद भावुक कर देने वाला था। सचिन तेंदुलकर ने इस मौके पर अपने फैन्स का तहे दिल से शुक्रिया किया और कहा सभी के सपोर्ट के बिना ये सफर मुमकिन नहीं था और लोगों का प्यार उन्हे हमेशा याद रहेगा। सचिन तेंदुलकर ने अपनी शानदार पारी के लिए अपनी पत्नी अंजली को धन्यवाद दिया है और उस पल अंजली की भी आंखे नम हो गई।
मुंबई टेस्ट में वेस्टइंडीज पर धमाकेदार जीत के साथ टीम इंडिया ने मास्टर ब्लास्ट सचिन तेंदुलकर को विदाई दी है। भारत ने वेस्टइंडीज को एक पारी और 126 रनों से करारी मात दी है। भारत ने साथ ही सीरीज पर 2-0 से कब्जा कर लिया। विदाई भाषण के बाद टीम इंडिया ने सचिन को अपने कंधे में उठाकर उनको विशेष सम्मान दिया। सचिन तेंदुलकर ने 461 वन डे मैच में 18426 रन बनाए हैं। 200 टेस्ट में उन्होंने 15921 रन बनाए हैं। सरकार ने सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान सचिन तेंदुलकर को 26 जनवरी को दिया जाएगा।
बाजार में जिनके
पास अकूत
क्रयशक्ति है
उनके मुकाबले
अपने वजूद
का वजन
तौल लीजिये
फिर
अलग खड़े
हो जाइये
खबरदार
जो मोलभाव
करने की
जुर्रत कर दी
कान पकड़कर
खदेड़ देंगे
बाजार से
हमारे सहकर्मी
मित्र जो ठेके
पर हैं, लेकिन
पत्रकार हैं
मजीठिया से
बाहर हैं
लेकिन
उनका वेतन
हमसे तिगुणा है
ऊपर से पोस्तो
चर्चा चली कि
सचिन की
सेंचुरी पर
मत जाइये
सब्जियों ने
सेंचुरी कर दी
कोई चर्चा ही
नहीं कर रहा
वित्त प्रबंधकों को
कोई भारत रत्न
की सिफारिश
नहीं कर रहा
बिन आलू
समोसा हो सकता है
लालू को भी
यह असलियत
अब तक मालूम
हो गयी है
राजनीति के प्याज
छीलते छीलते
छीज गया
लोकतंत्र
अब महंगे
प्याज का
क्या कीजिये
बिन सब्जी
दाल रोटी
खाकर हमारे
पुरखे बेहद
खुश थे
सूखी रोटी
की भी
आदत पुरानी है
लेकिन अब
सचिन की
सेंचुरी रोटी है
मीडिया में
कोई मुद्दा
नहीं मंहगाई
या मुद्रास्फीति
या खाद्य महंगाई
लतादीदी ने लगायी
आवाज और
फटाफट सचिन
अपना भारत रत्न
जैसे लता दी ने
कर दी सिफारिस
तो उषा को
अमजद अली ने
मांग कर दी तो
उनके दोनों बेटों को
मिलते रहे पुरस्कार
सम्मान और
पुरस्कार
समारोह और
उत्सव आम है
भत्ते भी फौरन
वेतनमान भी
नहीं बाकी
जनता का
जिनका है
उन्हें भी फिनिश
करने की तैयारी
नमक भी हराम है
बाजार से गायब है
नमक ,ऐसी
कालाबाजारी
अफवाहों की
अनाज उगाये
ही नहीं जाते अब
फसलें कैश हैं
खेती इन्फ्रास्ट्रक्चर है
अभूतपूर्व खाद्यसंकट
मुंह बांए खड़ा है
खाद्य मुद्रास्फीति
बेलागम
अब सचिन की
सेंचुरी हो न हो
चावल दाल
की संचुरियां तय हैं
तेल और दाल की
सेंचुरियां तो लग
गयी कबके
इसपर पत्रकार
महोदय बोले कि
वे जो चावल खाते हैं
सौ से ज्यादा भाव का है
उनके हिसाब और
मंटेक बाबू के
आंकड़े बराबर हैं
विकास का अनिवार्य
हिस्सा है मुद्रास्फीति
और मंहगाई
मुक्त बाजार में
कौन अंदर है
और कौन बाहर
कोई हिसाब नहीं
करता कोई
जिनके पास हैं
मौज करें वे
बाकी लोग
छन छनकर
होते विकास
का इंतजार करें
या फिर
सामाजिक योजना
के लिए रंग बिरंगे
डिजिटल कार्ड
बनवाकर
पंक्तिबद्ध इंतजार करें
अनंतकाल
बंगाल में दीदी
आधार कार्ड
के खिलाफ हैं
कार्ड माला के
विरुद्ध मुखर हैं वे
सिंहद्वार पूरब का
खोलने उन्हीं से
मिलने
निकलती
हिलरिया की सवारी
कोलकाता को
लंदन बनाने
उनको ही
मिलती दावत
रोज मुआवजा
रोज नौकरी
रोज सम्मान
रोज भत्ता
रोज योजना
रोज परियोना
परिवर्तन राज
बाजार निरंकुश
सरकारी खर्च बेहिसाब
बिना बजट
सेट टाप
डिजिटल
हुआ उनके
विरोध के बावजूद
उनके विरोध का
नतीजा यह
जनसंख्या रजिस्टर
हो गया हाशिये पर
अब गैस एजंसियों
को पहले सौंपे
अपनी उंगलियां
आंकों की पुतलियां भी
तब मिलेगी रसोई गैस
दीदी के राज में
कोलकाता का
पहरेदार ड्रोन
दीदी के राज में
विकास का
फिर वही मोदी
माडल और
हर नागरिक की
खुफिया निगरानी
कुल मिलाकर
देश की राजनीति
यही है
जनादेश बेमतलब
कानून हमारे विरुद्ध
कोई कानून
हमारे हकों की
हिफाजत के
लिए नहीं
और सारे
कवच कुंडल उन्हींके
जैसा कि
मुक्त बाजार का
व्याकरण भी है
इसी व्याकरण के तहत
रिजर्व बैंक की
मौद्रिक कवायद
इसी व्याकरण के
तहत नीति निर्धारण
संसदीय प्रणाली से बाहर
विशुद्ध कारपोरेट लाबीइंग
सत्तावर्ग के विशुद्ध रक्त की तरह
इसी व्याकरण के तहत
अल्पमत सरकारें
और रंगबिरंगे गठबंधन
प्रकाश्य में जो वक्तव्य
या विज्ञप्ति
या सूचना
करते जारी
होता उसके
एकदम उलट
मसलन बंगाल
की केस स्टडी ले लें
या फिर गुजरात
का जायका ले लें
रंग चाहे कुछ हो
सत्ता का
असली सत्ता
कालेधन का है
कालेधन का
क्या मुकाबला कीजिये
सारे विकल्प
कारपोरेट खींसे में
लोकतंत्र भी
कारपोरेट खींसे में
दम लगाकर नारे
कुछ भी लगा लीजिये
फेसबुक पर
कुछ भी बक लीजिये
आपका हमारा विकल्प
कोई नहीं कोई नहीं
राष्ट्र अब फासिस्ट है
राष्ट्र अब नाजी है
जायनवादी है राष्ट्र
क्योंकि राष्ट्र
और जिसका हो
जनगण का है नहीं
और जनगण के
विरुद्ध है युद्ध जारी
बुरबकै हैं सारे नागरिक
गीता का उपदेश
भूल गये कि
निमित्त मात्र हैं हम
बाकी सारे लोग
मरे हुए हैं
मरे हुओ को
ही मार रही सरकार
बाकी सब कौरव हैं
असुर हैं
दैत्य हैं
राक्षस हैं
दानव हैं
जिनके विरुद्ध
वैदिकी हिंसा
हिंसा न भवति
नतीजा तय है
आपको बस
अनुमोदन करना है
लेकिन हर नागरिक
अब अर्जुन हैं
अपनों के खिलाफ ही
सारे के सारे धनुर्धर
अपनों के वध में
ही लगे हैं हम
लड़ रहे हैं
निरंतर अपनों से
अच्छी बात है
यह भी
क्योंकि हालात
जैसे बिगड़
रहे हैं
सिर्फ तकनीक
आंकड़े और
मनोरंजन से
ज्यादा दिनों तक
नहीं चलेगा पेट
जाहिर है
अपनों के ही रक्त मांस
पर जीना है
अपनों का ही खून
चूसना है सबको
एक दूसरे के मांस
नोंचकर जीना है
चुनाव महासंग्राम
इसका युद्धाभ्यास है
निरंकुश घृणा
अभियान अब
बाजार की संस्कृति है
अभी से रसोई
त्याग दीजिये
घर की औरतों को
खाना बनाने से
दे दीजिये छुट्टी
बाजार की कसरत से
खुद भी हो जाइये मुक्त
तकनीक जहां
प्रलयंकर हैं
उत्पादन जहां
गैरप्रासंगिक है
उत्पादन संबंध
जहां है ं ही नहीं
और न समाज है
और न परिवार
रिश्ते और दांपत्य
सिर्फ लिव इन है
एक दूसरे के
विरुद्ध वार करने
के लिए
घात लगाकर
मौके का इंतजार है
और बच्चे
प्लांड हैं
प्रोग्राम्ड हैं
वहां रसोई
अब सिरे से
गैरप्रासंगिक हैं
खत्म कीजिये
इस रसोई को
सबसे पहले
मंहगाई से राहत
किसे मिलती है
आर्थिक संकट
और मंदी से कौन होते हैं
मालामाल, यूं समझ लीजिये
मसलन,अर्थशास्त्री
टीएच पई पनंदीकर
का कहना है कि
अच्छे मानसून और
बंपर पैदावार
के बावजूद
खाद्य महंगाई में
राहत नहीं मिली है।
ऐसे में अगर
रिजर्व बैंक
ब्याज दरें
बढ़ाता है तो
इससे उद्योगों में
दिखे मामूली सुधार
पर भी बुरा
असर पड़ेगा
अर्थशास्त्रियों को
जाहिर है कि
आम जनता पर
हो रहे असर की कोई
फिक्र होती ही नहीं
वित्त प्रबंधक भी
अर्जुन की तरह
पलक पांवड़े
पर बिछाय़े हुए
है विदे्शी पूंजी
और नजर
सिर्फ शेयर
सूचकांक है
चिंता अब क्या
कीजिये, आपके बस
में है क्या
आपके पास
बचाव के किट
है ंही क्या
जन्म कुंडलियां है
रत्न धारम कीजिये
ज्योतिषियों की शरण
में जा बुरे वक्त काटने
का जतन कोई
कीजिये या
शत्रुओं पर
चला दीजिये वाण
बाकी प्रावचन हैं
विचारधाराएं हैं
कारपोरेट मसाहाओं के
देवमंडल हैं
राजनीतिक देवमंडल भी हैं
आजादी दिलानेवाला
देवमंडल भी है
फंडिंग विशेषज्ञ
धर्म कर्म के बलात्कारी
देवों का अलग समूह है
जो अतिशय चालाक हैं
दो नंबरी में उस्ताद हैं
उनकी ऐश पर जी
जलाते रहिये
या फिर करोड़पति
बनने खातिर
दे दनादन दे दनादन
एसएमएस ठोंकते जाइये
कभी तो खुलेगा किस्मत
का ताला
या सीरियलों
और फिल्मों
के ऐश्वर्य में
अपनी हिस्सेदारी
समझ लीजिये
जो विद्वतजन हैं
प्रबुद्ध मेधा संपन्न
वे रंग बिरंगे
विमर्श में लगे रहे
विचारधाराएं
और मिशन पेलते रहे
देश यूं ही
संकट से उबर जायेगा
पानी सर पर है
तो क्या
राहत का इंतजार कीजिये
आपदाओं से घिरे हैं
तो क्या
नकद सब्सिडी के लिए
आखिर आधार कार्ड है
और आंतरिक सुरक्षा के
लिए ड्रोन है
प्रिज्म है
सीआईए है
मोसाद भी है
जनसरोकार के
मुद्दों का रोना लेकर
क्या कीजिये
पाकिस्तान
और चीन कम हो
तो चीन सागर तक
हो सकें तो
मध्यपूर्व में भी
मोर्चा जमाइये
मंगल अभियान में
लग जाइये
फटीचर जीवों का
वहीं होगा
आखिरी ठिकाना
वैसे भी जल जंगल जमीन
से बेदखली तेज है
शहरों में भी निस्तार नही
प्रोमोटर राज निरंकुश है
जीकर क्या कीजिये
किसानों की राह
पकड़ लीजिये
आत्महत्या
कर लीजिये
डोनर राज में
अपना औजार तो
सिरे से गायब है
कोख भी किराये पर है
जो है,उसका
अचार डाल लीजिये
रोटी अगर सूखी
भी मिल जाये
वियाग्रा डियोड्रेंट
और परमाणु विकिरण
के साथ गड़प लीजिये
खबरदार कि
चूं भी बोले
बोलें क्या
खबरदार कि
कुछ वैसा वैसा
सोचें,विचारों पर
और ख्वाबों पर भी
पहरा है
पहरेदार हैं
हम सभी लोग
एक दूसरे
के खिलाफ
और आतंक के
विरुद्ध युद्ध जारी है
खबर है कि महंगाई
खास तौर से
खाद्य महंगाई ने
लाचार कर दिया है
सरकार को ।
एक्सिस कैपिटल के
एक कार्यक्रम में
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने
कह दिया कि
महंगाई कैसे रोकें
इसका जवाब
जो आम जनता
आसान समझती है
वह इतना भी
आसान नहीं है
चिदंबरम ने
खोल दिया राज
कि कहीं कोई
गड़बड़ी नहीं है
मुक्त बाजार की
अर्थ व्यवस्था में
दरअसल हुआ
यहहै कि
कम सप्लाई के
चलते खाने-पीने
की चीजें
महंगी हो रही हैं
शुक्रिया अदा
कीजिये माननीय
देश बेचो सिपाहसालार की
वे भी समझ
रहे है ंकि
आप हम
थोड़ी मुश्किल में हैं
इसके साथ ही
खास बात तो
यह है कि
वित्त मंत्री ने
भारत में
पैसे लगाने वाले
विदेशी निवेशकों
से धैर्य रखने की
गुजारिश भी कर दी
उनका भरोसा
और
उनकी सेहत
विकास के लिए
बेहद जरुरी है
अर्थ व्यवस्था
यानी
शेयर सूचकांक
निर्भर है
विदेशी निवेशकों की
आस्था पर
बहरहाल
चिदंबरम ने
भरोसा जताया है
कि चालू खाते में
घाटा अब
पिछले साल से
काफी कम होगा।
इस पर तुर्रा यह कि
चिदंबरम ने
यह भी कहा है
कि अर्थव्यवस्था
ठीक ठाक है
सब ठीक ठाक है
और जाहिर है कि
धीरे-धीरे
पटरी पर
आ रही है
अर्थव्यवस्था
भरोसा रखें कि
बढ़ रहा है निर्यात
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
के जरिए
विदेशी निवेश
में भी बढ़त है
उन्होंने उम्मीद
जताई है कि
इस वित्त वर्ष की
दूसरी छमाही से
हालात और
बेहतर हो जाएंगे
जाहिर है कि
अर्थ व्यवस्था
ठीकठाक
चूं रही है
और
खाद्य संकट
कोई सबब
नहीं है
किसी के लिए
सरदर्द का
सबसे बढ़िया
विश्लेषण
दिल्ली में चौथी बार
सरकार बनाने
को लेकर पूरी तरह
तैयार मुख्यमंत्री
शीला दीक्षित का है
समझ लीजिये
उनका कहना है-
मैं कहती हूं
करप्शन
कोई मुद्दा नहीं है
बस बोलते हैं
कुछ सबूत तो दें।
महंगाई
जरूर बढ़ी है
लेकिन पूरे देश में
दिल्ली में महंगाई
के साथ
वेतन भी बढ़ा है,
यहां दो लाख रुपये
प्रति व्यक्ति
आय भी तो है
शीला जी से
पूछ ले कोई
बस्तीवालों की
प्रति व्यक्ति
आय कितना है
दिल्ली और
बाकी महानगरों में
पूरे भारत में
उजाड़ देहात में
वित्तमंत्री जो
बोल रहे हैं
हालात हालांकि
उसके उलट है
प्याज और अन्य
सब्जियों की कीमतें
महंगाई को
सातवें आसमान
पर पहुंचा रही हैं
महंगाई की मार
आम आदमी की
जेब और जीवन
पर भारी
पड़ रही है
महंगाई रोकने के
सरकारी दावों के
बावजूद अक्तूबर में
खाने-पीने की चीजों
के थोक दाम
18 फीसदी से
ज्यादा बढ़े हैं
सब्जियां 78 फीसदी
और प्याज
278 फीसदी
महंगी हुई
जबकि फलों व दूध पर
करीब 16 फीसदी
महंगाई है
ईंधन के दाम भी
10 फीसदी से
ज्यादा बढ़े हैं
रोटी-कपड़ा-मकान
पर भारी पड़ती
थोक महंगाई
8 महीने के
टॉप पर
पहुंच चुकी है
सामान्य महंगाई
की दर में वृद्धि
को लेकर रिजर्व बैंक
पहले ही
अनुमान
लगा चुका है
सरकार की
ओर से
खाद्य उत्पादों की
महंगाई रोकने
के उपाय नहीं
होने को उद्योग चिंता
की बड़ी वजह
मान रहा है
इसके विपरीत
योजना आयोग
के उपाध्यक्ष
मोंटेक सिंह
अहलूवालिया मानते हैं
कि महंगाईकी दर
जल्द ही नीचे आएगी
अक्तूबर में खाद्य पदार्थों की महंगाई
������ अक्तूबर 13� सितंबर 13
दूध-------5.30-------5.77
गेहूं-------7.88-------5.90
आलू-------1.21-------13.10
चावल-------15.69-------18.76
फल-------15.94-------13.54
प्याज-------278.2-------322.9
सब्जी-------78.3-------89.3
दाल--------11.19-------13.42
अनाज-------12.00-------13.05
अंडा,मांस-------17.47-------13.37
खाद्य महंगाई
खाने-पीने की चीजों
की महंगाई
पिछले साल
के मुकाबले
तीन गुना
तेजी से बढ़ी है
सरकारी आंकड़ों
के मुताबिक
अक्टूबर में
थोक बाजार की
महंगाई दर
8 महीने के
सबसे ऊंचे स्तर
पहुंच गई
सरकारी सफाई है
खाद्य पदार्थों की
कीमतें बढ़ने की
वजह देश के
कुछ इलाकों में
भारी बारिश से
फसलों का
बर्बाद होना
बताया जा रहा है
जाहिर है
कि इसकी वजह
न जनविरोधी
आर्थिक सुधार है
न जल जंगल जमीन
से बेदखली
कोई वजह है
और न हरित
क्रांति मार्फत
इंफ्रस्ट्रक्चर
औद्योगीकरण
और
शहरीकरण
है केई वजह
इस पर कोई गौर
नहीं कर रहा कतई
कि महंगाई की
सबसे ज्यादा मार
गरीबों पर पड़ी है
और मध्यम वर्ग
का जीवन भी
बहुत मुश्किल
हो गया है.
क्योंकि उदित
भारत में
महंगाई की
मुख्य वजह
खाद्य पदार्थों की
बढ़ती कीमतें हैं
बहरहाल
आंकड़ों के मुताबिक
खाद्य पदार्थों की
थोक कीमतें
अक्टूबर में
18.19 फीसदी बढ़ीं,
जबकि सितंबर में
ये 18.4 प्रतिशत
बढ़ी थीं।
अब असली खतरा
मंहगाई नही है
बल्कि
लोन होंगे और महंगे?
एक्सपर्ट्स का
मानना है कि
बढ़ती महंगाई से
रिजर्व बैंक पर
मार्च से पहले
कम से कम
एक बार
ब्याज दर बढ़ाने का
दबाव बढ़ रहा है
रिजर्व बैंक ने
सितंबर और
अक्टूबर में ही
दरें बढ़ाई थीं
सरकारी आंकड़ों
के मुताबिक
देश में
थोक वस्तुओं की
कीमतों पर
आधारित
महंगाई दर
अक्टूबर में
आठ महीने के
उच्चतम स्तर
पर पहुंच गई
इस अवधि में
महंगाई दर
सात फीसदी
दर्ज की गई
सरकार द्वारा जारी
आंकड़ों के मुताबिक
महंगाई में वृद्धि
ईंधन, खाद्य और
उत्पादन सामग्री
की ऊंची कीमतों
की वजह से हुई है
वाणिज्य एवं उद्योग
मंत्रालय द्वारा
जारी किए गए
आंकड़ों के मुताबिक
थोक मूल्य सूचकांक
डब्ल्यूपीआई
के आधार पर
देश में मापी
जाने वाली महंगाई
सितंबर महीने
6.46 फीसदी थी
और पिछले साल
की इसी अवधि में
यह 7.32 फीसदी थी
खाद्य सामग्रियों की
कीमतों में
पिछले साल की
समान अवधि के
मुकाबले
18.19 फीसदी
की वृद्धि हुई है
इसमें सितंबर में
18.4 फीसदी
की वृद्धि हुई
अगस्त में मंहगाई
6.1 फीसदी से
6.99 फीसदी
हो गई थी
सितंबर के
10.08 फीसदी
की तुलना में
अक्टूबर महीने में
ईंधन की कीमत में
10.33 फीसदी की
वृद्धि हुई है
उत्पादन सामग्रियों
की कीमतों में
पिछले महीने की
2.03 फीसदी की
तुलना में 2.5 फीसदी
की वृद्धि
दर्ज की गई है
एसोचैम के अध्यक्ष
राणा कपूर ने
मासिक आंकड़ों पर
प्रतिक्रिया देते हुए
कहा कि
बढ़ती महंगाई
निराशाजनक संकेत है
कपूर ने कहा कि
महंगाई में वृद्धि
यह संकेत देती है कि
आगे अर्थव्यवस्था
के लिए समय
मुश्किलों भरा होगा
पिछले साल की
समान अवधि के
4.66 फीसदी के
मुकाबले इस
वित्त वर्ष में
अभी तक
महंगाई दर
बढ़कर छह फीसदी
रही थी
कपूर ने कहा,
"मूलभूत वस्तुओं और खाद्य वस्तुओं की कीमतों की वजह से महंगाई का दबाव बढ़ रहा है, जो इस साल अच्छा मानसून रहने के बावजूद अस्पष्ट है. अब तक प्रभाव स्पष्ट हो जाना चाहिए था।"
सब्जियों की कीमतें
पिछले साल की
समान अवधि के
मुकाबले अक्टूबर में
78.38 फीसदी
बढ़ गई हैं
प्याज की कीमत
278.21
फलों की
15.94 फीसदी
अंडा, मांस और
मछली की कीमत
इस अवधि में
17.47 फीसदी
बढ़ गई है
केंद्रीय सांख्यिकी
कार्यालय (सीएसओ)
द्वारा जारी आंकड़ों
के मुताबिक
उपभोक्ता मूल्य
सूचकांक पर
आधारित खुदरा
महंगाई अक्टूबर में
10.09 फीसदी
हो गई है
जो कि
पिछले साल
इसी महीने
9.84 फीसदी थी
खुदरा बाजार में
सब्जियों की
कीमतों में
45.67 फीसदी
की वृद्धि हुई है
औद्योगिक उत्पादन
क्षेत्र में सुधार के
संकेत दिखे हैं
हालांकि
खुदरा बाजार में
मूल्य स्थिति
चिंताजनक
बनी हुई है
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति अक्तूबर 2013 में बढ़कर 10.09 प्रतिशत हो गई. प्याज, टमाटर और आलू सहित विभिन्न सब्जियों एवं फल के ऊंचे दाम का इसमें काफी योगदान रहा है.
औद्योगिक
उत्पादन सूचकांक
आईआईपी
अगस्त में
जहां मात्र
0.43 प्रतिशत
ही बढ़ा था
वहीं सितंबर में
इसमें गतिविधियां
बढ़ने से
पिछले वर्ष के
मुकाबले 2 प्रतिशत
वृद्धि दर्ज की गई
सितंबर में
बिजली और
खनन क्षेत्र के
बेहतर प्रदर्शन की
बदौलत यह वृद्धि
हासिल हुई है
लेकिन
विनिर्माण क्षेत्र की
प्रदर्शन अच्छा
नहीं रहा और
इसमें 0.7 प्रतिशत
गिरावट दर्ज की गई
आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने कहा ''यह सही दिशा में बढ़ रहा है, जिसकी हमें उम्मीद थी।''
अगस्त के आईआईपी आंकड़े 0.6 प्रतिशत से संशोधित होकर 0.43 प्रतिशत रह गये।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के छह महीनों के दौरान औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 0.4 प्रतिशत रही है हालांकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 0.1 प्रतिशत ही रही थी।
बहरहाल, सितंबर में 2 प्रतिशत वृद्धि से उद्योग जगत उत्साहित नहीं है। उसका कहना है कि इस वृद्धि के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि उद्योगों में गतिविधियां सुधरने लगी हैं।
हालांकि, अक्तूबर में निर्यात में 13.47 प्रतिशत की वृद्धि और बुनियादी क्षेत्र के 8 प्रमुख उद्योगों में पिछले 11 महीनों की सर्वाधिक 8 प्रतिशत वृद्धि के बावजूद उद्योग जगत ने आईआईपी आंकड़ों पर उत्साह नहीं दिखाया है।
खुदरा महंगाई पर मायाराम ने कहा कि नई फसल आने से पहले दाम ऊंचे हैं उम्मीद है कि नई फसल आने पर खाद्य मुद्रास्फीति नीचे आयेगी.।
उन्होंने कहा ''आप देखेंगे कि नई फसल आने से पहले खुदरा महंगाई हर समय 11 प्रतिशत पर पहुंच जाती है। खाद्य मंत्रालय यदि गोदाम से स्टॉक बाजार में जारी करता है तो हमें उम्मीद करनी चाहिये कि खाद्य मुद्रास्फीति नीचे आयेगी और हम इसके लिये प्रार्थना करते हैं।''
सितंबर माह में विद्युत उत्पादन 12.9 प्रतिशत बढ़ा है जबकि अप्रैल से सितंबर की छमाही अवधि में इस क्षेत्र में 5.9 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। खनन क्षेत्र में सितंबर में 3.3 प्रतिशत वृद्धि रही जबकि छमाही अवधि में इसमें 2.5 प्रतिशत की गिरावट है। पिछले वर्ष सितंबर में इसमें 2.2 प्रतिशत वृद्धि और छह महीनों में 1.1 प्रतिशत गिरावट रही थी।
आईआईपी में 75 प्रतिशत योगदान रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में सितंबर महीने में 0.6 प्रतिशत की ही वृद्धि रही। हालांकि, पिछले साल सितंबर में इस महीने में 1.6 प्रतिशत की गिरावट रही थी।
अप्रैल से सितंबर 2013 में विनिर्माण क्षेत्र में कुल मिलाकर मात्र 0.1 प्रतिशत की ही वृद्धि रही है जबकि इससे पिछले वर्ष इसी अवधि में इस क्षेत्र में 0.3 प्रतिशत गिरावट रही थी।
हालांकि मांग का मापक माने जाने वाले पूंजीगत सामान क्षेत्र में सितंबर में 6.8 प्रतिशत गिरावट रही जबकि एक साल पहले सितंबर में इसमें 13.3 प्रतिशत की गिरावट रही। अप्रैल से सितंबर में इसमें 0.7 प्रतिशत की हल्की गिरावट रही हालांकि पिछले वर्ष इस दौरान इसमें 14.2 प्रतिशत की भारी गिरावट रही थी।
सीपीआई आंकड़ों के अनुसार अक्तूबर में सब्जियों के दाम 45.67 प्रतिशत और फल के दाम एक साल पहले इसी महीने की तुलना में 12.84 प्रतिशत बढ़ गये। मार्च 2013 तक खुदरा मुद्रास्फीति करीब एक साल से लगातार दहाई अंक में रही।
अप्रैल से यह कुछ नीचे आई लेकिन अक्तूबर 2013 में फिर से 10.09 प्रतिशत पर पहुंच गई। सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित थोक मुद्रास्फीति भी बढ़कर 6.46 प्रतिशत रही।
सचिन तेंदुलकर और प्रो. सीएनआर राव को मिलेगा भारत रत्न
देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से पहले से ही सम्मानित चालीस वर्षीय तेंदुलकर और उन्नासी वर्षीय राव अब तक भारत रत्न पा चुके 41 विशिष्ट लोगों की जमात में शामिल हो गए हैं। 1954 में गठित भारत का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान विशिष्ट सेवा की मान्यता के तौर पर दिया जाता है।
सचिन ने शनिवार को 24 साल के अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन को अलविदा कहा है। क्रिकेट के अधिकतर रिकार्ड अपने नाम करने वाले सचिन ने 24 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का भी रिकार्ड बनाया है।
इस महान क्रिकेटर के अपना अंतिम और 200 वां टेस्ट क्रिकेट मैच खेलने के कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति भवन की ओर से उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा हुई।
सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि खेल की दुनिया में तेंदुलकर भारत के सच्चे राजूदत हैं और क्रिकेट में उनकी उपलब्धियां का कोई सानी नहीं है। उनके द्वारा दर्शाई गई खेल भावना अनुकरणीय है।
इसमें कहा गया, ''उन्हें मिले कई सम्मान एक खिलाड़ी के रूप में उनकी असाधारण प्रतिभा के गवाह हैं।'' इसमें कहा गया कि तेंदुलकर ने 16 साल की आयु से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरू किया और उसके बाद 24 साल तक पूरी दुनिया में मैच खेले और देश का नाम रौशन किया।
प्रो चिंतामणि नागेसा रामचन्द्र राव सालिड स्टेट एंड मटीरीअल रसायनशास्त्र क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक हैं। उनके 1400 अनुसंधान पत्र और 45 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सी वी रमण और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह देश के तीसरे वैज्ञानिक हैं।
विश्व की सभी बड़ी वैज्ञानिक अकादमियों में प्रो राव के योगदान को मान्यता दी गई है। ऐसी अकादमियों ने उन्हें अपनी सदस्यता और फेलोशिप आदि देकर सम्मानित किया है। उन्हें कई विशिष्ट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा गया है।
इस समय वह भारत के प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख हैं। उधर, तेंदुलकर को भारत रत्न देने की लंबे समय से मांग हो रही थी और इसके लिए देश के इस सर्वोच्च सम्मान के पात्रता नियमों में पिछले साल परिवर्तन करके उसमें खिलाड़ियों को भी इसका पात्र बनाया गया।
तेंदुलकर पहले ऐसे सक्रिय खिलाड़ी हैं जिन्हें पिछले साल राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। चार साल पहले हिन्दुस्तानी संगीत के दिग्गज भीमसेन जोशी को भारत रत्न दिए जाने के बाद अब तेंदुलकर और राव को इससे सम्मानित किया गया है।
ऊंची ब्याज दरों के लिए महंगाई जिम्मेदार : रिजर्व बैंक
Source : businesskhaskhabar.com Desk | Nov 16, 2013कोलकाता। भारतीय रिजर्व बैंक ने ऊंची ब्याज दरों के दौर के लिए मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस तरह के परिदृश्य में नीतिगत दरों में कमी करने के बाद भी बैंक घटी दरों का लाभ उपभोक्ता तक नहीं पहुंचा पाएंगे। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के.सी. चक्रवर्ती ने एमसीसी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करते हुए कहा, "यदि हम नीतिगत दरों में कटौती करते भी हैं तो बैंक ऎसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि बैंक जमाकर्ताओं से किसी एक खास कीमत पर धन नहीं जुटा पाएंगे।" उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक, बैंकों पर ब्याज दर कम करने के लिए दबाव नहीं डाल सकता। बैंकों को जब तक सस्ती लागत पर पैसा नहीं मिलता है तब तक यह मुश्किल है। गत 4 सितंबर को रिजर्व बैंक गवर्नर का पद संभालने के बाद रघुराम राजन ने रेपो दरों में दो बार बढोतरी की है। रेपो दर इस समय 7.75 प्रतिशत पर पहुंच गई है। 20 सितंबर व 29 अक्टूबर को रेपो दरों में चौथाई-चौथाई फीसद की बढोतरी की गई। चक्रवर्ती ने कहा कि महंगाई की वजह कुछ भी हो, लोग महंगाई आंकडे से कम दर पर पैसा नहीं जमा कराएंगे। ऎसे में बैंक सस्ता कोष कैसे जुटा पाएंगे। मौजूदा दरों पर भी बैंकों की जमा वृद्धि 12 प्रतिशत के पार नहीं जा रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढकर सात माह के उच्च स्तर 10.09 प्रतिशत पर पहुंच गई। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भी 8 माह के उच्च स्तर 7 फीसद पर पहुंच गई।
बढ़ती महंगाई चबा गई मिडल क्लास की सेविंग्स
नवभारत टाइम्स | Nov 16, 2013, 09.54PM IST
बढ़ती महंगाई से मिडल क्लास संकट में।
जोसफ बर्नाड, नई दिल्ली बढ़ती महंगाई ने सबसे अधिक मिडिल क्लास को परेशान कर रखा है। आलम यह है कि घर के बढ़ते बजट के कारण मिडिल क्लास की सेविंग यानी बचत में पिछले तीन सालों के दौरान 40 पर्सेंट की गिरावट आ गई है। अगर महंगाई में यह तेजी बरकरार रही तो सेविंग में गिरावट और भी बढ़ सकती है। सेविंग में गिरावट के चलते बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, डिबेंचर, स्मॉल सेविंग स्कीम, लाइफ इंश्योरेंस, पीएफ के साथ पेंशन फंड में निवेश कम हो रहा है। यह बात एसोचैम के एक सर्वे में सामने आई है।
सर्वे का आधार
एसोचैम ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नै, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़ और देहरादून के करीब 2500 मिडिल क्लास परिवारों से बातचीत करने के बाद यह सर्वें रिपोर्ट तैयार की है। जिनसे बात की गई है, वे सभी वेतनभोगी कर्मचारी हैं जिनकी सालाना आमदनी 3 से 6 लाख रुपए है। इनमें 25 से 59 साल के लोग शामिल हैं।
महंगाई का असर
बढ़ती महंगाई के कारण मिडिल क्लास परिवारों की शॉपिंग में भी कमी आई है। इसके अलावा खरीदारी का दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है। 75 पर्सेंट मिडिल क्लास कर्मचारियों का कहना है कि मौजूदा आमदनी से उनके लिए परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है। उन्हें अलग से पार्ट टाइम काम भी करना पड़ रहा है।
मिडल क्लास सबसे परेशान
मिडल क्लास को सबसे अधिक परेशानी पेट्रोल, डीजल और सब्जियों के साथ-साथ ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण लोन की किश्त यानी ईएमआई बढ़ने से हो रही है। इसके अलावा मोबाइल फोन कंपनियों द्वारा लगातार दरें बढ़ाने ने बोझ और बढ़ा दिया है। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डी. एस. रावत का कहना है कि महंगाई बढ़ने से खरीदारी कम होने से खपत में कमी आ रही है। इससे नेगेटिव असर देश के आर्थिक विकास दर पर पड़ सकता है।
सिर्फ महंगाई दर ही काफी नहीं: आरबीआई
मुंबई में बैंकर्स कान्फ्रेंस चल रही है। इससे पहले कल आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने साफ किया वो महंगाई काबू करना चाहते हैं, लेकिन निवेश और सप्लाई पर ज्यादा असर डाले बगैर। उन्होंने कहा कि महंगाई दर या किसी एक आंकड़े के आधार पर आरबीआई की अगली पॉलिसी तय नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि ग्रोथ बढ़ाने के लिए बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए और वो भी तय खर्च के अंदर।
आरबीआई ने बैंकों को नसीहत दी है कि बैंक रिस्क मैनेजमेंट ठीक करें। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने बैंकों के बढ़ते एनपीए को लेकर चिंता जताई और कहा कि बैंकों को भी नहीं पता कि एनपीए क्यों बढ़ रहे हैं। इस वजह से एनपीएन मौजूदा स्तर पर पहुंच
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