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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, March 11, 2013

महिला दिवस पर वनाधिकार कानून और महिला विरोधी वनविभाग और उससे जुडी सामंती ताकतों को सीधे चुनौती दी गई

जो हिटलर की चाल चलेगा वो
कुत्ते की मौत मरेगा

महिला उत्पीड़न व महिलाओं के प्रति अष्लील टिप्पणी करने पर

ग्राम प्रधान जोरूखाड़ जगदीश यादव, ग्राम प्रधानपति धूमा रामप्रसाद, मो0 हनीफ दुराचारी, बुद्धिनारायण टोप्पो, जायका अध्यक्ष घिवही रामनारायण, जायका अध्यक्ष धूमा राधामोहन, रामविचार, जायका अध्यक्ष जोरूखाड़ भुल्लन, रामकुमार यादव सदस्य, बंसीधर यादव, मझौली जायका अध्यक्ष मोतीलाल, सदस्य सूरजबलि, रामअवतार, राजपाल, डिप्टी रेंजर आर0पी चैहान, डिप्टी रेंजर शषिकांत पांडे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करो

संसद में पारित वनाधिकार कानून को लागू करने की प्रक्रिया को रोकने के जुर्म में  इन्हें जेल भेजा जाए

प्रिय जनपद निवासीयों,

 

दिनांक 22 फरवरी 2013 को सोनभद्र उ0प्र0 के दुद्धी तहसील के जोरूखाड़, धूमा के ग्राम प्रधानों, वनविभाग के कर्मचारीयों, जायका कम्पनी के पदाधिकारीयों व इन लोगों के साथ जुड़े चुगला और दलालों मो0 हनीफ दुराचारी, बुद्धिनारायण दरमा, रामनारायण, सूरजबलि, मोतीलाल आदि उक्त लोगों के नेतृत्व में असमाजिक तत्वों द्वारा महिलाओं के खिलाफ निकाले गए जुलूस ने इस जिले का शर्मसार किया है। प्रतिष्ठित महिला सामाजिक कार्यकर्ता रोमा व कैमूर क्षेत्र महिला मजदूर आदिवासी संगठन की आदिवासी व दलित महिलाओं के बारे में अष्लील नारे व गाली गलौच कर किया गया महिला विरोधी प्रर्दशन यह दर्षाता है कि महिला विरोधी मानसिकता के प्रति न ही सरकार और न ही प्रषासन ने कोई सबक लिया है।  दुद्धी क्षेत्र के दबंग, लफंगों, उच्च जाति वर्ग, वनविभाग, ग्राम सभाओं के पदाधिकारीयों द्वारा गरीब तबकों को भड़का कर व बहला फुसला कर किया गया यह प्रर्दशन ष्षुद्ध रूप से मानहानि के मामले व महिला की प्रतिष्ठता से जुड़ा हुआ है। ज्ञातव्य है कि ग्राम धूमा में 13 जनवरी में इन्हीं ष्षक्तियों की  शय पर एक आदिवासी महिला का बलात्कार हुआ था जिसपर संगठन ने काफी सख्ती से कार्य कर दुराचारी को पकड़ कर रखा व जेल भिजवाया। यहीं तनाव महिला संगठन व इन सांमती शक्तियों के बीच में व्यापत है जिसके कारण संगठन की वरिष्ठ महिला कार्यकर्ता के खिलाफ इन ष्षक्तियों द्वारा जुलूस निकाला गया। जनपद में कानून और व्यवस्था की रक्षा करने वाली प्रषासन, समस्त राजनैतिक दल के नेतागण, सत्तारूढ़ पार्टी के एमपी और एमएलए व सभ्य समाज इस घटना पर मौन साधे रहे और प्रर्दशनकारीयों द्वारा तमाम सीमाओं को पार करने पर भी अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर नहीं की। यहां तक कि समाज में सच्चाई को दर्षाने वाले समाचार पत्रों ने भी एक प्रतिष्ठित महिला के खिलाफ इस अष्लील प्रर्दशन को एक अच्छी खबर की तरह परोस कर इस संदर्भ में सम्मानित महिला सामाजिक कार्यकर्ता रोमा व उनके संगठन के महिला साथीयों से उनका बयान तक लेने की जहमत नहीं उठाई। यह प्रर्दशन उसी दिन किया गया जिस दिन रा0 वनजन श्रमजीवी मंच के प्रतिनिधिमंड़ल को मा0 मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा प्रदेश में वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए वार्ता के लिए आंमत्रित किया गया था। यह प्रर्दशन मूल रूप से वनविभाग द्वारा इस वार्ता को विफल करने की कोषिश थी ताकि वनाधिकार कानून के तहत इस जनपद के आदिवासी, दलित व अन्य परम्परागत समुदायों के सदस्यों को उनका मालिकाना हक न मिल सके और जनपद में रा0 वनजन श्रमजीवी मंच द्वारा वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए चलाए जा रहे अभियान को बदनाम कर देश की संसद द्वारा पारित किए गए वनाधिकार कानून को लागू करने में रूकावटें पैदा की जा सके। यह प्रर्दशन वास्तव में दो वर्गो के संघर्ष को ही दर्षाता है इस वर्ग संघर्ष की अगुवाई महिला के हाथों में है जो कि इस सांमती ताकतों को गवारा नहीं है इसलिए अपने आप को मर्द कहने वाले ये ताकतें एक महिला को अपना निषाना बना रही है। अब यह लड़ाई सीधे सीधे वनविभाग व  उन से जुड़ी हुई पितृसत्ता, सांमती ताकतें, माफिया, ठेकेदारों, दलालों और चुगलों के साथ है जिसका बिगुल अब महिलाओं ने बजा दिया है। अगर आज हम चुप बैठे तो यह ताकतें महिलाओं को नंगा करने तक बाज नहीं आएगें। इसलिए यह जिम्मेदारी अब महिलाओं के उपर है कि वे महिला हिंसा पर अपनी आवाज़ बुलंद करे व दुराचारी, बलात्कारी, आततायीयों को खुद सज़ा दे व उनको मौत का डर दिखाए। हम इस पर्चे से प्रषासन को भी ये चेताना चाहते हैं कि अगर समय रहते हुए महिला हिंसा कोे नहीं रोका गया तो इसका परिणाम काफी खराब हो सकते हैं व जिले में महिला की सुरक्षा के उपर गंभीर प्रष्न उठ सकते हैं। ऐसे तत्वों को अगर बढ़ावा मिलेगा तो ये किसी भी महिला पर हिंसा कर सकते हैं। इसलिए आइए हम सब महिलाए महिला दिवस के उपलक्ष्य में 7 मार्च को दुद्धी मे व 8 मार्च को राबर्टसगंज मे इन असमाजिक तत्वों के खिलाफ बड़ी संख्या में एकजुट हो कर महिला हिंसा को जड़ से मिटाने का संकल्प लें व इन्हें जेल भेजने का काम करें।

 

चुगला दलालों की क्या दवाई जुते चप्पल और पिटाई

 

कैमूर महिला मज़दूर किसान संघर्ष समिति, कैमूर मुक्ति मोर्चा

राष्ट्रीय वनजन श्रमजीवी मंच

ज्ञापन

दिनांक – 8 मार्च 2013

सेवा में,

मुख्यमंत्री,

श्री अखिलेश यादव,

उत्तरप्रदेश सरकार,

लखनउ

द्वारा जिलाधिकारी

जनपद सोनभद्र

विशय: महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिला उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए समाज में सुरक्षित माहौल के लिए

महोदय,

8 मार्च पूरी दुनिया में महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है जो कि महिलाओं के सम्मान का प्रतीक है। क्योंकि आज से डेढ़ सौ वर्ष पूर्व महिलाओं ने पिृतसत्ता के तहत दमन, उत्पीड़न, दोयम दर्जा, गैरबराबरी के खिलाफ अपने अधिकारों को बुलंद करने का बिगुल बजाया था। आज भी महिलाए पितृसत्ता की मानसिकता से पीडि़त है इस मानसिकता से केवल स्त्री ही नहीं बल्कि पुरूश भी पीडि़त है। इसलिए समाज से पितृसत्ता को जड़ से मिटाना पूरे मानव समाज के उत्थान के लिए बेहद जरूरी है जिसके लिए आम समाज से सभी को आगे आ कर इस संघर्ष में योगदान देने की आवश्यकता है। जब तक समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान पैदा नहीं होगा तब तक कोई भी देश उन्नति नहीं कर पाएगा। लेकिन आज जिस तरह से महिलाओं के साथ बलात्कार, दुराचार व यौन उत्पीड़न के साथ साथ भ्रूण हत्या के मामले सामने आ रहे हैं व देश के लिए एक चिंताजनक विशय है व अगर समय रहते इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया तो समाज में जैविक संकट पैदा हो जाएगा। इस लिए हमारा आग्रह है कि महिलाओं के लिए इस प्रदेश में सुरक्षित व सम्मानजनक माहौल पैदा किया जाए जिसके लिए हम निम्नलिखित मांगे पेश कर रहे हैं -

1. जनपद में महिला उत्पीड़न के तमाम लम्बित मामलों  खासतौर पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न के मामलों को जल्द से जल्द निस्तारित कर दोषीयों को जेल भेजा जाए।

2. प्रदेश में किसी प्रकार से महिलाओं और खास तौर पर बच्चियों के साथ किसी भी सूरत में बलात्कार की एक भी घटना नहीं घटनी चाहिए इसका वादा आपको हमसे करना होगा।

3. प्रदेश में वनाधिकार कानून 2006 को पूर्ण रूप से लागू किया जाए। इस कानून में महिलाओं की अहम भूमिका है जिसके लिए उन्हें सामने लाने के लिए कार्यक्रम बनाए जाए।

4. जनपद में वनविभाग, जायका कम्पनी, उससे जुड़ी एनजीओ, सांमत वर्ग, पुलिस प्रशासन व चुगला दलालों द्वारा वनाधिकार कानून के खिलाफ काम किया जा रहा है। लेकिन इन वर्गो पर प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है। इनपर कार्यवाही कर कानून को लागू करने की प्रक्रीया आरम्भ करें।

5. एक तरफ संगठन की सरकार से वार्ता चल रही है जिसमें 23 फरवरी को मुख्यमंत्री कार्यालय पर संगठन के प्रतिनिधियों की वार्ता हुई थी लेकिन उससे एक दिन पूर्व 22 फरवरी को जनपद के दुद्धी तहसील में असामाजिक तत्वों द्वारा वनाधिकार कानून को लागू करने के लिए कार्यरत वरिष्ठ महिला कार्यकर्ता रोमा व आदिवासी महिलाओं के खिलाफ अश्लील नारे व गाली गलौच करते हुए जुलूस निकाला गया। यह कार्य ग्राम प्रधान जोरूखाड़ जगदीश यादव, ग्राम प्रधान धूमा रामप्रसाद, इंडियन पीपुल्स फं्रट के मो0 हनीफ, बुद्धिनारायण ग्राम दरमा, दुद्धी के डिप्टी रेंजर आरपी चैहान, डिप्टी रेंजर शशिकांत पांडे, जायका अध्यक्ष जोरूखाड़ भुल्लन व सदस्य रामकुमार यादव, सदस्य बंसीधर यादव, मझौली जायका अध्यक्ष मोतीलाल, सदस्य सूरजबलि, रामअवतार, राजपाल द्वारा किया गया। इन के उपर एक प्रतिष्ठित महिला व आदिवासी महिलाओं के उपर गाली गलौच करने के लिए मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाए।

6. महिला संगठन व सांमती ताकतों के बीच कई वर्षो से वनाधिकार को लेकर ही तनाव व्याप्त है जिसमें इन वर्गो का आदिवासी व दलित महिलाओं का अग्रणी भूमिका में आना गवारा नहीं है और न ही ये चाहते हैं कि वनाधिकार कानून प्रभावी ढंग से वनक्षेत्रों में लागू हों। ये सभी ताकतें अवैध खनन, अवैध वनकटान व अन्य अवैध कार्यो में लिप्त हैं जिससे इनकी मोटी कमाई रूक जाएगी इसलिए यह ताकतें लगातार महिला संगठन का विरोध कर अब अश्लीलता पर उतर आए हैं व वनाधिकार कानून को लागू करने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इसी तनाव के चलते इन ताकतों की शय पर 13 जनवरी 2013 को ग्राम धूमा में एक आदिवासी महिला का बलात्कार तक हो गया जो कि अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है। दोषी को आदिवासी महिलाओं ने दबोच कर रखा व पुलिस को सौंप जेल भिजवाया। इस की खुन्नस निकालने के लिए 22 फरवरी को महिलाओं के खिलाफ इन असामाजिक व सांमती तबकों द्वारा जुलूस निकाला गया। इसलिए महिलाओं के खिलाफ निकाले गए 22 फरवरी के अश्लील प्रर्दशन व असामाजिक तत्वों की मौजूदगी के उपर उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए व इनपर सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।

7. यह ज्ञातव्य है कि अगर समाज में काम करने वाली व अधिकारों के लिए लड़ने वाली महिलाओं के खिलाफ खुले आम असामाजिक तत्वों को प्राश्रय मिलेगा तो यह सभी आम महिलाओं के लिए एक खतरनाक संकेत हैं। हमारी यह आवाज़ केवल हमारे लिए नहीं है बल्कि उन सभी प्रतिष्ठित महिलाओं के लिए जो कि समाज में कुछ करना चाहती हैं। यहीं नहीं बल्कि यह हमला तमाम स्त्रीयों पर हैं चाहे वो जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, न्यायाधीश के घरों में रहने वाली महिलाए हों इसलिए इस मामले को टालना महिलाओं की सुरक्षा के मददेनज़र काफी खतरनाक हो सकता है। ऐसे प्रर्दशनों पर प्रशासन को अपना रवैया सख्त रखना चाहिए और इन पर रोक लगानी चाहिए।

8. इसी माह में होली का भी पर्व है जिसमें महिलाओं से सम्बन्धित काफी अश्लील गीत व राह चलते महिलाओं पर अश्लील टिप्पणीयां की जाती है इस संदर्भ में इन अश्लील गीतों व टिप्पणीयों पर रोक लगाई जाए। व जगह जगह महिला पुलिस की तैनाती की जाए व महिलाओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए जाए।

9. प्रशासन द्वारा महिलाओं को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए व आत्मरक्षा के लिए स्कूलों व कालेजों में कार्यक्रम चलाए जाए।

10. वनाधिकार कानून 2006 में हुए सितम्बर 2012 के संशोधन के अनुसार लघुवनोपज के नियंत्रण, बेचने व अधिकार ग्राम सभा व विशेशकर महिलाओं को सौंपने के कार्यक्रम बनाए जा व इस पर नियंत्रण करने वाले वननिगम, वनविभाग, ठेकेदारों व मफियाओं के कब्ज़े से मुक्त कराया जाए।

11. जनपद में वनविभाग एवं पुलिस द्वारा दस हजार से उपर फर्जी केसों को जल्द वापिस लिया जाए व वनविभाग का नियंत्रण हटा कर ग्राम सभा का वनों पर नियंत्रण सौंपा जाए। व वनाश्रित समुदायों का पुलिस द्वारा उत्पीड़न समाप्त किया जाए।

धन्यवाद

सोकालो गोंण  राजकुमारी भुईयां रमाशंकर  हुलसी उरांव धनपति  लालती घसिया फूलबासी अगरिया मुन्नर गांेण शिवकुमारी  रोमा रजनीश अशोक चैधरी

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