शारदा समूह की वजह से बांग्ला फिल्म उद्योग को भारी झटका!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बांग्ला फिल्म उद्योग इस वक्त अभूतपूर्व संकट में फंस गया है।फिल्में बनकर तैयार हैं, पर उन्हें रिलीज करने के लिए लिए सिनेमाहाल का किराया देने के पैसे नहीं है प्रायोजकों के पास। फिलम उद्योग के कलाकारों को मेहनताना में जो इजाफा फिछले कुछ समय से हुआ, उसकेमुताबिक अब कलाकारों को पूरा भुगतान करना भी असंभव है। निर्माता और निर्देशकों की झोली भरती नज़र आ रही थी , अब खाली नजर आने लगी है।
बांग्ला फिल्म उद्योग में चिटफंड कंपनियों ने करीब छह सौ करोड़ का निवेश किया है। आधी से ज्यादा फिल्में चिटपंड के पैसे से बनने लगी हैं। शारदा समूह के फंडाफोड़ और दूसरी कंपनियों के विरुद्ध राज्य सरकार और केंद्रीय एंजसियों के कसते शिकंजे से फिल्म उद्योग में अफरा तफरी मच गयी है।
पहले से प्रसिद्ध अभिनेत्री शताब्दी राय पर शारदा समूह के ब्रांड अम्बेस्डर बनने के आरोप से उद्योग की साख को गहरा धक्का लगा है।तृणमूल सांसद शताब्दी इसका खंडन कर ही रही थी कि उनका नाम एक और संदिग्ध संस्ता स्काईलार्क के साथ जुड़ गया है। पहले पहल अभिनेता तापस पाल उनेक बचाव में उतरे भी, अब कोई बोल नहीं रहा है। विधायक अभिनेता चिरंजीत और विधायक अभिनेत्री देवश्री राय ने चुप्पी साध ली है। शताब्दी को शारदा समूह के सोमनाथ द्ता से घनिष्ठ संबंध बताये जाते हैं। वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में बुरीतरह फंसी हुई हैं।
वाम जमाने में ज्यादातर कलाकार लाल रंग से रंगे हुए थे। लेकिन परिवर्तन काल में रंग हरा हो गया है। नई सरकार फिल्म उद्योग को तरजीह भी खूब दे रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार टालीगंज के टेक्निशियन स्टूडियो एवं उत्तरपाड़ा फिल्म सिटी का विकास कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है।पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के हुगली जिले के उत्तरपारा में 350 एकड़ के भूखंड में पूर्वी भारत की सबसे बड़ी फिल्म सिटी बनने जा रही है जिसकी आधारशिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रखी।
इधर बांग्ला में फिल्म निर्माण की गतिविधियां खूब तेज हुई है। टीवी सीरियल के लिए भी विदेशों में शूटिंग होने लगी है।फिल्म निर्माण का खर्च बहुत ज्यादा बढ़ गया है। यह सबकुछ चिटफंड के पैसे की वजह से हो रहा था।इसके अलावा बांग्ला फिल्म उद्योग कम बजट में ही धमाल मचाने वाली फिल्मों का निर्माण कर रहा है। प्रयाग ग्रुप इनफ्रास्ट्रक्चर, हॉस्पिटेलिटी और फिल्म प्रोडक्शन में दिलचस्पी रखती है। इस कम्पनी ने बुधवार को सुपरस्टार शाहरूख खान को अपने आने वाले 1,000 करोड़ स्टेट ऑफ द आर्ट फिल्म सिटी का ब्रेंड अम्बेस्डर बनने के लिए मना लिया है।मालूम हो कि शारदा समूह के भंडापोड़ की वजह से प्रयाग और एमपीएस के दप्तर सील कर दिये गये हैं।शाहरुख खान प्रयाग समूह के एक प्रोजेक्ट प्रयाग फिल्म सिटी के ब्रांड एंबेसडर हैं तो वहीं, बॉलीवुड अभिनेत्री सोहा अली खान और उनकी मां शर्मिला टैगोर इसी प्रयाग समूह के एक बिस्कुट ब्रांड को एंडोर्स कर रही हैं। शाहरुख खान को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल का भी ब्रांज अम्बेस्डर बना रखा है। पिछली दफा आईपीएल जीतने के बाद शाहरुख खान की टीम राजवैली प्रायजित कलकाता नाइट राइडर्स के जश्न में दीदी भी शामिल हुई थी।
फिल्मों में घाटा के बावजूद निवेश करने का दोहरा मकसद है। पहला यह कि फिल्म उद्योग के आइकन समूह की लोकप्रियता और उनके ग्लेमर को अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए इ्स्तेमाल करना और दूसरा फिल्म उद्योग से जितना भी आय होती है, वह कालाधन को सफेद बना देती है।चिट फंड कंपनियां पैसे की उगाही के लिए छोटे-छोटे निवेशकों को लुभाने और कंपनी के प्रति उनके विश्वास को मजबूत करने की हर कोशिश करती हैं। इसी कोशिश की एक बानगी बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और अभिनेत्रियों को इन कंपनियों द्वारा अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया जाना है।बॉलीवुड में 'डिस्को डांसर' के नाम से मशहूर मिथुन चक्रवर्ती हों या बॉलीवुड के 'किंग खान' शाहरुख खान, किसी न किसी चिट फंड कंपनी के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ब्रांड एंबेसडर हैं।
हाल ही चिट फंड के नाम पर पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड आदि राज्यों में निवेशकों को करोड़ों रुपये की चपत लगाने वाले शारदा ग्रुप ने भी अपने पोर्टफोलियो में बॉलीवुड और टॉलीवुड (कोलकाता फिल्म इंडस्ट्री) के सितारों का मजमा लगाया था।
बॉलीवुड के 'डिस्को डांसर' मिथुन चक्रवर्ती शारदा ग्रुप के बांगला मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की एक यूनिट चैनल10 के ब्रांड एंबेसडर थे। इसके अलावा, सेन ने बांग्ला फिल्मों की पूर्व अभिनेत्री और तृणमूल कांग्रेस सांसद शताब्दी रॉय को भी अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया था।
बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान जिस आईपीएल टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के को-ओनर है, उस टीम मुख्य की स्पांसर 'रोज वैली' नामक चिट फंड कंपनी है।
जिस तरह बालीवूड में अंडरवर्ल्ड का पैसा खपता है, उसीतरह बांग्ला फिल्म उद्योग को अपने कारोबार का बेहतरीन मंच में तब्दील कर रखा है चिटफंड कंपनियों ने।फिक्की-डिलॉयट द्वारा मनोरंजन और मीडिया पर जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है, 60 लाख रुपये से भी कम बजट की फिल्मों की संख्या में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्ला फिल्म उद्योग में निवेश के लिये निवेशक देर से आगे आये। इसमें यह भी बताया गया है कि कुछ फिल्मों का बजट छह करोड़ रुपये की लागत को भी पार कर चुका है। बड़े बजट की फिल्मों की शूटिंग अब विदेश में भी हो रही है।`एकती तरार खोजे' और `जाडी अकबर' जैसी फिल्मों ने देश के बाहर बांग्लादेश में भी अच्छी कमाई की। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि `कहानी' और `बर्फी' जैसी बॉलीवुड फिल्मों की कोलकाता और पश्चिम बंगाल के हिस्सों में शूटिंग भी एक अच्छा संकेत है।
जाहिर है कि बांग्ला फिल्म उद्योग बदलाव के दौर से गुजर रहा है. इस दौरान बांग्ला फिल्मों का कैनवास तो बड़ा हुआ ही है, इसमें भव्यता भी आई है।वर्ष 1901 में हीरालाल सेन की ओर से स्थापित रायल बाइस्कोप और 1919 में बनी पहली बांग्ला मूक फिल्म 'बिल्वमंगल' से लेकर निदेशक कौशिक गांगुली की ताजा फिल्म `शब्द' तक टॉलीवुड के नाम से मशहूर बांग्ला फिल्म उद्योग ने काफी लंबा सफ़र तय किया है।बीते खासकर एक दशक के दौरान इन फिल्मों में कथानक और तकनीकी कौशल के मामले में तेजी से बदलाव आया है। इन फिल्मों का बजट तो करोड़ों में पहुंचा ही है, कलाकारों व तकनीशियनों को को पहले के मुकाबले बेहतर पैसे भी मिल रहे हैं।पहले जहां पारंपरिक बांग्ला फिल्मों की शूटिंग दक्षिण कोलकाता के किसी स्टूडियों में बने एक ही सेट पर कुछ लाख रुपए में पूरी हो जाती थी, वहीं अब इन फिल्मों की शूटिंग भव्य विदेशी लोकेशनों में हो रही है।कभी हफ्ते भर के भीतर ही सिनेमा हालों से उतरने वाली बांग्ला फिल्में अब मल्टीपल्केस में हफ्तों हाउसफ़ुल जा रही हैं।
बांग्ला सिनेमा में तितली, उनीश, एप्रील, मिस्टर एंड मिसेज अय्यर, पातालघर, बांबेयर बोम्बेट आदि फिल्मों ने इस फिल्म उद्योग को एकबारगी पुन: चर्चा का विषय बना दिया।
बांग्ला फिल्मों के अभिनेता प्रसेनजीत ने कहा कि समान भाषा और संस्कृति होने के नाते बांग्लादेश न सिर्फ दर्शकों के रूप में, बल्कि विचारों के आदान प्रदान और प्रतिभा के प्रयोग के लिये भी अहम है।अभिनेता प्रसेनजीत ने फिक्की की इंटरटेनमेंट शाखा से कोलकाता में फिल्म उद्योग को रचनात्मक, वाणिज्यिक और तकनीकी तौर पर विकसित करने में सहयोग करने की अपील की है।
रोजवैली की ओर से प्रस्तुत दो दो फिल्मों को इस बीच राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। पहली फिल्म `मनेर मानुष' को गौतम घोष को निर्देशित किया तो दूसरी पुरस्कृत फिल्म के निर्देशक कौशिक गांगुली है।गौतम घोष की भी सत्तादल से इधर गहरी छनने लगी है, जबकि वाम जमाने में उन्होंने कामरेड ज्योति बसु पर भी फिल्म बनायी।इन्हीं गौतम घोष ने बताया, 'बंगाली फिल्मों में लगने वाली रकम का लगभग 65 फीसदी चिटफंड/इनवेस्टमेंट कंपनियों का हो सकता है। यह एक बड़ा कारण है कि बंगाल में प्रोडक्शन वॉल्यूम पिछले कुछ समय में काफी बढ़ा है। बंगाली फिल्मों में लगभग 150-200 करोड़ सालाना का कैश सर्कुलेट होता है। पिछले 7-8 साल से यह ट्रेंड दिख रहा है। मुंबई और दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्री में चिटफंड या फाइनेंशियल कंपनियों का संबंध इससे पहले से है।'
कौशिक गागुली निर्देशित बहुचर्चित फिल्म `शब्द' भी मनेर मानुष की तरह बाक्स आफिस पर धूम मचा रही है। पर आषाढ़े गप्पो जैसी अनगिनत फिल्मों के प्रायोजकों के लिए अपनी फिल्म प्रदर्शित करना ही भारी पड़ रहा।
गौतम घोष के मुताबिक, बंगाल में कई चिटफंड/इनवेस्टमेंट कंपनियां हैं। इनमें से कुछ फिल्म प्रोडक्शन में भी हाथ आजमा रही हैं। हालांकि, हमेशा फंड का जरिया बताना आसान नहीं होता। घोष ने बताया कि चिटफंड बिजनेस से जुड़ी माने जाने वाली रोज वैली बंगाली फिल्मों में इनवेस्टमेंट में सबसे आगे है। उसने अभी तक 13-14 फिल्में बनाई हैं। इसमें गोल्डन पीकॉक अवॉर्ड जीतने वाली घोष की मोनेर मानुष और उनकी नई फिल्म शून्यो अंक्या भी शामिल है। घोष का कहना था, 'वह न केवल इन फिल्मों का देश में डिस्ट्रिब्यूशन कर रही है, बल्कि उसने विदेश में रिलीज के लिए इरोज इंटरनेशनल के साथ पार्टनरशिप भी की है। इनमें से कुछ कंपनियां जाली हो सकती हैं।' घोष ने कहा कि जहां तक उन्हें जानकारी है, तो इस समय विवादों का सामना कर रहा शारदा ग्रुप 'ज्यादातर टीवी प्रोडक्शंस से जुड़ा है।' आई-कोर और प्रयाग भी कथित तौर पर चिटफंड ऑपरेट करती हैं। प्रयाग ने प्रयाग फिल्म सिटी भी बनाई है, जिसके ब्रांड एंबेसेडर शाहरुख खान हैं। टॉलीवुड की बड़ी प्रोडक्शन कंपनी प्रिया एंटरटेंमेंट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अरिजीत दत्ता ने बताया, 'उम्मीद है कि टॉलीवुड की फिल्मों में 30 फीसदी फाइनेंस चिटफंड से आता है। रोज वैली ने कौशिक गांगुली की फिल्म शब्द भी प्रोड्यूस की है, जो रिलीज के तीसरे सप्ताह में चल रही है। यह सफल फिल्म है।' रोज वैली के एक सूत्र के मुताबिक, '2006 से बंगाली फिल्म प्रोडक्शन शुरू करने के बाद रोज वैली ने बॉक्स-ऑफिस के लिहाज से अच्छा प्रदर्शन किया है। कंपनी ने कहा है कि अगर इनवेस्टर्स चाहें, तो चिटफंड से पैसा वापस ले सकते हैं।'
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