ममता दीदी तो गृहयुद्ध में ही उलझ गयीं!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने संघर्षपूर्ण राजनीतिक जीवन में इतने बड़े संकट के मुखातिब कभी नहीं हुईं। शारदा समूह के भंडाफोड़ के बद मंत्रियों, सांसदों और पार्टी नेताओं के खिलाफ आरोपों में उलझी दीदी मुंहतोड़ दवाब दे तो रही हैं, लेकिन घरेलू मोरचे पर जो विवाद का सामना नये सिरे से उन्हें करना पड़ा है, उसका वे क्या करेंगी, अभी बताया नहीं जा सकता। दीदी ने अभियुक्त साथियों का जोरदार बचाव किया है और इसके साथ ही विपक्ष पर जमकर हमला बोल दिया है। वे एक साथ पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार और केंद्र सरकार को चिटफंड कारोबार के लिए जिम्मेवार बताने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने सारी फाइलें पलटकर एक एक को जेल भेजने की धमकी भी दी है।
दीदी अब तक कहती रही हैं कि उन्होंने पोइला वैशाख से पहले इस बारे में कोई खबर ही नहीं थी, लेकिन चिटफंड मामले में हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के सिलसिले में राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामे में उनके कार्यकाल के दौरान एकदम शुरुआत से चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाइयों का सिलसिलेवार दावा किया गया है। अपनी मां के जीवित होते हुए घरेलू विवाद के चलते दीदी एकबार गर छोड़कर चली गयी थी। अब राजनीतिक उत्तराधिकार को लेकर दीदी के घर में जंग छिड़ गयी है। उनके भाई कार्तिक जो खुलेआम, टीवी चैनल पर भी साल भर से चिटफंड के खिलाफ मुखर होने का दावा कर रहे हैं, मंत्रियं से लेकर संतरियों तक को बख्श नहीं रहे हैं, इसके पीछे भी अभिषेक को उत्तराधिकार दिये जाने का असंतोष बताया जा रहा है।
इसके अलावा चिटफंड मामले में तृणमूल कांग्रेस में भी घमासान मचने की आशंका है। सोमेन मित्र तो खुलेआम सीबीआई जांच की रट लगाये हुए हैं, राज्य सरकार की ओर से इसका प्रबल विरोध किये जाने के बावजूद। उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने पहले ही कह दिया कि कानून कानन की रीह पर चलेगा। पार्टी किसी का बचाव नहीं करेगी। सांसद शुभेंदु अधिकारी ने भी दागियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की हुई है।जो लोग मुखर नहीं हैं, उनकी राय भी कोमोबेश यही है।अब हालत यह है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भले ही कह रही हों कि उन्हें शारदा ग्रुप की धोखाधड़ी का पता 15 अप्रैल को पता चला, लेकिन उनके छोटे भाई कार्तिक ने दावा किया है कि उन्होंने एक साल पहले ही पार्टी को इस खतरे से आगाह किया था।
दीदी ने गौतम देव के आरोपों के जवाब में हालांकि परिवार के खिलाफ भी कदम उठाने के लिए तैयार होने का दावा किया है। लेकिन परिवार में जब पक्ष प्रतिपक्ष की मोर्चाबंदी हो तो दीदी किसके खिलाफ कार्रवाई करेंगी?शारदा ग्रुप चिटफंड घोटाले के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहली बार जनता के बीच पहुंची और घोटाले के लिए वामदलों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि चिटफंड घोटाले को लेकर उनके खिलाफ कही जा रही बातें गलत हैं।ममता बनर्जी ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर अपनी पीठ ठोंकते हुए दावा किया कि वो आम लोगों को बचाने के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर रही थी। उन्होंने कहा कि घोटाले को लेकर उनके खिलाफ कही जा रही बातें गलत हैं। इस बीच पुलिस ने शारदा ग्रुप के हेड ऑफिस को सीज कर दिया है।
हावड़ा संसदीय उपचुनाव में पार्टी के भीतर चल रहे घमासान का इंगित मिला है, जहां पार्टी नेताओं के बजाय फुटबाल खिलाड़ी प्रसून बंद्योपाध्याय को उम्मीदवार बतौर उतारना पड़ा है दीदी को।इससे पूरे हावड़ा जिले में शारदा समूह के पर्जीवाड़े के शिकार लोगों के इस विपर्यय के पीछे पार्टी नेताओं की बूनिक की नये सिरे से चर्चा शुरिु हो गयी है।बाली से लेकर सांकराइल, डोमजूर, पाचला , रानीहाटी तक सर्वत्र इसी मुद्दे पर गर्मागर्म चर्चा हो रही है।लोग खुलेाम पार्टी नेताओं को दोषी ठहराने लगे हैं।वीरभूम में शताब्दी राय के खिलाफ भी यही वातावरण है।नदिया और दोनों २४ परगना में यही हाल है। शुभेंदु हो या सोमेन सभी सांसदों विधायकों को खिसकते जनाधार का भय सता रहा है। दीदी जो दागी नेताओं के बचाव में इस कदर आक्रामक हो रही हैं, इसे तृणमूल के अनेक नेता अपने राजनीतिक भविष्य के लिए प्रचंड कतरा मान रहे हैं। विरोधियों से निपटने से पहले दीदी को इस अंतर्कलह के समादान का रास्ता निकालना ही होगा।
कार्तिक ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, 'मैंने चिटफंड और इसके जरिए गरीबों को ठगे जाने को लेकर एक साल पहले ही आवाज उठाई थी। मैं पार्टी का एक मामूली कार्यकर्ता हूं और इस कारण मेरी आवाज को तब अनसुना कर दिया गया।' उन्होंने कहा, 'हर कोई जानता है कि दीदी (ममता बनर्जी) बेहद ईमानदार हैं, लेकिन वे कुछ ऐसे लोगों से घिरी हुई है, जो पूरी तरह से ईमानदार नहीं हैं। पार्टी को मजबूत करने के लिए ऐसे लोगों को पार्टी से निकाल देना चाहिए।'
उधर राज्य की विपक्षी पार्टी सीपीएम के केंद्रीय समिति के सदस्य मोहम्मद सलीम ने इस मामले की सीबीआई द्वारा जांच कराए जाने की मांग पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने पश्चिम बंगाल में चिटफंड के खिलाफ पहले इसलिए कार्रवाई नहीं की, क्योंकि तब तृणमूल कांग्रस के साथ उसका गठबंधन था।सलीम ने कहा, इस मामले में केंद्र की यूपीए सरकार ने चुप्पी साध रखी था। उसने पिछले दो वर्षों में कोई कार्रवाई नहीं की। तब तृणमूल कांग्रेस केंद्र की यूपीए सरकार का समर्थन कर रही थी और इस कारण सेबी, रिजर्व बैंक और एसएफआईओ जैसी संस्थाओं को इसके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं दी गई।
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