बंगाल अब आत्महत्या प्रदेश में तब्दील होने लगा!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
किसानों की आत्महत्याओं के लिए विदर्भ का नाम दुनियाबर में कुख्यात है। बंगाल में किसान आत्महत्या करते रहे हैं और अब भी कर रहे हैं। पर आर्थिक अराजकता और वित्तीय प्रबंधन की गैरमौजूदगी की वजह से आत्महत्याओं का यह सिलसिला नया है। मुक्त बाजार व्यवस्था में अनियंत्रित बाजार का कोढ़ कहर बनकर बंगाल पर फूटने लगा है। अब तक दस से ज्यादा लोगों ने शारदा फर्जीवाड़ा के भंडाफोड़ के बाद खुदकशी करने का विकल्प अपनाया है। राज्य में सौ से ज्यादा बड़ी चिटफंड कंपनियों का गोरखधंधा बेरोकटोक चल रहा है। जिन दो और कंपनियों पर कार्रवाई हुई हैं, उन कंपनियों के मालिक अब अखबारी विज्ञापन आजमाने के बाद टीवी के परदे पर अवतरित होकर खुद को दूध का धुला साबित कर रहे हैं। उनकी संपत्ति को दिखाया जा रहा है।ताकि सरकारी जन जागरण अभियान का कोई असर न हो और आम निवेशक उनके जाल में फंसे ही रहें। चिटफंड की अनंत चर्चाओं के बीच यह विज्ञापन बाजार भी खूब फल फूल रहा है।
आसनसोल, दुर्गापुर, मालदह, सिलीगुड़ी से लेकर दक्षिण चौबीस परगना के जयनगर जैसे छोटे शहरों में असंख्य छोटी कंपनियों का कारोबार चल रहा है। इन कंपनियों के मालिक गायब होने लगे हैं। जिनके भागने का रास्ता भी नहीं खुला है, वे आत्महत्या कर रहे हैं। एजंट भी इस सूची में हैं और आम निवेशक तो है ही। केंद्र और राज्य सरकारों की कार्रवाई पर भरोसा किये बिना, कानून के राज के टूटने का सबूत पेश करते हुए लोग अपने परिजनों को अनाथ छोड़कर आत्महत्या की राह पर चल पड़े हैं। नक्शे पर इन घटनाओं को चिन्हित किया जाये तो पूरा बंगाल अब आत्महत्या प्रदेश में तब्दील होने लगा है।
सत्तर के दशक में इसी बंगाल के प्रख्यात कवि नबारुण भट्टाचार्य ने अपनी कविता के जरिये तत्कालीन सामाजिक यथार्थ के बरअक्श लिखा थाः यह मृत्यु उपत्यका मेरा देश नहीं है। देश हो या नहीं, बंगाल अब मृत्यु उपत्यका में तब्दील है।
शुक्रवार की सुबह फाल्टा में एक क्षेत्रीय चिटफंड कंपनी के मालिक ६२ साल के रंजीत शील ने खुदकशी कर ली।आत्महत्या से पहले अपनी कंपनी के ही पैड पर उन्होंने पत्र लिखा।निवेशको के पैसे लौटा न पाने की आशंका से ही उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।गौरतलब है कि अचित शील दीघा, फाल्टा, वकखाली, संदरवन, रायचक .मंदारमणि जैसी जगहों पर सात सात होटल के मालिक भी थे।अपने होटल के कारोबार में उन्होंने आम लोगो की जमा पूंजी का कितना सदुपयोग किया, यह अब जांच का मामला है।एग्रो इंडीया लिमिटेड और अपरुपा नाम से वे दोधो चिटफंड कंपनियां चलाते थे।होटल और रिसार्ट बुक कराने के नाम पर यह धंधा चलता था।
गौरतलब है कि लगभग सभी चिटफंड कंपनियों के होटल और रिसार्ट हैं, जिसकी आड़ में पर्यटन विकास के नाम पर यह गोरखधंधा सरकारी और राजनीतिक संरक्षण प्रोत्साहन से खूब फलफूल रहा है, हालिया टीवी विज्ञापनों संदिग्ध कंपनी मालिकों की सीनाजोरी के मद्देनजर इस पर अंकुश लगने की कोई संभावना फिलहाल नहीं है।
इसीतरह हल्दिया में एटीएम ग्रुप,दुर्गापुर में आर्ने , पानिहाटी इलाके में एनेक्स जैसी दर्जनों संस्थाओं के मालिक आम लोगो के पैसे लूटकर गायब हैं।
वर्दवान के कालना जैसे छोटे शहर में चालीस से ज्यादा कंपनियों का कारोबार फैला है।
सुंदरवन इलाके के हासनाबाद स्वरुप नगर जैसे इलाकों में शारदा समूह के अलावा सन्मार्ग के खिलाफ भी जनरोष भड़क उठा है।
सांसद शताब्दी राय के संसदीय क्षेत्र सिउड़ी और वीरभूम में तो चिटफंड कंपनियों की बहार है। वहां रोजाने धरना प्रदर्सन चल रहा है।
इन कंपनियों में निवेश करने वाले लोग सड़कों पर उतर आए हैं और इस चिटफंड कंपनी के दफ्तरों और एजेंट्स को निशाना बना रहे हैं।इससे छोटी कंपनियों के मालिक और सभी कंपनियों के एजंटों में जो अबतक लाखों करोड़ों में खेल रहे थे, भारी दहशत फैल गयी है। ऐसी घटनाएं अब रुकेंगी, इसमें संदेह है।
दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर में शारदा में निवेश करने वाले एक जमाकर्ता ने शुक्रवार को दक्षिण 24 परगना जिले में आत्महत्या कर ली।पुलिस सूत्रों ने कहा कि इस कंपनी में धन निवेश करने वाले रंजीत प्रमाणिक (18) ने दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर क्षेत्र के ठाकुरचौक पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
इससे पहले दक्षिण 24 परगना जिले के बारूइपुर की रहने वाली 50 वर्षीय उर्मिला प्रमाणिक ने 20 अप्रैल को खुद को आग के हवाले कर दिया था और 21 अप्रैल को चितरंजन अस्पताल में दम तोड़ दिया था। उर्मिला ने शारदा ग्रुप में 30 हजार रुपये का निवेश किया था।
शारदा ग्रुप के के एक एजेंट,हाटतल्ला के एक चिकित्सक स्वप्न कुमार विश्वास (36) ने इस कंपनी में अपनी निजी बचत से चार लाख रुपये का निवेश किया था और वह 27 अप्रैल को पुरूलिया के बलरामपुर में अपने घर में फांसी पर लटके पाए गए थे।पुलिस ने कहा कि उसने अपने निजी बचत से चार लाख रुपये शारदा समूह में जमा कराए थे और घोटाले की खबर फैलने के बाद से काफी तनाव में था। उन्होंने कुछ दिन पहले अपने रुपये निकालने के लिए शारदा समूह के बलरामपुर कार्यालय से संपर्क किया था, लेकिन उन्हें रुपया नहीं मिला। बाद में जब बलरामपुर में कंपनी कार्यालय बंद हो गया तो वह तनाव में आ गए। तपन के परिवार में उनकी पत्नी व दो बेटियां हैं। उन्होंने अपनी बड़ी बेटी की शादी के लिए एक-एक पैसा जमा किया था।
दक्षिण 24 परगना में शारदा ग्रुप के तीन एजेंटों ने कंपनी का भंडाफोड़ होने के बाद मथुरापुर, डायमंड हार्बर और फाल्टा में खुदकुशी की थी।
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