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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, October 9, 2013

कोलकाता के आसमान में तैनात ड्रोन असुरों के वध के लिए

कोलकाता के आसमान में तैनात ड्रोन असुरों के वध के लिए

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

बंगाल भर में और दुनियाभर में जहां भी बंगाली हैं, महालया को महिषमर्दिनी का आगमन हो चुका है। बंगाल में असुरों के वध का खास इंतजाम हुआ है। मां दुर्गा को असुर विनाशक महायुद्ध में जीत हासिल करने में कठिनाई न हो ,इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ नाटो के ड्रोन अब कोलकाता के आसमान में तैनात हैं,जो भारत में बंगाल के जंगल महल समेत तमाम माओवाद प्रभावित इलाकों में आंतरिक सुरक्षा का काम देखते हैं।आसमान से खुफिया कैमरे से नागरिकों पर कड़ी निगरानी है।जहां कहीं दिख गया असुर महिषासुर,उसके वध का पुख्ता इंतजाम है।सारे नागरिक जाहिर हैं सुरक्षित होंगे दुर्गोत्सव में।दीदी ने अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम कर दिया है।


दुर्गा के नाम मां काली से दीदी की शिकायत


बंगाल में अबकी दफा दुर्गोत्सव राजकीय है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक दो नहीं, 273 पूजा आयोजनों का देवीपक्ष के पहले दिने से शुभारंभ करने के महती राजकाज में बिजी हैं। वृष्टि असुर उनके इस आयोजन को रोकने लगी है तो नाराज दीदी ने मांदुर्गा के खिलाफ मां काली से शिकायत भी दर्ज करा दी है। मुख्यमंत्री पंडाल में स्वयं हाजिर होकर चंडीपाठ कर रही हैं और जागरणी  गा रही हैं,ऐसा नजारा दुनियाभर में कहीं और देखने को मिला हो तो बताना।

वृष्टि असुर का हमला और सारे अखबार बंद


फिर भी वृष्टि असुर से पीछा छूट नहीं रहा है। मुश्किल तो यह है कि बगावत और आतंक को रोकने में ड्रोन जितने कारगर है,बारिस रोकने में उनकी भूमिका का अभी ईजाद हुआ है कि नहीं,मालूम नहीं पड़ा है। पूजा के दरम्यान हाकर अखबार नहीं उठायेंगे,इसलिए षष्ष्ठी से दशमी तक सारे अखबार बंद रहेंगे। हालांकि पूजा लाइउव टीवी पर रात दिन राउंड दि क्लाक प्रसारित होता रहेगा। सबको दीदी ने छुट्टी दे दी है। दीदी ने सबकी छुट्टी कर दी है। बारिश की छुट्टी के लिए मां दुर्गा के खिलाफ मां काली से भी शिकायत कर दी है, लेकिन बारिश की एक दिन की छुट्टी भी मंजूर नहीं हुई है। मौसम विबाग के मुताबिक अष्टमी के दिन वज्र वृष्टि असुरों का हमला होगा बंगाल पर।


धार्मिक राजकाज

कोलकाता से हावड़ा में राइटर्स का स्थानांतरण संपन्न करके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न से बंगाल में रक्तहीन क्रांति को अंजाम दिया है। इसी के साथ देवीपक्ष के पहले दिन जोधपुर पार्क में दुर्गोत्सव का उद्बोधन करके पूजा का आरंभ करने वाली वह बंगाल की पहली मुख्यमंत्री बन गयी है।हिंदुत्व कार्ड खेलकर जो राजनीति करते हैं,बंगाल में दीदी का धार्मिक आचरण उनके लिए भारी चुनौती बन गया है।दीदी यह साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है कि धर्म के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं है। उनपर जो अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के आरोप लग रहे हैं,उसका मुंहतोड़ जवाब दे दिया है दीदी ने।धर्मग्रंथों के मुताबिक शासक दैवी प्रतिनिधि होता है और दुर्गोत्सव में दीदी दैवी शक्ति बनकर बंगालियों के उद्दार का काम कर रही हैं।


सोने से लदी मूर्तियां


विधानननगर से दमदम एअरपोर्ट पर जाने वाली काजी नजरुल इस्लाम सरणी पर श्रीभूमि के पंडाल में दुर्गा,सरस्वती,लक्ष्मी, गणेश और कार्तिक, यहां तक कि महिषासुर को भी असली सोने के गहने पहनाकर करिश्मा कर रहे हैं दीदी के खासमखास तऋणमूल विधायक सुजित बाबू। मंत्री अरुप विश्वास के पूजा आयोजन की छवि उन्होंने धूमिल कर दी है।सुजित बाबू कभी वाम राज में दिवंगत कामरेड सुबाष चक्रवर्ती के दाहिने हाथ हुआ करते थे।मूर्तियों पर सुजित बाबू के मुताबिक चौदह किलो सोने के गहने कोई आभूषण कंपनी लगा रही है।श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब में मूर्तियां लगभग पांच करोड़ रुपये के तनिष्क के गहनों से सजाई जाएंगी।


ब्रांडिंग का करिश्मा

कोलकाता स्थित सौंदर्य प्रसाधन व खाद्य सामग्री बनाने वाली कंपनी इमामी ने सौ से ज्यादा पूजा समितियों के साथ करार किया है। वहां भोग (खिचड़ी) कंपनी में बने तेल में पकेगा और पैकेट पर उसका ब्रांड नाम भी नजर आएगा। निदेशक आदित्य अग्रवाल कहते हैं, "इससे कंपनी एक लाख से ज्यादा घरों तक पहुंच सकेगी और ब्रांड को लोकप्रिय बनाने में सहायता मिलेगी।" कंपनी ने अपने प्रचार का बजट 30 फीसदी बढ़ा दिया है। इसी तरह एक अन्य कंपनी डाबर भी पूजा पंडालों में अपने जूस के छोटे पैकेट वितरित करेगी। टाइटन की तनिष्क भी पूजा में ब्रांडिग के लिए मैदान में है।


पर्व पर भारी है उत्सव


आस्था अब सार्वजनीन है।पर्व पर भारी है उत्सव।राज्य में गरीबी है, आस पास महंगाई है, लोग भले ही इनसे परेशान हों, लेकिन पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गापूजा पर इनका कोई असर नहीं नजर आ रहा है। बेहताशा खर्च कर ये उत्सव भक्ति के बजाए भव्यता की राह पर जा रहा है।राज्य में हर साल 10 हजार से ज्यादा पूजा समितियां दुर्गापूजा आयोजित करती हैं। अकेले राजधानी कोलकाता में ही साढ़े तीन हजार पंडाल बनाए जाते हैं। इनमें से सौ से ज्यादा पंडाल तो ऐसे हैं जिनका बजट करोड़ों में होता है। हर साल नई थीम पर होने वाली इस पूजा के दौरान मूर्तियों, पंडालों की साज-सज्जा और बिजली की सजावट पर भारी रकम खर्च की जाती है।


फुटपाथ पर बीयर और रम


इस बार दुर्गोत्सव में प्यास बुझाने के कास इंतजाम हैं। कोका कोला,पेप्सी और लिमका,लस्सी और जलजीरा के अलावा हर

फुटपाथ पर होंगे सोडा कियोस्क। सोडा के साथ पलों का रस,बीयर और रम भी पी सकते हैं खुलेआम।जिन्हें विशुद्ध शराब चाहिए,उन्हें कष्ट उठाकर परिजनों के साथ दारु की दुकान जाने की जरुरत ही नहीं है। वे डिपार्टमेंटल स्टोर यानी शापिंग माल से विदेसी शराब खरीदकर पूजा रंगीन बना सकते हैं।


सोनागाछी में पहलीबार


अदालती लड़ाई जीतकर सोनागाछी में यौनकर्मी पहलीबार दुर्गा पूजा कर रहे हैं।पहले पुलिस वाले आसुरी तांडव का बहाना बनाकर इस आयोजन की अनुमति दे नहीं रहे थे।अदालती हस्तक्षेप से वे लोग पूजा कर रहे हैं पहलीबार जिनके घरों की मिट्टी के बिना दुर्गा की प्रतिमा बनती नहीं है। फिल्म देवदास में माधुरी और ऐश्वर्य के डोला रे डोला धुन पर युगल नृत्य को याद कीजिये।जाहिर है कि यौनकर्मियों को अब पूजा का हक मिल गया है।देश में पहली बार यौनकर्मियों को सार्वजनिक तौर पर दुर्गापूजा करने का अधिकार मिला है। दुर्बार महिला समन्वय समिति को यह अधिकार कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दिया। यौन कर्मियों को दुर्गापूजा में जाने का सौभाग्य नहीं मिलता है क्योंकि समाज में इन्हें वह जगह अभी तक नहीं मिली है जो आम लोगों को मिली है। एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी के सात हजार और पश्चिम बंगाल के तकरीबन चालीस हजार यौन कर्मियों को इस बार दुर्गापूजा करने का अधिकार मिला है।


उद्योग और कारोबार अब दुर्गोत्सव


बंगाल का आर्थिक बदहाली का मंजर सिरेसेगायब है।उद्योग और कारोबार अब दुर्गोत्सव है । इस साल इस आयोजन का कुल खर्च पिछले साल के मुकाबले 35 फीसदी तक बढ़ गया है। एसोसिएटेड चैंबर आफ कामर्स (एसोचैम) की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, बंगाल में दुर्गापूजा के आयोजन पर पिछले साल 25,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो कई राज्यों के सालाना बजट से भी ज्यादा है। इस उद्योग के बढ़ कर 40,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि पूजा के लिए बनने वाले पंडालों पर वर्ष 2012 में 350 करोड़ खर्च हुए थे। लेकिन कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि और भव्य डिजाइनों की वजह से इस साल इसके पांच सौ करोड़ का आंकड़ा पार करने का अनुमान है। लेकिन तेजी से बढ़ते बजट के बावजूद आयोजकों के चेहरों पर कहीं कोई शिकन नहीं है।


पूजा जहां बेमायने


मालदा में लेकिन तट कटाव से क्षतिग्रस्त मानिकचक ब्लॉक के लोगों के लिए दुर्गापूजा कोई मायने नहीं रखती। यहां के ज्यादातर लोग मजदूरी कर व भीख मांग कर पेट पालते हैं।देवी वोधन से  लेकर विसर्जन तक उनके लिए कोई आनंद का माहौल नहीं है। दुर्गापूजा में चारों ओर लोग जहां खुशी से झूमते हैं वहीं मानिकचक के घर-घर में शोक की लहर दौड़ती है. क्योंकि इन लोगों को कपड़ा, खाना सभी चीजों के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है। पूजा आये और जाये इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। मानिकचक ब्लॉक के मानिकचक ग्राम पंचायत अंतर्गत ब्रजलालटोला, महेंदट्रोला, डोमहाट, रामनगर व बड़ो बागान इलाके में तिस्ता के तट कटाव से करीब ढाई हजार परिवार क्षतिग्रस्त हुए हैं।

कोई सरकारी सड़क किनारे तो कोई आमबागान में पॉलीथीन, चटाई आदि से किसी तरह सिर छिपा रहे हैं। पूजा में ढाक की आवाज इन्हें और विरक्त कर देती है. पूजा आते ही इन परिवार के बच्चें नये कपड़ों के लिए जिद करने लगते हैं। इन लोगों को तो भगवान पर से विश्वास उठ गया है. इसलिए ज्यादातर लोग पूजा नहीं घुमते हैं। कुपोषण के कारण इनके शरीर में बीमारियों ने अपना घर बना लिया है। काम की तलाश में ये लोग घर छोड़कर बाहर जाते हैं, और लौटते वक्त साथ में एड्स जैसी बीमारी लेकर लौटते हैं।


घर भी बदलेंगी दीदी


राइटर्स के बाद अब घर भी बदलेंगी दीदी। ज्योतिषी की सलाह पर ममता अपना घर बदल रही हैं। वह अपने दक्षिण कोलकाता में कालीघाट स्थित घर से पॉश अलीपुर इलाके की आलीशन इमारत में जाने वाली हैं।अपने कालीघाट वाले घर में ममता जन्म से ही रह रही हैं। उनके साथ पूरा परिवार भी रहता है। ममता बनर्जी को ज्योतिषी ने घर और ऑफिस हुगली नदी के पश्चिम में बदलने की सलाह दी थी। उनका ऑफिस यानी सीएमओ हावड़ा के मंदिरतला में पहले ही शिफ्ट हो चुका है।दीदी का नयाघर  पुराने घर से बिल्कुल अलग होगा। यह इमारत दो एकड़ जमीन पर बनी हुई है। इसमें 8 से 10 कमरे, एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम और एक हॉल है। ममता बनर्जी अब तक कालीघाट स्थित अपने घर में भाई के परिवार के साथ रहती थीं।


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