लीजिये, वोट पड़ने से
पहले तैयार है जनादेश
अब आपका अनुमोदन चाहिए
झक मारकर मुहर लगाइये
Zionist US gets ready to work with Modi as Goldman doesn’t Flinch from Lotus Position Despite a Breathless Govt !
Palash Biswas
लीजिये, वोट पड़ने से
पहले तैयार है जनादेश
अब आपका अनुमोदन चाहिए
झक मारकर मुहर लगाइये
नरेंद्र मोदी ने
ममता बनर्जी की
तारीफ करते हुए
कहा है कि वे बंगाल
के लिए लड़ती हैं।
ओबामा प्रशासन के
वरिष्ठ अधिकारियों ने
कहा कि अगर
भारत में
आम चुनाव 2014 में
भाजपा सत्ता में आती है,
तो उसके प्रधानमंत्री पद
के उम्मीदवार
नरेंद्र मोदी के साथ
काम करने के लिए
अमेरिका तैयार
चुनाव नतीजों की
परवाह किए बिना
दोनों देशों के
मजबूत द्विपक्षीय
संबंध जारी रहेंगे
बेशक
भारत के सारे
सीईओ चुन चुके हैं
देश का प्रधानमंत्री
जनमत सर्वेक्षण
बजरिये
एफडीआई खोर
भारतीय मीडिया
निकाल चुका है
चुनाव नतीजा
जबकि वोट पड़े नहीं हैं
और कहते हैं
कि आपके हाथ में
अंधेरी रात में
दिया भी है
सबको खारिज
कर देने का
अधिकार
जीरो ग्राउंड
सलमा जुड़ुम
पर होगा
इस हक का
इस्तेमाल
पहलीबार
अभी अभी बाजार
से लौटा हूं
दुनियाभर के
अखबारों में
छाया ईश्वर का
सूर्यास्त
और दीदी का
अभूतपूर्व छठप्रेम
खाली थैली लेकर
वापस लौटा घर
बाजार में ज्यादातर
व्यापारी आये नहीं
जो आये,उनके यहां
सामान नहीं
कल हल्ला था
कि उत्तर कोलकाता
के दोलना पार्क से
दीदी गंगा घाट तक
छठव्रतियों के
साथ साथ
दंडवत यात्रा करेंगी
समाजवादी इस
बिहारी सूर्य नमन में
हालांकि बुरबक
बिहारी जनता
बिना किसी भेदभाव
जातिप्रथा और अस्पृश्यता
तोड़कर एकजुट
और कहीं कोई पुरोहित
भी नहीं
और न
ब्राह्मणी कर्मकांड कोई
देर रात घर लौटा
तो अपनी बस्ती में
जो बंद कांचकल की
मजूर बस्ती थी कभी
और जहां तमाम
यूपी बिहार वालों
का जमघट है
अकेले हम उत्तराखंडी
और बाकी बंगालियों के बीच
बच्चे पटाखा फोड़
रहे थे घाट जाने की तैयारी में
बेटियां बहुएं
सजधजकर तैयार
सुबह सुबह नाश्ते पर
ढेरों ठेकुआ
फलों के साथ
बिना छठ उपवास या
व्रत के
सबको समाहित करने
का अनूठा पर्व यह छठ
शायद इसीलिए
दुनियाभर में
मात्र बिहार यूपी के
निराले आम लोग
उगते सूरज और
डूबते सूरज दोनों को
दे देते हैं अर्घ्य
बाकी कोई
डूबते सूरज को
पूछनेवाला नहीं
दुनियाभर में कहीं भी
फिरभी पिछड़े
भदेस समझे जाते
माने जाते बुरबक ही
बिहार यूपी के लोग
हम भी अखंड यूपी
से आये बंगाल
और हमारे बंगाली पड़ोसी
हमें हिंदुस्तानी कहते हैं
बहरहाल हम बेताबी से
कर रहे थे इंतजार
कि समता के
इस उत्सव में
बिना चंडीपाठ
दीदी का कब
हो आविर्भाव
और हमारे चर्म चक्षु
हो जायें सार्थक
बेचारे फोटो जर्नलिस्ट
तस्वीर के लिए
इंतजार करते ही रह गये
पता चला कि
लोग अफवाहें
उड़ाते रह गये
अफवाहें ऐसी कि
फिर कल रात
कई चश्मदीद ने
दावा किया कि हावड़ा
के आंदुल में
आलू लदा ट्रक
लेकर गयीं दीदी
और अपने हाथ से
तेरह रुपये किलो
बेच दिये आलू
दावा भी करने लगे
दीदी के भाई तमाम
अब बंगाल में
वाम शासन जैसा
कोई अकाल
कभी होगा नहीं
नया राइटर्स नवान्न को
जरुरी हुआ तो
आलू गोदाम
बना देंगी दीदी
या फिर
धान की मंडी
क्योंकि अब
सरकार
किसानों से
सीधे खरीदेगी धान
एफसीआई
में पर्चा बंटा है
लेकिन भंडारण
का पूरा इंतजाम नहीं है
एफसीआई के वहां
इसीलिए एकमात्र विकल्प
फिर वही नवान्न है
राजकाज के लिए
ममता दीदी
काफी हैं
बाकी मंत्रीमंडल
और प्रशासन सिर्फ
जीहुजूरी के लिए
चंडीपाठ से
जूता सिलाई
सारा काम
अकेले दम
कर लेती हैं
सारे विभाग
उन्हींके पास
बाकी मंत्रियों
और अफसरान
के लिए
गणेश चतुर्थी से
लेकर
सरस्वती पूजा तक
अविराम अवकाश
चूंकि राजकाज
मूलतः धार्मिक है
और बंगाल
सर्वक्षेत्रे
एकाधिकारवादी
ब्राह्मणी वर्चस्व के
बावजूद
चोबीस कैरेट
विशुद्ध धर्म निरपेक्ष
ईद पर नमाज
क्रिसमस पर केक
फिर दुर्गोत्सव
और
कालीपूजा राजकीय
गुरुपर्व पर
क्या करते हैं
बंगाली
या बुद्धपूर्णिमा में क्या
मालूम नहीं चला
क्योंकि इन
समुदायों का
यथेष्ट वोट बैंक
है ही नहीं
जो धर्मनिरपेक्षता
की अनिवार्य शर्त है
बंगाल क्या बाकी
देश में भी
अब देखिये,
छठ पूजा राजकीय
होते होते
रह गया
दीदी दंडवत
यात्रा कर लेती
तो छठ भी हो
जाता राजकीय
अब अगले साल
तक करें इंतजार
इस धार्मिक राजकाज में
जाहिर है कि जन सरोकार
अहम है और नवान्न में
पालतू फालतू भीड़
बढ़ाने से कोई फायदा नहीं
तो बहुत बेहतर है
आलू गोदाम बन जाये
नवान्न में राइटर्स
यापिर बन जाये
धान की मंडी
वैसे भी दीदी
या तो जंगल महल में
होती हैं सचल ड्रोन के साथ
या फिर पहाड़ में
मुस्कान खिला
रही होती हैं
और वहां भी
पहुंचेंगे ड्रोन
दीदी अभी
माओवादियों की
हिटलिस्ट में टापर
सरकारी विज्ञापन में
कानू सान्याल की
तस्वीर छापने पर
भी दीदी की सुरक्षा
में तैनात रहेंगे ड्रोन
कोलकाता में
बीपीएल कार्ड
के लिए निगम
चला रहा है
गरीब खोजो
अभियान, लेकिन गरीब
है ही नहीं कोई
नाम लिखाने
पहुंच नही रहा कोई
परिवर्तन राज
का दिवाली धमाका
बाजार बाजार
मारे मारे घूम रही दीदी
सड़कों की धूल
छान रही दीदी
जाहिर है
नियंत्रित है
निरंकुस बाजार
दीदी के राज में
टीवी चैनलों के कोलाज
यही दिखाते हैं
रात दिन
चौबीसों घंटे
सातो दिन
बारह मास
बाकी जनपद
कितना गरीब है
इसका किसी की सेहत
पर कोई असर होता नहीं
कोलकाता के कंक्रीट
जंगल में रहे नहीं कोई
गरीब बेचारा
क्योंकि कोलकाता
लंदन बनने को तैयार
चूंकि नवान्न
हावड़ा में है,इसलिए
हावड़ा की सुधि
लेना जरुरी भी है
लेकिन मुश्कल यह है कि
अभी हावड़ा का रंग
लाल है नवान्न में
राइटर्स के
स्थानांतरण
के बावजूद
जो दीदी को हरगिज
नापसंद है
जबकि राजधानी
हावड़ा हो
इसलिए
सिर्फ मंदिरतला
ही नहीं
धूलागढ़
और डोमजूर को भी
पूरे राज्य से जोड़ने
लगी हैं दीदी
और हावड़ा
नगर निगम का चुनाव
भी सामने
बहरहाल राइटर्स के
कायाकल्प में
आलू गोदाम
होना भी बेहद
जरुरी है
फिर चावल
का संकट है आगे
नवान्न में
राइस मिल हो
तब ना जनता का
होगा राइटर्स
इंतजार करें
इसके बावजूद
ताज्जुब यह कि
छोटे कारोबारी
और किसान
खुश नहीं हैं
एकदम इस
राजकीय
उपभोक्तासेवा से
किसानों को
शिकायत है कि
उन्हें
अपनी उपज का दाम
मिल नहीं रहा
और खुदकशी भी
करने लगे किसान
लेकिन सरकारी
आंकड़ा कोई नहीं
खुदकशी का
चिटफंड में भी
कितनों ने कर ली
खुदकशी,तो क्या हुआ
विदर्भ में और बाकी
देश में सालाना
थोकभाव से
हजारों हजार
किसान आत्महत्या
कर रहे हैं
किस सरकार को क्या
फर्क पड़ा बतायें
देश के क्रिकेटर
कृषिमंत्री को क्या
फर्क पड़ा बतायें
खेती तबाह
किसान तबाह
लेकिन हम क्रिकेट के
विश्वचैंपियन हैं
और
आईपीएल ग्लोबल है
बाकी जो बचा
वह बाबाजी का ठल्लू
छोटे कारोबारी
कहते हैं
सरकारी रेट से
घाटा में बिजनेस
उनके बस में नहीं
बाजार से भाग
खड़े हो रहे
छोटे कारोबारी
या फिर
दुकान खोले हैं
तो सामान नहीं है
जो है,इतना महंगा
कि अंगारा है
आलू का सरकारी रेट है
बाकी चीजों के लिए
कोई सरकारी रेट नहीं
चालीस साठ अस्सी सौ
कुछ भी खरीद लो
वह भी नहीं बाजार में
सविता खाली थैली देखकर
चीखी,एक अकेले गरीब हो
बाकी सारे अमीर
अब कहते हैं कि
मोदी प्रधानमंत्री होंगे तो
अपनी दीदी को बना देंगे
उपप्रधानमंत्री
बशर्ते कि वे राजी हों
उपप्रधानमंत्रित्व के लिए
वैसे देश की प्रधानमंत्री
भी बन जायें दीदी
राजकाज तो
कोलकाता से
ही चलेगा
खूब संभव है कि
राजधानी
फिर कोलकाता
लौट आये
धर्म कर्म
अपनी अपनी
धर्म निरपेक्षता
और
धार्मिक राजकाज
के मामले में
बाकी कोई प्रतिद्वंद्वी
फिलहाल मैदान में
हैं ही नहीं
सीधा मुकाबला है
या
युगलबंदी
इंतजार करें
दीदी को चुन
चुका है बंगाल
बाकी देश अब
मोदी को चुन लें
फिर सोने की चिड़िया
बन जाये भारत
दीदी की जीत में
मीडिया ने जो हवा बनायी
उसी हवा की सुगंध
है बाकी देश में
अब दीदी का
परिवर्तन मीडिया
राष्ट्रव्यापी है
दिवाली मना
व्हाइट हाउस में
पहली बार
और अमेरिका तैयार
मोदी के प्रधानमंत्रित्व के लिए
गौर करें कि
कोई दो विकल्प नहीं हैं
अमेरिका और बाजार के पास
फिलहाल राहुल का शेयर गिरा है
मोदी का जबर्दस्त
उछाला समय है
फिर कौन कौन उछले हैं
इंतजार करें
बहरहाल
खारिज करने का
हक हो या न हो
मोदी को खारिज
करना मुश्किल है
क्योंकि मीडिया
और अमेरिका ने तैयार
कर दिया जनादेश
आर्थिक सुधारों के
ईश्वर को अलविदा
कहने का समय है
क्या दीदी उनकी विदाई
के लिए भी कोलकाता में
करेंगी कोई खास इंतजाम
जैसे किया सचिन तेंदुलकर
की विदाई के लिए?
सरकार के सामने मुश्किल ये खड़ी होने वाली है नरेंद्र मोदी की तारीफ को लेकर वो किस-किस का मुंह बंद कराए। गोल्डमैन सैक्स के बाद दिग्गज ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने भी नरेंद्र मोदी को बाजार और इकोनॉमी के लिए अच्छा बताया है।
सीएलएसए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेंसेक्स में पिछले 11 हफ्ते में जो तेजी आई है वो दो वजहों से है। पहली वजह ये है कि अमेरिका में क्यूई3 हटने को लेकर चिंताएं घटी हैं। दूसरी बड़ी वजह ये है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की जीत की उम्मीद बढ़ गई है।
यही नहीं सीएलएसए के मुताबिक अगर बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में आती है तो बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिलेगी। सीएलएसए के मुताबिक कॉरपोरेट्स को नरेंद्र मोदी में भरोसा ज्यादा है लिहाजा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से निवेश में काफी तेजी आएगी।
सीएलएसए का मानना है कि अगर बीजेपी 190-200 सीटें पाने में कामयाब होती है तो गठबंधन में बनने वाली सरकार भी काफी हद तक स्थायी होगी। सीएलएसए ने एक दिलचस्प तथ्य का भी अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है। वो ये कि नरेंद्र मोदी की रैली में राहुल के मुकाबले 6 से 8 गुना ज्यादा लोग आ रहे हैं। ये तथ्य भी एक नए विवाद को जन्म दे सकता है।
नई दिल्ली। ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैक्स की नरेन्द्र मोदी की तारीफ से सरकार तिलमिला गई है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने तीखे शब्दों में कहा है कि गोल्डमैन सैक्स जैसे बैंक अपने काम से काम रखें, राजनीति और चुनाव में टिप्पणी ठीक नहीं। यही नहीं आनंद शर्मा ने कहा है कि बाजार के जानकारों को राजनीति में बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
गोल्डमैन सैक्स का कसूर ये है कि उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बाजार को नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने की उम्मीद है और इसलिए वो जोश में है। पर इससे कांग्रेस का गुस्सा भड़क गया है। सरकार ने वैश्विक निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्श द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि एजेंसी या संगठन को अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्ट दबाव में, नमक-मिर्च लगाकर तैयार की जाती है और ये उचित नहीं है।
गोल्डमैन सैक्श की रिपोर्ट है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के संसदीय चुनावों में विजयी हो सकती है। अमेरिकी निवेश बैंक ने कहा कि इस रिपोर्ट में किसी तरह की राजनीति नहीं है और निवेशकों की धारणा पर आधारित है।
आनंद शर्मा ने कहा कि रिपोर्ट बेहद अनुचित है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि निवेश बैंकों को वही कात करना चाहिए जिसमें उन्हें विशेषज्ञता हो।
इससे पहले भी भड़की सरकार : इससे पहले अलग-अलग ओपीनियन पोल के नतीजे कांग्रेस के खिलाफ जाते दिखे तो पार्टी ने इस पर पाबंदी लगाने की मांग कर दी। टीवी चैनलों ने 15 अगस्त के प्रधानमंत्री के भाषण की नरेंद्र मोदी के भाषण से तुलना की तो 2.5 महीने बाद चैनलों से जवाब तलब कर लिया गया।
बताया गया है कि चैनलों ने प्रधानमंत्री की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। क्या कांग्रेस हड़बड़ी में जो ये जवाबी कार्रवाई कर रही है वो एक डरी हुई पार्टी की निशानी है। क्योंकि ज्यादा मामलों में वो खुद के गोलपोस्ट पर गोल दाग रही है।
And CLSA Too Sees a Modi Win
Leading foreign
brokerage CLSA
has attributed the recent market rally to the growing hopes that BJPs PM candidate Narendra Modi could win in the upcoming general elections in 2014 and partly to the end of the tapering neurosis,reports Our Bureau from Mumbai.
चुनावी माहौल तपने लगा है और बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही बड़ी पार्टियां चुनाव से पहले करार करने में जुट गई हैं। इसीलिए यूपी और तमिलनाडु में जोड़तोड़ शुरु हो गई है। चुनावी राजनीति के इस खेल में छोटी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने के लिए चुनाव से पहले गठजोड़ करने से बच रही हैं।
सीएनबीसी आवाज़ की एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस एक-एक साथ पक्का करने के करीब हैं। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी चुनाव से पहले डीएमके के साथ गठजोड़ कर सकती है। गठजोड़ के लिए बीजेपी की डीएमके से बातचीत चल रही है।
दरअसल नरेंद्र मोदी और जयललिता के रिश्ते बेहतर हैं लेकिन एआईएडीएमके चुनाव से पहले करार को राजी नहीं है। वहीं बीजेपी पक्का करार चाहती है इसीलिए डीएमके से दोस्ती की कोशिश में है।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को भी साथ जोड़ने की कोशिश में है। ममता बनर्जी को भी साथ लाने के लिए बीजेपी कोशिश में जुटी है। गौरतलब है कि बहराइच रैली में नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी की तारीफ की थी।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस भी गठजोड़ की कोशिश में जुटी हुई है। कांग्रेस और बीएसपी में नजदीकियां बढ़ी हैं। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी में करार हो सकता है। दरअसल मायावती को अपने पाले में करने के लिए केंद्र सरकार काफी मेहरबान नजर आ रही है।
दिल्ली में मायावती के शाही बंगले के लिए 3 बंगले आवंटित किए गए हैं। साथ ही आय से अधिक संपत्ति के मामले में मायावती को सीबीआई पहले ही क्लीन चिट दे चुकी है।
हालांकि बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने चुनाव से पहले किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन की खबरों को खारिज कर दिया है। मायावती ने कहा है कि 2014 का लोकसभा चुनाव बीएसपी अकेले और अपने दम पर लड़ेगी।
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री उम्मीदवार का कमान नरेंद्र मोदी को सौंपे जाने के बाद से ही वामपंथी दलों द्वारा सांप्रदायिकता के विरोध में अभियान चलाया जा रहा है.
सांप्रदायिकता के खिलाफ तमाम दलों को एकत्रित करने का कार्य जारी है. ऐसे में इस मुद्दे पर बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की खामोशी पर माकपा की ओर से एक बार फिर सवाल खड़े किये गये हैं. राज्य में विधानसभा के विपक्ष के नेता व माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य डॉ सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि इस मसले पर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की ‘चुप्पी’ आश्चर्यजनक है.
वे जानना चाहते हैं कि आखिर क्या कारण हैं कि सुश्री बनर्जी नरेंद्र मोदी के मसले पर खामोश हैं? हर पार्टी के नेता मोदी के बारे में अच्छा या बुरा बता रहे हैं. लेकिन, हैरत है कि ममता चुप हैं. ध्यान रहे कि महानगर दौरे के दौरान केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री व कांग्रेस के आला नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि भाजपा के साथ तृणमूल कांग्रेस का एक गुप्त समझौता है.
इस बात का जिक्र करते हुए अन्य माकपा नेताओं का कहना है कि इतने गंभीर आरोप लगाये जाने के बाद भी अभी तक तृणमूल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आना आश्चर्यजनक है. उन्होंने कहा कि इससे पहले तो तृणमूल की ओर से कांग्रेस की हर आलोचना पर प्रतिक्रिया दी जाती थी. उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वाम दल मोदी को सत्ता से बाहर रखने के लिए काम करेंगे. पार्टी का मुख्य मकसद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को सत्ता से बाहर रखना है.
US says ready to work with Modi if he becomes PM, blames media for visa row
A senior US official said the United States had a very strong relationship with the previous Indian government when it was under BJP leadership
AP
Washington: The US would be willing to work with BJP's prime ministerial candidate Narendra Modi, if the party is voted to power in the next general elections, senior Obama administration officials here have said asserting that the enduring bilateral relationship is to continue irrespective of the poll results. "We will work with the leader of the world's largest democracy. There is no question about that," a senior US official said on Thursday when asked about the prospects of working with an Indian government led by Bharatiya Janata Party's PM nominee Narendra Modi.
Dismissing visa as a non-issue, the official said it was largely a creation of the Indian media and not at all an issue in the US government. "Visa issue is a media creation. He has to apply and we will review. He (Modi) has not applied (for a visa)," said the official, who spoke on the condition of anonymity. "You said you have very strong relationship with Prime Minister Singh. If Modi become the Prime Minister next year, would that be problematic for the United States?" the official was asked.
"I think that the United States had a very strong relationship with the previous Indian government when it was under BJP leadership," the US official said. "I think the relationship between the United States and India is an enduring one, it is a bipartisan in the United States, irrespective of who is in office. And we believe that (in a ) multiparty (system) in India that it is supported by all political parties, we expect that relationship to continue," the official said.
According to another US official "there is not a lot of angst about him (Modi)" in the US government, but it is believed that the Administration has decided to maintain the status quo on this issue for the very reason that it might be seen as an interference in the internal domestic polity of India.
Any change in the status quo might be used by political parties to politicise the issue ahead of the elections, sources said, adding that the US would be working with any leader who is elected as the Prime Minister of India after the general elections.
नरेंद्र मोदी को तृणमूल का समर्थन हरगिज नहीं : ममता बनर्जी
Indo Asian News Service, Last Updated: जुलाई 19, 2013 05:14 PM IST
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी कभी नरेंद्र मोदी का समर्थन नहीं करेगी।
अगले साल लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में नरेंद्र मोदी को पेश किए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। बीरभूम जिले के रामपुरहाट में पंचायत चुनाव से संबंधित एक रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, हमने नरेंद्र मोदी का कभी समर्थन नहीं किया और न ही हम उन्हें कभी समर्थन देंगे।
केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर हमला करते हुए ममता ने कहा, वे पिछले 10 सालों से शासन कर रहे हैं। इस अवधि में उन्होंने कभी नरेंद्र मोदी के बारे में कुछ नहीं कहा, अब जबकि चुनाव होने वाले हैं, तो वे लोगों से कह रहे हैं कि हमें वोट दें, वरना मोदी प्रधानमंत्री बन जाएंगे। उन्होंने भाजपा पर संसद में जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया।
ममता ने कहा, वे जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका नहीं निभा रहे हैं। भाजपा पर हिन्दुओं एवं मुसलमानों को बांटने का आरोप लगाते हुए ममता ने कहा, वास्तव में वे न तो हिन्दुओं की परवाह करते हैं और न ही मुसलमानों की।
माकपा ने नरेंद्र मोदी पर ममता की ‘खामोशी’ पर उठाए सवाल
Last Updated: Saturday, October 05, 2013, 22:15
कोलकाता : ऐसे समय जब तमाम पार्टियों के नेता गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बात कर रहे हो तो उनके संबंध में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की ‘चुप्पी’ आश्चर्यजनक है। माकपा ने कहा है कि पार्टी का मुख्य मकसद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को सत्ता से बाहर रखना है।
माकपा नेता गौतम देब ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, हम जानना चाहते हैं कि ममता बनर्जी मोदी पर क्यों खामोश हैं। हर पार्टी के नेता मोदी के बारे में अच्छा या बुरा बता रहे हैं। लेकिन, हैरत है कि ममता चुप हैं। हम जानना चाहते हैं कि वह मोदी पर क्यों खामोश हैं।
माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य देब ने कहा, कुछ दिन पहले, कांग्रेस के मंत्री जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि भाजपा के साथ तृणमूल कांग्रेस का एक गुपचुप समझौता है लेकिन तृणमूल ने इस पर (आरोप पर) कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा, इससे पहले, वे कांग्रेस की हर आलोचना पर प्रतिक्रिया देते थे, आश्चर्य है कि वे चुप हैं (रमेश की टिप्पणी पर)। देब ने यह भी कहा कि वाम दल मोदी को सत्ता से बाहर रखने के लिए काम करेंगे। (एजेंसी)
नरेंद्र मोदी ने की ममता को मोहने की कोशिश - आज तक
- 09-04-2013 - मोदी के इस मंत्र को सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे वह ममता बनर्जी को मोहने की कोशिश में जुटे हैं. सैनिकों के सिर काटने वाले को भोज देता है केंद्रः नरेंद्र मोदी. नरेंद्र मोदी ने खुलकरममता बनर्जी की तारीफ की तो लेफ्ट को लताड़ा भी.
ममता ने मोदी से बनाई दूरी, पहुंची दिल्ली - आज तक
- 08-04-2013 - ममता बनर्जी. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पश्चिम बंगाल में उद्योग जगत को अपनी राज्य की सफलता गाथा सुनाएंगे लेकिन इस मौके पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौजूद नहीं रहेंगी क्योंकि ममता बनर्जी ठीक ...
ममता बनर्जी नहीं करेंगी नरेंद्र मोदी का समर्थन
- 20-07-2013 - कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी कभी नरेंद्र मोदी का समर्थन नहीं करेगी। | Mamata Banerjee, Narendra Modi, Trinamool Congress.
ममता बनर्जी को क्यों थाम लेना चाहिये नरेंद्र मोदी का हाथ Posted by: Ajay Mohan Published: Monday, November 4, 2013, 13:42 [IST]
नई दिल्ली (ब्यूरो)। वो ममता बनर्जी जो कभी पेट्रोल के दाम बढ़ते ही आग बबूला हो जाती थीं, रेल किराया बढ़ते ही यूपीए सरकार के खिलाफ तेज़ हॉर्न बजाने लगती थीं, आजकल शांत बैठी हैं। उनकी शांति का एक कारण पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी है, जिन्हें निभाना ही है और दूसरा नरेंद्र मोदी! अरे यह नरेंद्र मोदी की बात कहां से आ गई। आपका सोचना लाजमी है, लेकिन मोदी के लगातार प्रभावशाली भाषणों ने ममता बनर्जी का भी रातों का चैन छीन लिया है। ममता इस समय इस सोच में पड़ी हैं कि 2014 में वो किसका साथ दें- वापस यूपीए का, जो हो नहीं सकता; तीसरे मोर्चे का, उसमें माया-मुलायम घात लगाये बैठे हैं और एनडीए का, जहां मोदी देश को बदलने की राह पर चल चुके हैं। बहुत जल्द मोदी की रैली कोलकाता में होनी है, लिहाजा मोदी उनके गढ़ में आयेंगे, अब यह देखने वाला होगा कि ममता बतौर मुख्यमंत्री उनका स्वागत करती हैं, या बतौर तृणमूल लीडर उन्हें पीठ दिखा देती हैं। हमारी सलाह यह है कि वो बतौर सीएम उनका स्वागत करें, ताकि आगे के राजनीतिक गलियारे में भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। सीधे शब्दों में कहें तो ममता को मोदी यानी यूपीए के साथ अब हो लेना चाहिये। इससे उन्हें सिर्फ राजनीतिक फायदे ही नहीं मिलेंगे, बल्कि पश्चिम बंगाल को भी एक नई दिशा मिलेगी। मोदी का साथ क्यों दें ममता? जवाब स्लाइडर में तस्वीरों के सामने देखें-
ममता-मोदी का साथ क्यों जरूरी?1/6 ममता-मोदी दोनों एंटी कांग्रेस कांग्रेस विरोधी होने के नाते ममता बनर्जी को अब एनडीए ज्वाइन कर लेनी चाहिये। और भूल कर भी यूपीए में बैकडोर एंट्री करने के बारे में नहीं सोचना चाहिये। ऐसा करने के लिये उन्हें सिर्फ राजनाथ सिंह से बात करनी होगी और बस एक हस्ताक्षर करते ही एंटी-कांग्रेस अभियान को नई शक्ति मिल जायेगी।
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अमेरिका की एक वेब साईट नेशनल रिपोर्ट ने भारत की छवि पर धब्बा लगाने वाली एक खबर प्रकाशित की है… इस खबर को प्रकाशित करने के पीछे उस वेब साईट की मंशा का तो पता नहीं लग पाया है मगर इससे देश की छवि पर गहरा आघात लगा है..
भारत की छवि पर आघात लगते हुए एक अमेरिकन वेब साईट नेशनल रिपोर्ट नामक वेब साईट के अनुसार आसाम में हर साल रेप फेस्टिवल मनाया जाता है. नेशनल रिपोर्ट के अनुसार यह बलात्कार पर्व इस साल बहुत ही जल्द आयोजित होगा और वहां के स्थानीय पुरुष इस पर्व को मनाने की जोरदार तैयारियों में जुटे हैं. इस बलात्कार पर्व के दौरान सात से सोलह वर्ष की अविवाहित लड़कियों के साथ बलात्कार किये जाने पर कोई पाबंदी नहीं होगी. इस उम्र की सभी लड़कियों के कहीं छिप जाने से ही उन पर आयी यह आफत टल सकती है वरना उन्हें दुष्कर्म का शिकार होना ही पड़ेगा.
नेशनल रिपोर्ट के अनुसार इस सालाना बलात्कार पर्व के मुखिया मधुबन आहलुवालिया ने पत्रकारों को इस दुष्कर्म पर्व के महत्व के बारे में बताया कि “यह एक हजारों साल पुरानी परंपरा है और हम इस पर्व के ज़रिये लड़कियों से रेप कर उनके भीतर छुपी शैतानी ताकतों को बाहर निकलते हैं, नहीं तो वे बाद में हमें धोखा देंगी तथा हम उन्हें मार डालने को मजबूर हो जायेंगे. इसलिए यह हम सबके लिए बहुत ज़रूरी है.”
वेब साईट का कहना है कि आसाम रेप पर्व की परम्परा 43 ईसा पूर्व से चली आ रही है. इसकी शुरुआत बालकृष्ण तमिलनाडू ने अपने गाँव डूमडूमा में गाँव की सभी लड़कियों से रेप कर की थी. इसके बाद से बालकृष्ण को हर साल रेप फेस्टीवल आयोजित कर याद किया जाता है और जो पुरुष सबसे ज़्यादा लड़कियों के साथ रेप करता है उसे ट्रौफी दी जाती है और उसे “बालकृष्ण” की उपाधि दी जाती है.
नेशनल रिपोर्ट वेब साईट पर आगे लिखा गया है कि चौबीस वर्षीय हरिकृष्ण मजुमदार का कहना है कि उसने पूरे साल अपनी बहन और उसकी दोस्तों से रोज रेप कर इस रेप फेस्टीवल की तैयारी की है और उसे उम्मीद है कि इस साल वही सबसे ज्यादा रेप कर इस वर्ष की “बालकृष्ण” ट्रॉफी जीतेगा.
बारह वर्षीया जैताश्री बताया कि पिछले साल उसे लगा था कि वह दुष्कर्म से बच जाएगी मगर पर्व के आखिरी समय में नौ पुरुष उस पर कूद पड़े और उसके साथ रेप किया. अब जाकर मैं ठीक हुई हूँ ताकि इस साल इस रेप फेस्टीवल में हिस्सा ले सकूँ नहीं तो मुझे पत्थर मार मार कर मार कर खत्म कर दिया जायेगा.
टोरेन्टो से बिजनेस टूर पर आये चौंतीस वर्षीय ब्रायन बार्नेट का कहना है कि “उसे उसकी कम्पनी ने इस रेप फेस्टीवल की कोई जानकारी नहीं दी थी. यहाँ आने पर ही उसे पता चला कि यहाँ रेप फेस्टीवल मनाया जाता है. उसे वापस जाना है, इसलिए वह इस फेस्टीवल में शामिल नहीं हो पायेगा और इसका उसे बहुत अफ़सोस रहेगा.”
आसाम के इस रेप फेस्टीवल के बारे में ज्यादा जानकारी पाने और इसमें हिस्सा लेने के लिए इस फेस्टीवल के आयोजकों ने चौबीस घंटे हॉटलाइन फोन की भी व्यवस्था कर रखी है, जिसका नम्बर 0785- 273-0325 है.
अमेरिकन वेब साईट पर फैलाई जा रही यह खबरें मात्र झूठ का पुलिंदा मात्र है जो कि भारत की छवि ख़राब करने के लिए ही नेशनल रिपोर्ट पर प्रकाशित की गई है.
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Goldman doesnt Flinch from Lotus Position Despite a Breathless Govt
OUR BUREAUS MUMBAI | NEW DELHI
Investment bank Goldman Sachs has launched a strong defence of its research report and called it unbiased and without motives,refusing to back down in the face of heavy fire from the government and Congress.The bank,which was accused by Commerce and Industry Minister Anand Sharma of messing around with Indias domestic politics,said on Friday its role was to provide objective,impartial and independent research explaining the reasons affecting market sentiment and direction.Our (report) contains no political bias nor any political opinion by Goldman Sachs or its analysts.It simply notes that investor sentiment is being influenced by party politics.We stand by that assertion and by our research, it said in a statement.In an interview to ET on Thursday,Sharma had launched a blistering attack on Goldman after it suggested in a research report earlier this week that Indias stock markets were pricing in political change and that BJP-led NDA could win the next general elections.Goldmans latest report on Indian economy and its eagerness to push the case of a particular political leader and his party exposes two things Goldman is parading its ignorance about the basic facts of Indian economy,and it also exposes its eagerness to mess around with Indias domestic politics.It only makes Goldmans credibility and motives highly suspect, he had said.The offending report titled Modi-fying our view had raised its rating for Indian markets to marketweight from underweight,citing optimism over political change.Equity investors tends to view BJP as businessfriendly,and its prime ministerial candidate Narendra Modi as an agent of change, analysts at the bank said in a note to investors on November 5.While the note was not an endorsement of Modi,it nevertheless had the effect of buttressing a narrative among stock market participants about a likely BJP victory in the 2014 elections.
Economic Times
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Reuters
New Delhi: A majority (88 per cent) of Internet users in India are concerned that their information will be stolen online. Despite that, 50 per cent reuse the same two to three passwords across multiple online accounts, according to a report.
It said more than one-third (35 per cent) of Indians have used a family member’s name as a password and 31 per cent have used a significant date such as wedding, anniversary or birthday — all of which can be guessed easily and may create security issues as consumers begin using an increasing number of Internet-connected devices.
According to Information Systems Audit and Control Association’s (ISACA) 2013 IT Risk/Reward Barometer survey, it found that there are some gaps between fears and actions as Indians try to manage privacy and security in an increasingly connected and censored world.
For example, it said that only eight per cent of the surveyed people say application makers are the source they trust most with their data and 61 per cent continue to share important personal information online.
However, Indians do take more precautions with their data than consumers in the other countries surveyed do.
It said around 65 per cent of Indians always or sometimes read privacy policies when downloading apps, and 72 per cent read policies when registering on Web sites.
In comparison, 50 per cent of the US consumers read privacy policies when downloading apps. Additionally, 85 per cent of Indian consumers have checked the privacy settings on their social media profiles in the past six months, compared with 75 per cent of US respondents.
“The survey reveals that with the rise of emerging technologies, enterprises today are embracing Internet-connected devices to deliver business benefits, but they need to have strong governance structures and processes in place, and keep consumers’ concerns at the forefront of their decisions,” Sunder Krishnan, Executive Vice-President and Chief Risk Officer, Reliance Life Insurance Company, and Chairman of the ISACA India Task Force, said.
The survey was conducted among 2,013 ISACA members from around the world, including 131 in India. ISACA is a global association of 1.10 lakh IT security, assurance, governance and risk professionals.
White House celebrates Diwali
US President Barack Obama and First Lady Michelle celebrate the Festival of Lights
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US First Lady Michelle Obama, dressed in festive attire including a garland jasmine, at the White House Diwali celebrations on Tuesday
Standard & Poor's says next government's agenda to determine India's rating
Standard & Poor's said on Thursday it may cut India's sovereign rating to below investment grade should the next government fail to provide a credible plan to reverse the country's low economic growth
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Reuters
Mumbai: Alternatively, the credit ratings agency said it may revise India's outlook back to "stable" should a new government have an agenda to restore growth, improve the country's finances, or allow the implementation of an effective monetary policy.
S&P is the only of the three major credit agencies with a "negative" outlook on India. The country is rated "BBB-minus" or its equivalent by these agencies, or the lowest investment-grade rating, meaning it would fall into so-called "junk" territory with any downgrade.
S&P added it will conduct its next review on India's ratings after the elections, which are due by May 2014, unless the country's fiscal or external standing deteriorates.
"The negative outlook indicates that we may lower the rating to speculative grade next year if the government that takes office after the general election does not appear capable of reversing India's low economic growth," S&P said in a statement.
"If we believe that the agenda can restore some of India's lost growth potential, consolidate its fiscal accounts, and permit the conduct of an effective monetary policy, we may revise the outlook to stable. If, however, we see continued policy drift, we may lower the rating within a year."
The credit agency affirmed India at "BBB-minus" on Thursday, citing its low external debt, ample forex reserves and an increasingly credible monetary policy. S&P had cut its outlook on India to "negative" in April last year.
Still, India's economy has been a key drag on its ratings after growth slowed to a decade low of 5 per cent in the fiscal year ended in March. Analysts have widely attributed the middling growth to the government's lack of decisive policy action and high interest rates.
The current account and fiscal deficits are also seen as leaving the country vulnerable to foreign investor sell-offs, most recently in late August when the rupee fell to a record low.
The Sensex nearly gave up all gains to trade 0.2 per cent up on the day from 1.1 per cent after the S&P report. The partially convertible rupee fell to 62.73 per dollar, its weakest since September 30.
"While the overhang of a potential S&P downgrade is not new, it can introduce higher volatility," said Varun Khandelwal, managing partner and director at Bullero Advisors.
"December to April will be critical and most likely markets will shrug off today's statement," he added.
आज १९१७ में हुए सोवियत क्रांति की एक और वर्षगांठ है. जूलियन कैलेंडर के अनुसार २५ अक्टूबर और आजकल दुनियाभर में प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, ठीक आज के ही दिन, ७ नवंबर को यह समाजवादी क्रांति घटित हुई थी, जिसने दुनिया को बदल डाला था. एक समय ऐसा भी था, जब इस धरती के लगभग ७० प्रतिशत हिस्से में समाजवाद का प्रभाव था. हमारे देश पर भी इसका गहरा असर था. 'हिंदी-पट्टी' पर भी एक समय ऐसा लग रहा था कि सामाजिक समता और न्याय तथा वर्गाधारित शोषण से मुक्त समाज-व्यवस्था के जन्म की संभावना बहुत करीब है.
इस क्रांति ने बीसवीं सदी के उत्पीड़ित तबकों को मुक्ति के नये सपने सौंपे. लेकिन देखते ही देखते इन स्वप्नों को समाज की छुपी हुई क्षुद्र शक्ति-संरचनाओं ने अगुवा कर लिया और कार्ल-मार्क्स तथा लेनिन की वह विचारधारा, वह दार्शनिक सैद्धांतिकी, जो दुनिया को समझने के लिए ही नहीं, बल्कि उसे मानवता के पक्ष में बदल डालने के लिए कारगर हो सकती थी, उसे ठगी, निहित स्वार्थ, भ्रष्टाचार और झांसे का औज़ार बना लिया.
वह 'ईश्वर' जो संसार की वंचित-उत्पीड़ित मनुष्यता को मुक्त करने के लिए अस्तित्व में आया था, वह 'असफल' हो गया.
हम लोग जब युवा थे और जब १९५० के दशकों में आई विवादास्पद लेकिन बहुचर्चित किताब, जिसका संपादन ब्रिटेन के एक सांसद रिचर्ड क्रासमैन ने किया था और जिसमें एक समय इस सोवियत बोल्शेविक क्रांति के समर्थक रह चुके कई महत्वपूर्ण लेखकों के निबंधों की किताब -'गाड दैट फेल्ड' हम सबने ६०-७० के दशक में पढी थी, तब हम इस पर विश्वास नहीं करते थे. हमारे जैसे युवा इसे पूंजीवादी-साम्राज्यवादी ताकतों के द्वारा संचालित-निर्देशित एक साजिशाना हमला मानते थे. इस पुस्तक के लेखकों-साहित्यकारों- आंद्रे जीद, आर्थर कोएसलर, स्टीफेन स्पेंडर या अश्वेत समाजचिंतक रिचर्ड राइट जैसा हमारा 'मोहभंग' इस सोवियत क्रांति से नहीं हुआ था.
लेकिन इसी पुस्तक में उन लुई फ़िशर का भी निबंध था, जिन्होंने बाद में महात्मा गांधी की विश्वविख्यात जीवनी लिखी, जिस पर आटेनबरो की सुप्रसिद्ध, आस्कर अवार्ड विजेता फ़िल्म 'गांधी' बनी.
हमारे कई पुराने साथी, जो अब हमसे छूट चुके हैं, आज भी इस १९१७ की सोवियत क्रांति की स्मृति में जगह-जगह आयोजन कर रहे हैं और प्रख्यात अमेरिकी पत्रकार जान रीड की बहुचर्चित किताब पर आधारित फ़िल्म 'दस दिन जब दुनिया हिल उठी' को अपने आयोजनों में प्रदर्शित करते हुए उस महान क्रांति की सफलता-असफलता पर विचार-विमर्श कर रहे हैं. विडंबना यही है कि वे हमारे समाज की वास्तविक अंतर्संरचना की उन बनावटों (formations) के ही प्रतिनिधि हैं, जिन्होंने इस महान विचारधारा का अपहरण करके उसे असफल और दमनकारी राजनीति का ही एक अंग बना डाला है. जैसा ज़ाइज़ेक ने कहा था - आज हमारे समय का लेफ़्ट बीसवीं सदी के पूर्वार्ध का वह लेफ़्ट नहीं है, जो सर्वहारा, मज़दूर-किसान और शोषित-वंचित वर्गों की विश्वदृष्टि से संपन्न था, बल्कि अब यह नयी ग्लोबल अर्थप्रणाली से लाभान्वित 'नव-धनाढ्य' (नियो-रिच) वर्ग है. यह हर हर तरह के श्रम को नीची निगाह से देखता है. भाषा से लेकर खलिहान, खदान, खेत में पसीना बहाते और हर रोज़ उत्पीड़न-दमन का शिकार होते निचली जातियों और हाशिये की विजातीय अस्मिताओं के प्रति उसके मन में सिर्फ़ और सिर्फ़ द्वेष और घृणा है. हम सबने इस नफ़रत और अन्याय को अपने-अपने जीवन में भोगा है.
'दस दिन जब दुनिया हिल उठी' में १९१७ की सोवियत समाजवादी क्रांति में ट्राट्स्की की ऐतिहासिक भूमिका को जान रीड ने बहुत महत्व दिया था. वही ट्राट्स्की, जिनकी हत्या स्टालिन के समर्थकों ने कर दी थी, उनका कहा आज एक बार फिर याद आता है -
“The party that leans upon the workers but serves the bourgeoisie, in the period of the greatest sharpening of the class struggle, cannot but sense the smells wafted from the waiting grave.”
लेकिन सच यह भी है कि मार्क्सवाद आज के समय में और अधिक प्रासंगिक और अनिवार्य हो चुका है. बस शर्त यही है कि इसे आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक सोपानों में सबसे ऊंची जगहों पर बैठे ताकतवरों से विभक्त करते हुए, अलग से इसे इसे अपनाया जाय.
(आज ही मैंने संयोग से हिंदी के सवर्ण-संगठित कवियों-लेखकों के एक ऐसे ब्लाग को देखा, जिनके भीतर हम सबके प्रति इतनी नफ़रत भरी हुई थी कि वे सब गाली-गलौज़ के अलावा उन सब पर 'थूकने' की बात कर रहे थे, जो उनसे सहमत नहीं हैं और जो उनके गिरोहों में नहीं हैं. दुर्भाग्य है कि वे सब वही 'हिंदी-हिंदू वामपंथी' हैं, जिनकी इस दिल्ली शहर में ही नहीं, दूसरे राज्यों की राजधानियों के संस्थानों पर कब्जा है. इन जैसे घटिया तत्वों ने ही उस 'ईश्वर' को 'असफल' किया है, जो एक समय सामाजिक मुक्ति के लिए आया था.)
मनीष तिवारी का पलटवार- शैतान मोदी हमें दे रहे हैं ज्ञान
बहराइच/जगदलपुर/कांकेर/कोंडागांव. बहराइच में राहुल गांधी का नाम लिए बिना उनके बहाने मोदी का कांग्रेस पर हमला करना, यूपीए सरकार को रास नहीं आया। कांग्रेस नेता और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने मोदी की तुलना दावन से कर दी. उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी पर दानव ज्ञान दे रहा है। तिवारी ने ट्वीट किया ' एक अखबार के एडिटर पर देशद्रोह का केस किया, गुजरात विधानसभा का प्रसारण रुकवाया, प्रेस की आजादी का गुजरात मॉडल है ये, देखों शैतान दे रहा है धर्म ज्ञान।'
कांग्रेस के नेता और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि नरेंद्र मोदी अपने अंदर झांकें। उन्होंने कहा कि तहलका के पत्रकारों को याद करें नरेंद्र मोदी। लेकिन कुछ लोग इस देश में कुछ भी सहन करने को तैयार नहीं हैं। तिवारी ने कहा, 'ये वही व्यक्ति हैं जिनसे इंटरव्यू में कठिन सवाल पूछे जाते हैं तो वे माइक फेंककर सिर पटककर भाग जाते हैं।'
गौरतलब है कि बहराइच में विजय शंखनाद रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था, 'पिछले दिनों पटना रैली के दौरान मीडिया ने मेरी बात तो सुनाई लेकिन उसी समय दिल्ली में बोल रहे शहजादे की केवल फोटो दिखाई। यह बात कांग्रेस को खल गई। मैं कहता हूं कि मेरी फोटो टीवी पर आए या न आए, मेरी आवाज सुनाई दे या न दे हम लोगों ने देश के लोगों के दिलों में जगह बना ली है। मैंने सुना है कि कुछ टीवी चैनलों को नोटिस दिया है।' मोदी के इसी बयान पर कांग्रेस भड़की हुई है। (बहराइच में मोदी मेला, मंच से नमो ने किया अभिनन्दन, देखें तस्वीरें)
बहराइच में मोदी ने कहा, 'यह ब्रह्मा की तपोस्थली है, इसे मैं नमन करता हूं।' उन्होंने कहा, 'देश का मौसम तेजी से बदल रहा है। सिर्फ बहराइच में ही नहीं, बल्कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ऐसा हो रहा है। दिल्ली में बीजेपी की सत्ता आई तो देश को बर्बाद करने वालों को ठिकाने लगा दिया जाएगा। मोदी ने उत्तर प्रदेश के हुक्मरानों से सवाल किया कि क्या कारण है कि आपने बीजेपी के दो विधायकों को जेल में बंद कर दिया?'
मोदी ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा, 'जो लोग मोदी को गुजरात में परास्त नहीं कर पाए, तीन-तीन चुनावों में मुंह की खानी पड़ी जो अपनी इज्जत नहीं बचा पाए, जिन्हें लगता है कि लोकतांत्रिक तरीके से अब बीजेपी को और मोदी को रोका नहीं जा सकता। तो उन्होंने दूसरे तौर तरीके अपनाए। कभी सीबीआई को छोड़ा कभी इंडियन मुजाहिदीन को खुली छूट दी। लेकिन कान खोलकर सुन लें। हम दूसरी मिट्टी के बने हुए हैं। हिम्मत है तो लोकतांत्रिक तरीके से मुकाबला करो। ये देश कभी भी आतातायियों के आगे झुकता नहीं है। आतंकवादियों की गोलियां हिंदुस्तान को उसकी यात्रा से रोक नहीं सकतीं। मुझे लगता है कि अगले चुनावों में सपा, बसपा और कांग्रेस की तिकड़ी चुनाव के मैदान में नहीं आएगी। सीबीआई, इंडियन मुजाहिदीन ही चुनाव का मोर्चा संभालेंगे ताकि कांग्रेस को बचाया जा सके। हमारे बिहार के भाई-बहन छठ पूजा धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन उसी छठ पूजा से पहले निर्दोषों के खून बहा दिए गए। वे छठ कैसे मनाएंगे। उनका क्या गुनाह था? क्या भारत मां की जय बोलना ही उनका गुनाह था? लोकतंत्र में हिंसा को कोई स्थान नहीं है।'
उत्तर प्रदेश के विकास के मुद्दे पर मोदी ने कहा, 'इस देश के हुक्मरानों ने उत्तर प्रदेश के लिए क्या किया। अकेले उत्तर प्रदेश आगे बढ़ा होता तो पूरा हिंदुस्तान आगे बढ़ जाता। लेकिन उन्हें तो वोट बैंक की राजनीति करनी है। उन्हें किसी और काम में दिलचस्पी नहीं है। भारत को 8-8 प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश के लिए इन लोगों ने क्या किया। लोग कहते हैं कि गुजरात पहले से ही विकसित है। जब मैंने वहां कमान संभाली तो लोग कहते थे कि मोदी जी कुछ करो शाम को खाना खाते समय तो बिजली दो। मैंने सरकारी अफसरों को बुलाया और पूछा कि जब गांधीनगर को 24 घंटे बिजली मिलती है तो पूरे गुजरात को क्यों नहीं। जब मैंने 24 घंटे बिजली का वादा विधानसभा में किया तो कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि यह मुश्किल है। मैंने जवाब दिया कि यह काम कठिन है इसलिए तो जनता ने मुझे चुना है।'
सपा और बसपा में भ्रष्टाचार की स्पर्धा चल रही है। किसकी खेमे में ज्यादा अपराधी हैं, इस बात को लेकर टक्कर चलती रहती है। सपा और बसपा दिल्ली की सरकार बचा रहे हैं। मोदी ने ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए कहा कि वे बंगाल के लिए लड़ती हैं। उन्होंने कहा, 'सपा और बसपा दिल्ली की सरकार को बचाते हैं। वे सीबीआई से बचने के लिए मदद मांगते हैं। वे प्रदेश की भलाई के लिए कुछ नहीं मांगते। इन्हें उत्तर प्रदेश की चिंता नहीं बल्कि अपनी गद्दी की चिंता है। सपा, बसपा और कांग्रेस का गोत्र, डीएनए, मकसद एक है। गुजरात को लोग विकसित राज्य मानते हैं। चलिए मध्य प्रदेश की चर्चा की जाए। मध्य प्रदेश की गिनती यूपी जैसे बीमारू राज्य में होती थी। लेकिन वहां की जनता ने 10 साल तक बीजेपी को सेवा का अवसर दिया। आज शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को सिंचाई का पानी, बिजली मुहैया कराई।'
पटना में पिछले महीने हुई 'हुंकार' रैली में हुए धमाकों के मद्देनजर बहराइट में मोदी की रैली के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। इंतजामों को लेकर अधिकारियों व भाजपा नेताओं में नोकझोंक भी हुई थी। लेकिन बाद में रैली को सशर्त मंजूरी दे दी गई। बहराइच नेपाल सीमा से सटा जिला है। इस वजह से इसे संवेदनशील माना जाता है। प्रदेश के आईजी (कानून व्यवस्था) आरके विश्वकर्मा ने बताया कि तीन एसपी, 12 एएसपी, 29 डीएसपी, 225 उपनिरीक्षक, 730 कांस्टेबल के अलावा लेडी पुलिस, यातायात पुलिस, छह कंपनी पीएसी के साथ साथ एटीएस के 86 कमांडो तैनात रहे।
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