हावड़ा और कोचबिहार में रसोई गैस के लिए मिलेगी नकद सब्सिडी
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
अब पश्चिम बंगाल में भी रसोई गैस के लिए सीधे ग्राहकों तक नकद सब्सिडी के भुगतान डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना की प्रक्रिया शुरु होने जा रही है। बाकी राज्यों में आधार कार्ड बनाने का काम बहुत तेज है।बंगाल में कम से कम नौ करोड़ आधार कार्ड बनने हैं, लेकिन अब तक एक करोड़ भी नहीं बने हैं।जिस वजह से तेल कंपनियां बाकी राज्यों की तरह बंगाल में अब तक कैश सब्सिडी योजना लागू नहीं कर सकी है।अभी जिन जिलों में डीबीटी से एलपीजी सब्सिडी दी जा रही है, वहां 89 फीसदी उपभोक्ताओं के पास आधार संख्या है जिनके पास यह नहीं है, उन्हें बनवाने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
चूंकि हावड़ा और कोचबिहार में आधार कार्ड बनाने का काम पूरा हो जानेका दावा किया जा रहा है,इसीलिए इन दोनों जिलों में ही रसोई गैस के लिए नकद सब्सिडी योजना लागू होने जा रही है।इस योजना के तहत घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से सब्सिडी के रूप में करीब 4,000 रुपये सालाना नकद दिए जाएंगे। यह राशि सीधे ग्राहकों के बैंक खाते में डाली जाएगी। इसके बाद उपभोक्ता को गैस एजेंसी से 901.50 रुपये प्रति 14.2 किग्रा पर गैस सिलेंडर खरीदना होगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पांच अप्रैल को हुई बैठक में एलपीजी सिलेंडर के मामले में चरणबद्ध ढंग से नकद सब्सिडी अंतरण योजना को अमली जामा पहनाने का निर्णय लिया गया था।डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के तहत रसोई गैस (एलपीजी) की सब्सिडी हस्तांतरित करने की योजना में छह सप्ताह के दौरान 22.80 लाख ट्रांजेक्शन हो चुके हैं। इसके तहत प्रति सिलेंडर 435 रुपये की दर से अभी तक उपभोक्ताओं के खाते में 91 करोड़ रुपये जमा किये जा चुके हैं।
इस योजना से सब्सिडी वाले सिलेंडरों का डायवर्जन रुक गया। उन्होंने बताया कि यदि देशभर में यह योजन लागू हो जाती है तो सरकार को 8,000 से 9,000 करोड़ रुपये की बचत होगी क्योंकि तब सिर्फ पात्र उपभोक्ता के खाते में ही सब्सिडी की रकम हस्तांतरित होगी।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार कहा गया था कि 'इस मामले में चरणबद्ध तरीके से नकदी अंतरण योजना की शुरुआत एक जिले से होकर 15 मई 2013 तक 20 जिलों तक पहुंच जाएगी। आधार पंजीकरण बढऩे के साथ ही योजना का भी विस्तार होगा।'
देश में इस समय 14 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं। सरकार ने प्रत्येक उपभोक्ता के लिए सस्ते गैस सिलेंडर की संख्या पहले ही एक साल में 9 सिलेंडर तक सीमित कर दी। इससे अधिक आवश्यकता होने पर उपभोक्ता को बाजार मूल्य पर सिलेंडर की आपूर्ति की जाएगी।
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