Rajiv Nayan Bahuguna मेरे सम्पादक , मेरे संतापक --२२
मेरे सम्पादक , मेरे संतापक --२२
ठोस धरातल पर
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स्मूथ लैंडिंग करना काके , बाबे का ध्यान रख , को - पायलेट ने अपने बॉस से कहा . सरदार जी ने सचमुच स्मूथ लैंडिंग की . इतने हलके धचके के साथ मैंने आज तक कोई विमान उतरता नहीं देखा . जैसे स्वप्न और सत्य के बीच की ऋजु रेखा मिट चुकी हो . यु पी का रेज़ीडेंट कमिश्नर हमें पालम हवाई अड्डे से सीधे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले गया . एक भयानक बीमार का " इलाज़ " जो करना था . चोर दरवाज़े से वह हमें सीधे एम्स की इमरजेंसी में ले गए . सबसे पहले सरकारी दल ने अपना मेडिकल करवाया , जिसकी बिना पर हमें न्यून तम सात साल से लेकर उम्र क़ैद तक की सज़ा होने वाली थी . एम्स के अधीक्षक डा . द्वे मौजूद थे . इन्होने कयी दिन से खाना नहीं खाया है , फ़ोर्स फीडिंग करनी है , एस डी एम् ने मेरे पिता को इंगित करते हुए कहा . मेरे पिता जहाज़ में ही अपना बयान लिख चुके थे - मैं भूख हड़ताल नहीं , व्रत कर रहा हूँ . मैंने आज तक कभी एलोपैथी उपचार नहीं लिया . मेरे साथ जोर ज़बरदस्ती मेरी मृत्यु का अवश्यम्भावी कारण बनेगी , और उसका उत्तरदायी वह डाक्टर होगा जो मेरे शरीर को स्पर्श करेगा . डाक्टर द्वे ने दो टूक जवाब दिया - मरीज़ की मर्ज़ी के खिलाफ , प्रधान मंत्री तो क्या , खुदा भी कहे तो मैं उस पर हाथ नहीं लगाऊंगा . यह एक डाक्टर के रूप में मेरे द्वारा ली गयी शपथ के विरुद्ध है
( जारी )
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