Date: 2013/8/16
Subject: Rihai Manch द्वारा आजादी की 66 वीं वर्षगांठ पर आतंकवाद के नाम पर पीडि़त और दंगा पीडि़तों की जनसुनवाई की रिपोर्ट. रिहाई मंच के धरने के समर्थन में कल 17 अगस्त को भ्रष्टाचार पर चोट करती फिल्म पीपली लाईव की निर्देशक अनुषा रिजवी आएंगी. Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 87 days.
Subject: Rihai Manch द्वारा आजादी की 66 वीं वर्षगांठ पर आतंकवाद के नाम पर पीडि़त और दंगा पीडि़तों की जनसुनवाई की रिपोर्ट. रिहाई मंच के धरने के समर्थन में कल 17 अगस्त को भ्रष्टाचार पर चोट करती फिल्म पीपली लाईव की निर्देशक अनुषा रिजवी आएंगी. Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 87 days.
RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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रिहाई मंच के धरने के समर्थन में कल 17 अगस्त को भ्रष्टाचार पर चोट करती
फिल्म पीपली लाईव की निर्देशक अनुषा रिजवी आएंगी
लखनऊ 16 अगस्त 2013। रिहाई मंच प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने
बताया कि आजादी की 66 वीं वर्षगांठ पर आतंकवाद के नाम पर पीडि़त व दंगा
पीडि़त लोगों की जनसुनवाई की संक्षिप्त रिपोर्ट को आज हमने जारी किया।
रिहाई मंच द्वारा आजादी की 66 वीं वर्षगांठ पर आतंकवाद के नाम पर पीडि़त
और दंगा पीडि़तों की जनसुनवाई की संक्षिप्त रिपोर्ट
मौलाना खालिद के चचा जहीर आलम फलाही- खालिद की शहादत के बाद मैं बहुत कुछ
सोचने को मजबूर हुआ। रिहाई मंच के धरने का एक पहलू यह है कि इस आंदोलन ने
पूरे मुल्क में बेगुनाहों की रिहाई के सवाल को एक राजनीतिक सवाल बना दिया
है और आईबी की मुस्लिम विरोधी नितियों को उजागर कर दिया है। सरकार ने
झूठा वादा किया कि वह बेगुनाहों को छोड़गी यह बहुत बड़ा झूठ था। जो इस
देश की सर्वोच्च सदन संसद में सपा ने बोला था। उन्होंने कहा कि मैंने
सुप्रिम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायामूर्ती और
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को खालिद मुजाहिद की मौत के पहले लिखा था कि
आप इस मामले को अपने हाथ में ले लें। शहादत के बाद भी पत्र लिखा। इसके
बावजूद मामले पर संज्ञान नहीं लिया गया।
कचहरी विस्फोट मामले में आजमगढ़ के तारिक कासमी के चचा हाफिज फैयाज आजमी-
मेरे बेटे की बेगुनाही का सबूत निमेष कमीशन रिपोर्ट को अखिलेश यादव की
सरकार ने एक साल से दबा रखी है। अगर उस पर अमल कर लिया गया होता तो मेरा
भतीजा भी छूट जाता और उसके साथ पकड़े गए खालिद मुजाहिद की हत्या भी नहीं
होती। इस सरकार ने सिर्फ हमें धोखा दिया है।
अक्षरधाम मामले में आरोपी चांद खां की बीवी नगमा परवीन- मैं चांद खां की
बीवी हूं मैं यहां इंसाफ के लिए आयी हूं। हमें आज तक कोई इंसाफ नही मिल
पाया है।मेरी दो बेटियां है। उन्हंे लेकर अपने वालिद के साथ गुजारा कर
रही हूं। मेरे शौहर और बच्चियों के लिए दुआ कीजिए कि उन्हे न्याय मिले।
जब उन्हंे पकड़ा गया तो एक पल के लिए लगा कि सब कुछ खत्म हो गया। इन
बच्चियों को अपने पिता के चेहरे याद नही हैं। मेरे शौहर कभी गुजरात नही
गये थे फिर भी उन्हें अक्षरधाम पर हुए हमले में फंसा दिया गया और पोटा की
अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी। पोटा अदालत में उनके पति के
वकीलों की एक भी बात नहीं सुनी। उन्हें उन्हीं पुलिस वालों ने फंसाया है
जो आज इशरत जहां को फर्जी मुठभेड़ में मारने के आरोप में जेलों में बंद
हैं। मैं चाहती हंू कि मेेरे पति पर लगाए गए आरोपों की फिर से जांच हो और
साथ ही साथ अक्षरधाम मामले की फिर से किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच हो।
ताकि अवाम उस घटना की सच्चाई जान सके।
पिछली मुलायम सरकार में संकटमोचन धमाकों के मामले में फंसाए गए मौलाना
वलीउल्ला के ससुर मौ0 हनीफ- वलीउल्ला को जबरन फूलपुर से उठाया गया। पांच
दिनों तक गायब रहने के बाद हाई कोर्ट में रिट हुई, अखबारों में खबर छपी
तब हम लोग जाने कि उन्हें बनारस बम कांड में दिखा दिया गया है। फिर
मुकदमा शुरु हुआ जिसमें हमें न्यायपालिका की सांप्रदायिकता से परिचित
कराया। उन्हें पेशी के दौरान वकीलों और पुलिस वालों ने बुरी तरह पीटा।
किसी तरह बनारस से गाजियाबाद मुकदमा ट्रांसफर हुआ। जिसका विरोध करते हुए
सरकारी वकील ने कहा था कि विस्फोट बनारस में हुआ है तो क्या सुनवाई
पाकिस्तान के मुज्जफराबाद में होगी। इससे सरकारों की सांप्रदायिक जेहनियत
सामने आती है कि उनके सरकारी वकील किस तरह मुस्लिम विरोधी तर्क देते हैं।
इस दौरान इमाम बुखारी जैसे मुसलमानों के अगुवा बनने वाले लोगों ने अपने
हाथ खड़े कर लिए और किसी तरह की कोई मदद नहीं की।
सीआरपीएफ कैंप रामपुर मामले में फंसाए गए मुरादाबाद के जंग बहाुर के बेटे
शेर खां, कंुडा प्रतापगढ़ के कौसर फारूकी के भाई अनवर फारूकी- मेरे पापा
को जेल के अंदर 6 साल बीत चुके हैं। मिलने के लिए जाते हैं तो हमारी अलग
से 2-3 घंटे जांच होती है और साथ में ले गये खाद्य सामग्री को तहस नहस कर
दिया जाता है। मेरे पिता को हार्ट की गम्भीर बिमारी है लेकिन उन्हें इलाज
भी नहीं मुहैया करायी जा रही है। पूरा आरोप फर्जी है इसीलिए हमारी
सुनवायी में लम्बी-लम्बी तारीखें लगा दी जाती हैं। मेरे पिता को एक बंद
अंधेरी कोठरी में रखा जाता है जहां हवा बिल्कुल नहीं पहंुचती। मेरे पिता
ने पिछले दिनों मुलाकात के दौरान बताया था कि उनके कमरे में कहीं से एक
चिडि़या घुस गयी थी जो थोड़ी देर बाद तड़प कर मर गयी। मेरे पिता की रिहाई
तो दूर अगर सरकार जेल मेन्यूवल को ही सही से लागू कर दे तो हम सरकार के
शुक्रगुजार होंगे। लेकिन हमें नहीं लगता की हम मुसलमानों के वोट से ही
बनी यह सरकार हम मुसलमानों पर इतनी भी रहम करेगी।
अनवर का कहना है कि उसके भाई को भी जेल गये 6 साल हो गये हैं लेकिन केस
नहीं चलाया जा रहा है। गवाहों ने गवाही देने से इनकार कर दिया है। यहां
तक कि जिन लोगों के बारे में पुलिस ने कहा था कि उनके पैर में गोलियां
लगी हैं उन गवाहों ने जज के सामने कहा कि उन्हें आज तक कभी गोली ही नहीं
लगी है। अगर सरकार सीबीआई जांच करा दे ंतो दूध का दूध और पानी का पानी हो
जायेगा। मैं यह नहीं कहता कि उन्हे छोड़ दिया जाय बल्कि एक निष्पक्ष जांच
तुरंत करवाई जाय और अगर दोषी हैं तो सजा दिया जाय और निर्दोष हैं तो
छोड़ा और मुआवजा दिया जाए।
इस दौरान फहीम अंसारी के वकील रहे मोहम्मद शुऐब ने बताया- सीआरपीएफ कैंप
मामले में एक और गिरफ्तारी हुई थी। जिनका नाम फहीम अरशद अंसारी है आई बी
और महाराष्ट्र एटीएस ने फहीम अंसारी को 26/11 के हमले में आरोपी बनाया
था। अंसारी से बरामद नक्शे को रामपुर केस में भी पेश किया था लेकिन उसे
अदालत ने खारिज कर दिया।
जून 2007 में आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए बिजनौर के नौशाद के पिता मो0
शफी और याकूब के बहनोई जियाउल हक- याकूब को बिजनौर के नगीना से पुलिस ने
उठाया था तो वहीं नौशाद को राजस्थान के अलवर जिले के मिमराना इलाके से
पुलिस ने पकड़ा था। याकूब को दो दिनों तक और नौशाद को 12 दिनों तक अवैध
हिरासत में रखने के बाद यूपी एसटीएफ ने याकूब को चारबाग रेलवे स्टेशन और
नौशान को लखनऊ रेजीडेंसी से फर्जी गिरफ्तारी दिखाई। पुलिस के कहानी के
मुताबिक उनके आतंकवादी होने की खबर मुखबिर ने दी थी। इन्हें सरेआम भीड़
में पकड़ने दावा किया गया था लेकिन पुलिस के पास एक भी स्वतंत्र गवाह
नहीं है। इनके पास से आरडीएक्स की बरामदगी बताई गई। पुलिस ने आम बेचने
वाली की तराजू पर आरडी एक्स को तौलने का दावा किया है। लेकिन आम बेचने
वाले को गवाह नहीं बनाया है। पूरा मामला झूठ का पुलिंदा है। लेकिन 2007
से ही हमारे बच्चे जेलों में सड़ रहे हैं, जिन्हें छोड़ने का दावा करके
सरकार सत्ता में आई।
अहमदाबाद धमाकों में आरोपी बनाये गए आजमगढ़ के मोहम्मद हबीब के भाई अबू
आमिर ने कहा कि-27 दिसंबर 2011 को आजमगड़ के नरियावां बाजार के पास से
उनको गिरफ्तार किया गया था बाद में पता चला कि उन्हे अहमदाबाद और सूरत
ब्लास्ट में आरोपी बनाया गया है। अभी तक अनवर पर मामला सिद्ध नहीं हुआ
है।
सीतापुर बिस्वां के सैयद मुबारक हुसैन जिन्हें कश्मीरी की तरह दिखने के
चलते आतंकी बताकर जेल में डाल दिया गया- 14 अगस्त 2006 को मुझे बरेली की
एक मस्जिद से पुलिस ने उठाया और कई दिनों तक थाने में रखा जहां मुझे कई
दिनों तक रोज सैकड़ों लाठियां मारते थे। वे मुझ पर दबाव डालते थे कि मैं
कश्मीर के पुंछ का रहने वाला हूं और मैंने पाकिस्तान में आतंकवाद की
टेªनिंग ली है और जितने भी धमाके हुए हैं मैं सबका मास्टर माइंड हूं। रोज
मुझे एक पीपा पानी नाक के रास्ते पिलाया जाता था। मुझे दो साल बाद जमानत
मिली और छूटने के बाद मुझे दो साल मुकदमा लड़ना पड़ा। यह साबित करने के
लिए की मैं सीतापुर का हूं। मुझे आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला और मेरी सात
बीघे जमीन बिक गई।
लखनऊ के जियाउद्दीन के पिता मो0 नसीम- जियाउद्दीन जिल्द साज था, पुलिस की
झूठी कहानी के मुताबिक उसने 100 नंबर पर फोन करके चार बाग रेलवे स्टेशन
को उड़ाने की धमकी दी थी। पांच साल से वह आज निर्दोष होने के बावजूद जेल
में बंद है। उसी दौरान एक धमकी स्टेशन को उड़ाने की और दी गई थी, जो
अखबारों में भी छपी थी। धमकी देने वाले का नाम जिया लाल था। लेकिन उसे
नहीं पकड़ा गया। घर में वही कमाने वाला था। मेरे घर के जवान बेटे के जेल
जाने के बाद मेरी बेटी बीमारी से दवा के अभाव में मर गई।
इस दौरान अधिवक्ता असद हयात जो दंगा पीडि़तों के वकील है ने बताया- कोसी
कलां दगे के पीडि़तों को मुवाबजा एवं निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय
में याचिका दायर की गयी है।
रियाज इस्तियाक अस्थान में हुए दंगे के पीडि़त- अस्थान में 23 जून एवं 23
जुलाई 2012 को दंगा हुआ। उसमें 52 घर जलाये गये। 23 जुलाई को प्रवीण भाई
तोगडि़या अस्थान आये थे। आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक सांप्रदायिक तत्व
हैं। इस बात को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है। 23 जुलाई को हुए फसाद में
तोगडि़या की भूमिका है। लेकिन उस पर रिपोर्ट तक दर्ज नही की गयी। आतंकवाद
और दंगों के मामलों में पुलिस की विवेचना पर भी सवाल खड़े होते हैं। चार
लड़कों द्वारा एक दलित लड़की का बलात्कार करने का आरोप है। और ये दंगा
उसी आधार पर हुआ था। विश्व हिन्दु परिषद के लोगों को खुश करने के लिए
मुस्लिम लड़को पर गैंगस्टर लगा दिया गया।
इटावा के अदनान जिसे ब्राहमण लड़की से प्रेम करने के कारण मार दिया गया
के पिता अखलाक का बयान - हमारा बेटा अदनान कीर्ति मिश्रा से दिल लगा
बैठा। जिसके चलते अदनान को बीच सड़क पर मार दिया गया। हमारे बेटे को
मरवाने में मैजिस्ट्रेट सुरेंदर शर्मा ने बड़ी भूमिका निभाई है। हमारे
मामले में में कोई इंसाफ नही मिला। सीबीआई जांच करवाने की मांग की लेकिन
अखिलेश सरकार ने ऐसा नही किया। मेरे घर के 14 सदस्य रोज अदनान के गम में
घुट-घुट कर मर रहे हैं। मुसलमान होने के कारण हमारा कोई पुरसाहाल नही है।
मेरे बेटे की मोत ने मुझे समझा दिया है कि हिन्दू मुस्लिम अलग-अलग हैं।
इससे पहले मैं ऐसा नही सोचता था। हत्यारों की गिरफ्तारी तुरंत हो। मेरे
बेटे अदनान और कीर्ति मिश्रा ने शादी के लिए जब सिटी मैजिस्ट्रेट को
आवेदन किया तो उन्होने यह जानने के बाद कि लड़की ब्राह्मण है और लड़का
मुस्लिम मजिस्ट्रेट ने कहा कि तुम्हे यही लड़का मिला था। अगर तुम दलित से
भी शादी करती तो मैं इस शादी को रजामंदी दे देता। उसने टाल मटोल कर तीन
माह बाद दुबारा बुलाया। उससे पहले ही 23 अक्टूबर की अदनान की गोली मार कर
हत्या कर दी गयी। मुख्य अभ्यिुक्त विकास यादव को मजिस्ट्रेट बचा रहा है।
जो खुलेआम घूम रहा है और लगातार मुझे जान से मारने की धमकियां दे रहा है।
अब इस मामले को मैं इंसाफ के वास्ते हाईकोर्ट लेकर जा रहा हैं।
जनसुनवाई में लखनऊ के शहबाज के ससुर मोइद अहमद के अलावां प्रदेश भर से
आतंकवाद के नाम पर पीडि़त व दंगा पीडि़त मौजूद थे।
प्रेस विज्ञप्ति
लखनऊ 16 अगस्त 2013। यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस
तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद
मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन
रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का
धरना शुक्रवार को 87 वें दिन भी जारी रहा।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि कल 17 अगस्त 2013, शनिवार को राजनीतिक
भ्रष्टाचार के खिलाफ पीपली लाईव जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुकी अनुषा
रिजवी मौलाना खालिद को न्याय दिलाने व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों
की रिहाई के लिए रिहाई मंच के धरने के 88 वें दिन समर्थन में आएंगी।
धरने में आईएनएल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, पिछड़ा समाज
महासभा के एहसानुल हक, डा0 हारिश सिद्किी, भागीदारी आंदोलन के पीसी
कुरील, शिवदास, शिवनारायण कुशवाहा, अनिल आजमी, मो0 फैज, शाहनवाज आलम,
राजीव यादव मौजूद रहे।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
______________________________________________________________
Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
Email- rihaimanchlucknow@gmail.com
https://www.facebook.com/rihaimanch
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रिहाई मंच के धरने के समर्थन में कल 17 अगस्त को भ्रष्टाचार पर चोट करती
फिल्म पीपली लाईव की निर्देशक अनुषा रिजवी आएंगी
लखनऊ 16 अगस्त 2013। रिहाई मंच प्रवक्ताओं शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने
बताया कि आजादी की 66 वीं वर्षगांठ पर आतंकवाद के नाम पर पीडि़त व दंगा
पीडि़त लोगों की जनसुनवाई की संक्षिप्त रिपोर्ट को आज हमने जारी किया।
रिहाई मंच द्वारा आजादी की 66 वीं वर्षगांठ पर आतंकवाद के नाम पर पीडि़त
और दंगा पीडि़तों की जनसुनवाई की संक्षिप्त रिपोर्ट
मौलाना खालिद के चचा जहीर आलम फलाही- खालिद की शहादत के बाद मैं बहुत कुछ
सोचने को मजबूर हुआ। रिहाई मंच के धरने का एक पहलू यह है कि इस आंदोलन ने
पूरे मुल्क में बेगुनाहों की रिहाई के सवाल को एक राजनीतिक सवाल बना दिया
है और आईबी की मुस्लिम विरोधी नितियों को उजागर कर दिया है। सरकार ने
झूठा वादा किया कि वह बेगुनाहों को छोड़गी यह बहुत बड़ा झूठ था। जो इस
देश की सर्वोच्च सदन संसद में सपा ने बोला था। उन्होंने कहा कि मैंने
सुप्रिम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायामूर्ती और
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को खालिद मुजाहिद की मौत के पहले लिखा था कि
आप इस मामले को अपने हाथ में ले लें। शहादत के बाद भी पत्र लिखा। इसके
बावजूद मामले पर संज्ञान नहीं लिया गया।
कचहरी विस्फोट मामले में आजमगढ़ के तारिक कासमी के चचा हाफिज फैयाज आजमी-
मेरे बेटे की बेगुनाही का सबूत निमेष कमीशन रिपोर्ट को अखिलेश यादव की
सरकार ने एक साल से दबा रखी है। अगर उस पर अमल कर लिया गया होता तो मेरा
भतीजा भी छूट जाता और उसके साथ पकड़े गए खालिद मुजाहिद की हत्या भी नहीं
होती। इस सरकार ने सिर्फ हमें धोखा दिया है।
अक्षरधाम मामले में आरोपी चांद खां की बीवी नगमा परवीन- मैं चांद खां की
बीवी हूं मैं यहां इंसाफ के लिए आयी हूं। हमें आज तक कोई इंसाफ नही मिल
पाया है।मेरी दो बेटियां है। उन्हंे लेकर अपने वालिद के साथ गुजारा कर
रही हूं। मेरे शौहर और बच्चियों के लिए दुआ कीजिए कि उन्हे न्याय मिले।
जब उन्हंे पकड़ा गया तो एक पल के लिए लगा कि सब कुछ खत्म हो गया। इन
बच्चियों को अपने पिता के चेहरे याद नही हैं। मेरे शौहर कभी गुजरात नही
गये थे फिर भी उन्हें अक्षरधाम पर हुए हमले में फंसा दिया गया और पोटा की
अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी। पोटा अदालत में उनके पति के
वकीलों की एक भी बात नहीं सुनी। उन्हें उन्हीं पुलिस वालों ने फंसाया है
जो आज इशरत जहां को फर्जी मुठभेड़ में मारने के आरोप में जेलों में बंद
हैं। मैं चाहती हंू कि मेेरे पति पर लगाए गए आरोपों की फिर से जांच हो और
साथ ही साथ अक्षरधाम मामले की फिर से किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच हो।
ताकि अवाम उस घटना की सच्चाई जान सके।
पिछली मुलायम सरकार में संकटमोचन धमाकों के मामले में फंसाए गए मौलाना
वलीउल्ला के ससुर मौ0 हनीफ- वलीउल्ला को जबरन फूलपुर से उठाया गया। पांच
दिनों तक गायब रहने के बाद हाई कोर्ट में रिट हुई, अखबारों में खबर छपी
तब हम लोग जाने कि उन्हें बनारस बम कांड में दिखा दिया गया है। फिर
मुकदमा शुरु हुआ जिसमें हमें न्यायपालिका की सांप्रदायिकता से परिचित
कराया। उन्हें पेशी के दौरान वकीलों और पुलिस वालों ने बुरी तरह पीटा।
किसी तरह बनारस से गाजियाबाद मुकदमा ट्रांसफर हुआ। जिसका विरोध करते हुए
सरकारी वकील ने कहा था कि विस्फोट बनारस में हुआ है तो क्या सुनवाई
पाकिस्तान के मुज्जफराबाद में होगी। इससे सरकारों की सांप्रदायिक जेहनियत
सामने आती है कि उनके सरकारी वकील किस तरह मुस्लिम विरोधी तर्क देते हैं।
इस दौरान इमाम बुखारी जैसे मुसलमानों के अगुवा बनने वाले लोगों ने अपने
हाथ खड़े कर लिए और किसी तरह की कोई मदद नहीं की।
सीआरपीएफ कैंप रामपुर मामले में फंसाए गए मुरादाबाद के जंग बहाुर के बेटे
शेर खां, कंुडा प्रतापगढ़ के कौसर फारूकी के भाई अनवर फारूकी- मेरे पापा
को जेल के अंदर 6 साल बीत चुके हैं। मिलने के लिए जाते हैं तो हमारी अलग
से 2-3 घंटे जांच होती है और साथ में ले गये खाद्य सामग्री को तहस नहस कर
दिया जाता है। मेरे पिता को हार्ट की गम्भीर बिमारी है लेकिन उन्हें इलाज
भी नहीं मुहैया करायी जा रही है। पूरा आरोप फर्जी है इसीलिए हमारी
सुनवायी में लम्बी-लम्बी तारीखें लगा दी जाती हैं। मेरे पिता को एक बंद
अंधेरी कोठरी में रखा जाता है जहां हवा बिल्कुल नहीं पहंुचती। मेरे पिता
ने पिछले दिनों मुलाकात के दौरान बताया था कि उनके कमरे में कहीं से एक
चिडि़या घुस गयी थी जो थोड़ी देर बाद तड़प कर मर गयी। मेरे पिता की रिहाई
तो दूर अगर सरकार जेल मेन्यूवल को ही सही से लागू कर दे तो हम सरकार के
शुक्रगुजार होंगे। लेकिन हमें नहीं लगता की हम मुसलमानों के वोट से ही
बनी यह सरकार हम मुसलमानों पर इतनी भी रहम करेगी।
अनवर का कहना है कि उसके भाई को भी जेल गये 6 साल हो गये हैं लेकिन केस
नहीं चलाया जा रहा है। गवाहों ने गवाही देने से इनकार कर दिया है। यहां
तक कि जिन लोगों के बारे में पुलिस ने कहा था कि उनके पैर में गोलियां
लगी हैं उन गवाहों ने जज के सामने कहा कि उन्हें आज तक कभी गोली ही नहीं
लगी है। अगर सरकार सीबीआई जांच करा दे ंतो दूध का दूध और पानी का पानी हो
जायेगा। मैं यह नहीं कहता कि उन्हे छोड़ दिया जाय बल्कि एक निष्पक्ष जांच
तुरंत करवाई जाय और अगर दोषी हैं तो सजा दिया जाय और निर्दोष हैं तो
छोड़ा और मुआवजा दिया जाए।
इस दौरान फहीम अंसारी के वकील रहे मोहम्मद शुऐब ने बताया- सीआरपीएफ कैंप
मामले में एक और गिरफ्तारी हुई थी। जिनका नाम फहीम अरशद अंसारी है आई बी
और महाराष्ट्र एटीएस ने फहीम अंसारी को 26/11 के हमले में आरोपी बनाया
था। अंसारी से बरामद नक्शे को रामपुर केस में भी पेश किया था लेकिन उसे
अदालत ने खारिज कर दिया।
जून 2007 में आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए बिजनौर के नौशाद के पिता मो0
शफी और याकूब के बहनोई जियाउल हक- याकूब को बिजनौर के नगीना से पुलिस ने
उठाया था तो वहीं नौशाद को राजस्थान के अलवर जिले के मिमराना इलाके से
पुलिस ने पकड़ा था। याकूब को दो दिनों तक और नौशाद को 12 दिनों तक अवैध
हिरासत में रखने के बाद यूपी एसटीएफ ने याकूब को चारबाग रेलवे स्टेशन और
नौशान को लखनऊ रेजीडेंसी से फर्जी गिरफ्तारी दिखाई। पुलिस के कहानी के
मुताबिक उनके आतंकवादी होने की खबर मुखबिर ने दी थी। इन्हें सरेआम भीड़
में पकड़ने दावा किया गया था लेकिन पुलिस के पास एक भी स्वतंत्र गवाह
नहीं है। इनके पास से आरडीएक्स की बरामदगी बताई गई। पुलिस ने आम बेचने
वाली की तराजू पर आरडी एक्स को तौलने का दावा किया है। लेकिन आम बेचने
वाले को गवाह नहीं बनाया है। पूरा मामला झूठ का पुलिंदा है। लेकिन 2007
से ही हमारे बच्चे जेलों में सड़ रहे हैं, जिन्हें छोड़ने का दावा करके
सरकार सत्ता में आई।
अहमदाबाद धमाकों में आरोपी बनाये गए आजमगढ़ के मोहम्मद हबीब के भाई अबू
आमिर ने कहा कि-27 दिसंबर 2011 को आजमगड़ के नरियावां बाजार के पास से
उनको गिरफ्तार किया गया था बाद में पता चला कि उन्हे अहमदाबाद और सूरत
ब्लास्ट में आरोपी बनाया गया है। अभी तक अनवर पर मामला सिद्ध नहीं हुआ
है।
सीतापुर बिस्वां के सैयद मुबारक हुसैन जिन्हें कश्मीरी की तरह दिखने के
चलते आतंकी बताकर जेल में डाल दिया गया- 14 अगस्त 2006 को मुझे बरेली की
एक मस्जिद से पुलिस ने उठाया और कई दिनों तक थाने में रखा जहां मुझे कई
दिनों तक रोज सैकड़ों लाठियां मारते थे। वे मुझ पर दबाव डालते थे कि मैं
कश्मीर के पुंछ का रहने वाला हूं और मैंने पाकिस्तान में आतंकवाद की
टेªनिंग ली है और जितने भी धमाके हुए हैं मैं सबका मास्टर माइंड हूं। रोज
मुझे एक पीपा पानी नाक के रास्ते पिलाया जाता था। मुझे दो साल बाद जमानत
मिली और छूटने के बाद मुझे दो साल मुकदमा लड़ना पड़ा। यह साबित करने के
लिए की मैं सीतापुर का हूं। मुझे आज तक कोई मुआवजा नहीं मिला और मेरी सात
बीघे जमीन बिक गई।
लखनऊ के जियाउद्दीन के पिता मो0 नसीम- जियाउद्दीन जिल्द साज था, पुलिस की
झूठी कहानी के मुताबिक उसने 100 नंबर पर फोन करके चार बाग रेलवे स्टेशन
को उड़ाने की धमकी दी थी। पांच साल से वह आज निर्दोष होने के बावजूद जेल
में बंद है। उसी दौरान एक धमकी स्टेशन को उड़ाने की और दी गई थी, जो
अखबारों में भी छपी थी। धमकी देने वाले का नाम जिया लाल था। लेकिन उसे
नहीं पकड़ा गया। घर में वही कमाने वाला था। मेरे घर के जवान बेटे के जेल
जाने के बाद मेरी बेटी बीमारी से दवा के अभाव में मर गई।
इस दौरान अधिवक्ता असद हयात जो दंगा पीडि़तों के वकील है ने बताया- कोसी
कलां दगे के पीडि़तों को मुवाबजा एवं निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय
में याचिका दायर की गयी है।
रियाज इस्तियाक अस्थान में हुए दंगे के पीडि़त- अस्थान में 23 जून एवं 23
जुलाई 2012 को दंगा हुआ। उसमें 52 घर जलाये गये। 23 जुलाई को प्रवीण भाई
तोगडि़या अस्थान आये थे। आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक सांप्रदायिक तत्व
हैं। इस बात को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है। 23 जुलाई को हुए फसाद में
तोगडि़या की भूमिका है। लेकिन उस पर रिपोर्ट तक दर्ज नही की गयी। आतंकवाद
और दंगों के मामलों में पुलिस की विवेचना पर भी सवाल खड़े होते हैं। चार
लड़कों द्वारा एक दलित लड़की का बलात्कार करने का आरोप है। और ये दंगा
उसी आधार पर हुआ था। विश्व हिन्दु परिषद के लोगों को खुश करने के लिए
मुस्लिम लड़को पर गैंगस्टर लगा दिया गया।
इटावा के अदनान जिसे ब्राहमण लड़की से प्रेम करने के कारण मार दिया गया
के पिता अखलाक का बयान - हमारा बेटा अदनान कीर्ति मिश्रा से दिल लगा
बैठा। जिसके चलते अदनान को बीच सड़क पर मार दिया गया। हमारे बेटे को
मरवाने में मैजिस्ट्रेट सुरेंदर शर्मा ने बड़ी भूमिका निभाई है। हमारे
मामले में में कोई इंसाफ नही मिला। सीबीआई जांच करवाने की मांग की लेकिन
अखिलेश सरकार ने ऐसा नही किया। मेरे घर के 14 सदस्य रोज अदनान के गम में
घुट-घुट कर मर रहे हैं। मुसलमान होने के कारण हमारा कोई पुरसाहाल नही है।
मेरे बेटे की मोत ने मुझे समझा दिया है कि हिन्दू मुस्लिम अलग-अलग हैं।
इससे पहले मैं ऐसा नही सोचता था। हत्यारों की गिरफ्तारी तुरंत हो। मेरे
बेटे अदनान और कीर्ति मिश्रा ने शादी के लिए जब सिटी मैजिस्ट्रेट को
आवेदन किया तो उन्होने यह जानने के बाद कि लड़की ब्राह्मण है और लड़का
मुस्लिम मजिस्ट्रेट ने कहा कि तुम्हे यही लड़का मिला था। अगर तुम दलित से
भी शादी करती तो मैं इस शादी को रजामंदी दे देता। उसने टाल मटोल कर तीन
माह बाद दुबारा बुलाया। उससे पहले ही 23 अक्टूबर की अदनान की गोली मार कर
हत्या कर दी गयी। मुख्य अभ्यिुक्त विकास यादव को मजिस्ट्रेट बचा रहा है।
जो खुलेआम घूम रहा है और लगातार मुझे जान से मारने की धमकियां दे रहा है।
अब इस मामले को मैं इंसाफ के वास्ते हाईकोर्ट लेकर जा रहा हैं।
जनसुनवाई में लखनऊ के शहबाज के ससुर मोइद अहमद के अलावां प्रदेश भर से
आतंकवाद के नाम पर पीडि़त व दंगा पीडि़त मौजूद थे।
प्रेस विज्ञप्ति
लखनऊ 16 अगस्त 2013। यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस
तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद
मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन
रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का
धरना शुक्रवार को 87 वें दिन भी जारी रहा।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि कल 17 अगस्त 2013, शनिवार को राजनीतिक
भ्रष्टाचार के खिलाफ पीपली लाईव जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुकी अनुषा
रिजवी मौलाना खालिद को न्याय दिलाने व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों
की रिहाई के लिए रिहाई मंच के धरने के 88 वें दिन समर्थन में आएंगी।
धरने में आईएनएल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, पिछड़ा समाज
महासभा के एहसानुल हक, डा0 हारिश सिद्किी, भागीदारी आंदोलन के पीसी
कुरील, शिवदास, शिवनारायण कुशवाहा, अनिल आजमी, मो0 फैज, शाहनवाज आलम,
राजीव यादव मौजूद रहे।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
Email- rihaimanchlucknow@gmail.com
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