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Memories of Another day

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Wednesday, August 14, 2013

प्रणव मुखर्जी ने किया 'स्थिर सरकार' का आह्वान

प्रणव मुखर्जी ने किया 'स्थिर सरकार' का आह्वान


देश के 66 स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंख्या पर राष्ट्र के नाम दिये गये अपने संदेश में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सब बातों के अलावा एक विवादास्पद पैरा भी पढ़ दिया है। राष्ट्रपति जी ने देश में स्थिर सरकार के लिए वोट करने का आह्वान करते हुए जनता से कहा है कि "हमारे अगले स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, आपको फिर से संबोधित करने से पहले, हमारे देश में आम चुनाव होंगे। लोकतंत्र का यह महान त्योहार हमारे लिए एक ऐसी स्थिर सरकार को चुनने का महान अवसर है जो सुरक्षा तथा आर्थिक विकास सुनिश्चित करेगी। हर एक चुनाव अधिक सामाजिक सौहार्द, शांति तथा समृद्धि की ओर राष्ट्र की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होना चाहिए।"

आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति की ओर से इस तरह की अपील नहीं की जाती है। लेकिन प्रणव मुखर्जी ने देश में एक स्थिर और विकास को सुनिश्चित करनेवाली सरकार को चुनने का आह्वान करके नयी परिपाटी शुरू की है। सिर्फ इतना ही नहीं, अपने संदेश में प्रणव मुखर्जी ने वर्तमान सरकार के कैश ट्रांसफर स्कीम योजना की तारीफ करते हुए कहा है कि "इस वर्ष के आरंभ में शुरू की गई प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना से पारदर्शिता आएगी, दक्षता बढ़ेगी तथा बहुमूल्य संसाधनों का अपव्यय रुकेगा।"

आमतौर पर राष्ट्रपति अपने अभिभाषण में सरकार के काम काज की तारीफ तो करते हैं लेकिन ऐसा करते हुए भी वे सिर्फ सरकार की उपलब्धियां नहीं गिनाते हैं और जनता को कोई ऐसा संदेश नहीं देते हैं कि उन्हें क्या निर्णय लेना चाहिए। लेकिन आम चुनाव से पहले स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर दिये गये अपने अभिभाषण में उन्होंने इस मिथ को तोड़ने की कोशिश की है और संकेतों में स्थिर सरकार को सत्ता में लाने का आह्वान किया है।

अपने अभिभाषण में प्रणव मुखर्जी ने पिछले एक दशक में भारत की प्रगति की तारीफ की है जिस एक दशक में देश में यूपीए का शासन रहा है। अपने अभिभाषण में प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि "भारत, पिछले दशक के दौरान, विश्व में एक सबसे तेजी से प्रगति करता हुआ देश बनकर उभरा है। इस अवधि के दौरान, हमारी अर्थव्यवस्था में प्रतिवर्ष 7.9 प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हुई है। हम आज खाद्यान्न के उत्पादन में आत्मनिर्भर हैं। हम, दुनिया भर में चावल के सबसे बड़े तथा गेहूं के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक हैं। इस वर्ष दालों का 18.45 मिलियन टन का रिकार्ड उत्पादन हुआ है, जो दालों के उत्पादन में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक शुभ संकेत है। इस गति को बनाए रखना होगा।"

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