'और मैंने बलात्कारी बाप को गोली मार दी'
जब मैं नौ साल की थी तब पहली बार मेरे पिता ने मेरे साथ बलात्कार किया. मुझे लगा कि यह बहुत ग़लत है, कुछ बहुत ग़लत हुआ है लेकिन अगले तीन साल तक मैं यह किसी से नहीं कह पाई और जब मैं 12 साल की हुई तो मेरी बेबी सिटर के ज़रिए मेरी मां को इस बारे में पता चला लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया.लेकिन जेल में 18 साल बिताने के बाद राज्य के गवर्नर ने स्टेसी की सज़ा घटाकर 18 साल कर दी और उन्हें तत्काल रिहा कर दिया गया. स्टेसी ने बीबीसी के आउटलुक कार्यक्रम में प्रज़ेंटर मैथ्यू बैनिस्टर से अपने यौन शोषण, सज़ा और उसके बाद की ज़िंदगी के बारे में इस तरह बतायाः
शराबी पिता
मेरे पिता एक शराबी थे. जब वे नशे में नहीं होते थे तो बहुत भले और प्यारे आदमी होते थे, लेकिन शराब पीने के बाद वो ऐसे इंसान बन जाते थे जिनसे मैं सबसे ज़्यादा डरती थी.
जब मैं 12 साल की थी, तब मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था. मेरी मां ने दूसरी शादी कर ली और बहुत दूर चली गई थीं. मेरी एक छोटी बहन भी थी, मुझसे दो साल छोटी. उसकी देखरेख, उसकी सुरक्षा मेरी प्राथमिकता थी.
जब मैं 17 साल की थी तब मैं अपनी बहन को लेकर अपनी मां के साथ रहने चली गई लेकिन मेरी बहन लौट आई और पिता के साथ रहने लगी. वहां बहुत गड़बड़ होने लगी और मेरे पिता ने कहा कि मुझे आकर उसकी देखरेख करनी होगी.
मैं पिता के घर वापस लौट गई और दो महीने तक मैं यह मानकर सब सहती रही कि जैसे ही मैं 18 की हो जाऊंगी सब सही हो जाएगा. तब तक मेरी बहन का यौन शोषण नहीं होता था और मैं सोचती थी कि मैं उसकी रक्षा कर रही हूं.
अपने 18वें जन्मदिन पर मैं पिता के दरवाज़े पर गई और कहा कि अब मैं 18 साल की हो गई हूं और अब यह सब बंद हो जाना चाहिए. लेकिन मेरे पिता ने वहीं दरवाज़े पर मेरा बलात्कार किया और मुझे जानवरों की तरह पीटा. इससे पहले उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया था.
बस कुछ दिन और
इसके बाद उन्होंने मेरे ऊपर 40 डॉलर फेंके और कहा, "हैप्पी बर्थडे". मुझे ऐसा लगा कि मेरी सारी दुनिया बर्बाद हो गई है. बच निकलने की जो आशा थी वह ख़त्म हो गई थी.
मैं पुलिस के पास नहीं जा सकती थी. बीस साल पहले लोग यौन शोषण के बारे में खुलकर बात नहीं करते थे. ख़ासतौर पर हमारे जैसे मध्यवर्गीय परिवार में.
और फिर मेरे पिता ने मुझसे कह दिया था कि अगर मैंने किसी को बताया तो वह यकीन नहीं करेगा और मैंने उनकी बात पर यकीन कर लिया. यह तीन जुलाई की बात है. मेरी बहन 10 जुलाई को 16 साल की हो रही थी.
मैंने सोचा कि मैं 10 जुलाई तक झेल लूं तो फिर उसे लेकर बाहर जा सकती हूं, फिर कोई कानूनी दिक्कत नहीं रहेगी. क्योंकि मैं उसे छोड़ नहीं सकती थी, मैं भाग नहीं सकती थी.
अपने जन्मदिन पर मैं एक कुत्ते का बच्चा ले आई थी, यह मानकर कि अब मैं 18 साल की हूं तो मैं इसे पाल सकती हूं. लेकिन चार जुलाई की सुबह मेरे पिता ने मुझे कहा कि कुत्ते को बाहर निकालो.
मैंने कहा कि कुत्ते के साथ मैं भी जा रही हूं और मेरी बहन भी. लेकिन उन्होंने बहन को नहीं ले जाने दिया. वह उसे घसीटकर अपने कमरे में ले गए और पहली बार उसके साथ बलात्कार किया.
गुस्सा
मैं चिल्लाती रही, कमरे का दरवाजा़ पीटती रही, बाहर जाकर खिड़की में से घुसने की कोशिश करती रही. लेकिन सब बेकार. उसके बाद मैं अपनी बहन को लेकर बाहर निकल गई और मैंने सोचा कि अब हम और यह सब नहीं झेल सकते.
हम भाग जाने की तैयारी कर रहे थे कि मुझे ख़्याल आया कि मैं अपने छोटे से कुत्ते को तो घर पर ही छोड़ आई हूं. मैं घर लौटी तो मुझे वहां राइफ़ल दिखी. मेरे ऊपर गुस्सा सवार हो गया.
मैं चाहती थी कि उन्हें डरा दूं कि वह हमें अकेला छोड़ दें. मैं उन्हें मारना नहीं चाहती थी लेकिन मैं चाहती थी कि वह हमें जाने दें. वह सोफ़े पर लेटे हुए थे, नशे में धुत्त. गुस्से की एक और लहर आई और मैंने आंख बंद करके गोली चला दी.
वह गोली उनके कंधे पर लगी और उन्होंने खड़े होकर मेरा नाम पुकारा. अचानक जैसे मैं हकीकत में लौट आई और फ़ोन ढूंढने लगी. लेकिन उन्होंने सुबह ही उसे छुपा दिया था, जब वह मेरी बहन का बलात्कार करने जा रहे थे.
अब वह गालियां देने लगे और चिल्लाने लगे कि देखो कि मैं तुम्हारा क्या हाल करता हूं. मैं डर गई, अपने लिए नहीं बल्कि अपनी बहन के लिए. मैं चाहती थी कि वह एक सामान्य जीवन जिए. मैंने फिर आंखें बंद करके गोली मारी और इस बार यह उनके सिर में लगी.
सज़ा
मैंने मामले को छुपाने की असफल कोशिश की और आखिरकार गिरफ़्तार कर ली गई. अदालत ने मुझे आजीवन कारावास की सज़ा दी, बिना किसी पेरोल के. शुरुआत में जेल में सांमजस्य बिठाने में दिक्कत तो हुई लेकिन वहां बहुत सी महिलाएं थीं जो मेरे पक्ष में खड़ी हुईं.
अमरीका में बहुत सी महिलाएं यौन शोषण का शिकार हुई हैं और वह इसे छुपाती नहीं हैं. वहीं से मेरे घाव भरने की शुरुआत हुई. इस दौरान मैं अपने मामले को फिर से उठाने की कोशिश भी करती रही. मैंने उम्मीद को कभी मरने नहीं दिया.
पिछले गवर्नर ने अपने कार्यकाल के आखिरी महीने में जिन सात लोगों की सज़ा माफ़ की उनमें से एक मैं भी थी. 18 साल जेल में बिताने के बाद बाहर की दुनिया से तारतम्य बिठाना आसान तो नहीं था क्योंकि जब मैं जेल गई थी तब सेल फ़ोन नहीं थे, इंटरनेट नहीं था.
दुनिया बहुत बदल गई थी. फिर मैंने यौन शोषण पीड़ितों के लिए एक वेबसाइट 'हीलिंग सिस्टर्स डॉट ओर्ग' शुरुआत की. अपने मुश्किल वक्त के दौरान मैंने एक बात महसूस की है जो यौन शोषण का शिकार होता है वह बहुत अलग-थलग महसूस करता है, जबकि हम नहीं होते.
इतने सारे लोग इसके शिकार होते हैं. यह ग़ैर मुनाफा वेबसाइट ऐसे लोगों को मदद और सामाजिक परिवेश देने का काम करती है. मैंने अपने अनुभवों पर एक किताब 'द रिडेंपशन' भी लिखी है.
मेरे लिए अपनी आवाज़ पाना और जो मेरे साथ हुआ, उसे कहना ही असली आज़ादी है. बाकी जेल या उससे बाहर होना तो सिर्फ़ जगह का फ़र्क है. मेरे लिए मेरी आज़ादी मेरे अंदर से ही आती है और वह है उस दुर्व्यवहार से आज़ादी पाने की कोशिश जो मैंने झेला है.
बीबीसी से साभार
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