बिना पते की पुष्टि किये मोबाइल कनेक्शन का धंधा जोरों पर,कहीं आपके नाम किसी और का मोबाइल तो चालू नहीं!
Illegal sale of sim cards without address verification!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बिना पते की पुष्टि किये मोबाइल कनेक्शन का धंधा जोरों पर,कहीं आपके नाम किसी और का मोबाइल तो चालू नहीं!देश में कई लाखों ऐसे मोबाइल यूजर्स भी हैं जो कई नेटवर्क कनेक्शन यानी सिम लेकर मोबाइल इस्तेमाल करते हैं और एक समय के बाद किसी एक सिम का ही इस्तेमाल करते हैं।जबकि दूसरे सिम के कनेक्शन भी उनके ही नाम पर होते हैं लेकिन वे इस्तेमाल नहीं करते। न ऐसे सिम के दुरुपयोग के बारे में उनको खबर होती है।आधिकारिक तौर पर इस तरह के मोबाइल कनेक्शन को बंद कर देने का प्रावधान है लेकिन अमूमन ऐसा होता है नहीं।
यह समस्या बेहद गंभीर है।आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों और बढ़ते हुए अपराधों के मद्देनजर। क्योंकि पूरे विश्व में पाँच अरब मोबाइल कनेक्शन हैं। इनमें से 47 प्रतिशत कनेक्शन भारत-चीन समेत एशिया प्रशांत क्षेत्र में हैं। मोबाइल कंपनियां भारत में ही एक करोड़ कनेक्शन का बाजार कब्जाने की होड़ में हैं। इस पर तुर्रा यह कि सरकार नए मोबाइल कनेक्शन लेने के लिए आधार कार्ड को पहचान के तौर पर इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है और इस संबंध में नियमों को जल्दी अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। पहचान निश्चित करने के लिहाज से यह बंदोबस्त कारगर हो सकता है लेकिन आधार का बायोमेट्रिक डाटा हेक हो जाने पर संबंधित व्यक्ति जो फंसेगा,सो फंसेगा,अपराधी माफिया और आतंकी गिरोहों को अपने मंसूबों को अंजाम देना केक वाक जैसा हो जायेगा।
बंगालभर में और शायद देशभर में यह धंधा खूब फल फूल रहा है। नेट पर उपलब्ध तथ्य हैक करके बहुत कुछ किया जा सकता है,मोबाइल कनेक्शन तो मामूली बात है।लोग कनेक्शन बंद होने या कनेक्शन मिलने में देरी होने की हालत में दोबारा तिबारा अपने दस्तावेज एजंसी के हवाले कर देते हैं।अतिरिक्त दस्तावेज का क्या दुरुपयोग संभव है,किसी को इसका अंदेशा तक नहीं होता।इस गैरकानूनी धंधे के पीछे यह तथ्य सबसे गौरतलब है।
नियमों के मुताबिक नये कनेक्श के लिए दिये जाने वाले सिम के एवज में 24 से लेकर 72 घंटे के मध्य पता संबंधी सबूत पेश करने होते हैं।लेकिन सिंडकेट की महिमा अपरंपार है कि कनेक्शन बिना दस्तावेज न केवल चालू हो जाता है,वह बाधित होता भी नहीं है।जिसको कनेक्शन दिये गये,उसके बदले किसी और नाम पर दस्तावेज और कनेक्शन का करिश्मा आम है। जिस व्यक्ति के नाम किसी और का मोबाइल कनेक्शन चालू होता है,किसी बड़ी वारदात में फंसने से पहले उसे कानोंकान खबर तक नहीं होती।
मोबाइल की चोरी हो जाने पर या सिम गायब हो जाने पर भी अमूमन लोग पुलिसिया पचड़े में वक्त खराब होने की आशंका से अनिवार्य एफआईआर दर्ज नही कराते।ऐसे मामले में हर बार अपराधी सिम नष्ट नहीं कर रहा होता है। उसे कहीं सुरक्षित ठिकाने पर छुपा दिया जाता है और जब तय हो जाता है कि सिम न लाक हुआ और न कोई जांच पड़ताल चल रही है और मामला एकदम शांत है तो या तो अपराधी या गिरोहबंद लोग ऐसे सिम का खुद इस्तेमाल कर लेते हैं या फिर एजंसियों और सिंडिकेट माध्यम नये ग्राहक जिसके पास पते का सबूत होता नहीं है,उसके हवाले कर दिया जाता है।
आधुनिक तकनीक से खेलने वाले ज्यादातर युवाजनों को इन खतरों की कोई ज्यादा परवाह होती नहीं है और न आम ग्राहक जागरुक है,यही इस धंधे की असल पूंजी है,जिसके माफिक लोग चांदी काट रहे हैं।
एजंसियां जिनमें से अनेक अधिकृत भी नहीं होती, एक ही नाम पर कई कई कनेक्शन जारी कर देते हैं और एक ही दस्तावेज का इस्तेमाल करके कंपनियों के एजंटों के मार्फत पते की पुष्टि हो जाती है।ऐसे गलत काम करने वाले लोगों को अपना अपना कमीशन मिल जाता है।
कानूनन एक नाम पर नौ से ज्यादा सिम जारी नहीं हो सकते किसी कंपनी की ओर से।लेकिन ऐसा भी धड़ल्ले से हो रहा है।
एक बार पते की पुष्टि हो जाये तो सिम का इस्तेमाल कौन और कैसे कर रहा है,इसकी परख का कोई पुख्ता बंदोबस्त है नहीं।
जबकि नागरिकों को नये कनेक्शन के लिए हर तरह की खानापूरी करनी होती है।
Illegal sale of sim cards without address verification
A new syndicate is at its peak in west bengal that is sale of sim cards without address verification . Now the new act sys that a new mobile connection needs address verification to start the connection which takes from 24 hours to 72 hours.
But thanks to these syndicates the customer gets a new connection without any documents and the connection is already up and running.
How this happens ?
These syndicates they issue several sim cards on one name and they also pay some company people to solve the verification issue.
Again a legal issue jumps in now .
You cannot have more than 9 sim cards registered under one name but multiple sim cards are issued without any hastle..
Irony is that they use fake ids sometimes stolen datas from other people.
But the problem is that the verification happens the only provision to stop the misuse of numbers for criminal activities.
Is it heppening reallly???
Once verified,no one is there to investigate the misuse.
.Areas like railway stations near police stations etc are the most fruitful zones for this business.
But innocent ordinary citizens are always harassed to get a new connection.
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